Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 03 September, 2022 UPSC CNA in Hindi

03 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. आईएनएस विक्रांत आत्मनिर्भर भारत का प्रतिबिंब हैं: मोदी

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. भारत की साइबर अवसंरचना

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. परमाणु हथियार अप्रसार संधि

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. भारतीय नौसेना का नया चिन्ह/प्रतीक

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. बीएसएफ का ड्रोन आधारित आंसू गैस लांचर
  2. उच्चतम न्यायालय ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा बनाने की याचिका खारिज की
  3. भारत अगले सप्ताह क्वाड वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की मेजबानी करेगा

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

आईएनएस विक्रांत आत्मनिर्भर भारत का प्रतिबिंब हैं: मोदी

विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई तकनीक का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: आईएनएस विक्रांत के बारे में

मुख्य परीक्षा: आईएनएस विक्रांत की मुख्य विशेषताएं और इसके शामिल होने का महत्व।

संदर्भ

  • आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है।

पृष्ठभूमि

आईएनएस विक्रांत

आईएनएस विक्रांत

चित्र स्त्रोत: The Hindu

चित्र स्त्रोत: The Hindu

  • आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित विमानवाहक पोत है।
  • इस पोत का नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत विक्रांत के नाम पर रखा गया है, जिसकी 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका थी।
  • आईएनएस विक्रांत को डिजाइन भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा और निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा किया गया है, जो कि बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के तत्वावधान में कार्य करने वाला एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड है।
  • इस पोत के निर्माण हेतु उपयोग किया गया 26,000 टन इस्पात एक विशिष्ट युद्धपोत-ग्रेड का है, जिसे भारत में पहली बार स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) द्वारा रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (DRDL) और नौसेना के सहयोग से निर्मित किया गया है।

आईएनएस विक्रांत की मुख्य विशेषताएं

  • आईएनएस विक्रांत की विस्थापन क्षमता (displacement) 42,800 टन से अधिक है।
  • यह पोत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है और इसमें चार जनरल इलेक्ट्रिक LM 2500 इंजन लगे हुए है।
  • आईएनएस विक्रांत 28 समुद्री मील की अधिकतम गति से 7500 समुद्री मील की यात्रा कर सकता है।
    • इसका अर्थ है कि यह पोत दुबारा ईंधन भरे बिना कोच्चि से ब्राजील तक जा सकता है।
  • आईएनएस विक्रांत पर 1600 से अधिक चालक दल के सदस्य रह सकते हैं और इससे 30 विमानों को संचालित किया जा सकता है जिसमें मिग -29 K लड़ाकू जेट, कामोव -31 प्रारंभिक चेतावनी हेलीकॉप्टर, और एमएच -60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टर, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH) और हल्के लड़ाकू विमान (LCA-नौसेना) जैसे विमान शामिल हैं।
  • लड़ाकू विमानों को लॉन्च करने के लिए शॉर्ट टेक ऑफ बट अरेस्ट रिकवरी (STOBAR) प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।
    • इसके अलावा, आईएनएस विक्रांत पर विमान को लॉन्च करने के लिए स्की-जंप और जहाज पर उनको उतारने के लिए तीन “अरेस्टर वायर” के सेट मौजूद हैं।
  • आईएनएस विक्रांत भारत का ऐसा पहला जहाज है जिस पर अल्ट्रासाउंड और डिजिटल एक्स-रे मशीनों तथा दो ऑपरेशन थिएटर के साथ 64 स्लाइस सीटी स्कैन मशीन की सुविधा है।
  • जहाज पर लगा रिवर्स ऑस्मोसिस प्लांट प्रतिदिन 4 लाख लीटर से अधिक पानी को साफ कर सकता है।

