Q. With reference to the Central Administrative Tribunal (CAT), which of the following statements is/are correct?
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Q. केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है / हैं?
निम्नलिखित कूटों का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:
Explanation:
Statement 1 is incorrect: The CAT exercises original jurisdiction in relation to recruitment and all service matters of public servants covered by it. Its jurisdiction extends to the All-India Services, the Central Civil Services, Civil posts under the Centre and civilian employees of Defence Services. However, the members of the defence forces, officers and servants of the Supreme Court and the secretarial staff of the Parliament are not covered by it.
Statement 2 is correct: The CAT is not bound by the procedure laid down in the Civil Procedure Code of 1908. It is guided by the principles of natural justice.
Statement 3 is incorrect: Originally, appeals against the orders of the CAT could be made only in the Supreme Court and not in the high courts. However, in the Chandra Kumar case 2 (1997), the Supreme Court declared this restriction on the jurisdiction of the high courts as unconstitutional, holding that judicial review is a part of the basic structure of the Constitution.
व्याख्या:
कथन 1 गलत है: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) अपने क्षेत्र में आने वाले लोक सेवकों के भर्ती और सभी सेवा मामलों के संबंध में मूल अधिकार क्षेत्र का उपयोग करता है। इसका अधिकार क्षेत्र अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सिविल सेवा, केंद्र के अधीन सिविल पदों और रक्षा सेवाओं के नागरिक कर्मचारियों तक फैला हुआ है। हालांकि, रक्षा बलों के सदस्य, अधिकारी और सुप्रीम कोर्ट के सेवक और संसद के सचिवीय कर्मचारी इसके दायरे में नहीं आते हैं।
कथन 2 सही है: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) 1908 के सिविल प्रक्रिया संहिता में निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य नहीं है। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।
कथन 3 गलत है: मूल रूप से, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के आदेशों के खिलाफ अपील उच्च न्यायालयों में नहीं, अपितु केवल उच्चतम न्यायालय में ही की जा सकती है। हालाँकि, चन्द्र कुमार मामले 2 (1997) में, सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र पर इस प्रतिबंध को असंवैधानिक घोषित कर दिया, यह देखते हुए कि न्यायिक समीक्षा संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है।