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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 10 September, 2022 UPSC CNA in Hindi

10 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

  1. प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था

  1. गैर सरकारी संगठनों का आयकर सर्वेक्षण:
  2. लोन ऐप और RBI:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

आपदा प्रबंधन:

  1. बेंगलुरू में बाढ़:

भारतीय समाज:

  1. तलाक की प्रथा:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. डायमंड लीग टाइटल:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

गैर सरकारी संगठनों का आयकर सर्वेक्षण:

विषय: निवेश।

मुख्य परीक्षा: FCRA और भारत के गैर सरकारी संगठन।

संदर्भ:

  • आयकर (आई-टी) विभाग ने हाल ही में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) और ऑक्सफैम इंडिया के कार्यालयों पर छापे मारे।

भूमिका:

  • कथित तौर पर विभिन्न राज्यों में कम से कम 110 स्थानों पर एक साथ तलाशी के साथ छापेमारी की गई।
  • यह छापेमारी “20 से अधिक पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPP)” के वित्त पोषण की वित्तीय अनियमितताओं के संदेह के आधार पर की गई।

मुद्दा:

  • यह सर्वेक्षण चुनाव आयोग (EC) की सिफारिश पर हुआ था, जिसने हाल ही में भौतिक सत्यापन के दौरान गैर-मौजूद पाए जाने के बाद कम से कम 198 संस्थाओं को RUPP की सूची से हटा दिया था।
  • चुनाव आयोग ने घोषणा की थी कि वह RUPP के रूप में वर्गीकृत 2,100 से अधिक संस्थाओं के खिलाफ, नियमों एवं चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने के साथ मौद्रिक योगदान दाखिल करने के संबंध में विफल रहने, अपने पते और पदाधिकारियों के नाम को अपडेट करने में विफल रहने तथा कुछ राजनीतिक दलों के गंभीर “वित्तीय अनौचित्य” में लिप्त होने के लिए उन पर कार्रवाई करेगा।
  • केंद्र सरकार ने गैर सरकारी संगठनों के राजनीतिक प्रकृति पर प्रतिबंध लगाने के लिए 2020 में विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम 2011 को संशोधित किया है।
  • ऑक्सफैम इंडिया के अनुसार IT सर्वे टीम ने अपने सर्वर द्वारा सीनियर टीम लीडरों के निजी मोबाइल फोन की क्लोनिंग कर सारा डेटा लिया तथा यह आयकर सर्वेक्षण बिना कारण बताए किया गया।
  • दिसंबर 2021 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने FCRA लाइसेंस के नवीनीकरण से इनकार कर दिया था।

विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम 2011:

  • FCRA को पहली बार 1976 में आपातकाल के दौरान इसलिए अधिनियमित किया गया था कि विदेशी शक्तियां गैर सरकारी स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से देश में पैसा भेज कर भारत के मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं।
  • इसके द्वारा व्यक्तियों तथा संगठनो को प्राप्त विदेशी योगदान को विनियमित करने की मांग इसलिए उठी ताकि वे “एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के मूल्यों के अनुरूप” कार्य करें।
  • विदेशी धन के उपयोग पर “कानून को मजबूत” करने और “राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक किसी भी गतिविधि” के लिए उनके उपयोग को “प्रतिबंधित” करने के लिए 2010 में एक संशोधित FCRA अधिनियमित किया गया था।

सारांश:

  • आयकर विभाग ने दिल्ली के कुछ थिंक टैंकों के खिलाफ कथित कर चोरी, FCRA उल्लंघन, और पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के अवैध धन से संबंधित अलग-अलग मामलों में विभिन्न राज्यों में छापेमारी और सर्वेक्षण किए। NGO में से एक ऑक्सफैम इंडिया ने आरोप लगाया है कि आईटी सर्वे टीम ने बिना कोई कारण बताए उसके सर्वर और निजी मोबाइल फोन की क्लोनिंग कर सारा डेटा ले लिया।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान:

विषय: स्वास्थ्य संबंधी विषय।

मुख्य परीक्षा: क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन पर नीतियां।