आईएनएस विक्रांत को सेवा में शामिल करने का महत्व

  • आईएनएस विक्रांत को सेवा में शामिल करने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन जैसे देशों की लीग में शामिल हो गया, जिनके पास 40,000 टन से अधिक की विस्थापन क्षमता वाले विमान वाहक के डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता है।
  • भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि “यदि लक्ष्य दूरंत हैं, यात्राएं लंबी हैं, समुद्र और चुनौतियां अनंत हैं – तो भारत का उत्तर है विक्रांत।”
  • इस पोत के शामिल होने से हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की नौसेना क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा।
  • यह पोत भारत के “स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक” और “सागर या इस क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास” के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • इस पोत का स्वदेशी डिजाइन और विकास रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है।
  • आईएनएस विक्रांत के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरणों की आवश्यकता थी, जिससे सहायक उद्योगों को विकसित करने और देश में 15000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिली है।
  • इसके निर्माण में प्रयुक्त युद्धपोत-ग्रेड इस्पात पहले भारत द्वारा आयात किया गया था और अब भारत ने इसे स्वदेशी रूप से उत्पादन करने की क्षमता हासिल कर ली है और अब से देश में सभी युद्धपोतों के निर्माण में इसका उपयोग किया जाएगा।
  • भारतीय नौसेना की महत्वाकांक्षा सेवा में तीन विमानवाहक पोत रखने की है। आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत पहले से ही सेवा में हैं, आईएनएस विक्रांत के निर्माण से प्राप्त अनुभव कम समय सीमा में अधिक सक्षम और उन्नत स्वदेशी वाहकों के निर्माण में मदद कर सकता है।

सारांश:

  • हाल के वर्षों में, दुनिया भर में विशेष रूप से उन्नत देशों के बीच नई पीढ़ी के विमान वाहक विकसित करने, डिजाइन करने और तैनात करने की क्षमता में वृद्धि हुई है। इस संदर्भ में, आईएनएस विक्रांत को भारत की नौसेना में शामिल करना आत्मनिर्भरता, समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ वैश्विक व्यापार में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, ज्ञात हो कि वैश्विक व्यापार काफी हद तक समुद्र आधारित है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित

विज्ञान और प्रौद्योगिकी

भारत की साइबर अवसंरचना

विषय: आईटी और कंप्यूटर में जागरूकता

मुख्य परीक्षा: साइबर सुरक्षा के मुद्दे

संदर्भ: हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने साइबर अपराध पर अपनी रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया 2021’ जारी की है।

भूमिका:

  • व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूहों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शारीरिक या मानसिक आघात का कारण बनने वाले किसी भी अपराध को साइबर अपराध के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
  • भारत में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के बढ़ते उपयोग के साथ साइबर अपराध बढ़ रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, सरकारी और शासन विरोधी तत्त्व साइबर अपराधों में संलग्न हैं, जिसमें जासूसी, वित्तीय चोरी और अन्य सीमा पार अपराध शामिल हैं।
  • ऐसे साइबर अपराध जो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार होते हैं और जिसमें कम से कम एक राष्ट्र-राज्य की कार्रवाइयाँ शामिल होती हैं, को कभी-कभी साइबर युद्ध कहा जाता है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में साइबर अपराध के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है, 2016 में इसके 12,317 मामले थे जो 2020 में बढ़कर 50,035 हो गए।
  • 70% से अधिक मामलों की रिपोर्टिंग तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और असम से हुई है।
  • साइबर अपराध की घटनाओं की औसत दर प्रति एक लाख जनसंख्या पर 3.9 है। यह तेलंगाना में सबसे ज्यादा 27 प्रति एक लाख है और उसके बाद असम में 13.8 प्रति एक लाख है।
  • साइबर अपराध के संबंध में पुलिस जांच केवल 33% पंजीकृत मामलों में ही पूरी की गई थी।
  • इन अपराधों के पीछे का प्रमुख मंतव्य- 60.8 प्रतिशत मामलों में धोखाधड़ी, 8.6 प्रतिशत मामलों में यौन शोषण और 5.4 प्रतिशत मामलों में रंगदारी वसूली है।
  • वर्ष 2021 में देशभर में ‘साइबर आतंकवाद’ के कुल 15 मामले दर्ज किए गए थे।

साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी को दूर करना:

