Q. With reference to the legislative powers of the Centre and the States, consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. केंद्र और राज्यों की विधायी शक्तियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Articles 245 to 255 (Part XI) of the Indian Constitution deal with the legislative ambit of the Centre and the states.
Statement 1 is correct: The Parliament can make laws for the whole or any part of the territory of India. The territory of India includes the states, the union territories, and any other area for the time being included in the territory of India. The Parliament alone can make ‘extraterritorial legislation’. Thus, the laws of the Parliament are also applicable to the Indian citizens and their property in any part of the world.
Statement 2 is incorrect: A state legislature can make laws for the whole or any part of the state. The laws made by a state legislature are not applicable outside the state, except when there is a sufficient nexus between the state and the object. It signifies that the object to which the law applies need not be physically located within the territorial boundaries of the state, but must have a sufficient territorial connection with the state.
A state may levy a tax on a person, property, object or transaction not only when it is situated within its territorial limits, but also when it has a sufficient and real territorial connection with it.
Statement 3 is incorrect: The Governor (not the state legislature) is responsible for making regulations for peace and good governance of any area in the state which for the time being is a ‘Scheduled Area’.
व्याख्या:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245 से 255 (भाग XI) केंद्र और राज्यों के विधायी विस्तार से संबंधित हैं।
कथन 1 सही है: संसद भारतीय क्षेत्र के संपूर्ण अथवा किसी भी भाग के लिए कानून बना सकती है। भारतीय क्षेत्र के अंतर्गत राज्य, केंद्र शासित प्रदेश और वैसे क्षेत्र शामिल हैं जिन्हें उस समय तक भारत के क्षेत्र में शामिल किया गया है। केवल संसद अतिरिक्त क्षेत्रीय कानून बना सकती है। इस प्रकार, संसद के कानून दुनिया के किसी भी भाग में रह रहे भारतीय नागरिकों और उनकी संपत्ति पर लागू होते हैं।
कथन 2 गलत है: एक राज्य विधायिका पूरे या राज्य के किसी भी भाग के लिए कानून बना सकती है। राज्य विधायिका द्वारा बनाए गए कानून राज्य के बाहर लागू नहीं होते हैं, सिवाय तब जब राज्य और उस विषय के बीच पर्याप्त संबंध हो। यह दर्शाता है कि जिस विषय पर कानून लागू होता है, उसे राज्य की क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर भौतिक रूप से स्थित होने की आवश्यकता नहीं है, परंतु उस राज्य के साथ इसका पर्याप्त क्षेत्रीय संबंध होना चाहिए।
एक राज्य किसी व्यक्ति, संपत्ति, वस्तु या लेन-देन पर केवल तब ही कर नहीं लगा सकता है जब वह इसकी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर स्थित हो, बल्कि यह तब भी कर लगा सकता है जब उसके साथ राज्य का पर्याप्त और वास्तविक क्षेत्रीय संबंध हो।
कथन 3 गलत है: राज्यपाल (राज्य विधायिका नहीं) राज्य के किसी भी क्षेत्र की शांति और सुशासन के लिए नियम बनाने के लिए जिम्मेदार है, जो फिलहाल एक 'अनुसूचित क्षेत्र' है।