संदर्भ:

  • हाल ही में, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वर्चुअली प्रधान मंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की।

भूमिका:

  • भारत में दुनिया के सबसे अधिक क्षय रोग (TB) रोगी हैं, अनुमानित 26 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं और लगभग 4 लाख लोग हर साल इस बीमारी से मरते हैं।

चित्र क्रेडिट: The Print

  • टीबी, आमतौर पर समाज के सबसे अधिक उत्पादक आयु वर्ग को प्रभावित करता है जिसके कारण जीवन, कार्य दिवसों और आय को बहुत ज्यादा नुकसान होता है जिसके परिणामस्वरूप गरीबी बढ़ती है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 2025 तक SDG और टीबी लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक साथ राष्ट्रीय रणनीतिक योजना लागू कर रहा है।

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान:

  • उद्देश्य:
    • टीबी रोगियों के उपचार परिणामों में सुधार के लिए अतिरिक्त रोगी सहायता प्रदान करना।
    • 2025 तक टीबी को समाप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने हेतु समुदाय की जन भागीदारी को बढ़ाना।
    • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) गतिविधियों का लाभ उठाना।
  • ‘नि-क्षय मित्र पहल’ भी शुरू की गई जो अभियान का एक महत्वपूर्ण घटक है।
    • नि-क्षय मित्र पोर्टल टीबी के उपचार प्राप्त कर रहे लोगों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
    • टीबी रोगी को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता की न्यूनतम अवधि एक वर्ष होगी।
    • इस कार्यक्रम में सहकारी समितियां, कॉरपोरेट, निर्वाचित प्रतिनिधि, व्यक्ति, संस्थान, गैर-सरकारी संगठन, राजनीतिक दल शामिल हैं जो टीबी के खिलाफ प्रतिक्रिया में तेजी लाने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं (व्यक्तिगत दाताओं के लिए), ब्लॉक/शहरी वार्डों/जिलों/राज्यों को अपनाकर सहयोग प्रदान कर सकते हैं। .
  • राज्य और जिला प्रशासन जिलों को प्राथमिकता देने में नि-क्षय मित्रों का समर्थन करेंगे और महत्वपूर्ण अंतर विश्लेषण और जिला-विशिष्ट आवश्यकताओं पर मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।
  • इस पहल के तहत रोगी को प्रदान की जाने वाली सहायता, सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा अधिसूचित सभी टीबी रोगियों को राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) द्वारा प्रदान की जाने वाली मुफ्त निदान, मुफ्त दवाओं और नि-क्षय पोषण योजना के अतिरिक्त है।

पहल संबंधित अपेक्षित आउटपुट:

  • इससे टीबी के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय जागरूकता आएगी और समाज की भागीदारी बढ़ेगी।
  • समुदाय की भागीदारी पीड़ितों के प्रति दुर्भावना को कम करने में भी मदद करती है।
  • टीबी रोगी को अतिरिक्त सहायता के परिणामस्वरूप जेब से होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।
  • बेहतर पोषण से उपचार के बेहतर परिणाम मिलेंगे।

भावी कदम:

  • टीबी उन्मूलन के दृष्टिकोण के लिए एक बहु-क्षेत्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता है ताकि पोषण संबंधी सहायता, रहन-सहन और काम करने की स्थिति, और नैदानिक और उपचार सेवाओं तक पहुंच में वृद्धि जैसे सामाजिक निर्धारकों पर ध्यान दिया जाए।
  • हालांकि सरकार के प्रयास महत्वपूर्ण परिणाम दे रहे हैं, फिर भी समाज में समुदाय और संस्थान अंतराल को भरने और सामाजिक निर्धारकों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय लक्ष्य में योगदान हो सकता है।

सारांश:

  • यह अभियान मार्च 2018 में दिल्ली एंड टीबी समिट में 2030 के एसडीजी लक्ष्य से 05 साल पहले, 2025 तक देश में टीबी को समाप्त करने के लिए पीएम मोदी के आह्वान के अनुरूप है। यह रोगी केंद्रित स्वास्थ्य प्रणाली की दिशा में सामुदायिक समर्थन हासिल करने की राह में एक सही कदम है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