  • साइबर अपराध के मामलों में लगातार वृद्धि के बावजूद, साइबर अपराध की जांच करने की प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता सीमित है।
  • साइबर संबंधी अपराधों की जांच के लिए अलग से कोई प्रक्रिया संहिता नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के लिए एक अलग संहिता होना आवश्यक है क्योंकि इनकी प्रकृति पारंपरिक अपराध की प्रकृति की तुलना में भिन्न होती है।
    • डिजिटल साक्ष्य की पहचान, संग्रह, अधिग्रहण और संरक्षण के लिए भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जारी किए गए व्यापक दिशानिर्देशों का पालन डिजिटल साक्ष्य के उचित संचालन को सुनिश्चित करने हेतु उचित रूप से किया जाना चाहिए।
  • साइबर अपराध की जांच के लिए तकनीकी स्टाफ की कमी है।
  • एक नियमित पुलिस अधिकारी केवल पहले उत्तरदाता के रूप में कार्य कर सकता है जो डिजिटल साक्ष्य की पहचान कर सकता है और अपराध के दृश्य को सुरक्षित कर सकता है या डिजिटल साक्ष्य को संरक्षित कर सकता है। केवल तकनीकी रूप से योग्य कर्मचारी डिजिटल साक्ष्य प्राप्त कर सकता है और उसका विश्लेषण कर सकता है।
    • सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 में इस बात पर जोर दिया गया है कि अधिनियम के तहत दर्ज अपराधों की जांच एक पुलिस अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए जो एक निरीक्षक के पद से नीचे का न हो।
  • साइबर अपराधों को हल करने की क्षमता बढ़ाने के लिए राज्यों की साइबर फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को नई तकनीकों के साथ उन्नत किया जाना चाहिए।
    • केंद्र आधुनिकीकरण निधि प्रदान करके राज्य प्रयोगशालाओं के उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
    • राज्यों को अपनी साइबर प्रयोगशालाओं को केंद्र सरकार द्वारा ‘इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के परीक्षक’ के रूप में अधिसूचित करवाना चाहिए ताकि वे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड पर विशेषज्ञ राय प्रदान कर सकें।
  • संदिग्ध भारतीय नागरिकों के डेटा तक समय पर पहुंच हेतु प्रवर्तन एजेंसियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सभी प्रकार के डेटा के लिए ‘डेटा स्थानीयकरण’ प्रावधानों को प्रस्तावित व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून में शामिल किया जाएगा।
    • अधिकांश साइबर अपराध प्रकृति में पार-देशीय हैं और यह अतिरिक्त-क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार का मामला भी है। विदेशी क्षेत्रों से साक्ष्य एकत्र करना कठिन और समय लेने वाला है।
  • भारत को ऑनलाइन बाल यौन शोषण मटेरियल (CSAM) की पहचान करने और उसे हटाने के लिए अपनी स्वयं की एजेंसी विकसित करनी चाहिए। भारतीय पुलिस को अभी भी अमेरिका स्थित एक गैर-लाभकारी एजेंसी से ऑनलाइन बाल यौन शोषण मटेरियल (CSAM) पर रिपोर्ट मिलती है।

निष्कर्ष:

  • आवश्यक साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्यों की है क्योंकि ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य सूची के अंतर्गत आता है। आईटी अधिनियम जैसे कानून, प्रवर्तन एजेंसियों के लिए समान वैधानिक प्रक्रियाओं को तैयार करने हेतु केंद्र सरकार पर और जिम्मेदारी डालते हैं।

सारांश: साइबर सुरक्षा के प्रयासों और प्रगति के बावजूद बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को समन्वय में काम करना चाहिए तथा साइबर अपराध की जांच की सुविधा के लिए वैधानिक दिशानिर्देश तैयार करना चाहिए और आवश्यक साइबर बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए पर्याप्त धन की आपूर्ति की आवश्यकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

परमाणु हथियार अप्रसार संधि

विषय: भारत को शामिल करने वाले या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले वैश्विक समूह और समझौते।

मुख्य परीक्षा: परमाणु निरस्त्रीकरण संधियाँ।

संदर्भ: हाल ही में परमाणु हथियार अप्रसार (NPT) पर संधि के पक्षकार देशों का 10वां समीक्षा सम्मेलन संपन्न हुआ।

परमाणु हथियार अप्रसार संधि:

