Q. With reference to an exception to Equality in the Indian constitution, consider the following statements:
Which of the above statements is/are correct?
Q. भारतीय संविधान में समानता के अपवाद के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Statement 1 is correct: The rule of equality before the law is not absolute and there are constitutional and other exceptions to it. For example the foreign sovereigns (rulers), ambassadors and diplomats enjoy immunity from criminal and civil proceedings. The UNO and its agencies enjoy diplomatic immunity.
Statement 2 is correct: Article 31-C (saving laws giving effect to certain directive principles) is an exception to Article 14. It provides that the laws made by the state for implementing the Directive Principles contained in clause (b) or clause (c) of Article 39 cannot be challenged on the ground that they are violative of Article 14. The Supreme Court held that “where Article 31-C comes in, Article 14 goes out”.
Statement 3 is incorrect: Article 16 provides for equality of opportunity for all citizens in matters of employment or appointment to any office under the State. No citizen can be discriminated against or be ineligible for any employment or office under the State on grounds of only religion, race, caste, sex, descent, place of birth or residence.
However, Parliament, not the state legislature can prescribe residence as a condition for certain employment or appointment in a state or union territory or local authority or other authority. As the Public Employment (Requirement as to Residence) Act of 1957 expired in 1974, there is no such provision for any state except Andhra Pradesh and Telangana.
व्याख्या:
कथन 1 सही है: विधि के समक्ष समानता का नियम पूर्ण नहीं है तथा इसके संवैधानिक और अन्य अपवाद हैं। उदाहरण के लिए, विदेशी राष्ट्राध्यक्ष (शासकों), राजदूतों और राजनयिकों को आपराधिक और नागरिक कार्यवाही से प्रतिरक्षा प्राप्त है। UNO और उसकी एजेंसियों को राजनयिक प्रतिरक्षा प्राप्त है।
कथन 2 सही है: अनुच्छेद 31-C (कुछ निर्देशों सिद्धांतों को प्रभावी करने वाले कानूनों को सहेजना) अनुच्छेद 14 का एक अपवाद है। यह प्रावधान करता है कि अनुच्छेद 39 के खंड (b) या खंड (c) में निहित निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने के लिए राज्य द्वारा बनाए गए कानूनों को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है कि वे अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि "जहाँ अनुच्छेद 31-c लागू किया जाता है, वहाँ अनुच्छेद 14 लागू नहीं होता है"।
कथन 3 गलत है: अनुच्छेद 16 राज्य के अंतर्गत आने वाले किसी भी पद पर नियोजन या नियुक्ति के मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता प्रदान करता है। राज्य के अधीन किसी भी पद पर नियोजन या नियुक्ति के मामलों में धर्म, वंश, जाति, लिंग, कुल, जन्मस्थान, निवास या इसमें से किसी के आधार किसी नागरिक को अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है और न उसके साथ भेदभाव किया जा सकता है।
हालाँकि, राज्य विधायिका नहीं अपितु संसद, किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश या स्थानीय प्राधिकरण या अन्य प्राधिकरण में नियोजन या नियुक्ति के लिए एक शर्त के रूप में निवास स्थान (residence) को रख सकती है। चूँकि, लोक नियोजन (निवास संबंधी शर्त) अधिनियम, 1957 वर्ष 1957 में समाप्त हो गया था, अतः आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को छोड़कर किसी भी राज्य के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।