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Question

Q. These paintings were images of everyday scenes, such as vendors at the market selling fruits, grains and vegetables. The style was a combination of traditional elements from Rajput and Mughal paintings blended with Western treatment. Paintings reflecting the Indian miniature tradition were usually small, while those portraying natural history paintings of plants and birds were significantly large. Watercolours were used in the paintings.

Which of the following paintings is described in the above passage?

Q. यह चित्रकारी रोज़मर्रा के दृश्यों की छवियां थीं, जैसे कि बाजार में फल, अनाज और सब्जियां बेचने वाले विक्रेता। यह शैली पश्चिमी कलेवर के साथ मिश्रित राजपूत और मुगल चित्रों के पारंपरिक तत्वों का एक संयोजन थी। भारतीय लघु परंपरा को दर्शाने वाले चित्र आमतौर पर छोटे होते थे, जबकि प्राकृतिक इतिहास को चित्रित करने वाले पौधों और पक्षियों के चित्र काफी बड़े थे। चित्रों में जल रंगों (Watercolours) का प्रयोग किया जाता था।

उपर्युक्त परिच्छेद में निम्नलिखित में से किस चित्रकारी का वर्णन किया गया है?


A

Deccani School of Paintings
चित्रकारी की दक्कन शैली
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B

Western Indian School of Paintings
चित्रकारी की पश्चिमी भारतीय शैली
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C

Company School of Paintings
चित्रकारी की कंपनी शैली
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D

Central Indian School of Paintings
चित्रकारी की मध्य भारतीय शैली
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Solution

The correct option is C
Company School of Paintings
चित्रकारी की कंपनी शैली

Explanation:

India is home to many schools of painting from ancient times. Many schools have influenced each other and certain schools represent an amalgamation of different styles.

Option (a) is incorrect: Early centres of painting in the Deccan, during the 16th and 17th centuries were Ahmednagar, Bijapur and Golconda. In the Deccan, painting continued to develop independently of the Mughal style in the beginning. However, later in the 17th and 18th centuries, it was increasingly influenced by the Mughal style.

Option (b) is incorrect: The Western Indian style of painting prevailed in the region comprising Gujarat, Rajasthan and Malwa. The motivating force for the artistic activity in Western India was Jainism just as it was Buddhism in the case of the Ajanta and the Pala arts. Jainism was patronised by the Kings of the Chalukya Dynasty who ruled Gujarat and parts of Rajasthan and Malwa from 961 A.D. to the end of the 13th century.

The illustrations in these manuscripts are in a style of vigorous distortion. One finds in this style an exaggeration of certain physical traits: eyes, breasts and hips are enlarged. Figures are flat, with the angularity of features and the further eyes protruding into space.

Option (c) is correct: Europeans entering India in the 18th century were fascinated by their new environment. They wanted to capture images of common events, festivals, marketplace, etc. The style of the company or ‘Bazar’ paintings blended traditional elements from Rajput and Mughal painting with a more Western treatment of perspective, volume and recession. Most paintings were small, reflecting the Indian miniature tradition, but the natural history paintings of plants and birds were usually life-size. Leading centres were the main British settlements of Calcutta, Madras (Chennai), Delhi, Lucknow, Patna, the Maratha court of Thanjavur and Bangalore. Subjects included portraits, landscapes and views, and scenes of Indian people, dancers and festivals.

Option (d) is incorrect: The art of painting in Central India, Rajasthani and the Pahari region etc. is deeply rooted in the Indian traditions, taking inspiration from Indian epics, religious texts like the Puranas, love poems in Sanskrit and other Indian languages, Indian folk-lore and works on musical themes. The cults of Vaishnavism, Saivism and Sakti exercised tremendous influence on the pictorial art of these places. Among these, the cult of Krishna was the most popular one which inspired the patrons and artists. The themes from the Ramayana, the Mahabharata, the Bhagavata, etc., provided a very rich field to the painter who with his artistic skill and devotion made a significant contribution to the development of Indian painting.

व्याख्या:

भारत प्राचीन काल से चित्रकारी की कई शैलियों का घर है। कई शैलियों ने एक दूसरे को प्रभावित किया है और कुछ शैलियां विभिन्न शैलियों के समामेलन को दर्शाती हैं।

विकल्प (a) गलत है: 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान दक्कन शैली के शुरुआती केंद्र अहमदनगर, बीजापुर और गोलकोंडा थे। दक्कन में, शुरुआत में मुगल शैली से स्वतंत्र रूप से चित्रकारी का विकास जारी रहा। हालाँकि, बाद में 17वीं और 18वीं शताब्दी में, यह मुगल शैली से अधिक प्रभावित हुआ।

विकल्प (b) गलत है: चित्रकारी की पश्चिमी भारतीय शैली गुजरात, राजस्थान और मालवा के क्षेत्र में प्रचलित थी। जैसे अजंता और पाल कलाओं के मामले में बौद्ध धर्म प्रेरक शक्ति था, उसी तरह पश्चिमी भारत में कलात्मक गतिविधि के लिए प्रेरक शक्ति जैन धर्म था। जैन धर्म को चालुक्य वंश के राजाओं ने संरक्षण दिया था, जिन्होंने 961 ईस्वी से 13वीं शताब्दी के अंत तक गुजरात और राजस्थान और मालवा के कुछ हिस्सों पर शासन किया था।

