Q. Consider the following pairs:
S.No. | Supreme Court Cases | Judgement pronounced |
1. | Champakam Dorairajan case | Parliament cannot take away any of the Fundamental Rights, which are sacrosanct in nature. |
2. | Golaknath case | In case of any conflict between the Fundamental Rights and the Directive Principles, the former would prevail |
3. | Minerva Mills case | Indian Constitution is founded on the bedrock of the balance between the Fundamental Rights and the Directive Principles |
क्र. सं. | सर्वोच्च न्यायालय के मामले | निर्णय |
1. | चंपकम दोरायराजन मामला | संसद किसी भी मौलिक अधिकार, जो अपनी प्रकृति में उल्लंघनीय है को समाप्त नहीं कर सकती। |
2. | गोलकनाथ मामला | मौलिक अधिकारों और निर्देशक सिद्धांतों के बीच किसी भी संघर्ष के मामले में, मूल अधिकार सर्वोच्च होगा |
3. | मिनर्वा मिल्स मामला | भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों और निर्देशक तत्वों के बीच संतुलन के रूप में है |
Explanation:
The justiciability of Fundamental Rights and non-justiciability of Directive Principles on the one hand, and the moral obligation of the State to implement Directive Principles (Article 37) on the other hand, have led to a conflict between the two since the commencement of the Constitution. Various Supreme Court judgements have been pronounced from time to time to settle the conflict in this regard.
Pair 1 is incorrectly matched: In the Golaknath case (1967), the Supreme Court (SC) ruled that the Parliament could not take away or abridge any of the Fundamental Rights, which are ‘sacrosanct’ in nature. Which, in other words, means that Fundamental Rights cannot be amended for the implementation of the Directive Principles. In the Champakam Dorairajan case, the court held that the Fundamental Rights could be amended by the Parliament by enacting constitutional amendment acts.
Pair 2 is incorrectly matched: In the Champakam Dorairajan case (1951), the Supreme Court (SC) ruled that in case of any conflict between the Fundamental Rights and the Directive Principles, the former would prevail. It declared that the Directive Principles have to conform to and run as a subsidiary to the Fundamental Rights.
Pair 3 is correctly matched: The SC in the Minerva Mills case (1980) ruled that the Indian Constitution is founded on the bedrock of the balance between the Fundamental Rights and the Directive Principles. To give absolute primacy to one over the other is to disturb the harmony of the Constitution. This harmony and balance between the two is an essential feature of the basic structure of the Constitution. The goals set out by the Directive Principles have to be achieved without the abrogation of the means provided by the Fundamental Rights.
व्याख्या:
एक ओर मौलिक अधिकारों की न्यायोचितता और निर्देशक तत्वों की गैर-न्यायोचितता तथा दूसरी ओर निर्देशक तत्वों (अनुच्छेद 37) को लागू करने के लिए राज्य की नैतिक बाध्यता ने दोनों के मध्य टकराव को जन्म दिया। यह स्थिति संविधान लागू होने के समय से ही है। इस संघर्ष के संदर्भ में समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न निर्णय दिए गए ।
युग्म 1 सुमेलित नहीं है: गोलकनाथ मामले (1967) में, सर्वोच्च न्यायालय ( SC) ने फैसला सुनाया कि संसद किसी भी मौलिक अधिकार को जो प्रकृति में उल्लंघनीय है को समाप्त नहीं कर सकती है। दूसरे शब्दों में निदेशक तत्वों को लागू करने के लिए मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं किया जा सकता है। चंपकम दोराइराजन मामले में, न्यायालय ने माना कि मौलिक अधिकारों को संसद द्वारा संवैधानिक संशोधन प्रक्रिया के तहत संशोधित किया जा सकता है।
युग्म 2 सुमेलित नहीं है: चंपकम दोराइराजन मामले (1951) में, सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने फैसला सुनाया कि मौलिक अधिकारों और निर्देशक सिद्धांतों के बीच किसी भी संघर्ष के मामले में, मौलिक अधिकार प्रभावी होगा। इसमें घोषणा की गई कि निदेशक सिद्धांतों को मौलिक अधिकारों के पूरक के रूप में निश्चित रूप से लागू होंगे ।
युग्म 3 सही सुमेलित है: मिनर्वा मिल्स मामले (1980) में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों और निर्देशक तत्वों के बीच संतुलन के रूप में है। एक को दूसरे पर प्रधानता देना संविधान के सामंजस्य को बिगाड़ना है। दोनों के बीच सामंजस्य और संतुलन संविधान की मूल संरचना की आवश्यक विशेषता है। निदेशक तत्वों द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को मौलिक अधिकारों को प्राप्त किए बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है।