लोन ऐप और RBI:

विषय: बैंकिंग क्षेत्र और NBFC।

मुख्य परीक्षा: भारत में डिजिटल ऋण देने की रूपरेखा।

संदर्भ:

  • केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने वर्तमान ऋण ऐप घोटालों के बीच वैध ऋण ऐप के संबंध में कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं।

दिशानिर्देश:

  • केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से वैध ऋण ऐप की ‘श्वेतसूची’ तैयार करने को कहा है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है कि केवल कानूनी ऋण एप्लिकेशन ही ऐप स्टोर पर उपलब्ध हों।
  • सभी एजेंसियों को ‘ऐसे अवैध ऋण ऐप के संचालन को रोकने के लिए हर संभव कार्रवाई करने’ के लिए कहा गया है।

‘म्यूल खातों की निगरानी करना’

  • केंद्रीय बैंक को ‘म्यूल या किराए के’ खातों की निगरानी करने के लिए भी कहा गया है जिनका उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा सकता है।
    • एक म्यूल खाता आम तौर पर धन शोधन के पहले चरण का हिस्सा होता है, जिसे प्लेसमेंट कहा जाता है, जिसमें अवैध धन को वित्तीय प्रणाली में एकीकृत किया जाता है। म्यूल की वास्तविक व्यक्तिगत जानकारी या सिंथेटिक पहचान का उपयोग करके खाता खोला जा सकता है।
  • ऐसे ऐप ऑपरेटरों द्वारा उनके दुरुपयोग से बचने के लिए निष्क्रिय गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की समीक्षा और रद्द करने के लिए भी कहा गया है।
  • ”वित्त मंत्रालय ने एक बयान के अनुसार RBI यह सुनिश्चित करेगा कि भुगतान एग्रीगेटर्स का पंजीकरण एक समय सीमा के भीतर पूरा हो जाए और उसके बाद किसी भी अपंजीकृत भुगतान एग्रीगेटर को काम करने की अनुमति नहीं दी जाए।

अवैध ऋण ऐप से संबंधित चिंताएं:

  • केंद्रीय वित्त मंत्री ने माइक्रो क्रेडिट की पेशकश करने वाले अवैध ऋण ऐप पर चिंता व्यक्त की क्योंकि वे कमजोर और कम आय वाले लोगों को अत्यधिक उच्च ब्याज दरों पर ऋण मुहैया करा रहे हैं और ऐसे ऋणों की वसूली के लिए ब्लैकमेल और आपराधिक धमकी का सहारा ले रहे हैं।
  • मंत्रालय ने ऐप ऑपरेटरों द्वारा ‘मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी, गोपनीयता और डेटा के उल्लंघन, और अनियमित भुगतान एग्रीगेटर्स, शेल कंपनियों, निष्क्रिय NBFC के दुरुपयोग की संभावना’ को व्यक्त किया।

सारांश:

  • ऋण या माइक्रो-क्रेडिट की पेशकश करने वाले अवैध उधार देयताओं के बढ़ते मामलों के मद्देनजर, केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा इन ऐप्स को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करना उधारकर्ताओं को हानिकर तत्वों से बचाने हेतु एक स्वागत योग्य कदम है।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:

आपदा प्रबंधन:

बेंगलुरू में बाढ़:

विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।

मुख्य परीक्षा: शहरी बाढ़।

संदर्भ:

  • बेंगलुरु में भारी बारिश।

विवरण:

