Q. Consider the following statements regarding Ashokan Inscriptions:
Which of the statements given above are correct?
Q. अशोक के शिलालेखों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1 वे अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हैं।
2. वे ज्यादातर ब्राह्मी लिपि में हैं ।
3. उनमें कर संग्रह को छोड़कर धम्म दर्शन और दिन-प्रतिदिन के प्रशासन का उल्लेख है ।
4. अशोक ’नाम उनके किसी भी शिलालेख में नहीं है।
ऊपर दिए गए कौन से कथन सही हैं?
Explanation
Statement 1 is correct: The Ashokan Inscriptions shows the extent of the Mauryan empire under Ashoka. The Ashokan inscriptions are found in India, Nepal, Pakistan, Afghanistan, and Bangladesh. Kandhar greek inscription has been found from Afghanistan, and Mahasthan inscription has been found from Bogra district, Bangladesh.
Statement 2 is correct: Composed in prakrit, the Ashokan inscriptions were written in Brahmi script in the greater part of the subcontinent. Thus, they were mostly carved in Brahmi script. However, in the north-western part of the subcontinent they appeared in Aramaic language and Kharosthi script, and in Afghanistan they were written in both Aramaic and Greek scripts and languages.
Statement 3 is incorrect: The Ashokan inscriptions convey royal orders and decisions regarding social, religious, and administrative matters to officials and the people in general. It also includes Dhamma philosophy and tax collection. The Rummindei pillar inscription of Ashoka mentions tax exemptions to the people of the Lumbini village.
Statement 4 is incorrect: The name Ashoka occurs in copies of Minor Rock Edict I found at three places in Karnataka and at one in MP. Thus, altogether, the name Ashoka occurs four times. It is significant that Ashoka’s name does not occur in any of his inscriptions from north or north-west India. The inscriptions which do not carry his name mention only devanampiya piyadasi, dear to the gods, and leave out the name Ashoka.
व्याख्या :
कथन 1 सही है । अशोक के शिलालेख उनके अधीन मौर्य साम्राज्य की सीमा को दर्शाते हैं । अशोक के शिलालेख भारत, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हैं। कन्धार शिलालेख अफगानिस्तान में है और महास्थान शिलालेख बांग्लादेश के बोगरा जिले में है।
कथन 2 सही है । प्राकृत में रचित अशोक के शिलालेख ब्राह्मी लिपि में उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से में लिखे गए थे। इस प्रकार वे ज्यादातर ब्राह्मी लिपि में हैं । हालाँकि उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में वे अरामी भाषा और खरोष्ठी लिपि में है और अफ़गानिस्तान में वे अरामी और ग्रीक दोनों लिपियों में लिखे गए थे।
कथन 3 गलत है । अशोक के शिलालेख शाही आदेशों और निर्णयों को सामान्य रूप से अधिकारियों और लोगों को सामाजिक, धार्मिक और प्रशासनिक मामलों से अवगत कराते हैं। इसमें धम्म दर्शन और कर संग्रह भी शामिल है। अशोक के रुम्मिनदेई स्तंभ में लुंबिनी गांव के लोगों को कर छूट का उल्लेख है।
कथन 4 गलत है । अशोक का नाम माइनर रॉक एडिक्ट में एक बार , कर्नाटक में तीन स्थानों पर और एक में एमपी में पाया गया है । इस प्रकार कुल मिलाकर अशोक नाम चार बार आया है। यह महत्वपूर्ण है कि अशोक का नाम उत्तर या उत्तर-पश्चिम भारत के किसी भी शिलालेख में नहीं है। जिन शिलालेखों में उनका नाम नहीं है, उनमें केवल देवन प्रिया या प्रियदर्शी का उल्लेख है ।