A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
डिजिटल इंडिया अधिनियम देश के साइबर परिदृश्य के भविष्य को कैसे आकार देगा
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
शासन
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मुख्य परीक्षा: डिजिटल इंडिया अधिनियम 2023
प्रसंग
- भारत ने अपने डिजिटल नियमों को अद्यतन करने के लिए डिजिटल इंडिया अधिनियम 2023 (DIA) पेश किया, जिसका लक्ष्य उभरते डिजिटल परिदृश्य के अनुकूल होना और ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
भूमिका
- भारत ने दो दशक पुराने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (आईटी अधिनियम) को बदलने के लिए डिजिटल इंडिया अधिनियम 2023 (DIA) की घोषणा की है।
- यह कानून भारत के बढ़ते डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक आधुनिक कानूनी ढांचा स्थापित करने की दिशा में एक सक्रिय कदम है, जो 21वीं सदी की डिजिटल क्रांति के साथ नियमों को संरेखित करता है।
चुनौतियाँ और अवसर
- 2000 का आईटी अधिनियम इंटरनेट के प्रारंभिक चरण के दौरान तैयार किया गया था और इसे तीव्र तकनीकी प्रगति और उपयोगकर्ता के व्यवहार में बदलाव के प्रति अनुकूल होने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
- इंटरनेट उपयोग के बदलते पैटर्न और साइबरस्टॉकिंग, ट्रोलिंग और डॉक्सिंग जैसी उभरती चुनौतियों के साथ भारत का इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार 5.5 मिलियन से तेजी से बढ़कर 850 मिलियन हो गया है।
डिजिटल इंडिया अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
- ऑनलाइन सुरक्षा और विश्वास: बाजार की गतिशीलता और अंतरराष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों को अपनाते हुए डिजिटल क्षेत्र में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर।
- नए युग की प्रौद्योगिकियों के लिए दिशानिर्देश: नैतिक प्रथाओं और जवाबदेही को बढ़ावा देने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ब्लॉकचेन जैसी प्रौद्योगिकियों के लिए जिम्मेदार उपयोग दिशानिर्देश प्रदान करता है।
- ओपन इंटरनेट: ओपन इंटरनेट बनाए रखते हुए उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक नियमों के साथ पहुंच को संतुलित करना।
- वियरेबल डिवाइस के लिए सख्त KYC: आपराधिक कानून प्रतिबंधों के साथ वियरेबल डिवाइस के लिए KYC (नो योर कस्टमर) की सख्त आवश्यकताएं।
- “सेफ हार्बर” सिद्धांत की समीक्षा: उपयोगकर्ता-जनित कंटेंट से संबंधित ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म दायित्व को संशोधित करने पर विचार।
चिंताएँ
- विशेष रूप से उभरती प्रौद्योगिकियों में सख्त नियमों के साथ नवाचार और व्यापार सुगमता को संतुलित करना।
- “सेफ हार्बर” सिद्धांत की समीक्षा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म व्यवहार को प्रभावित कर सकती है।
- प्रभावी प्रवर्तन के लिए पर्याप्त संसाधनों और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष
- डिजिटल इंडिया अधिनियम 2023 भारत के लिए एक सुरक्षित, जवाबदेह और नवीन डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह निरंतर परिवर्तन के युग में विनियमन के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाता है, जो संभावित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत के डिजिटल परिदृश्य को आकार देता है।
- कार्यान्वयन में संभावित अनपेक्षित परिणामों से निपटने के लिए सतर्क निगरानी और अनुकूलनशीलता आवश्यक है।
सारांश:
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सिक्किम में बाढ़ का कारण क्या है?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन; आपदा प्रबंधन।
मुख्य परीक्षा: हिमालयी क्षेत्र और इसकी नाजुकता और हिमनद झील प्रस्फोटन बाढ़ों [ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड्स (GLOFs)] के कारण और परिणाम।
प्रारंभिक परीक्षा: हिमनद झील प्रस्फोटन बाढ़ के बारे में
प्रसंग
- 4 अक्टूबर 2023 को भारत के सिक्किम में हिमनद झील प्रस्फोटन बाढ़ [ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF)] के कारण भारी बाढ़ आई, जिससे बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान हुआ और भावी खतरों के बारे में चिंता बढ़ गई।
भूमिका
- 4 अक्टूबर को सिक्किम में आई भीषण बाढ़ ने चुंगथांग बांध और तीस्ता नदी के किनारे कई जलविद्युत परियोजनाओं को नुकसान सहित बहुत विनाश किया।
ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) क्या है?
