Q. Consider the following statements with reference to the later Vedic period:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. उत्तर वैदिक काल के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Explanation:
The Vedic age is divided into two parts: the early Vedic (1500 BC–1000 BC) and the Later, Vedic people (1000 BC–500BC). Since the Rigveda is considered the oldest of all the Vedas, the early Vedic period i.e., 1800–1500 BCE is also called the Rigvedic period.
Statement 1 is correct: During the later Vedic phase, agriculture became the mainstay of the Vedic people. Many rituals were introduced to initiate the process of agriculture.
The buffalo had been domesticated for agricultural purposes. This animal was extremely useful in ploughing the swampy land. The god Indra acquired a new epithet, ‘Lord of the Plough’ in this period. The number and variety of plant foods increased. Apart from barley, people now cultivated wheat, rice, pulses, lentils, millet, sugarcane etc. The items of dana and dakshina included cooked rice.
Statement 2 is correct: There has been a continuous increase in the population during the later Vedic period due to the expansion of the economy based on agriculture. The increasing number and size of Painted Grey Ware (PGW) settlements in the Doab area shows this.
The Painted Grey Ware culture is an Iron Age Indian culture of the western Gangetic plain and the Ghaggar-Hakra valley in the Indian subcontinent, conventionally dated c.1200 to 600–500 BCE.
Characterized by a style of fine, grey pottery painted with geometric patterns in black, the PGW culture is associated with village and town settlements, domesticated horses, ivory-working, and the advent of iron metallurgy.
व्याख्या:
वैदिक युग को दो भागों में बांटा गया है: प्रारंभिक वैदिक (1500 ईसा पूर्व-1000 ईसा पूर्व) और उत्तर वैदिक (1000 ईसा पूर्व-500 ईसा पूर्व)। चूंकि ऋग्वेद को सभी वेदों में सबसे पुराना माना जाता है, इसलिए प्रारंभिक वैदिक काल यानी 1800-1500 ईसा पूर्व को ऋग्वेदिक काल भी कहा जाता है।
कथन 1 सही है: उत्तर वैदिक चरण के दौरान, कृषि वैदिक लोगों का मुख्य आधार था। कृषि की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कई पद्धति की शरुआत की गई थी।
भैंस को कृषि उद्देश्यों के लिए पालतू बनाया गया था। यह जानवर दलदली भूमि की जुताई में बेहद उपयोगी था। भगवान इंद्र को इस अवधि में 'हल के भगवान' के रूप में संबोधित किया गया। पौधों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों की संख्या और विविधता में वृद्धि हुई। जौ के अलावा, लोग गेहूं, चावल, दाल, बाजरा, गन्ना आदि की खेती करते थे। दान और दक्षिणा की वस्तुओं में पके हुए चावल शामिल थे।
कथन 2 सही है: उत्तर वैदिक काल में कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था के विस्तार के कारण जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हुई है। दोआब क्षेत्र में चित्रित धूसर मृदभांडों (PGW) का उपयोग करने वाली बस्तियों की संख्या में वृद्धि और आकार यह दर्शाता है।
चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति पश्चिमी गंगा के मैदान और भारतीय उपमहाद्वीप में घग्गर-हकरा घाटी की लौह युग की भारतीय संस्कृति है, जो परंपरागत रूप से 1200 से 600-500 ईसा पूर्व की है।
काले रंग में ज्यामितीय पैटर्न के साथ चित्रित बारीक, भूरे रंग के मिट्टी के बर्तनों की एक शैली द्वारा चित्रित, चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति गाँव और शहर की बस्तियों, पालतू घोड़ों, हाथी दांत की कृतियों और लौह धातु विज्ञान के आगमन से जुड़ी हुई है।