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Question

Q. With reference to solifluction, consider the following statements:

Which of the statements given above is/are correct?

Q. मृदा-सर्पण के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?


A

1, 2 and 3
1, 2 और 3
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B

3 only
केवल 3
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C

2 only
केवल 2
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D

1 and 2 only
केवल 1 और 2
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Solution

The correct option is A
1, 2 and 3
1, 2 और 3

Explanation:

Solifluction is the sluggish movement of wet soil or other materials down a slope, particularly if frozen subsoil acts as a water barrier.

Statement 1 is correct: Solifluction is the slow flow of saturated soil downslope, indicating that no frozen ground is present in the moving layer.

Statement 2 is correct: Solifluction reaches its maximum potential in the late spring and summer months when thaw saturates soils. Saturated soils have increased pore pressures, resulting in unstable conditions because of a lack of friction and cohesion.

Statement 3 is correct: Solifluction is generally related to periglacial environments but can be found in non-periglacial landscapes as well. It usually results from the combination of two mechanisms, namely frost creep and gelifluction. Glacial geomorphology is concerned principally with the role of glacial ice in landform and landscape evolution while periglacial geomorphology is fundamentally concerned with the development of landscapes in cold, non-glacial environments.

व्याख्या:

मृदा-सर्पण ढ़लान की ओर गीली मिट्टी या अन्य पदार्थों का मंद संचलन है, खासकर यदि स्तम्भित अवमृदा जल अवरोध के रूप में कार्य करती है।

कथन 1 सही है: मृदा-सर्पण संतृप्त मृदा का ढ़लान की ओर मंद संचलन है जो यह दर्शाता है कि गतिशील परत में कोई स्तम्भित भूतल मौजूद नहीं है।

कथन 2 सही है: वसंत और गर्मियों के महीनों में इसकी क्षमता अधिकतम हो जाती है जब विगलन मिट्टी को संतृप्त कर देता है। संतृप्त मिट्टी में रोमछिद्रों का दबाव बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप घर्षण और बंधता में कमी के कारण अस्थिर स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।

कथन 3 सही है: मृदा-सर्पण आमतौर पर परिहिमनदीय वातावरण से संबंधित होता है, लेकिन यह गैर-परिहिमनदीय भू-दृश्यों में भी घटित हो सकता है। यह आमतौर पर दो तंत्रों, अर्थात् तुषार प्रवाह(frost creep) और जेली प्रवाह(gelifluction) के संयोजन के परिणामस्वरूप होता है। हिमनद भू-आकृति विज्ञान मुख्य रूप से भू-आकृति और भू-दृश्य विकास में हिमनदों की भूमिका से संबंधित होता है, जबकि परिहिमनदीय भू-आकृति विज्ञान मूल रूप से ठंडे, गैर हिमनद वातावरण में भू-दृश्य के विकास से संबंधित है।


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Q. Q. With reference to Jainism in India, consider the following statements: Which of the above given statements are correct?

Q. भारत में जैन धर्म के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
  1. मगध में अकाल की स्थिति के कारण कई भिक्षु दक्षिण भारत में चले गए और सफेद कपड़े पहनने लगे।
  2. दिगंबरों का मानना है कि महिलाएं निर्वाण प्राप्त नहीं कर सकती हैं क्योंकि उन्हें कपड़े पहनने पड़ते हैं।
  3. दिगंबर मानते हैं कि महावीर की शादी नहीं हुई थी, जबकि श्वेतांबर मानते हैं कि राजसी महावीर विवाहित थे और उनकी एक बेटी थी।
  4. दिगंबर और श्वेतांबर दोनों अष्टमंगल में विश्वास करते थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

  1. 1, 2 and 3 only
    केवल 1, 2 और 3

  2. 1 and 2 only
    केवल 1 और 2

  3. 2, 3 and 4 only
    केवल 2, 3 और 4

  4. 1, 3 and 4 only
    केवल 1, 3 और 4
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