- GLOF, या ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड, एक प्राकृतिक आपदा है जहां ग्लेशियरों के पिघलने से बनी बड़ी झीलों के चट्टान, तलछट और मलबे से बने प्राकृतिक बाँध अचानक टूट जाते हैं।
- ऐसी घटनाओं का हिमालय क्षेत्र में बड़ी आपदाओं से संबंध रहा है।
दक्षिण ल्होनक ग्लेशियर
- उत्तरी सिक्किम में दक्षिण ल्होनक ग्लेशियर सबसे तेजी से पीछे हटने वाले ग्लेशियरों में से एक है।
- यह 1962 से 2008 तक लगभग दो किमी पीछे चला गया और 2008 से 2019 तक लगभग 400 मीटर पीछे चला गया।
सिक्किम में आई GLOF के लिए ट्रिगर घटना
- सिक्किम GLOF घटना का सटीक ट्रिगर अनिश्चित है।
- सैटेलाइट इमेजरी ने पता चला है कि ग्लेशियर से बनी झील का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बह गया, लेकिन झील की गहराई के कारण पानी की मात्रा का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण हो गया।
- केंद्रीय जल आयोग (CWC) के जल-निगरानी डेटा ने जल स्तर और प्रवाह की गति में वृद्धि की सूचना दी।
- अटकलों में संभावित ट्रिगर के रूप में नेपाल में भारी वर्षा और भूकंपों की एक श्रृंखला शामिल है, लेकिन दूरस्थ और दुर्गम इलाके के कारण निश्चित प्रमाण की कमी है।
परिणामी क्षति
- तीस्ता 3 जलविद्युत परियोजना के लिए महत्वपूर्ण चुंगथांग बांध नष्ट हो गया।
- राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) द्वारा संचालित सहित कई अन्य जलविद्युत परियोजनाएं प्रभावित हुईं।
- पुल डूब गए या बह गए, जिससे संचार बाधित हो गया।
- प्रभावित जिलों में पानी की पाइपलाइन, सीवेज लाइनें और सैकड़ों घर नष्ट हो गए।
भविष्य के जोखिम और चुनौतियाँ
- अध्ययनों ने बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय से GLOF जोखिम बढ़ने की चेतावनी दी है।
- नाजुक हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र जलविद्युत और बांध परियोजनाओं से होने वाले व्यवधानों के प्रति संवेदनशील है।
- भविष्य में GLOF जोखिमों को कम करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, समन्वित दृष्टिकोण और ग्लेशियर झीलों की निगरानी आवश्यक है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
तूफ़ान अल-अक्सा के कारण पश्चिम एशियाई भू-रणनीतिक संरचना को झटका
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
प्रारंभिक परीक्षा: गाजा पट्टी, हमास, योम किप्पुर युद्ध, इज़राइल – फिलिस्तीन संघर्ष, अब्राहम समझौते।
मुख्य परीक्षा: इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष में वृद्धि, भारत पर इसका प्रभाव।
भूमिका
- गाजा पट्टी में इजराइल और हमास के बीच हाल ही में बढ़ी हिंसा के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं।
- इज़राइल में 44 सैनिकों सहित कम से कम 600 लोग मारे गए हैं, जबकि गाजा में 313 लोगों की मौत हुई है।
- हज़ारों रॉकेटों से हमास उग्रवादियों के अप्रत्याशित हमले के बाद 24 घंटों से अधिक समय से लड़ाई जारी है।
- उग्रवादियों ने इजराइल के सुरक्षा अवरोध को तोड़ दिया और पड़ोसी समुदायों पर हमला कर दिया।
- गाजा पट्टी एक फ़िलिस्तीनी परिक्षेत्र है जो 2007 से इज़रायली नाकाबंदी के अधीन है।
- यह 362 वर्ग मीटर में रहने वाले 20 लाख से अधिक फ़िलिस्तीनियों का घर है। हमास द्वारा शासित भूमि की यह पट्टी, 15 वर्षों में पांचवीं बार इज़राइल के साथ युद्ध की स्थिति में है।
क्या असर होगा?
