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मॉन्ट्रो कन्वेंशन

मॉन्ट्रो कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो तुर्की को बोस्फोरस और डार्डानेल्स जलडमरूमध्य के उपयोग को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। चूंकि जलडमरूमध्य भूमध्यसागरीय और काला सागर को जोड़ता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय शिपिंग के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है। मॉन्ट्रो कन्वेंशन हाल ही में खबरों में था, क्योंकि तुर्की ने रूस-यूक्रेन तनाव के बीच रूसी युद्धपोतों के आवागमन मार्ग को सीमित करने के अपने फैसले को सही ठहराने के लिए इस संधि का हवाला दिया था।

इस लेख में आपको IAS Hindi के लिए मॉन्ट्रो कन्वेंशन के बारे में पूरा विवरण मिलेगा।

मॉन्ट्रो कन्वेंशन की पृष्ठभूमि

प्रथम विश्व युद्ध के अंत और इसके बाद 1923 में लॉजेन की संधि के बाद, डार्डानेल्स और बोस्फोरस जलडमरूमध्य को बिना किसी प्रतिबंध के नागरिक और सैन्य यातायात के लिए खोल दिया गया। वहीं लीग ऑफ नेशंस के इंटरनेशनल स्ट्रैटिस कमीशन के तहत इसकी निगरानी की जा रही थी।

हालांकि, 1930 के दशक के उत्तरार्ध में भूमध्य सागर के समग्र परिदृश्य में बदलाव देखा गया। तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के शासनकाल में फासीवादी इटली ने भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए एक आक्रामक नीति शुरू की थी। उसने तुर्की के पश्चिम में ग्रीक डोडेकेनी द्वीपों के अपने कब्जे के माध्यम से लेरोस और कोस के द्वीपों पर किलेबंदी का निर्माण किया।

इससे तुर्की को इटली के अनातोलिया के अपने क्षेत्र में और विस्तार करने की आशंका पैदा हो गई। इसके जवाब में तुर्की ने चुपके से जलडमरूमध्य को मजबूत करना शुरू कर दिया। तुर्की सरकार ने अप्रैल 1935 में लुसानी संधि के हस्ताक्षरकर्ताओं को एक राजनयिक नोट भेजा, जिसमें डार्डानेल किलों के पुनर्निर्माण के लिए प्राधिकरण का अनुरोध किया गया था।

इस कूटनीतिक नोट पर ऑस्ट्रेलिया, बुल्गारिया, फ्रांस, ग्रीस, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम समेत अन्य देशों ने अनुकूल प्रतिक्रिया दी। इस मामले में 22 जून 1936 को वार्ता होना तय हुआ था। इस वार्ता में इटली और संयुक्त राज्य अमेरिका ने हिस्सा नहीं लिया था, क्योंकि इस घटना के पीछे की मुख्य वजह इटली की विस्तारवादी नीति थी, वहीं अमेरिका इसे यूरोप का अंदरुनी मामला मान कर इस वार्ता से अलग रहा था।

इस वार्ता के बाद, इसमें भाग लेने वाले देशों के बीच कई रियायतों को स्वीकार और अस्वीकार करने के बाद, एक समझौता हुआ। अंततः इसकी पुष्टि की गई और 9 नवंबर 1936 को इस समझौते को लागू किया गया।

मॉन्ट्रो कन्वेंशन के प्रावधान और शर्तें

मॉन्ट्रो कन्वेंशन काला सागर से आने-जाने वाले समुद्री यातायात को नियंत्रित करता है। यह शांति के समय में सभी नागरिक जहाजों के लिए सुरक्षित जलमार्ग की गारंटी देता है। यह समझौता तुर्की को उन देशों की नौसेनाओं के मार्ग को सीमित करने का अधिकार भी देता है जिनकी सीमा काला सागर से नहीं लगी हैं।

