The correct option is A
1 and 2 only
केवल 1 और 2
Explanation:
Statement 1 is correct: The Clean Energy Cess, introduced in 2010, is a carbon tax on the production and importation of coal, lignite and peat. The cess was first levied at the rate of Rs 50 for every tonne of coal produced or imported. By 2016, this amount was scaled up to Rs 400.
Statement 2 is correct: Proceeds from this tax would go to the National Clean Energy and Environment Fund, to be used for “funding research and innovative projects in clean energy technologies”. A cess is a levy that are non-lapsable (meaning unspent funds will be carried forward to the next year) and applicable solely for the purpose for which they were imposed.
Statement 3 is incorrect: Though the Government is not supposed to transfer funds from NCEF to unrelated purposes it diverted funds from NCEF to compensate States for revenue losses post-GST. So, the Parliamentary panel pulled up the government for diverting funds from the National Clean Energy Fund (NCEF).
व्याख्या:
कथन 1 सही है: 2010 में शुरू की गई स्वच्छ ऊर्जा उपकर कोयला, लिग्नाइट और पीट के उत्पादन तथा आयात पर एक कार्बन टैक्स है।उत्पादित या आयात किए गए प्रत्येक टन कोयले पर पहले 50 रुपये की दर से उपकर लगाया जाता था।2016 तक यह राशि बढ़कर 400 रुपये तक हो गई।
कथन 2 सही है: इस कर से होने वाली आय राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण कोष में जाएगी, जिसका उपयोग "स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और नवीन परियोजनाओं के वित्तपोषण" के लिए किया जाएगा।उपकर एक ऐसा कर है जो नॉन-लैप्सेबल है (जिसका अर्थ है कि जो धन खर्च नहीं किया जा सका है उसका अगले साल के लिए प्रयोग किया जा सकेगा) और केवल उसी उद्देश्य के लिए लागू होगा जिसके लिए इसे वसूला गया था।
कथन 3 गलत है: हालांकि सरकार से यह आशा नहीं की जाती है की वो असंबंधित कार्यों के लिए एनसीईएफ के धन का प्रयोग करे, परन्तु सरकार ने एनसीईएफ के धन का प्रयोग जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को हुए राजस्व घाटे की भरपाई के लिए किया।इसलिए, संसदीय पैनल ने राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष (NCEF) से धन निकालने के लिए सरकार की खिंचाई की।