- ऐतिहासिक समानताएँ:
- हमास के हालिया ऑपरेशन “तूफान अल-अक्सा” (“अल-अक्सा बाढ़”) और 1973 के योम किप्पुर युद्ध के बीच आश्चर्यजनक समानताएं हैं।
- योम किप्पुर युद्ध अनिर्णीत रूप से समाप्त हो गया, लेकिन इससे क्षेत्र के भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया, छह साल बाद इज़राइल कैंप डेविड समझौते में “लैंड फॉर पीस” फॉर्मूले पर सहमत हुआ।
- इज़राइल पर प्रभाव:
- अपने क्षेत्र पर लड़ने के बावजूद, इज़राइल किसी अस्तित्वगत खतरे में नहीं है, और परिणाम इज़राइल के पक्ष में होने की उम्मीद है, प्रतिशोध लेने और रणनीतिक असममिति को फिर से लागू करने के लिए गाजा में बड़े पैमाने पर जमीनी घुसपैठ की संभावना है।
- इस संघर्ष से संभवतः इज़राइल के रणनीतिक सिद्धांतों में संशोधन होगा जिसमें इंटेलिजेंस विफलता और उच्च तकनीक मिसाइल रक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अत्यधिक निर्भरता शामिल है।
- हमास पर प्रभाव:
- हमास की ‘आश्चर्य और विस्मय’ की रणनीति नए सोशल मीडिया आइकन निर्मित कर सकती है, जो संभावित रूप से गैर-राज्य मिलिशिया से ‘सैन्य विकल्प’ को पुनर्जीवित कर सकती है।
- भूराजनीतिक समर्थन:
- फिलिस्तीन का नियंत्रण अल-फतह द्वारा संचालित वेस्ट बैंक और हमास द्वारा प्रशासित गाजा के बीच विभाजित है।
- जबकि अल-फतह के तहत फिलिस्तीनी प्राधिकरण सार्वजनिक रूप से “प्रतिरोध” की प्रशंसा करता है, वे अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों, हमास और इस्लामिक जिहाद के पतन की कामना कर सकते हैं।
- गाजा के आसपास का क्षेत्र कतर और तुर्की (जिसका आर्थिक मुद्दों तथा इज़राइल और खाड़ी राजशाही के साथ फिर से जुड़ने के प्रयासों के कारण सीमित प्रभाव है) को छोड़कर, हमास का समर्थक नहीं है।
- मिस्र, जिसकी सीमा गाजा से लगती है, का हमास के साथ संघर्ष का इतिहास रहा है और मुस्लिम ब्रदरहुड से संबंधों के कारण वह उनका समर्थन नहीं करता है।
- कतर को छोड़कर खाड़ी राजतंत्र हमास को दृढ़ता से अस्वीकार करते हैं।
- ईरान ने हमास का समर्थन किया है और दो मोर्चों पर इज़राइल को डराने के लिए गाजा में हिज़्बुल्लाह जैसा प्रोटो-स्टेट बनाने का भी प्रयास किया है।
भावी कदम:
- इस संकट के कारण हिंसा में वृद्धि हुई है, इस वर्ष 200 से अधिक फ़िलिस्तीनी और 30 इज़रायली मारे गए हैं, और इज़रायल की पारंपरिक नीतियों और वर्तमान राजनीतिक माहौल को देखते हुए इसके बढ़ने की आशंका है।
- इस स्थिति के कारण सऊदी अरब और इज़राइल के बीच नज़दीकी में देरी हो सकती है, क्योंकि इज़राइल सऊदी अरब द्वारा मांगी गई फ़िलिस्तीनियों को रियायतें देने के लिए तैयार नहीं हो सकता है।
- अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य देश आशा करेंगे कि क्षेत्रीय राजनीतिक तनाव के बावजूद आर्थिक हित कायम रहेंगे।
- इज़राइल और फ़िलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष के कारण ईरान अपना विस्तार करना चाह सकता है।
- हालाँकि भारत संकट से सीधे तौर पर प्रभावित नहीं है, फिर भी इसे तेल की बढ़ती कीमतों, इसके प्रवासी भारतीयों पर प्रभाव और क्षेत्र में आर्थिक गलियारों की योजनाओं पर खतरे के कारण अतिरिक्त क्षति का अनुभव हो सकता है।
- हालाँकि, यह संकट भारत के लिए खुद को विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक एक स्थिर, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में प्रदर्शित करने का अवसर भी प्रदान कर सकता है, जो मध्य पूर्वी उथल-पुथल से अपेक्षाकृत अछूता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
छात्र साल में एक या दो बार बोर्ड परीक्षा देने का विकल्प चुन सकते हैं
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
विषय: शासन