युद्ध की स्थिति में यह समझौता तुर्की को भारी वाहनो व नौसैनिक युद्धपोतों के आवागमन को विनियमित करने और संघर्ष में शामिल देशों के युद्धपोतों को जलडमरूमध्य में अवरुद्ध करने का अधिकार देता है। इस तरह के युद्धपोतों को तुर्की के अधिकारियों को अग्रिम सूचना भेजनी होती है, इसके बाद संबंधित देशों को उनके बारे में कन्वेंशन में सूचित किया जाता है।

मॉन्ट्रो कन्वेंशन में 29 आर्टिकल्स, चार अनुबंध और एक प्रोटोकॉल शामिल हैं।

  • अंतर्राष्ट्रीय स्ट्रैट्स कमीशन के उन्मूलन के बाद तुर्की की सेना ने जलडमरूमध्य पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया और उन देशों के व्यापारिक जहाजों को प्रतिबंधित करने का अधिकार प्राप्त कर लिया जो तुर्की के विरूद्ध युद्ध में शामिल थे।
  • कोई भी युद्धपोत एक समय में कुल 15,000 टन भार से अधिक भार लेकर जलडमरूमध्य से नहीं गुजर सकता है। इसलिए यहां से 9 विदेशी युद्धपोत नहीं गुजर सकते हैं।
  • काला सागर राज्यों को किसी भी भार के कैपिटल शिप को तैनात करने की अनुमति है, बशर्ते कि वे दो से अधिक विध्वंसक (डिस्ट्रायर) द्वारा अनुसक्षित (एस्कार्ट) न हों।
  • भले ही कन्वेंशन स्पष्ट रूप से यह नहीं बताता है कि विमान अधिकारियों को जलडमरूमध्य में गुजरने से प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन 15000 टन की भार सीमा के मानदंडों को पूरा करने वाले एयरक्राफ्ट वाहक (एयरक्राफ्ट कैरियर) वास्तव में जलडमरूमध्य से गुजर सकते हैं।

रूस-यूक्रेन संकट पर मॉन्ट्रो कन्वेंशन का असर

रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए आक्रमण के बाद, यूक्रेन सरकार ने तुर्की से भूमध्य सागर से काला सागर तक रूसी जहाजों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए मॉन्ट्रो कन्वेंशन के तहत अपने अधिकार का उपयोग कर का अनुरोध किया था। इस जलडमरूमध्य से युद्ध के दौरान करीब 6 रूसी युद्धपोत और एक पनडुब्बी गुजरी थी।

दोनों देशों के साथ तुर्की के घनिष्ठ संबंधों के कारण, तुर्की के विदेश मंत्री ने घोषणा की कि सरकार आधिकारिक तौर पर रूसी आक्रमण को युद्ध के रूप में मान्यता देगी, जिससे सैन्य जहाजों के संबंध में कन्वेंशन को लागू किया जा सकेगा। हालांकि इस समझौते के नियमों के तहत तुर्की, रूसी युद्धपोतों को अपने पंजीकृत ठिकाने पर लौटने से नहीं रोक सकता है।

मॉन्ट्रो कन्वेंशन के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मॉन्ट्रो कन्वेंशन का क्या महत्व है?

मॉन्ट्रो कन्वेंशन एक ‘नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का ठोस उदाहरण’ है, क्योंकि इसकी अधिकांश शर्तों का अभी भी पालन किया जाता है। यह समझौता एक विशेष भू-राजनीतिक के संदर्भ में किया गया था और इसे अपनाने के बाद से अब तक इसमें कोई परिवर्तित नहीं किया गया है।

मॉन्ट्रो कन्वेंशन पर हस्ताक्षरित कहां किए गए थे?

मॉन्ट्रो कन्वेंशन पर 20 जुलाई 1936 को स्विट्जरलैंड के मॉन्ट्रो पैलेस में हस्ताक्षर किए गए थे। इसके बाद 9 नवंबर 1936 से यह समझौता प्रभावी हो गया था।

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