  • यह परमाणु हथियारों की होड़ और उससे जुड़ी तकनीक में वृद्धि को सीमित करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।
  • इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को बढ़ावा देना और पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
  • 1960 के दशक के दौरान 03 उद्देश्यों के लिए एनपीटी पर बातचीत की गई थी:
    • यूएनएससी के स्थाई सदस्य जो पहले ही परीक्षण कर चुके है, के अलावा अन्य देशों के बीच परमाणु हथियारों के प्रसार को नियंत्रित करना।
    • परमाणु हथियारों में कमी के लिए संवाद करना, जिससे उनका खात्मा हो सके।
    • परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी के शांतिपूर्ण अनुप्रयोगों के लाभों को साझा करना।

एनपीटी की सफलता और कमजोरी:

  • दस समीक्षा सम्मेलनों में से केवल 04 आम सहमति दस्तावेज के साथ संपन्न हुए हैं।
  • हाल ही में संपन्न समीक्षा सम्मेलन भी 04 सप्ताह की चर्चा-परिचर्चा के बाद आम सहमति दस्तावेज के साथ समाप्त होने में विफल रहा।
  • पिछली बैठकों में तीन डिपॉजिटरी स्टेट्स (संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और रूस) ईरान, इजरायल, पश्चिम एशिया पर मतभेदों के खिलाफ एक साथ खड़े थे। जबकि 2022 के सम्मेलन में रूस ने यूक्रेन में ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर अपने सैन्य नियंत्रण के आलोचनात्मक संदर्भों पर आपत्ति जताई थी।
  • परमाणु संपन्न देशों द्वारा समर्थित अप्रसार के उद्देश्य को बड़े पैमाने पर हासिल कर लिया गया है।
    • केवल 04 और देशों ने परमाणु शस्त्रागार का परीक्षण और विकास किया है – भारत, इजरायल, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान।
  • लेकिन यह संधि अपने ढांचे के भीतर परमाणु निरस्त्रीकरण पर सार्थक चर्चा या वार्ता करने में विफल रही।
  • एनपीटी रूस और यू.एस. के सामूहिक शस्त्रागार को कम करने में भी विफल रहा।
    • दिसंबर 2001 में अमेरिका यू.एस.एस.आर के साथ वाली 1972 की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल (ABM) संधि से बाहर हो गया, जिससे द्विध्रुवी युग में पारस्परिक भेद्यता की स्थिति आई।
    • इससे रूस का परमाणु आधुनिकीकरण हुआ।
    • 2019 में, अमेरिका ने रूस को 1987 इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (INF) संधि को छोड़ने के फैसले के बारे में सूचित किया।
    • START जो 2026 में समाप्त हो रही थी, के अंत से 1968 के बाद पहली बार ये देखने को मिलेगा कि यू.एस. और रूसी परमाणु शस्त्रागार पर किसी भी समझौते का प्रतिबंध नहीं होगा।

परमाणु आधुनिकीकरण

  • चीन, रूस और अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता परमाणु शस्त्रागार के आधुनिकीकरण की योजना को आगे बढ़ा रही है।
  • अमेरिका का 30 वर्षीय परमाणु आधुनिकीकरण कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य ‘क्षेत्रीय आक्रमण के खिलाफ विश्वसनीय प्रतिरोध’ करना है, पहले से ही चल रहा है।
  • रूस और चीन हाइपरसोनिक डिलीवरी सिस्टम, परमाणु टॉरपीडो और नई क्रूज मिसाइल का विकास कर रहे हैं।
  • 2021 में सैटेलाइट इमेज से चीन में कम से कम तीन नए मिसाइल भंडारण स्थलों के विकास का खुलासा किया गया।

परमाणु हथियारों पर अन्य संधियाँ:

  • परमाणु हथियार निषेध संधि जनवरी 2021 में लागू हुई। सभी 86 हस्ताक्षरकर्ता देश ऐसे है जिनके पास परमाणु हथियार नहीं हैं और एनपीटी के पक्षकार हैं।
    • यह एक नया विधिक साधन है और सभी परमाणु हमलों की निंदा करते हुए परमाणु हथियारों को अवैध करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) को सितंबर 1996 में हस्ताक्षर के लिए लाया गया था। यह उन देशों को बाध्य करती है जो “किसी भी परमाणु हथियार परीक्षण विस्फोट या किसी अन्य परमाणु विस्फोट को नहीं करने के लिए” हस्ताक्षर और पुष्टि करते हैं। इसे औपचारिक रूप से लागू होना बाकी है क्योंकि अमेरिका और चीन ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है।