प्रारंभिक परीक्षा: नवीन पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क (NCF)
भूमिका
- केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने छात्रों के लिए कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में साल में एक या दो बार उपस्थित होने का विकल्प प्रस्तुत किया है।
नवीन पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क (NCF)
- केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2023 में नवीन पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क (NCF) प्रस्तुत किया, जिसमें साल में कम से कम दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान शामिल है।
- इसका लक्ष्य छात्रों को अपनी परीक्षाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने और अपना सर्वश्रेष्ठ स्कोर चुनने के लिए अधिक समय और अवसर प्रदान करना है।
बोर्ड परीक्षाओं में “जोखिम को कम करना”
- यह पहल बोर्ड परीक्षाओं को “कम जोखिमपूर्ण” बनाने की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के उद्देश्यों के अनुरूप है।
- छात्रों के पास इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा JEE (संयुक्त प्रवेश परीक्षा) की तरह साल में दो बार परीक्षा देने का विकल्प होगा।
- सर्वोत्तम स्कोर बरकरार रखा जाएगा, लेकिन द्विवार्षिक परीक्षाओं में भाग लेना पूरी तरह से वैकल्पिक है, बिना किसी बाध्यता के।
छात्रों के तनाव को कम करना
- यह कदम उस तनाव और चिंता को कम करने के लिए उठाया गया है जो छात्र अक्सर एक ही अवसर के दबाव के कारण अनुभव करते हैं।
- यदि छात्र परीक्षाओं के एक सेट में अपने स्कोर से पर्याप्त रूप से तैयार और संतुष्ट महसूस करते हैं, तो वे अगली परीक्षाओं में शामिल न होने का विकल्प चुन सकते हैं।
- लक्ष्य शैक्षणिक तनाव को कम करते हुए छात्रों को लचीलापन और विकल्प प्रदान करना है।
“डमी स्कूल” की समस्या का समाधान करना
- “डमी स्कूलों” की समस्या को भी स्वीकार किया गया है, जहां NEET और JEE के उम्मीदवार अपने गृह राज्यों के स्कूलों में दाखिला लेते हैं, लेकिन कक्षाओं में उपस्थित नहीं होते हैं, और उसके स्थान पर कोटा जैसी जगहों पर कोचिंग का विकल्प चुनते हैं।
- यह प्रथा नियमित स्कूल उपस्थिति और सीखने के लिए अनुकूल नहीं है।
निष्कर्ष
- सर्वोत्तम स्कोर चुनने के विकल्प के साथ द्विवार्षिक बोर्ड परीक्षाओं की शुरूआत एक छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य तनाव को कम करना और सफलता के अधिक अवसर प्रदान करना है।
- हालाँकि यह पहल अनिवार्य नहीं है, यह NEP के सिद्धांतों के अनुरूप परीक्षा प्रणाली में अधिक लचीलापन प्रदान करती है।
इसरो ने आदित्य-L1 के प्रक्षेपवक्र में बदलाव किया
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
प्रारंभिक परीक्षा: आदित्य-L1 मिशन
भूमिका
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान, जो सूर्य-पृथ्वी L1 (लैग्रेंजियन-1) बिंदु की ओर आगे बढ़ रहा है, के प्रक्षेपवक्र में बदलाव किया है।
- 6 अक्टूबर, 2023 को किया गया बदलाव सफल रहा और अंतरिक्ष यान अच्छी स्थिति में है।
प्रमुख बिंदु
- आदित्य-L1 एक सौर वेधशाला मिशन है, जो भारत का इस तरह का पहला मिशन है।
- अंतरिक्ष यान को 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) का उपयोग करके प्रक्षेपित किया गया था।
- 19 सितंबर, 2023 को किए गए ट्रांस-लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (TL1I) मनुवर के बाद अंतरिक्ष यान के पथ को समायोजित करने के लिए प्रक्षेपवक्र सुधार मनुवर (TCM) आवश्यक था।
- TL1I मनुवर की शुरुआत ने सूर्य और हमारे ग्रह के बीच स्थित, पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर स्थित L1 बिंदु की ओर आदित्य-L1 की 110-दिवसीय यात्रा की शुरुआत का संकेत दिया।