  • बेंगलुरू में दो सप्ताह की भारी बारिश ने शहर में जल भराव की स्थिति पैदा कर दी है, यहां तक कि लक्जरी लेआउट भी इससे अप्रभावित नहीं रहा है।
  • बेंगलुरू को बदनाम करने के लिए राजनेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं तथा इस स्थिति के लिए प्रवासियों को दोषी ठहराते हुए कई नस्लवादी और संकीर्ण बहसें शुरू हो गईं है।
  • जलवायु विशेषज्ञों ने इस बाढ़ के लिए निम्नलिखित कारणों का हवाला दिया है:
    • वाटरशेड और झीलों में अतिक्रमण जो निजी भूमि में तब्दील हो गए है।
    • आर्द्रभूमियों को नष्ट कर दिया गया।
    • वनों की कटाई।
    • भूमि का कंक्रीटीकरण।
    • ग्राम पंचायतों को तोड़कर शहर का विस्तार और 6 नगर नगर निगमों का निर्माण, जिसका विलय बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) में कर दिया गया।

पश्चिमी देशों के साथ तुलना:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के विभिन्न शहर पर्यावरण के निर्मम विनाश और बेलगाम निर्माण गतिविधियों के उदाहरण हैं जो आर्थिक विकास के इंजन बन गए।
  • इन शहरों में भ्रष्ट राजनेताओं और नौकरशाहों की गठजोड़ भी देखी गई, जो जानबूझकर अल्पकालिक लाभ के लिए पर्यावरण की स्थिरता से बचते रहे है।
  • इन शहरों को प्रवासन से लाभ हुआ, जिससे कौशल और ऊर्जा प्राप्त हुई। हालाँकि, उन्हें लोक कल्याणकारी प्रावधानों में बाधाओं का सामना करना पड़ा, जैसा कि भारत वर्तमान में सामना कर रहा है। जिसकी चुनौतियाँ इस प्रकार थीं:
    • फ्री राइडर्स का मुद्दा, जहां लोगों ने बिना किसी टैक्स के विकास और वृद्धि के लाभों को स्वीकार किया।
    • पर्यावरण का ह्रास।
  • भारत और पश्चिमी देशों के बीच अंतर का एकमात्र बिंदु समय है। इन शहरों का विकास तब हुआ जब जलवायु परिवर्तन कोई बड़ा मुद्दा नहीं था। लेकिन अब जब जलवायु परिवर्तन एक वास्तविकता है, तो पर्यावरण को कोई और नुकसान व्यापक आपदाओं को जन्म देगा।

भावी उपाय:

  • संस्थागत उपाय:
    • पारंपरिक और पुराने संस्थानों को एक संवैधानिक रूप से अनुपालन करने वाले संगठन के रूप में प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए, जिसमें स्थानीय सरकारों से संबंधित मामलें शीर्ष पर हों।
    • कई संस्थानों का विलय किया जाना चाहिए क्योंकि वे काम करने की जटिलता को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, ग्यारह स्वतंत्र प्राधिकरणों का विलय महानगर योजना समिति में किया जा सकता है।
  • सामुदायिक भूमिका:
    • समुदाय को कड़े फैसले लेने चाहिए क्योंकि जलवायु लचीलापन बाढ़ नियंत्रण से परे है।
    • उन्हें पर्यावरणीय क्षति को कम करना चाहिए। कार यात्रा पर अंकुश लगाने और सार्वजनिक परिवहन में सुधार जैसे निर्णय मददगार हो सकते हैं।
    • मौजूदा हरित आवरण को संरक्षित किया जाना चाहिए तथा शहर और आसपास के क्षेत्रों में वनरोपण किया जाना चाहिए।
    • फुटपाथों को कंक्रीट-मुक्त किया जाना चाहिए और कचरे को अलग करना प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि अलग-अलग कचरा नालियों को बंद कर देता है और बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है।
    • सीवेज उपचार संयंत्र परिचालन मानकों को प्रभावी रूप से लागू किया जाना चाहिए।
    • इसके अलावा, ग्यारह किलोमीटर के चैनल का निर्माण करके प्रदर्शित किए गए ‘राजाकालुव्स’ में सुधार जैसे कदम उठाए जाने चाहिए।
      • राजकालूव वे चैनल हैं जो जलाशयों को जोड़ते हैं।
    • आर्द्रभूमियों को पुनर्स्थापित करना।
    • नगर निगमों जैसे अधिकृत संगठनों में बेहतर लोगों का चुनाव होना चाहिए। लोगों की राजनीतिक पसंद का कुशल निर्णय लेने पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