सारांश: अंतरिक्ष और साइबर प्रौद्योगिकी में विकास पारंपरिक और परमाणु हथियारों के बीच की सीमा-रेखा को धुंधला कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप परमाणु जटिलता उत्पन्न हो रही है। एक बहुध्रुवीय परमाणु विश्व में प्रतिद्वंद्विता नई चुनौतियों का निर्माण कर रही है, जो द्विध्रुवी युग (जब एनपीटी को अंतिम रूप दिया गया) की चुनौतियों से भिन्न है। एनपीटी नई चुनौतियों का समाधान करने में कमजोर है।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. भारतीय नौसेना का नया चिन्ह/प्रतीक

विषय: विभिन्न सुरक्षा बल एवं एजेंसियां और उनका अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय नौसेना के नए चिन्ह से संबंधित तथ्य

संदर्भ

  • भारतीय नौसेना ने एक नया चिन्ह अपनाया है, जिसका अनावरण आईएनएस विक्रांत को सेवा में शामिल करने के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा किया गया।

भारतीय नौसेना का नया चिन्ह/प्रतीक

चित्र स्त्रोत: Indian Express

चित्र स्त्रोत: Indian Express

  • 1950 के बाद से नौसैनिक चिन्ह/प्रतीक को चार बार बदला जा चुका है।
    • पूर्व के चिन्ह/प्रतीक में ऊपरी बाएं कोने में राष्ट्रीय ध्वज, लाल लंबवत और क्षैतिज पट्टियां और लाल पट्टियों के प्रतिच्छेद बिंदु पर एक सुनहरा-पीला राष्ट्रीय प्रतीक था।
  • “औपनिवेशिक अतीत” को दूर करने के लिए, सेंट जॉर्ज क्रॉस के स्थान पर नए प्रतीक का उपयोग किया गया है।
  • नए ध्वज के दो मुख्य घटक हैं, जिसमें ऊपरी बाएं कोने में राष्ट्रीय ध्वज और फ्लाई साइड के केंद्र में एक नेवी ब्लू-सुनहरा अष्टकोण शामिल है।
  • अष्टकोण में दो स्वर्ण अष्टकोणीय रेखाएं हैं जो सुनहरे रंग के राष्ट्रीय प्रतीक के चारो और हैं । नीले रंग में देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है। इसे एक ढाल पर अंकित किया गया है।
    • ढाल के नीचे और अष्टकोण के भीतर, नौसेना का ध्येय वाक्य “शं नो वरुणः” स्वर्ण देवनागरी लिपि में अंकित है।
  • नए ध्वज की दो अष्टकोणीय सीमाएं उस मराठा राजा छत्रपति शिवाजी की मुहर से प्रेरित हैं, जिन्हें अपने शासनकाल के दौरान एक विश्वसनीय नौसैनिक बेड़े के निर्माण का श्रेय प्राप्त है।
  • चिन्ह में राष्ट्रीय प्रतीक का अष्टकोणीय आकार आठ दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जो भारतीय नौसेना की बहु-दिशात्मक पहुंच और बहुआयामी परिचालन क्षमता का प्रतीक है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. बीएसएफ का ड्रोन आधारित आंसू गैस लांचर
  • पहली बार सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा दंगों और अन्य भीड़ स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए “ड्रोन टियर स्मोक लॉन्चर” का विकास किया गया है।
  • ड्रोन आधारित या मानव रहित हवाई वाहन आधारित आंसू गैस लॉन्चर कानून-व्यवस्था प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • नवीनतम तकनीक न्यूनतम शारीरिक चोट की संभावना के साथ सटीक स्थानों पर एक साथ कई हथगोले गिराने में सहायक हो सकती है।
  • “ड्रोन टियर स्मोक लॉन्चर” का स्वदेशी विकास विदेशी हथियारों पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
  1. उच्चतम न्यायालय ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा बनाने की याचिका खारिज की
  • सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा बनाने की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मुद्दे पर संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है जिसके लिए संसद में विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है न कि न्यायालय कक्ष में।
  • न्यायालय ने माना कि विभिन्न भाषाएं संस्कृत से ली गई हैं, हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि न्यायालय इसे राष्ट्रीय भाषा घोषित कर सकती है।
  1. भारत अगले सप्ताह क्वाड वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की मेजबानी करेगा
  • भारत 5 से 6 सितंबर के बीच अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड ग्रुप की आधिकारिक स्तर की बैठक की मेजबानी करेगा।
  • ताइवान जलडमरूमध्य पर हाल ही में तनाव बढ़ने के बाद से निर्धारित “वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक” इस तरह की पहली बैठक है।
  • सितंबर के मध्य में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पहले क्वाड वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की मेजबानी करना भारत सरकार द्वारा एक संतुलनकारी कार्य है।
  • अधिकारियों से उम्मीद है कि वे विभिन्न क्वाड पहलों की प्रगति की समीक्षा करेंगे जैसे कि कोविड-19 प्रतिक्रिया और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा पर छह “नेतृत्व-स्तर” के कार्य समूह, जलवायु, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, साइबर, अंतरिक्ष और बुनियादी ढांचा।
  • विदेश मंत्रालय (MEA) के अधिकारी भारत-यू.एस., 2+2 “अंतर-सत्रीय” बैठक के साथ क्वाड मीटिंग में भाग लेंगे।
    • विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भारत-जापान “2+2” मंत्रिस्तरीय बैठक के लिए टोक्यो भी जाएंगे।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. गांठदार त्वचा रोग (Lumpy skin disease) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह घरेलू मवेशियों, जल भैंसों और कुछ जंगली जुगाली करने वाले पशुओं का जीवाणु संबंधी रोग है।
  2. इस बीमारी के विरुद्ध टीकाकरण भारत के पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत आता है।
  3. गांठदार त्वचा रोग पहली बार 1929 में जाम्बिया में एक संक्रामक रोग (epidemic) के रूप में सामने आया था।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए

