Q. Consider the following statements with reference to protein-based vaccines:
Which of the statements given above are correct?
Q. प्रोटीन आधारित टीकों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Protein-based vaccines are the latest developed vaccines against the COVID-19.
Figure: Protein vaccine
Statement 1 is correct: A subunit vaccine is one that only uses the very specific parts (the subunits) of a virus or bacterium that the immune system needs to recognize. It doesn't contain the whole microbe or use a safe virus as a vector. The subunits may be proteins or sugars. Protein subunit vaccines contain specific isolated proteins from viral or bacterial pathogens. Most of the vaccines on the childhood schedule are subunit vaccines, protecting people from diseases such as whooping cough, tetanus, diphtheria and meningococcal meningitis. Whole virus or bacterium is used to make inactivated vaccines where the organism is killed by using chemicals, heat or radiation. The flu and polio vaccines use this method to develop vaccines.
Statement 2 is incorrect: One of the advantages of protein vaccines is that there isn’t any risk of vaccine-triggered disease, since they do not have any live components. To develop protein-based vaccines, the combination of antigenic properties that will elicit an effective immune response with the correct pathway needs to be developed. Developing the best antigen combination takes time.
Statement 3 is incorrect: The protein-based vaccines are inexpensive and are stable over a broad range of temperatures. Due to this reason, they can be used to reduce the vaccination gap between the rich and poor countries.
Statement 4 is correct: Protein-based vaccines are available for hepatitis B and as acellular pertussis vaccines.
व्याख्या:
प्रोटीन आधारित टीके कोविड-19 के विरुद्ध विकसित नवीनतम टीके हैं।
चित्र: प्रोटीन टीका
कथन 1 सही है: ‘सबयूनिट टीका’ (Subunit Vaccine) ऐसा टीका होता है जो किसी विषाणु या जीवाणु के केवल विशिष्ट भागों (सबयूनिट्स-Subunits) का उपयोग करता है, जिसे ‘प्रतिरक्षा प्रणाली’ को पहचानने की आवश्यकता होती है। प्रोटीन आधारित टीकों में ना तो ‘ पूरे सूक्ष्मजीव’ (Whole Microbe) का उपयोग किया जाता है ना ही किसी सुरक्षित विषाणु का उपयोग वेक्टर/वाहक के रूप में किया जाता है। टीकों में प्रयुक्त सबयूनिट, प्रोटीन या शर्करा हो सकते हैं। प्रोटीन सबयूनिट टीकों में विषाणुओं एवं जीवाणुओं से पृथक किये गए विशिष्ट प्रोटीन होते हैं। बच्चों को बचपन में दिए जाने अधिकांश टीके सबयूनिट टीके होते हैं, जो उन्हें ‘काली खांसी’ (Pertussis), ‘टिटनस’ (Tetanus), ‘डिप्थीरिया’ (Diphtheria) और 'मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस’ (Meningococcal Meningitis) जैसी बीमारियों से बचाते हैं। पूरे वायरस या जीवाणु का उपयोग ‘निष्क्रिय टीकों’ (Inactivated Vaccines) को बनाने के लिए किया जाता है जिसमें रोगाणु को रसायन, ऊष्मा या विकिरण का उपयोग कर मार दिया जाता है। फ्लू और पोलियो के टीके विकसित करने के लिए इस पद्धति का उपयोग किया जाता है।
कथन 2 गलत है: प्रोटीन टीकों के लाभों में से एक यह है कि इनसे टीका जनित बीमारी का कोई खतरा नहीं होता है, क्योंकि इन टीकों में कोई जीवित घटक नहीं होता है। प्रोटीन-आधारित टीके विकसित करने के लिए, ‘प्रतिजनक गुणों के संयोजन’ (Combination of Antigenic Properties) को विकसित करने की आवश्यकता है जिससे उचित मार्ग के साथ एक ‘प्रभावी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया’ (Effective Immune Response) का विकास होता है। एक अच्छा ‘प्रतिजन संयोजन’ (Antigen Combination) विकसित करने में लंबा समय लगता है।
कथन 3 गलत है: प्रोटीन आधारित टीके सस्ते होते हैं तथा इन्हें ‘तापमान की एक विस्तृत श्रृंखला’ (Broad Range of Temperature) पर संग्रहित किया जा सकता है। इस कारण से, उनका उपयोग अमीर और गरीब देशों के बीच ‘टीकाकरण के अंतराल’ (Vaccine Gap) को कम करने के लिए किया जा सकता है।
कथन 4 सही है: हेपेटाइटिस B के लिए प्रोटीन आधारित टीके और ‘अकोशिकीय काले खांसी टीके’ (Acellular Pertussis Vaccines) के रूप में उपलब्ध हैं।