Q. With reference to import substitution in the Indian economic history, which of the following statements is/are correct?
Select the correct answer using the codes given below:
Q. भारतीय आर्थिक इतिहास में आयात प्रतिस्थापन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
निम्नलिखित कूट का उपयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिए:
Explanation:
Till the seventh Five Year Plan, trade was characterised by an inward-looking trade strategy. Technically, this strategy is called import substitution.
Statement 1 is incorrect: This policy aimed at replacing or substituting imports with domestic production.
Statement 2 is incorrect: In this policy, the government protected the domestic industries from foreign competition. The aim was to restrict foreign competition. The policy of protection is based on the notion that industries of developing countries are not in a position to compete against the companies of developed economies. It is assumed that if the domestic industries are protected they will learn to compete in the course of time.
Statement 3 is correct: It was also based on the fear of the possibility of foreign exchange being spent on the import of luxury goods if no restrictions were placed on imports. Hence, domestic production was prioritized over imported goods.
व्याख्या:
कथन 1 गलत है: सातवीं पंचवर्षीय योजना तक, व्यापार को आवक दिखने वाली व्यापार रणनीति (inward-looking trade strategy) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता था। तकनीकी रूप से, इस रणनीति को आयात प्रतिस्थापन कहा जाता है। इस नीति का उद्देश्य घरेलू उत्पादन के साथ आयात को प्रतिस्थापित करना था।
कथन 2 गलत है: इस नीति में, सरकार ने घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाया। इसका उद्देश्य विदेशी प्रतिस्पर्धा को प्रतिबंधित करना था। संरक्षण की नीति इस धारणा पर आधारित है कि विकासशील देशों के उद्योग विकसित अर्थव्यवस्थाओं की कंपनियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं हैं। यह माना जाता है कि यदि घरेलू उद्योगों को संरक्षित किया जाता है तो वे समय के साथ प्रतिस्पर्धा करना सीखेंगे।
कथन 3 सही है: यह विलासिता की वस्तुओं के आयात पर विदेशी मुद्रा खर्च किए जाने की संभावना के भय पर भी आधारित थी, क्यों कि भारत द्वारा सबसे अधिक विदेशी मुद्रा विलासिता की वस्तुओं के आयात पर व्यय की जाती है। इसलिए, आयातित वस्तुओं की तुलना में घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता दी गई।