Q. Consider the following statements with reference to the Review Petition under Article 137 of the constitution of India:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारत के संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत पुनर्विचार याचिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
A
1 only
केवल 1
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B
1 and 2 only
केवल 1 और 2
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C
2 and 3 only
केवल 2 और 3
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D
1, 2 and 3
1, 2 और 3
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Solution
The correct option is B
1 and 2 only
केवल 1 और 2 Explanation:
Statement 1 is correct: Under Article 137 of the Constitution, the Supreme Court of India has the power to review any of its judgments or orders. It is a mechanism to review its own judgements and correct grave errors that have resulted in the miscarriage of justice.
Statement 2 is correct: The Court has the power only to review its rulings to correct a “patent error” and not “minor mistakes of inconsequential import”. Thus the Court is allowed not to take fresh stock of the case but only to reexamine its judgement.
Statement 3 is incorrect: As per the Civil Procedure Code and the Supreme Court Rules, any person aggrieved by a ruling can seek a review. This implies that it is not necessary that only parties to a case can seek a review of the judgment.
व्याख्या:
कथन 1 सही है: संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत, भारत के सर्वोच्च न्यायालय को अपने किसी भी निर्णय या आदेश पर पुनर्विचार करने की शक्ति है। यह अपने स्वयं के निर्णयों की समीक्षा करने और उन गंभीर त्रुटियों को ठीक करने का एक तंत्र है जिनके परिणामस्वरूप न्याय का हनन हुआ है।
कथन 2 सही है: न्यायालय के पास केवल "प्रत्यक्ष त्रुटि" में सुधार करने के लिए अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करने की शक्ति है, न कि "अप्रासंगिक छोटी त्रुटियों" में। इस प्रकार न्यायालय को नए मामलों की समीक्षा नहीं, बल्कि केवल अपने निर्णय का पुनर्परीक्षण करने की अनुमति है।
कथन 3 गलत है: सिविल प्रक्रिया संहिता और सर्वोच्च न्यायालय के नियमों के अनुसार, किसी निर्णय से पीड़ित कोई भी व्यक्ति समीक्षा की मांग कर सकता है। इसका तात्पर्य यह है कि यह आवश्यक नहीं है कि केवल मामले के पक्षकार ही निर्णय की समीक्षा की मांग कर सकते हैं।