Q. With reference to Lok Adalats, consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. लोक अदालतों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
A
1 only
केवल 1
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B
2 and 3 only
केवल 2 और 3
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C
1 and 3 only
केवल 1 और 3
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D
1, 2 and 3
1, 2 और 3
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Solution
The correct option is A
1 only
केवल 1 Explanation:
Lok Adalat is an alternative dispute redressal mechanism. It is a forum where disputes/cases pending in the court of law or at the pre-litigation stage are settled/ compromised amicably. They have been given statutory status under the Legal Services Authorities Act, 1987.
Statement 1 is correct: There is a provision in the Act for including a social worker engaged in the upliftment of the weaker sections and interested in the implementation of legal services schemes in the benches of the Lok Adalats at the High Court, District and Taluk level.
Statement 2 is incorrect: Cases pending before any court can also be referred to Lok Adalats.
Statement 3 is incorrect: The award of the Lok Adalat is final and binding upon the parties. Hence, no appeal lies before any court.
व्याख्या:
लोक अदालत एक वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र है। यह एक ऐसा मंच है, जहाँ वाद-विवाद / मुकदमे या पूर्व-मुकदमेबाजी के स्तर पर लंबित मामलों का निपटारा किया जाता है। उन्हें कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
कथन 1 सही है: इस अधिनियम में एक सामाजिक कार्यकर्ता को शामिल करने का प्रावधान है जो कमजोर वर्गों के उत्थान में संलग्न है, और उच्च न्यायालय, जिला और तालुका स्तर पर लोक अदालतों की बेंचों में कानूनी सेवाओं की योजनाओं के क्रियान्वयन में रुचि रखता है।
कथन 2 गलत है: किसी भी अदालत में लंबित मामलों को लोक अदालतों को सौंपा जा सकता है।
कथन 3 गलत है: लोक अदालत का निर्णय अंतिम और पक्षकारों पर बाध्यकारी होता है। इसलिए, इसके विरुद्ध किसी भी अदालत में अपील नहीं की जा सकती है।