  1. केवल एक कथन सही है।
  2. केवल दो कथन सही हैं।
  3. सभी तीनों कथन सही हैं।
  4. इनमें से कोई भी कथन सही नहीं है।

उत्तर:

विकल्प b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है, गांठदार त्वचा रोग (LSD) पॉक्सविरिडे वंश के कैप्रीपॉक्स वायरस के कारण होने वाला एक वायरल रोग है जिसे नीथलिंग वायरस भी कहा जाता है।
  • कथन 2 सही है, LSD के विरुद्ध टीकाकरण भारत के पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत आता है।
  • कथन 3 सही है, गांठदार त्वचा रोग पहली बार 1929 में अफ्रीका (जांबिया) में एक संक्रामक रोग (epidemic) के रूप में सामने आया था।

प्रश्न 2. भारत में भाषाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. भारत में ‘शास्त्रीय’ भाषा का दर्जा पाने वाली अंतिम भाषा ओडिया थी।
  2. संविधान के लागू होने के 15 साल बाद तक की अवधि के लिए हिंदी को मूल रूप से संघ की शासकीय भाषा माना गया था।
  3. भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में कुल 22 भाषाओं की सूची है।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर:

विकल्प c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है, वर्तमान में, छह भाषाओं को “शास्त्रीय भाषा” का दर्जा प्राप्त है: तमिल (2004 में घोषित), संस्कृत (2005), कन्नड़ (2008), तेलुगु (2008), मलयालम (2013), और ओडिया (2014)
  • कथन 2 सही नहीं है, 1950 में, जब भारत का संविधान लागू हुआ, तो यह परिकल्पना की गई थी कि 15 वर्षों की अवधि में अंग्रेजी को हिंदी के उपयोग को अपनाते हुए चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा।
  • कथन 3 सही है, भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में कुल 22 भाषाओं की सूची है।

प्रश्न 3. एक समुदाय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. ये मुख्य रूप से बौद्ध हैं।
  2. ये 1964-65 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से भाग गए और भारत आ गए एवं अरुणाचल प्रदेश में बस गए।
  3. बांग्लादेश के कर्णफुली नदी पर बने कप्ताई बांध में इनकी जमीन चली गई।

उपर्युक्त कथनों में निम्नलिखित में से किस समुदाय के बारे में चर्चा की गई है?

