Q. With reference to the socio-economic policy of the British in India, consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारत में अंग्रेजों की सामाजिक-आर्थिक नीति के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Explanation: British economic policy in India was guided by their self interest back at home. They wanted to reduce Indians merely to suppliers of raw material and consumers of finished goods.
Statement 1 is incorrect: The British imposed the policy of one way trade after 1813, the British manufacturers, in particular cotton textiles became very dominant. Indian goods made with primitive techniques could not compete with goods produced on mass scale by powerful steam machines. This has led to the ruin of Indian industries.
Statement 2 is incorrect: The ruin of Indian handicraft was reflected in the ruin of the towns and cities which were famous for their manufacture. The city which had stood the ravage of war and plunder failed to survive the British conquest. Dhaka, Surat, Murshidabad and many other populous and flourishing industrial centres were depopulated and laid waste. By the end of the 19th century urban population formed only 10% of the total population.
Statement 3 is correct: the British conquest led to de-industrialisation of the country and increased dependence of the people on agriculture. This increasing pressure on agriculture was one of the major causes of extreme poverty.
व्याख्या: भारत में ब्रिटिश आर्थिक नीति, ब्रिटेन की हितों से निर्देशित होती थी। वे भारतीयों को केवल कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं और तैयार माल के उपभोक्ताओं तक सीमित करना चाहते थे।
कथन 1 गलत है: 1813 के बाद अंग्रेजों ने एक तरफा व्यापार की नीति लागू की, ब्रिटिश निर्माता, विशेष रूप से सूती वस्त्रों के मामले में बहुत हावी हो गए। आदिम तकनीकों से बने भारतीय सामान, शक्तिशाली भाप मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पादित माल के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सके। इसने भारतीय उद्योगों को बर्बाद कर दिया।
कथन 2 गलत है: भारतीय हस्तशिल्प की बर्बादी उन कस्बों और शहरों की बर्बादी के रूप में परिलक्षित हुई जो हस्तशिल्प उत्पादों के लिए प्रसिद्ध थे। वह शहर जो युद्ध और लूट का विध्वंस झेल चुका था, ब्रिटिश विजय से बचने में विफल रहा। ढाका, सूरत, मुर्शिदाबाद और कई अन्य आबादी वाले और फलते-फूलते औद्योगिक केंद्रों की आबादी कम हो गई और ये अवसान के रास्ते पर चले गए। 19वीं शताब्दी के अंत तक शहरी जनसंख्या कुल जनसंख्या का केवल 10% थी।
कथन 3 सही है: ब्रिटिश विजय के कारण देश का गैर-औद्योगिकीकरण हुआ तथा लोगों की कृषि पर निर्भरता बढ़ी। कृषि पर बढ़ता दबाव गरीबी की व्यापकता के प्रमुख कारणों में से एक था।