Q. Consider the following statements regarding Maru-Gurjara style of temple Architecture in Medieval India:
Which of the statements given above are correct?
Q. मध्यकालीन भारत में मंदिर वास्तुकला की मारू-गुर्जर शैली के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
A
1 and 3 only
केवल 1 और 3
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B
2, 3 and 4 only
केवल 2, 3 और 4
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C
2 and 4 only
केवल 2 और 4
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D
1, 2 and 3 only
केवल 1, 2 और 3
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Solution
The correct option is D
1, 2 and 3 only
केवल 1, 2 और 3 Explanation:
The Maru-Gurjara style of architecture (also known as Solanki School) developed in north-western parts of India.
Statement 1 is correct: A variety of materials were used to construct the temple under this style e.g. sandstone, black basalt and soft marble.
Statement 2 is correct: A unique feature of this style is the presence of a step-tank known as Surya Kund in the proximity of the temple.
Statement 3 is correct: This style was patronised by the Solanki rulers in north-western parts of India including Gujarat and Rajasthan.
Statement 4 is incorrect: The Ekattarso Mahadeva Temple (also known as Chausath Yogini temple), Mitaoli in Morena district of Madhya Pradesh, was built by the Kachchhapaghata King Devapala (1055 – 1075 C.E). The temple is famous for its circular architecture and is not an example of Maru-Gurjara style of temple architecture. Modhera Sun temple in Gujarat is an example of Maru-Gurjara style of temple Architecture.
व्याख्या:
वास्तुकला की मारू-गुर्जर शैली (जिसे सोलंकी शैली के रूप में भी जाना जाता है) भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में विकसित हुई।
कथन 1 सही है: इस शैली के तहत मंदिर के निर्माण के लिए कई प्रकार की सामग्रियों का उपयोग किया जाता था उदाहरण: बलुआ पत्थर, काले बेसाल्ट और मुलायम संगमरमर।
कथन 2 सही है: इस शैली की एक अनूठी विशेषता मंदिर के समीप सूर्य कुंड नामक एक सीढ़ीदार तालाब की उपस्थिति है।
कथन 3 सही है: इस शैली को गुजरात और राजस्थान सहित भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में सोलंकी शासकों द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया।
कथन 4 गलत है: मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के मितौली स्थित इकत्तरसो महादेव मंदिर (जिसे चौसठ योगिनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है), इसे कच्छपघात राजा देवपाल (1055 - 1075 C.E) द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर अपनी वृत्ताकार वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है और वास्तुकला की मारू-गुर्जर शैली का उदाहरण नहीं है। गुजरात का मोढ़ेरा सूर्य मंदिर वास्तुकला की मारू-गुर्जर शैली का एक उदाहरण है।