इन पांडुलिपियों में चित्र विरूपण शैली में हैं। इस शैली में कुछ भौतिक लक्षणों की अतिशयोक्ति पाई जाती है: आंखें, वक्ष और कमर का हिस्सा उभरा हुआ है। शारीरिक बनावट सपाट हैं, मुद्राओं की कोणीयता और आगे की आंखें अनंत की ओर विस्तारित हैं।

विकल्प (c) सही है: 18वीं शताब्दी में भारत में प्रवेश करने वाले यूरोपीय नए वातावरण से मोहित थे। वे आम घटनाओं, त्योहारों, बाज़ार आदि की छवियों को संजोना चाहते थे। कंपनी शैली या 'बाजार' चित्रकला ने राजपूत और मुगल चित्रकला के पारंपरिक तत्वों को परिप्रेक्ष्य, मात्रा में पश्चिमी कलेवर के साथ मिश्रित किया। अधिकांश चित्र छोटे थे, जो भारतीय लघु चित्रकला की परंपरा को दर्शाती हैं, लेकिन पौधों और पक्षियों के प्राकृतिक इतिहास के चित्र आमतौर पर आदमकद थे। प्रमुख केंद्र कलकत्ता, मद्रास (चेन्नई), दिल्ली, लखनऊ, पटना, तंजावुर के मराठा दरबार और बैंगलोर की मुख्य ब्रिटिश बस्तियाँ थीं। चित्रकला के विषयों में भारतीय लोगों, नर्तकियों और त्यौहारों के चित्र और परिदृश्य शामिल थे।

विकल्प (d) गलत है: मध्य भारत, राजस्थानी और पहाड़ी क्षेत्र आदि में चित्रकला की कला भारतीय परंपराओं में गहराई से निहित है, जो भारतीय महाकाव्यों, पुराणों जैसे धार्मिक ग्रंथों, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओँ में प्रेम काव्यों, भारतीय लोक-कथाओं और संगीत विषयों पर कार्यों से प्रेरित है। वैष्णववाद , शैववाद और शक्ति के पंथों का इन स्थानों की चित्रात्मक कला पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। इनमें से, कृष्ण पंथ सबसे लोकप्रिय था जिसने संरक्षकों और कलाकारों को प्रेरित किया। रामायण , महाभारत , भागवत आदि के विषयों ने चित्रकारों को एक बहुत समृद्ध क्षेत्र प्रदान किया, जिन्होंने अपने कलात्मक कौशल और भक्ति के साथ भारतीय चित्रकला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


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Q. Q. These paintings were images of everyday scenes such as vendors at the market selling fruits, grains and vegetables. The style was a combination of traditional elements from Rajput and Mughal paintings blended with Western treatment. Paintings reflecting the Indian miniature tradition were usually small while those portraying the natural history paintings of plants and birds were significantly large. Watercolours were used in the paintings.‘

Which of the following paintings is described in the above passage?

Q. इन चित्रों में बाजार के रोजमर्रा के दृश्यों जैसे फल, अनाज और सब्जियां बेचने वाले विक्रेताओं की छवियां थीं। यह शैली राजपूत और मुगल चित्रों के पारंपरिक तत्वों के संयोजन का पाश्चत्य व्यवहार के साथ मिश्रण थी । भारतीय लघु परंपरा को दर्शाने वाले चित्र आमतौर पर छोटे होते थे, जबकि पौधों और पक्षियों के प्राकृतिक इतिहास को चित्रित करने वाले चित्र काफी बड़े थे। चित्रों में जल रंगों का प्रयोग किया गया था।'

उपर्युक्त परिच्छेद में निम्नलिखित में से किस चित्रकला का वर्णन किया गया है?
Q.

Q. These paintings were images of everyday scenes such as vendors at the market selling fruits, grains and vegetables. The style was a combination of traditional elements from Rajput and Mughal painting blended with Western treatment. Paintings reflecting the Indian miniature tradition were usually small while those portraying the natural history paintings of plants and birds were significantly large. Watercolours were used.

Which of the following paintings is described in the above passage?

Q. इस प्रकार की पेंटिंग में रोजमर्रा के दृश्यों जैसे,बाजार में फल, अनाज और सब्जियां बेचने वाले विक्रेताओं की छवियां होती थीं।यह शैली पारंपरिक राजपूत शैली और मुगल चित्रकला जिसमें पश्चिमी प्रभाव का भी मिश्रण था,के तत्वों का एक संयोजन थी।भारतीय लघु चित्र शैली परंपरा को दर्शाने वाली पेंटिंग आमतौर पर छोटी होती थीं,जबकि पौधों और पक्षियों के प्राकृतिक विवरण वाली पेंटिंग काफी बड़ी होती थी।इसमें वाटरकलर का इस्तेमाल किया जाता था।”

उपरोक्त गद्यांश में निम्नलिखित में से किस चित्रकला को वर्णित किया गया है?


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