सारांश:

  • बृहद पैमाने पर तथा सतत विकास के मुद्दे के निराकरण में किसी भी तरह की देरी के परिणामस्वरूप प्रकृति पर भविष्य में और विपरीत देखने को मिल सकता है। जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव तेज होता है, सभी हितधारकों को एक-दूसरे पर दोषारोपण करने के बजाय एक साथ आना चाहिए। इसके अलावा, समुदाय को सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि आपदा के प्रभाव अमीर और गरीब दोनों पर पड़ते हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

भारतीय समाज:

तलाक की प्रथा:

विषय: महिलाओं से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा: मुस्लिम महिलाओं के अधिकार।

संदर्भ:

  • एक महिला ने तलाक-ए-हसन पर याचिका दायर की थी।

विवरण:

  • एक मुस्लिम महिला ने ‘तलाक-ए-हसन’ पर हालिया निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है, जिस निर्णय में कहा गया है कि इसके तहत तलाक “इतना अनुचित नहीं” लगता है।
    • तलाक-ए-हसन एक ऐसी प्रथा है जिसमें पति द्वारा पत्नी को महीने में एक बार, लगातार तीन महीने तक तलाक सुनाया जाता है।
  • उच्चतम न्यायालय की बेंच ने वकील का ध्यान खुला (मुस्लिम महिला का तलाक का अधिकार) और मुबारक (आपसी सहमति) के माध्यम से तलाक की संभावना पर भी आकृष्ट कराया।
  • न्यायालय का अवलोकन मुस्लिम जोड़ों के प्रतिकूल वैवाहिक संबंधों को भंग करने के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायपालिका की प्रवृत्ति की दिशा में है।
  • यह मामला मुस्लिम महिलाओं के बीच अपने अधिकारों के लिए न्यायिक विकल्पों का सहारा लेने की बढ़ती प्रवृत्ति को भी उजागर करता है। यह पहले के समय में जब ये महिलाएँ वैवाहिक शिकायतों के निवारण के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाने से हिचकती थी, के एक स्पष्ट बदलाव का प्रतीक है।
  • महिलाओं में अपने अधिकारों को लेकर अधिक जागरूकता बढ़ी है, क्योंकि कई मुस्लिम महिलाएं अपमानजनक विवाहों से बाहर निकल रही हैं। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि तत्काल तीन तालक पर 2017 के निर्णय के बाद, तत्काल तीन तलक की तुलना में दारुल कज़ा/शरिया अदालतों में खुला के अधिक मामले आना।

हालिया बदलाव:

  • कई महिलाओं को हिजाब पहनने के अपने अधिकार के लिए खड़े होते देखा गया। यह मुस्लिम महिलाओं के नए आत्मविश्वास को दर्शाता है।
  • कई महिलाओं ने इस ओर इशारा करते हुए एक कदम आगे बढ़कर कहा कि पुरुषों को भी सीमित पर्दे का पालन करना चाहिए जैसा कि इस्लाम में उद्धृत किया गया है। उन्हें अपने अधिकारों का दावा करने के लिए कुरान की आयतों और संविधान का हवाला देते हुए देखा गया।
  • मुस्लिम महिलाएं भी प्रार्थना करने हेतु मस्जिदों में प्रवेश करने के अधिकार की मांग कर रही हैं, जिसे केवल पुरुष क्षेत्र माना जाता था। इसकी शुरुआत 2016 में हाजी अली दरगाह मामले में एक याचिका के साथ हुई थी।
  • ये परिवर्तन बाबरी मस्जिद विरोध और शाह बानो मामले जैसे पूर्व के मामलों जिसमें महिलाओं की सीमित भागीदारी देखी गई थी, के विपरीत हैं।
  • मुस्लिम महिलाओं ने दिसंबर 2019 में संवैधानिक (संशोधन) अधिनियम (CAA) के विरोध में नेतृत्व किया तथा पूरे देश में इसका प्रभाव देखा गया। ये जामा मस्जिद और अजमेर दरगाह के उन धार्मिक नेताओं के भी खिलाफ थी जो CAA के पक्ष में थे।

