Q. With reference to the Vijayanagar temple architecture, which of the following statements is/are correct?
Select the correct answer using the code given below:
Q. विजयनगर मंदिर स्थापत्य कला के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
Explanation:
The Vijayanagar rulers were great builders. During this period, palaces, temples, huge halls (maha mandapa), forts, towers, public buildings, dams, tanks and canals were constructed. South Indian art and architecture attained a new fullness
Statement 1 is incorrect: The Vijayanagar rulers produced a new style of architecture called the Provida style. It was a developed/evolved form of Chola architecture/Dravidian style.
Statement 2 is correct: The chief characteristics of the Vijayanagara architecture were the construction of tall Raya Gopurams or gateways and the Kalyanamandapam. The sculptures on the pillars were carved with distinctive features. Large mandapams contain one hundred pillars, as well as one thousand pillars in some big temples. Fine examples of kalyana mantapa can be seen at Vellore as well as also in the Varadarajaswamy and Ekambaranatha temples at Kanchipuram and in the Jambukeshwara temple at Tiruchirapalli.
Statement 3 is incorrect: The horse was the most common animal to be depicted on the pillars.
Other important features of the Vijayanagara style of temple architecture are monolithic pillars, ornate bracelets and decoration on the exterior side of the walls.
व्याख्या:
विजयनगर के शासक महान निर्माणकर्ता (builders) थे। इस अवधि के दौरान, महलों, मंदिरों, विशाल हॉल (महा मंडप), किलों, टावरों, सार्वजनिक भवनों, बांधों, टैंकों और नहरों का निर्माण किया गया। दक्षिण भारतीय कला और स्थापत्य कला ने एक नई पूर्णता प्राप्त की।
कथन 1 गलत है: विजयनगर के शासकों ने स्थापत्य की एक नई शैली का विकास किया, जिसे प्रोविदा शैली कहा जाता है। यह चोल वास्तुकला/द्रविड़ शैली का विकसित रूप था।
कथन 2 सही है: लंबे राय गोपुरम या प्रवेश द्वार और कल्याणमंडपम का निर्माण विजयनगर स्थापत्य कला की मुख्य विशेषताएं थीं। स्तंभों पर मूर्तियां विशिष्ट विशेषताओं के साथ उकेरी गई थीं। बड़े मंडपों में एक सौ स्तंभ होते हैं, साथ ही कुछ बड़े मंदिरों में एक हजार स्तंभ तक स्थापित किए गए हैं। कल्याण मंडप के बेहतरीन उदाहरण वेल्लोर के साथ-साथ कांचीपुरम के वरदराजस्वामी और एकंबरनाथ मंदिरों और तिरुचिरापल्ली के जम्बुकेश्वर मंदिर में भी देखे जा सकते हैं।
कथन 3 गलत है: स्तंभों पर चित्रित किया जाने वाला सबसे आम पशु घोड़ा था।
मंदिर स्थापत्य कला की विजयनगर शैली की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं एकाश्म स्तंभ, अलंकृत कंगन और दीवारों के बाहरी हिस्से की सजावट हैं।