- अंतरिक्ष यान इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम, बेंगलुरु की प्रयोगशाला में विकसित मैग्नेटोमीटर पेलोड से सुसज्जित है, जो L1 बिंदु पर अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापने में सक्षम है।
- जनवरी तक आदित्य-L1 के L1 बिंदु तक पहुंचने की उम्मीद है, जहां यह सूर्य और सौर घटनाओं से संबंधित अवलोकन करेगा।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- भारतीय वायु सेना ने अपनी 91वीं वर्षगांठ के अवसर पर नए ध्वज का अनावरण किया:
भूमिका
- अपनी 91वीं वर्षगांठ के अवसर पर, भारतीय वायु सेना (IAF) ने एक नए ध्वज का अनावरण किया, जो इसके ध्वज में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
ध्वज में परिवर्तन
- नए ध्वज में ऊपरी दाएं कोने में, फ्लाई साइड की ओर एयर फ़ोर्स क्रेस्ट की आकृति है।
- एयर फ़ोर्स क्रेस्ट में राष्ट्रीय प्रतीक, अशोक सिंह और उसके नीचे देवनागरी में “सत्यमेव जयते” शब्द शामिल हैं।
- अशोक सिंह के नीचे, अपने पंख फैलाए हुए एक हिमालयी ईगल है, जो भारतीय वायुसेना के लड़ने के गुणों का प्रतीक है।
- एक हल्के नीले रंग का घेरा हिमालयी ईगल को घेरे हुए है, और इसके ऊपर “भारतीय वायु सेना” शब्द अंकित हैं। IAF का आदर्श वाक्य ईगल के नीचे देवनागरी लिपि में सुनहरे अक्षरों में लिखा है।
वायु सेना दिवस परेड 2023
- वायु सेना दिवस परेड प्रयागराज में वायु सेना स्टेशन, बमरौली में हुई।
- परेड में हवाई युद्धाभ्यास के प्रदर्शन सहित एक हवाई प्रदर्शन दिखाया गया, जिसने बड़ी संख्या में दर्शक वर्ग को आकर्षित किया।
- नए शामिल किए गए C-295 परिवहन विमान ने अपनी पहली प्रस्तुति दी, जबकि पुराने मिग-21 बाइसन ने 2025 तक नियोजित सेवानिवृत्ति से पहले अपने आखिरी हवाई प्रदर्शन में भाग लिया।
उपलब्धियाँ एवं थीम
- भारतीय वायुसेना ने स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करके आयात पर निर्भरता कम करने सहित अपनी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
- इस वर्ष के वायु सेना दिवस की थीम “आईएएफ – सीमाओं से परे वायु शक्ति” थी, जो भविष्य के संघर्षों में वायु शक्ति की वैश्विक पहुंच और महत्व पर जोर देती है।
कमांड पद पर महिलाएं
- किसी लड़ाकू इकाई की कमान संभालने वाली भारतीय वायुसेना की पहली महिला अधिकारी, ग्रुप कैप्टन शालिजा धामी ने वायु सेना दिवस परेड की कमान संभाली।
- परेड में नव शामिल अग्निवीर वायु कर्मियों की एक महिला टुकड़ी ने भाग लिया।
निष्कर्ष
- नए ध्वज का अनावरण भारतीय वायुसेना की अपने मूल मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की तैयारी का प्रतीक है। वायु सेना दिवस परेड ने भारतीय वायुसेना की उपलब्धियों का जश्न मनाया, इसकी क्षमताओं का प्रदर्शन किया और इसकी इकाइयों और कर्मियों के योगदान को मान्यता दी।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. एशियाई जंगली कुत्ते (ढोल) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह मध्य, दक्षिण, पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया का मूल निवासी है।
- ढोल कठोर प्रभुत्व पदानुक्रम वाली छोटी पारिवारिक इकाइयों में रहते हैं।
- इसे IUCN लाल सूची में “सुभेद्य” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीनों
- कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या: ढोल वास्तव में मध्य, दक्षिण, पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया का मूल निवासी है, लेकिन यह कठोर प्रभुत्व पदानुक्रम के बिना बड़े झुंडों में रहता है, और इसे IUCN लाल सूची में लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
प्रश्न 2. हिमनद झील प्रस्फोटन बाढ़ों (GLOFs) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?