स्थायी चुनौतियां:

  • यद्यपि महिलाओं ने खुला के माध्यम से अपने अधिकारों का दावा करना शुरू कर दिया है, फिर भी कई मौलवी/धार्मिक नेता अभी भी तलाक के लिए पुरुष की सहमति पर जोर देते हैं, जिससे खुला का उद्देश्य विफल हो जाता है।
  • इसी तरह, निकाह हलाला के खिलाफ मामले उच्चतम न्यायालयों में वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं और यह प्रथा अभी भी जारी है।
  • कई मौलानाओं (धार्मिक नेताओं / मौलवियों) का अभी भी यह विचार है कि आदमी द्वारा जल्दबाजी में तलाक सुनाए जाने के बावजूद वह निर्णय अंतिम है। मुस्लिम समुदाय के भीतर का शांत मंथन बदलाव की हवा दे सकता है।

सारांश:

  • मुस्लिम समुदाय के भीतर जो शांत मंथन देखने को मिल रहा है, वह बदलाव का सन्देश दे रहा है। भारतीय मुस्लिम महिलाओं ने अपनी स्वयं की आवाज ढूंढ ली है और वे इसे संवैधानिक माध्यमों से स्पष्ट रूप से व्यक्त कर रही हैं।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन:

विषय: महिलाओं और महिला संगठनों की भूमिका।

प्रारंभिक परीक्षा: सरकारी योजनाएं।

संदर्भ:

  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत में स्वयं सहायता समूह के कार्य का विस्तार करने के लिए एक अभियान चला रहा है।

मुख्य विवरण:

  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हाल ही में दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं जो स्वयं सहायता समूहों (SHG) का हिस्सा नहीं है, को इसमे तेजी से शामिल करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान की घोषणा की है।
  • 31 अगस्त तक इस योजना के तहत 8.5 करोड़ से अधिक परिवारों को 78.33 लाख SHG से जोड़ा जा चुका है।
  • अभियान के दौरान, गाँवों में महिला संस्थाएँ एक सामाजिक लामबंदी कार्यक्रम आयोजित करेंगी जहाँ प्रत्येक सदस्य एक ऐसे दोस्त या पड़ोसी को लाएगा जो अभी तक SHG सदस्य नहीं था।
  • अभियान का उद्देश्य यह भी सुनिश्चित करना है कि SHG को उच्च स्तरीय संघों: टियर टू लेवल विलेज ऑर्गनाइजेशन (VO) और टियर थ्री लेवल क्लस्टर लेवल फेडरेशन (CLF) में शामिल किया जाए।
  • सभी SHG, VO और CLF के गठन के सात दिनों के भीतर बैंक खाते खोले जाएंगे।
  • इस अभियान का मुख्य उद्देश्य गरीबों की आजीविका और सामाजिक विकास के लिए कार्यक्रमों का नेतृत्व करने के लिए स्वयं सहायता समूहों का विकास करना है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1.डायमंड लीग टाइटल:

  • नीरज चोपड़ा डायमंड लीग का खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने।
  • उन्होंने ज्यूरिख डायमंड लीग फाइनल 2022 में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा जीती।
  • डायमंड लीग फाइनल में यह उनका तीसरा प्रदर्शन था।
  • बुडापेस्ट में 2023 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए उन्हें डायमंड ट्रॉफी, 30,000 डॉलर की पुरस्कार राशि और वाइल्डकार्ड से सम्मानित किया गया।
  • वह पुरुषों की भाला फेंक में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले एशियाई एथलीट तथा ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले ट्रैक और फील्ड एथलीट हैं।
  • डायमंड लीग सर्वश्रेष्ट ट्रैक और फील्ड एथलेटिक प्रतियोगिताओं की एक वार्षिक श्रृंखला है जिसमें चौदह सर्वश्रेष्ठ एथलेटिक्स प्रतियोगिताए शामिल होती हैं।
    • यह श्रृंखला विश्व एथलेटिक्स (पूर्व में IAAF के रूप में जाना जाता है) एक दिवसीय प्रतियोगिताओं है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1.निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)

ड्रोन कंट्री ऑफ ओरिजिन

  1. MQ-9B अमेरिका
  2. हेरॉन TP फ्रांस
  3. स्विच रूस

उपर्युक्त युग्मों में से कितने सुमेलित हैं?

