The correct option is
B
2 and 3 only
केवल 2 और 3
Bhakti Movement:
- Medieval Bhakti movement was the direct result of the influence of the spread of Islam in India.
- Preaching of Sufi teachers shaped the thinking of Bhakti reformers like Ramananda, Kabir and Nanak.
- Main features of the Bhakti movement were the Condemnation of rituals and ceremonies, rejection of caste system and idol worship, and intense love and devotion.
- Impact of Bhakti movement was - awakening among Hindus regarding the futility of Superstitions and promotion of religious tolerance.
- Promotion of regional languages as Bhakti Saints preached in the regional language.
Statement 1 is incorrect:
According to Sankaracharya, all the objects in creation are illusory in nature. He propounded the idea of Advaita. According to this concept, God is without attributes. As the Advaita concept is related to Nirgunabrahman (God without attributes).
Statement 2 is correct: Ramanuja preached the idea of Visishtadvaita. According to him God is Sagunabrahman. God, soul, matter are real. But God is inner substance and the rest are his attributes. He also advocated prabattimarga or path of self-surrender to God. He invited the downtrodden to Vaishnavism.
Statement 3 is correct: Madhava from Kannada region propagated Dvaita or dualism of Jivatma and Paramatma. According to his philosophy, the world is not an illusion but a reality. God, soul, matter are unique in nature.
भक्ति आंदोलन:
- मध्यकालीन भक्ति आंदोलन भारत में इस्लाम के प्रसार के प्रभाव का प्रत्यक्ष परिणाम था।
- सूफी शिक्षकों के उपदेश ने रामानंद, कबीर और नानक जैसे भक्ति सुधारकों के विचारों को आकार दिया।
- भक्ति आंदोलन की मुख्य विशेषताएं अनुष्ठानों और समारोहों की निंदा, जाति व्यवस्था तथा मूर्ति पूजा की अस्वीकृति और गहन प्रेम और भक्ति थी।
- भक्ति आंदोलन का प्रभाव था - अंधविश्वासों की निरर्थकता सिद्ध करने और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के बारे में हिंदुओं में जागृति।
- क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भक्ति संतों ने क्षेत्रीय भाषाओं में धार्मिक उपदेश दिए।
कथन 1 गलत है:
शंकराचार्य के अनुसार, सृष्टि की सभी वस्तुओं की प्रकृति भ्रमपूर्ण है। उन्होंने अद्वैत के विचार को प्रतिपादित किया। इस अवधारणा के अनुसार, ईश्वर निर्गुण है। अद्वैत अवधारणा निर्गुणब्रह्मण (गुणों से रहित ईश्वर) से संबंधित है।
कथन 2 सही है: रामानुज ने विशिष्टाद्वैत के विचार का प्रचार किया। उनके अनुसार ईश्वर सगुणब्रह्म है। ईश्वर, आत्मा, पदार्थ वास्तविक हैं। लेकिन ईश्वर आंतरिक पदार्थ है और बाकी उसके गुण हैं। उन्होंने प्रबत्तिमार्ग या ईश्वर के समक्ष आत्म-समर्पण के मार्ग की भी वकालत की। उन्होंने पद्दलितों को वैष्णववाद के लिए आमंत्रित किया।
कथन 3 सही है:
कन्नड़ क्षेत्र के माधव ने जीवात्मा और परमात्मा के द्वैत या द्वैतवाद का प्रचार किया। उनके दर्शन के अनुसार, संसार एक भ्रम नहीं, बल्कि वास्तविक है। ईश्वर, आत्मा, पदार्थ प्रकृति में अद्वितीय हैं।