Q70. Consider the following statements in reference to reorganization of states:
1. S K Dhar commission recommended organization of states on the basis of administrative convenience
2. Fazl Ali Commission rejected the theory of ‘one language- one state’.
3. JVP Committee accepted language as the basis of reorganization for the formation of Andhra Pradesh
Which of the above statement(s) is/are correct?
राज्यों के पुनर्गठन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. एस.के. धर आयोग ने प्रशासनिक सुविधा के आधार पर राज्यों के संगठन की अनुशंसा की।
2. फजल अली आयोग ने 'एक भाषा- एक राज्य' के सिद्धांत को खारिज कर दिया।
3. जेवीपी समिति ने आंध्र प्रदेश के पुनर्गठन हेतु भाषा को आधार के रूप में स्वीकार किया।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) Only 1 and 2
(a) केवल 1 और 2
In June 1948, the Government of India appointed the Linguistic Provinces Commission under the chairmanship of S K Dhar which submitted its report in December 1948 and recommended the reorganisation of states on the basis of administrative convenience rather than linguistic factor. This created much resentment and led to the appointment of another Linguistic Provinces Committee by the Congress in December 1948. It consisted of Jawaharlal Nehru, Vallahbhai Patel and Pattabhi Sitaramayya (JVP Committee). It submitted its report in April 1949 and formally rejected language as the basis for reorganization of states.
The creation of Andhra state intensified the demand from other regions for creation of states on linguistic basis. This forced the Government of India to appoint (in December 1953) a three-member States Reorganisation Commission under the chairmanship of Fazl Ali with other two members - K M Panikkar and H N Kunzru. It submitted its report in September 1955 and broadly accepted language as the basis of reorganisation of states. But, it rejected the theory of ‘one language– one state’.
जून,1948 में भारत सरकार ने एस.के. धर की अध्यक्षता में भाषायी प्रान्त आयोग की नियुक्ति की | आयोग ने अपनी रिपोर्ट दिसंबर,1948 में पेश की। आयोग ने सिफारिश की कि राज्यों का पुनर्गठन भाषायी आधार के बजाय प्रशासनिक सुविधा के अनुसार होना चाहिए। इससे अत्यधिक असंतोष पनप गया, परिणामस्वरूप कांग्रेस द्वारा दिसंबर, 1948 में एक अन्य भाषायी प्रान्त समिति का गठन किया गया, इसमें जवाहरलाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और पट्टाभी सीतारमैया (जे वि पी ) शामिल थे। इसने अपनी रिपोर्ट अप्रैल,1949 में पेश की और राज्यों के पुनर्गठन के लिए भाषायी आधार को खारिज कर दिया।
आंध्र राज्य के निर्माण ने भाषाई आधार पर राज्यों के निर्माण के लिए अन्य क्षेत्रों की मांग को तेज कर दिया। इसने भारत सरकार को अन्य दो सदस्यों - के एम पनिककर और एच एन कुंजरू के साथ फजल अली की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय राज्य पुनर्गठन आयोग की (दिसंबर 1953 में) नियुक्त करने के लिए मजबूर किया। इसने सितंबर 1955 में अपनी रिपोर्ट पेश की और राज्यों के पुनर्गठन का आधार भाषा को व्यापक रूप से स्वीकार की। लेकिन, इसने 'एक भाषा- एक राज्य' के सिद्धांत को खारिज कर दिया।