Q39. Consider the following statements related to Rig Vedic Economy.
1. Economy in the Rig Vedic period was primarily agricultural and pastoral.
2. Barter system was existent.
3. The art of Metallurgy was known to the people.
4. The Professions of warriors, priests, cattle–rearers, farmers, hunters, barbers, sewing, weaving, etc are mentioned Rig Veda.
Which of the above statement(s) is/are not correct?
Q39. ऋण वैदिक अर्थव्यवस्था से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
1. ऋग वैदिक काल में अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और पशु आधारित थी।
2. वस्तु विनिमय प्रणाली मौजूद थी।
3. धातु विज्ञान के कला की जानकारी लोगों को थी।
4. योद्धा, पुजारी, मवेशी-पालनकर्ता, किसान, शिकारी, नाई, सिलाई, बुनाई आदि से जुड़े व्यवसायों का उल्लेख ऋग्वेद में है।
उपरोक्त में से कौन-कौन सा कथन सही नहीं है?
(d) None of the above
(d) इनमें से कोई नहीं
Economy in the Rig Vedic period was sustained by a combination of Pastoralism and agriculture. There are references, in the Rig Veda, to leveling of field, seed processing, and storage of grains in large jars. War booty was also a major source of wealth. Economic exchanges were conducted by gift giving, particularly to kings (bali) and priests (dana), and barter using cattle as a unit of currency. While gold is mentioned in some hymns, there is no indication of the use of coins. Panis in some hymns refers to merchants, in others to stingy people who hid their wealth and did not perform Vedic sacrifices. Some scholars suggest that Panis were Semitic traders, but the evidence for this is slim. Professions of warriors, priests, cattle–rearers, farmers, hunters, barbers, vintners and crafts of chariot–making, cart–making, carpentry, metal working, tanning, making of bows, sewing, weaving, making mats of grass and reed are mentioned in the hymns of Rig Veda. Some of these might have needed full–time specialists. Metallurgy is not mentioned in the Rig Veda, but the word ayas and instruments made from it such as razors, bangles, axes are mentioned
ऋग वैदिक काल में अर्थव्यवस्था में पशुपालन और कृषि का महत्वपूर्ण स्थान था। ऋग्वेद में, बड़े मर्तवानों में भडारण के क्षेत्र, बीज प्रसंस्करण और खेतों को समतल करने के संदर्भ हैं। युद्ध लूट भी धन का एक प्रमुख स्रोत था। आर्थिक आदान-प्रदान उपहार, विशेष रूप से राजाओं (बली) और पुजारी (दान) को दिया जाता था तथा वस्तु विनिमय के रूप में मवेशियों का प्रयोग मुद्रा के इकाई के रूप में होता था। जबकि कुछ ऋचाओं में सोने का उल्लेख किया गया है, सिक्कों के उपयोग का कोई संकेत नहीं है। कुछ ऋचाओं में व्यापारियों को पनिस कहा गया है। कुछ विद्वानों का सुझाव है कि पनिस सेमिटिक व्यापारी थे, लेकिन इसके लिए सबूत नगण्य है। योद्धाओं, पुजारियों, मवेशी-पालनकर्ताओं, किसानों, शिकारी, नाईयों, रथ बनाने, शिल्प बनाने, बढ़ई, धातु के कामकाज, धनुष बनाने, सिलाई, बुनाई, घास और रीड के चटाई बनाने के व्यवसाय का ऋग्वेद के ऋचाओं में उल्लेख किया गया है। इनमें से कुछ में पूर्णकालिक विशेषज्ञों की आवश्यकता हो सकती है। ऋग्वेद में धातुकर्म का उल्लेख नहीं है, लेकिन अयस जैसे शब्द का प्रयोग किया गया है जिससे उस्तरा, चूड़ियाँ तथा कुल्हारी जैसे औजारों का निर्माण किया जाता था।.