  1. चकमा
  2. हाजोंग
  3. ब्रू
  4. कोन्याक

उत्तर:

विकल्प a

व्याख्या:

  • चकमा मुख्यतः बौद्ध हैं।
  • चकमा पूर्व के पूर्वी पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश है के चटगांव पहाड़ी क्षेत्रों के प्रवासी हैं।
  • 1960 के दशक में कर्णफुली नदी पर कप्टाई बांध के निर्माण के बाद इनका विस्थापन हुआ था और उन्होंने भारत में शरण मांगी थी।
  • इन प्रवासियों का एक बड़ा हिस्सा 1964 से 1969 तक अरुणाचल प्रदेश के दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में राहत शिविरों में बसा था। इनके लिए एक पुनर्वास योजना तैयार की गई थी जिसमें उनके परिवारों के आकार के आधार पर भूमि और वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी।

प्रश्न 4. क्वाड के अधिकतम सदस्य निम्नलिखित में से किस समूह में मौजूद हैं?

  1. शंघाई सहयोग संगठन
  2. आसियान
  3. जी 7
  4. UNSC के स्थायी सदस्य

उत्तर:

विकल्प c

व्याख्या:

  • SCO – क्वाड से केवल एक सदस्य (भारत)
  • आसियान – क्वाड से कोई सदस्य नहीं
  • G7 – क्वाड से दो सदस्य (अमेरिका और जापान)
  • UNSC के स्थायी सदस्य – केवल एक क्वाड सदस्य (अमेरिका)

PYQ (2018)

प्रश्न 5. जब आपके स्मार्टफोन का अलार्म सुबह बजता है, तो आप जागते हैं और उस अलार्म को बंद करने के लिए टैप करते हैं जिससे आपका गीजर स्वतः ही चल पड़ता है। आपके स्नानागार में लगा स्मार्ट दर्पण दिन के मौसम को दर्शाता है और आपकी ऊपरी टंकी में पानी के स्तर का भी संकेत देता है। जब आप नाश्ता बनाने के लिए अपने रेफ्रिजरेटर से कुछ किराना सामान निकाल लेते हैं, तो यह उसमें भंडारित सामान में आयी कमी को जान लेता है और ताजा किराना-सामानों की आपूर्ति के लिए क्रयादेश दे देता है। जब आप अपने घर से बाहर कदम रखते हैं और दरवाजे पर ताला लगाते हैं, तो सभी लाइट, पंखे, गीजर और एसी मशीनें स्वतः बंद हो जाती हैं। आपके कार्यालय के रास्ते में, आपकी कार आपको आगे आने वाले यातायात की भीड़ के बारे में आपको चेतावनी देती है और एक वैकल्पिक रास्ते का सुझाव देती है, और यदि आपको किसी बैठक के लिए देर हो रही है, तो यह उसके अनुसार आपके कार्यालय में संदेश भेज देती है।

इन आविर्भूत होती हुई संचार प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में, उपर्युक्त परिदृश्य के लिए निम्नलिखित में से कौन सा पद सबसे उपयुक्त रूप से लागू होता है?

  1. बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल
  2. इंटरनेट ऑफ थिंग्स
  3. इंटरनेट प्रोटोकॉल
  4. वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क

उत्तर:

विकल्प b

व्याख्या:

  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) से तात्पर्य वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से डिजिटल उपकरणों, लोगों, मशीनों, उपकरणों और अन्य वस्तुओं को एक दूसरे से जोड़ने से है।
  • IoT मशीनों और लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने और संवाद में सक्षम बनाता है।

चित्र स्त्रोत: www.tibco.com

चित्र स्त्रोत: www.tibco.com

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. वर्तमान समय में सरकार को परंपरागत युद्ध की तरह ही साइबर युद्ध पर ध्यान देने की आवश्यकता है। स्पष्ट कीजिए।

(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III – सुरक्षा)

  1. रक्षा स्वदेशीकरण लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत सरकार द्वारा की गई प्रगति का मूल्यांकन कीजिए।

(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III – रक्षा)