The correct option is D
3 only
केवल 3
Explanation:
Statement 1 is incorrect: According to Article 169 of Indian constitution, the resolution for creation or abolition of Legislative council, must be passed by the state assembly by a special majority, that is, a majority of the total membership of the assembly and a majority of not less than two-thirds of the members of the assembly present and voting. However, this Act of Parliament is not to be deemed as an amendment of the Constitution for the purposes of Article 368 and is passed like an ordinary piece of legislation (i.e. by simple majority).
Statement 2 is incorrect: In case of disagreement over passage of an ordinary bill, at most, the council can detain or delay the bill for a period of four months. The Constitution does not provide for the mechanism of joint sitting of both the Houses to resolve the disagreement between the two Houses over a bill. On the other hand, there is a provision for joint sitting of the Lok Sabha and the Rajya Sabha to resolve a disagreement between the two over an ordinary bill.
Statement 3 is correct: A Money Bill can be introduced only in the assembly and not in the council. The council cannot amend or reject a money bill. It should return the bill to the assembly within 14 days, either with recommendations or without recommendations. The assembly can either accept or reject all or any of the recommendations of the council. In both the cases, the money bill is deemed to have been passed by the two Houses.
व्याख्या :
कथन 1 गलत है: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 169 के अनुसार, विधान परिषद के निर्माण या भंग का प्रस्ताव, राज्य विधानसभा द्वारा एक विशेष बहुमत द्वारा पारित किया जाना चाहिए, अर्थात् जब राज्य की विधानसभा, उपस्थित सदस्यों के 2/3 बहुमत से विधानपरिषद् के गठन के प्रस्ताव को पारित कर देती है। हालांकि, संसद के इस अधिनियम को अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए संविधान के संशोधन के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए और इसे कानून के एक साधारण भाग की तरह पारित किया जाता है (अर्थात साधारण बहुमत द्वारा)।
कथन 2 गलत है: साधारण बिल के पारित होने पर असहमति के मामले में, परिषद अधिकतम चार महीने की अवधि के लिए बिल को रोक सकती है या फिर देरी कर सकती है। एक बिल पर दोनों सदनों के बीच असहमति को सुलझाने हेतु संविधान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का प्रावधान प्रदान नहीं करता है ।
दूसरी ओर, एक साधारण बिल को लेकर आपसी मतभेद को सुलझाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक का प्रावधान है।
कथन 3 सही है: एक धन विधेयक , परिषद में नहीं अपितु केवल विधानसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है। परिषद एक धन विधेयक में न तो संशोधन कर सकती है , न ही इसे अस्वीकार कर सकती है। इसे 14 दिनों के भीतर सिफारिशों के साथ या बिना सिफारिशों के इस विधेयक को विधानसभा को वापस करना चाहिए। विधानसभा , परिषद के सभी या किसी भी सिफारिश को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। दोनों ही मामलों में, धन विधेयक को दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है।