- GLOFs तब आती हैं जब ग्लेशियरों के पिघलने से बनी बड़ी झीलों के प्राकृतिक बाँध टूट जाते हैं।
- यह घटना भारी बारिश या भूकंप के कारण घट सकती है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- दोनों कथन सही हैं: GLOFs की घटना तब घटित होती है जब ग्लेशियरों के पिघलने से बनी बड़ी झीलें अपने प्राकृतिक बांधों, जिन्हें मोरेन कहा जाता है, को तोड़कर मुक्त हो जाती हैं।
प्रश्न 3. भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के नए ध्वज के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- आईएएफ क्रेस्ट पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक सिंह के साथ-साथ देवनागरी में सत्यमेव जयते लिखा हुआ है।
- अशोक सिंह के नीचे, अपने पंख फैलाए हुए एक हिमालयी ईगल का चित्रण है, जो भारतीय वायुसेना के लड़ने के गुणों का प्रतीक है।
- एक हल्के नीले रंग का घेरा ‘भारतीय वायु सेना’ शब्दों के साथ हिमालयी ईगल को घेरे हुए है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीनों
- कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या: तीनों कथन सही हैं।
प्रश्न 4. बोर्ड परीक्षाओं के लिए नवीन पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क (NCF) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि छात्रों को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर मिले, बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में कम से कम दो बार आयोजित की जाएंगी।
- छात्रों के पास सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाए रखने का विकल्प नहीं होगा।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या: NCF छात्रों को हर साल एक या दो बार कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में बैठने का विकल्प चुनने की अनुमति देता है और तनाव को कम करते हुए सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाए रखने का विकल्प प्रदान करता है।
प्रश्न 5. लैग्रेंज बिंदुओं के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- वे अंतरिक्ष में विशिष्ट स्थान हैं जहां दो-पिंड प्रणाली के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।
- अंतरिक्ष यान न्यूनतम ईंधन खपत के साथ लैग्रेंज बिंदुओं को निश्चित स्थिति के रूप में उपयोग कर सकता है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- लैग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में स्थित वे स्थान हैं जहां सूर्य और पृथ्वी जैसे आकाशीय पिंडों की संयुक्त गुरुत्वाकर्षण शक्तियाँ स्थिर स्थिति का निर्माण करती हैं। ये बिंदु अंतरिक्ष यान के लिए एक निश्चित स्थिति बनाए रखने के लिए ईंधन-कुशल “पार्किंग स्पॉट” के रूप में काम करते हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- चर्चा कीजिए कि डिजिटल इंडिया अधिनियम 2023 देश के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भविष्य के लिए तैयार कानूनी ढांचा स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व कैसे करता है?
- “हिमालय का पारिस्थितिकी तंत्र दुनिया में सबसे नाजुक है और जिस तरह से हम इन संसाधनों का प्रबंधन कर रहे हैं उसमें किसी भी व्यवधान का परिणाम क्षेत्र के लोगों के लिए समस्याग्रस्त होगा।” टिप्पणी कीजिए।
(250 शब्द, 15 अंक) [जीएस- II: शासन]
(250 शब्द, 15 अंक) [जीएस- III: पर्यावरण और आपदा प्रबंधन]