Q. Which of the following are associated with bronze sculptures in India?
Select the correct answer using the codes given below:
Q. निम्नलिखित में से कौन भारत में कांस्य मूर्तिकला से संबंधित है?
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
Explanation:
Statement 1 is incorrect: The ‘Cire-Perdue’ or ‘Lost Wax’ technique for casting was known as long ago as the Indus Valley Civilization. The Indus Valley civilisation saw a wide-scale practice of bronze casting. The bronze dancing girl of Mohenjo-Daro and bronze bull of Kalibangan are some of the examples during this period.
Statement 2 is correct: The ‘Dancing Girl’ in tribhanga posture found from Mohenjo-Daro is the earliest bronze sculpture datable to 2500 BCE.
Statement 3 is correct: During the Gupta period, a new school of sculpture developed around Sarnath. It was characterised by the use of cream-coloured sandstone and the use of metal. Many standing Buddha images with the right hand in Abhaya mudra were cast in Uttar Pradesh and Bihar during the Gupta and Post-Gupta periods. The outstanding example of this school is the Buddha image at Sultanganj, Bihar.
Statement 4 is incorrect: A large number of Bronze statues of Jain Tirthankaras are discovered from Chausa (Bihar), Hansi (Hissar, Haryana) and Akota (Vadodara, Gujarat).
व्याख्या:
कथन 1 गलत है: धातु को ढालने की मोम-साँचा विधि (Cire-perdue) या लॉस्ट वैक्स (Lost Wax) तकनीक सिंधु घाटी सभ्यता में बहुत पहले से ज्ञात थी। सिंधु घाटी सभ्यता में कांस्य को ढालने का काम व्यापक पैमाने पर किया जाता था। मोहनजोदड़ो की कांस्य की नृत्य करती हुई लड़की की मूर्ति और कालीबंगा में पायी गयी कांस्य के बैल की प्रतिमा इस अवधि के कुछ उदाहरण हैं।
कथन 2 सही है: मोहनजोदड़ो से मिली त्रिभंग मुद्रा में नृत्य करती हुई लड़की की मूर्ति सबसे प्रारंभिक कांस्य प्रतिमा (2500 ई.पू.) है।
कथन 3 सही है: गुप्त काल के दौरान सारनाथ के आसपास मूर्तिकला की एक नई शैली का विकास हुआ। इसकी विशेषता क्रीम रंग के बलुआ पत्थर और धातु का उपयोग थी। गुप्त काल एवं उसके पश्चात उत्तर प्रदेश और बिहार में बुद्ध की कई खड़ी प्रतिमाएँ ढाली गई थीं, जिनमें उनका दाहिना हाथ अभय मुद्रा में था। इस शैली का उत्कृष्ट उदाहरण बिहार के सुल्तानगंज से पायी गयी बुद्ध की प्रतिमा है।
कथन 4 गलत है: चौसा (बिहार), हांसी (हिसार, हरियाणा) और अकोटा (वडोदरा, गुजरात) में बड़ी संख्या में जैन तीर्थंकरों की कांस्य प्रतिमाएँ मिली हैं।