The correct option is C
Chittagong Armoury Raid
चटगाँव शस्त्रागार छापा
Explanation:
Kalpana Dutt was amongst the initial members of the armed independence movement led by prominent Bengali revolutionary, Surya Sen. She was arrested and brought to trial in what was known as the Chittagong Armoury Raid Supplementary Case, in which she was sentenced for life. After the nationwide campaign for the release of the imprisoned Bengal revolutionaries, she came out of prison in 1939. During the Bengal famine, one saw her totally devoted to organising a relief kitchen for the starving and medical relief for the sick in the Chittagong villages. In 1943, about the time of the Communist Party Congress, Kalpana married P.C. Joshi, the popular leader of the Communists. She was fully occupied with her party work in Bengal. When the communal holocaust of the partition overtook Bengal, Kalpana was equally active in relief and rescue work. Then came the period of insensate sectarian adventurism of the Indian Communists under Ranadive, inflicting severe loss on the movement. Joshi and Kalpana were thrown out of the party. Bereft of shelter but undaunted in spirit, Kalpana received support from close friends, one of whom was Prof P.C. Mahalanobis who engaged her in his Statistical Institute.
व्याख्या:
कल्पना दत्त प्रमुख बंगाली क्रांतिकारी सूर्यसेन के नेतृत्व वाली सशस्त्र स्वतंत्रता आंदोलन के प्रारंभिक सदस्यों में थीं। चटगांव शस्त्रागार कांड के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया था, जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। कैद किये गए क्रांतिकारियों की रिहाई के लिए देशव्यापी अभियान के बाद, उन्हें 1939 में रिहा कर दिया गया। बंगाल के भीषण अकाल के दौरान, उन्होंने चटगाँव के गाँवों में भूखों के लिए भोजन एवं और बीमार लोगों के लिए चिकित्सा की व्यवस्था की। 1943 में, कल्पना ने पी.सी. जोशी, जो कम्युनिस्टों के लोकप्रिय नेता थे, से विवाह किया। उन्होंने बंगाल में अपनी पार्टी के कार्यों में स्वयं को पूर्णतः समर्पित कर दिया। बंगाल विभाजन के कारण हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान कल्पना ने राहत एवं बचाव कार्यों में बढ़ चढ़कर भाग लिया। फिर रणदिवे के नेतृत्व में भारतीय कम्युनिस्टों के असंवेदनशील संप्रदायवाद का युग आया, एवं जोशी और कल्पना को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। कल्पना को करीबी मित्रों का समर्थन मिला, एवं जिनमें से एक प्रोफेसर पी.सी. महालनोबिस ने उन्हें अपने सांख्यिकीय संस्थान में शामिल कर लिया।