  1. केवल एक युग्म
  2. केवल दो युग्म
  3. केवल तीन युग्म
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • युग्म 1 सुमेलित है, MQ-9B ड्रोन MQ-9 “रीपर” का एक प्रकार है जिसका उपयोग हेलफायर मिसाइल के संशोधित संस्करण को लॉन्च करने के लिए किया जाता था। भारत 3 अरब डॉलर से अधिक में 30 MQ-9B प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ वार्ता के “अगले चरण” में है।
  • युग्म 2 सुमेलित नहीं है, IAI Eitan एक मानव रहित टोही विमान है जिसे इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के मालट डिवीजन द्वारा 21 वीं सदी की शुरुआत में इज़राइल में विकसित किया गया था। यह विमान IAI हेरॉन का एक नया संस्करण है।
  • युग्म 3 सुमेलित नहीं है, स्विच UAV एक स्वदेशी प्रणाली है जिसे भारतीय बलों के निगरानी कार्यों को पूरा करने हेतु बनाया गया है। इसे भारतीय टेक फर्म Idea Forge द्वारा विकसित किया गया है।
    • यह एक फिक्स्ड विंग BTOL (वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग) UAV है जिसे खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) मिशनों में दिन और रात निगरानी के लिए अधिक ऊंचाई और प्रतिकूल वातावरण में तैनात किया जा सकता है।
    • यह मानव-पोर्टेबल है और अपनी श्रेणी के किसी भी अन्य UAV की तुलना में लक्ष्य पर सबसे अधिक समय देता है।

प्रश्न 2. इंटरनेट सेवा के निलंबन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं?(स्तर-मध्यम)

  1. भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत जारी नियम यह निर्धारित करते हैं कि केवल पुलिस महानिदेशक (DGP) ही राज्य स्तर पर ऐसा आदेश पारित कर सकते हैं।
  2. अनुच्छेद 19 के तहत इंटरनेट तक पहुंच एक मौलिक अधिकार है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 01 गलत है, केंद्र सरकार के मामले में, समीक्षा समिति में कैबिनेट सचिव और कानूनी मामलों और दूरसंचार विभागों के सचिव शामिल होते हैं।
    • राज्यों के मामले में, समिति में मुख्य सचिव, सचिव, कानून या कानूनी मामलों के प्रभारी कानूनी सलाहकार और राज्य सरकार के सचिव (गृह सचिव के अलावा) शामिल होते हैं।
    • “अपरिहार्य परिस्थितियों” में, केंद्र या राज्य के गृह सचिव द्वारा अधिकृत संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी द्वारा आदेश जारी किया जा सकता है।
  • कथन 02 सही है, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इंटरनेट तक पहुंच को मौलिक अधिकार घोषित किया है।
    • सुप्रीम कोर्ट का फैसला संयुक्त राष्ट्र की उस सिफारिश के भी अनुरूप है जिसमें कहा गया है कि हर देश को इंटरनेट तक पहुंच को मौलिक अधिकार बनाना चाहिए।
    • भारत में, केरल 2017 में इंटरनेट तक पहुंच को “एक बुनियादी मानव अधिकार” घोषित करने वाला पहला राज्य था।

प्रश्न 3. सुभाष चंद्र बोस के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?(स्तर-मध्यम)

