The correct option is A
Buddhism and Jainism respectively.
क्रमशः बौद्ध और जैन धर्म।
Explanation:
The Sanskrit term Pratityasamutpada, meaning - dependent arising or dependent origination, is the basis for the Buddha‘s teaching on the processes of birth and death and appears in the canon of the two major schools of Buddhism, Theravada and Mahayana.
Saptbhangivada or Syadvada is the most important part of Jaina Logic. Syadvada is neither scepticism nor agnosticism. In fact, Syadvada is the theory of the relativity of knowledge. Every object exists in relation to its form, substance, scope and time and no object exists in relation to the form substance, scope and time of any other object. Therefore, the knowledge of every object is not absolute but relative.
व्याख्या:
संस्कृत शब्द प्रतीत्यसमुत्पाद, जिसका अर्थ है - आश्रित उत्पन्न होना या आश्रित उत्पत्ति, यह जन्म और मृत्यु की प्रक्रियाओं पर बुद्ध के उपदेश का आधार है और बौद्ध धर्म के दो प्रमुख भागों, थेरवाद और महायान, के सिद्धांत में परिलक्षित होता है।
सप्तभंगीवाद या स्यादवाद जैन तर्क का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। स्यादवाद न तो संशयवाद है और न ही अज्ञेयवाद। वास्तव में, स्याद्वाद ज्ञान की सापेक्षता का सिद्धांत है। प्रत्येक वस्तु का आस्तित्व अपने रूप, पदार्थ, व्यापकता और समय के संबंध में होता है और न कि किसी अन्य वस्तु के रूप पदार्थ, व्यापकता और समय के संबंध में । इसलिए प्रत्येक वस्तु का ज्ञान निरपेक्ष नहीं बल्कि सापेक्ष होता है।