The correct option is D
1 and 4 only
केवल 1 और 4
Explanation:
Article 74 provides for a Council of Ministers with the Prime Minister at the head to aid and advise the president in the exercise of its functions.
Statement 1 is correct: In 1971 the Supreme Court held that even after the dissolution of Lok Sabha the Council of Ministers does not cease to hold office. Article 74 is therefore mandatory and the President cannot exercise the executive power without the aid and advice of the Council of Ministers. Any exercise of executive power without the aid and advice will be unconstitutional as being violative of Article 74.
Statement 2 is incorrect: When no political party or coalition of parties enjoys the majority in the Lok Sabha, then the President has discretion in inviting the leader of that party or coalition of parties who in his opinion is able to form a stable government. It is for the President to decide if he/she should dissolve Loksabha or not when the Council of Ministers loses the majority in Lok Sabha. The President can dissolve Lok Sabha only on the advice of the Council of Ministers but the advice is binding only if the government is a majority government.
Statement 3 is incorrect: A caretaker government is one that does not enjoy the confidence of the Lok Sabha and hence it is not expected to take major decisions but only to make day-to-day administrative decisions. It is for the President to decide the day-to-day decisions. Hence, he is not bound by its aid and advice and may enjoy situational discretion in this regard unless there is a majority government at the helm.
Statement 4 is correct: In case of the power of Pocket veto, the President is not bound by the decision or advice of the Council of Ministers. This is not a provision mentioned in the Indian constitution, but this is a possible situation where the President of India can use his discretionary power. In this case, the President neither ratifies or rejects nor returns the bill, but simply keeps the bill pending for an indefinite period.
व्याख्या:
अनुच्छेद 74 में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगा जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा, राष्ट्रपति इस मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्पादन करेंगे।
कथन 1 सही है: 1971 में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि लोकसभा के भंग होने के पश्चात भी मंत्रिपरिषद विघटित नहीं होगी। अनुच्छेद 74 अनिवार्य है। अतः राष्ट्रपति बिना मंत्रिमंडल की सलाह एवं सहायता के अपनी कार्यकारी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। बिना सलाह एवं सहायता के कार्यकारी शक्ति के द्वारा किया गया कोई भी कार्य असंवैधानिक होगा एवं अनुच्छेद 74 का उल्लंघन होगा।
कथन 2 गलत है: जब कोई भी राजनीतिक दल या पार्टियों का गठबंधन लोकसभा में बहुमत प्राप्त नहीं करता है, तो राष्ट्रपति के पास उस पार्टी के नेता या पार्टियों के गठबंधन को आमंत्रित करने का विवेकाधिकार होता है जो उनकी राय में एक स्थिर सरकार बनाने में सक्षम होते हैं। जब मंत्रिपरिषद लोकसभा में बहुमत खो देती है तो यह राष्ट्रपति को निर्णय करना होता है कि लोकसभा को भंग करना चाहिए या नहीं। राष्ट्रपति केवल मंत्रिपरिषद की सलाह पर लोकसभा को भंग कर सकता है, लेकिन यह सलाह तभी बाध्यकारी है जब सरकार के पास बहुमत हो।
कथन 3 गलत है: एक कार्यवाहक सरकार को लोकसभा का विश्वास का प्राप्त नहीं हुआ होता है और इसलिए उससे बड़े फैसले लेने की नहीं, अपितु केवल दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक निर्णय लेने की उम्मीद की जाती है। राष्ट्रपति दिन-प्रतिदिन के निर्णय लेते हैं। इसलिए, वह इसकी सहायता और सलाह से बंधे नहीं है और इस संबंध में स्थितिजन्य विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकते हैं, जब तक कि शासन में बहुमत वाली सरकार न हो।
कथन 4 सही है: पॉकेट वीटो की शक्ति के मामले में, राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद के निर्णय या सलाह से बाध्य नहीं है। यह भारतीय संविधान में उल्लिखित प्रावधान नहीं है, लेकिन यह एक संभावित स्थिति है जहां भारत के राष्ट्रपति अपनी विवेकाधीन शक्ति का उपयोग कर सकते हैं। इस मामले में, राष्ट्रपति न तो विधेयक की पुष्टि करता है, न ही उसे अस्वीकार करता है और न ही वापस करता है, अपितु विधेयक को अनिश्चित काल के लिए लंबित रखता है।