(क) हेडमास्टर साहब ने बच्चों को सरकस में जाने से क्यों मना किया होगा?
(ख) सरकस के बारे में कौन-कौन सी अफ़वाहें फैली हुई थीं?
(ग) बलदेव सरकस में जाकर निराश क्यों हो गया?
(घ) बलदेव और चीता दोनों गुब्बारे पर ऊपर उठते जा रहे थे। फिर भी चीते ने बलदेव को कोई नुकसान क्यों नहीं पहुँचाया?
(ङ) कहानी के इस वाक्य पर ध्यान दो-
“इतने में उसे एक बड़ा भारी गुब्बारा दिखाई दिया” तुम्हें क्या लगता है कि गुब्बारा भारी होता है? लेखक ने उसे भारी क्यों कहा है?
(क) हेडमास्टर साहब जानते होगें कि यह स्थान बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। वहाँ बहुत प्रकार के जंगली जानवर होते हैं। कौन-सा जानवर कब क्या कर दे कोई नहीं जानता। बच्चों की सुरक्षा के बारे में सोचकर ही हेडमास्टर साहब ने जाने से मना किया होगा।
(ख) सर्कसवालों ने यह अफ़वाह उड़ाई थी कि बकरी और शेर एक ही बर्तन में पानी पिएँगे, हाथी पैरगाड़ी को चलाएगा, तोता बंदूक चलाएगा और वनमानुष बाबू के समान बैठेगा इत्यादि।
(ग) बलदेव ने सोचा था कि सभी जानवर बहुत भयानक होगें और उनके करतबों को देखने में बड़ा आनंद आएगा। परन्तु वहाँ जाकर उसने देखा कि शेर, बाघ भालू बहुत दुर्बल थे। ढ़ग से देखभाल न होने के कारण वे अपने असली रुप को खो चूके थे। कुत्ते की तो एक टाँग ही नहीं थी। उन्हें देखकर वह मायूस हो गया था। उनके द्वारा अच्छे करतब दिखाए जाने की उम्मीद समाप्त हो गई।
(घ) चीता स्वयं अपने प्राणों को संकट में जानकर घबरा गया। वह अपना सारा चीतापन भूल गया था। भय के कारण वह बलदेव को नुकसान नहीं पहुँचा पाया।
(ङ) लेखक ने गुब्बारे के विशाल आकार के कारण उसे बड़ा भारी गुब्बारा कहा है। बड़ा शब्द गुब्बारे की विशालता को बताने के लिए काफी नहीं था। उसने बड़ा के साथ भारी शब्द लगाकर उसकी विशालता को बहुत अच्छी तरह से बताने का प्रयास किया है ताकि पढ़ने वाले गुब्बारे के आकार का अंदाज़ा लगा सकें।