Q. With reference to the Karachi session (1931) of the Indian National Congress (INC), consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के कराची अधिवेशन (1931) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation: A special session of the Indian National Congress (INC) was called at Karachi (March, 1931) to ratify the Gandhi-Irwin Pact.
Statement 1 is correct: The session adopted two significant resolutions- one on Fundamental Rights and the other on the National Economic Programme. By means of these two resolutions, for the first time, the INC defined what swaraj would mean for the masses. The resolution declared- ‘’In order to end the exploitation of the masses, political freedom must include real economic freedom of the starving millions.’’
Statement 2 is incorrect: The resolution on Fundamental Rights adopted at the Karachi session was drafted by Jawaharlal Nehru (it was moved by Mahatma Gandhi at the Karachi session). It provided for guaranteed basic civil rights of free speech, free press, free assembly and freedom of association, equality before law irrespective of caste, creed or sex, neutrality of states in regard to all religions and free and compulsory primary education.
व्याख्या: गांधी-इरविन समझौते की पुष्टि हेतु कराची (मार्च, 1931) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया था।
कथन 1 सही है: इस सत्र में दो महत्त्वपूर्ण प्रस्तावों को अपनाया गया- एक मौलिक अधिकारों पर और दूसरा राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम पर। इन दो प्रस्तावों के माध्यम से, पहली बार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने परिभाषित किया कि जनता के लिए स्वराज का क्या अर्थ होगा। इस प्रस्ताव में यह घोषणा की गई- ''जनता के शोषण को समाप्त करने के लिए, राजनीतिक स्वतंत्रता में लाखों लोगों की वास्तविक आर्थिक स्वतंत्रता शामिल होनी चाहिए।''
कथन 2 गलत है: कराची अधिवेशन में अपनाए गए मौलिक अधिकारों के प्रस्ताव का मसौदा जवाहरलाल नेहरू द्वारा तैयार किया गया था (इसे कराची अधिवेशन में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तुत किया गया था)। इसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता, सभा और संघ बनाने की स्वतंत्रता, जाति, पंथ या लिंग के बावजूद विधि के समक्ष समता, सभी धर्मों के संबंध में राज्यों की तटस्थता और निशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के गारंटीकृत मूल नागरिक अधिकार प्रदान किए गए थे।