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Question

Q. Consider the following statements about ‘writ jurisdiction’ of the High Courts.

Which of the above given statements is/are correct?

Q. उच्च न्यायालयों के ‘रिट क्षेत्राधिकार ’के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है / हैं?

A

1 and 2 only
केवल 1 और 2
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B

2 only
केवल 2
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C

1 and 3 only
केवल 1 और 3
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D

3 only
केवल 3
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Solution

The correct option is B
2 only
केवल 2
Explanation:

Statement 1 is incorrect - Issuing writs is a concurrent power of the Supreme Court (under Article 32) and High Courts (under Article 226).

Statement 2 is correct - While the Supreme Court can issue writs only for the violation of the Fundamental Rights, the High Courts can issue writs for both Fundamental and Legal Rights. Hence, the writ jurisdiction of the High Court is wider than the Supreme Court.

Statement 3 is incorrect - High Courts can issue the writ of habeas corpus against both public authorities as well as private individuals.
Explainer’s Perspective:

The first step in answering the question is to eliminate statement 1. It says that writ jurisdiction is an exclusive power of the High Courts. One genuine doubt should arise that the Supreme Court is the guarantor of the Fundamental Rights of the citizens and without the help of writ jurisdiction the court cannot protect the rights. Hence, one can say that High Courts alone cannot possess the writ jurisdiction. Hence statement 1 is incorrect. This eliminates the options (a) and (c).
Now, either statement 2 or 3 is correct.
The statement 3 says that writs can be issued only against the public bodies. If students are able to find a single instance in which a writ is issued against the private entities, the statement will become incorrect. The writ of Habeas Corpus can be issued against both public authorities as well as private individuals. So, the tip is remembering the exceptions. Hence, statement 3 is incorrect and the answer is (b).

व्याख्या:

कथन 1 गलत है - रिट जारी करना सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32 के तहत) और उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226 के तहत) की समवर्ती शक्ति है।

कथन 2 सही है - सर्वोच्च न्यायालय जहाँ केवल मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए रिट जारी कर सकता है, वहीं उच्च न्यायालय मौलिक और विधिक दोनों अधिकारों के लिए रिट जारी कर सकते हैं।
इसलिए, उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र सर्वोच्च न्यायालय से अधिक व्यापक है।

कथन 3 गलत है - उच्च न्यायालय लोक प्राधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण हेतु रिट जारी कर सकते हैं।
एक्सप्लेनर परिप्रेक्ष्य:

प्रश्न का उत्तर देने में पहला कदम कथन 1 को समाप्त करना है। यह कहता है कि रिट क्षेत्राधिकार उच्च न्यायालयों की एक अनन्य शक्ति है। यहाँ संदेह यह होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के मौलिक अधिकारों का संरक्षक है और रिट क्षेत्राधिकार की मदद के बिना न्यायालय अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकता है। इसलिए, कोई यह अनुमान लगा सकता है कि यह अधिकार क्षेत्र केवल उच्च न्यायालयों के पास नहीं हो सकता है। इसलिए कथन 1 गलत है। यह विकल्प (a) और (c) को समाप्त करता है।
अब, या तो कथन 2 या कथन 3 सही है।
कथन 3 कहता है कि रिट केवल लोक निकायों के विरुद्ध जारी किया जा सकता है। यदि छात्र कोई एक उदाहरण खोजने में सक्षम हैं जिसमें निजी संस्थाओं के खिलाफ रिट जारी की जाती है, तो कथन गलत हो जाएगा। बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट सार्वजनिक अधिकारियों और निजी व्यक्तियों दोनों के विरुद्ध जारी की जा सकती है। तो, सुझाव ‘अपवादों को याद रखना’ का ध्यान रखें। अतः, कथन 3 गलत है और इसका उत्तर विकल्प (b) है।

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