सैलानी (शेखर और रूप सिंह) घोड़े पर चलते हुए उस लड़के रोज़गार के बारे में सोच रहे थे जिसने उनको घोड़े पर सवार कर रखा था और स्वयं पैदल चल रहा था। क्या आप भी बाल मज़दूरों के बारे में सोचते हैं?
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हाँ, मैं भी बाल मज़दूरों के बारे में सोचता हूँ। हमारी कालोनी में बहुत से बच्चे सब्जी बेचने का काम करते हैं। एक बच्चा तो चायवाले के पास बर्तन धोने का काम करता है। उसको देखकर मुझे दया आती है। मैं नहीं चाहता हूँ कि मेरी उम्र का बच्चा पढ़ने के स्थान पर नौकरी करे। यह नौकरी उनको जीवनभर कुछ नहीं दे पाएगी। इस उम्र में तो नौकरी करके अपना जीवन ही बरबाद कर रहे हैं। उन्हें अभी पढ़ना चाहिए तभी वह उज्जवल भविष्य पाएँगे।