Q. Consider the following statements regarding the classical music genre Dhrupad:
Which of the statements given above are correct?
Q. शास्त्रीय संगीत शैली ध्रुपद के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?
Explanation:
Dhrupad is a genre of Hindustani classical music.
Statement 1 is correct: Dhrupad had an impetus for popularity by the 14th century but it finds a blossoming period from 15th century onwards to about the 18th century. During these centuries we meet the most respected and renowned singers and patrons of this form.There was Man Singh Tomar, the Maharaja of Gwalior. It was he who was mainly responsible for the enormous vogue of dhrupad.
Statement 2 is correct: Tansen was an accomplished dhrupad singer. Swami Haridasa a hermit of Brindavan was not only a dhrupadiya, but one of the most central figures in the Bhakti cult in the Northern areas of India. By tradition he was the guru of Tansen, one of the best known dhrupad singers and one of the nine jewels of Emperor Akbar's court.
Statement 3 is incorrect: There were four schools or vanis of singing the dhrupad. The Gauhar vani developed the raga or unadorned melodic figures. The Dagarvani emphasized melodic curves and graces. The Khandar vani specialised in quick ornamentation of the notes. Nauhar vani was known for its broad musical leaps and jumps. These vanis 'are now indistinguishable. Compared to the vanis of the dhrupads, we have gharanas, in the khyal. These are schools of singing founded or developed by various individuals or patrons such as kings or noblemen. The oldest of these is the Gwalior gharana.
व्याख्या:
ध्रुपद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक शैली है।
कथन 1 सही है: चौदहवीं शताब्दी तक ध्रुपद ने लोकप्रियता के लिए एक प्रेरक शक्ति अर्जित की और पन्द्रहवीं शताब्दी से लेकर अठारहवीं शताब्दी तक की अवधि में इसका विकास हुआ । इन शताब्दियों के दौरान हम इसी शैली के सर्वाधिक सम्मानित तथा सुप्रसिद्ध गायकों एवं संरक्षकों से परिचित होते हैं । मानसिंह तोमर, ग्वालियर के महाराजा ही ध्रुपद की व्यापक लोकप्रियता के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी थे ।
कथन 2 सही है: तानसेन एक कुशल ध्रुपद गायक थे। बृंदावन के एक धर्मप्रेमी स्वामी हरिदास न केवल एक ध्रुपदिया थे, बल्कि भारत के उत्तरी क्षेत्रों में भक्ति पंथ में सबसे प्रमुख हस्तियों में से एक थे। परंपरा से वह तानसेन के गुरु थे, जो कि सबसे प्रसिद्ध ध्रुपद गायकों में से एक थे और सम्राट अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक थे।
कथन 3 गलत है: ध्रुपद गायन के चार संप्रदाय या वाणियाँ थीं। गौहर वाणी में राग या अनलंकृत रागात्मक आकृतियों का विकास है । डागर वाणी में रागात्मक वक्रताओं और शालीनताओं पर बल दिया गया है । कंधार वाणी में स्वरों के शीघ्र अलंकरण की विशेषता है । नौहर वाणी अपने व्यापक संगीतात्मक लंघनों के लिए जानी जाती थी । ये वाणियां अब अद़ृश्य हो गई हैं। ध्रुपद में वाणियों की तुलना में ख्याल में घराने होते है। ये विभिन्न व्यक्तियों या संरक्षक जैसे राजा या महानुभावों द्वारा स्थापित या विकसित किए गए गायन के संप्रदाय हैं। इनमें से सबसे पुराना ग्वालियर घराना है।