"यहाँ के फ़िल्म वाले इतनी छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलते ही नहीं बल्कि झूठ दिखाते भी हैं।"
ऊपर मारिया ने भेंटकर्ता से जो बात कही है उसको पढ़ो। अब बताओ कि–
(क) तुम इस बात से कहाँ तक और क्यों सहमत हो?
(ख) क्या सिनेमा में झूठ और सच की बातें दिखाना ज़रूरी होता है? यदि हाँ तो क्यों?
(क) हम इस बात से सहमत हैं क्योंकि छोटी-छोटी बात को इतना बढ़ाकर बताया जाता है कि वह सच हो ही नहीं सकती। न ही सच लगती है। देखने वाले को झूठ देखना पड़ता है चाहे वह अच्छा न लगे।
(ख) सिनेमा मनोरंजन के लिए या संदेश के लिए होते हैं। मनोरंजन में हँसी मजाक होना चाहिए। इस तरह का मनोरंजन स्वस्थ और संदेश पूर्ण भी होना आवश्यक है। इसमें झूठ नहीं दिखाना चाहिए क्योंकि इससे समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है और सच्चाई अवश्य होनी चाहिए क्योंकि समाज को सही का ज्ञान होता है।