  1. वे रामकृष्ण और उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से प्रभावित थे।
  2. जहाँ गांधी भौतिकवाद विरोधी और आधुनिक तकनीक के भी विरोधी थे, वहीं बोस ने प्रौद्योगिकी और बड़े पैमाने पर उत्पादन को अस्तित्व और गरिमा के लिए आवश्यक माना।
  3. बोस विकेंद्रीकृत समाज चाहते थे।

विकल्प:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 01 सही है, सुभाष चंद्र बोस विवेकानंद को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे। बोस ने बताया, रामकृष्ण और विवेकानंद के “पवित्र प्रभाव” के तहत उनका जीवन शिक्षित हो गया।
  • कथन 02 सही है, गांधी भौतिकवाद तथा आधुनिक तकनीक के विरोधी थे, वहीं बोस ने प्रौद्योगिकी और बड़े पैमाने पर उत्पादन को अस्तित्व और गरिमा के लिए आवश्यक माना।
  • कथन 03 गलत है, गांधी एक विकेंद्रीकृत समाज चाहते थे और आधुनिक राज्य को नापसंद करते थे, बोस एक मजबूत केंद्र सरकार चाहते थे और आधुनिक राज्य को भारत की समस्याओं का एकमात्र समाधान मानते थे।

प्रश्न 4. ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-कठिन)

  1. यह 1939 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के एक गुट के रूप में उभरा।
  2. इसका उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के कट्टरपंथी-वामपंथी तत्वों को एक साथ लाना था।
  3. फॉरवर्ड ब्लॉक की प्रारंभिक समिति में अध्यक्ष के रूप में सुभाष चंद्र बोस एवं उपाध्यक्ष के रूप में पंजाब से खुर्शीद नरीमन थे।

विकल्प:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 01 और 02 सही है, अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक एक वामपंथी राष्ट्रवादी राजनीतिक दल के रूप में 1939 में सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर एक गुट के रूप में उभरा।
  • कथन 03 गलत है, जुलाई 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक की समिति की घोषणा की। इसके अध्यक्ष के रूप में सुभाष चंद्र बोस, पंजाब के एस एस कविशर इसके उपाध्यक्ष, दिल्ली के लाल शंकरलाल इसके महासचिव तथा विश्वंभर दयालू त्रिपाठी और बॉम्बे के खुर्शीद नरीमन सचिव के रूप में थे।

प्रश्न 5. वन्यजीव संरक्षण के बारे में भारतीय विधियों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : (स्तर-कठिन) (यूपीएससी प्रीलिम्स-2022)

  1. वन्यजीव, एकमात्र सरकार की संपत्ति हैं।
  2. जब किसी वन्यजीव को संरक्षित घोषित किया जाता है, तो यह जीव चाहे संरक्षित क्षेत्र में हो या उससे बाहर, समान संरक्षण का हकदार है।
  3. किसी संरक्षित वन्यजीव के मानव जीवन के लिए खतरा बन जाने की आशंका उस जीव को पकड़ने या मार दिए जाने का पर्याप्त आधार है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. 1 और 2
  2. केवल 2
  3. 1 और 3
  4. केवल 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 01 सही है, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में कहा गया है कि प्रत्येक वन्य प्राणी राज्य सरकार की संपत्ति होगा तथा जहां केंद्र सरकार द्वारा घोषित अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान में जीवों के शिकार पर प्रतिवंध है, ऐसी जगह पर जीवों को केंद्र सरकार की संपत्ति माना जाएगा।
  • कथन 02 सही है, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, में संरक्षित क्षेत्रों में और बाहर पाए जाने वाले जीवों के बीच भेदभाव नहीं किया गया है। यह वन्यजीवों के लिए समान सुरक्षा प्रदान करता है, चाहे वे कहीं भी पाए जाएं।
  • कथन 03 गलत है, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में कहा गया है कि अगर कोई व्यन्य्जीव मानव जीवन के लिए खतरा बन जाता है या रोगग्रस्त या ठीक होने से अक्षम हो जाता है, तो उसे मुख्य वन्यजीव वार्डन राज्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा पकड़ने या मारने की अनुमति दी जा सकती है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1.भारत में मुद्रास्फीति को आमतौर पर मांग जनित मुद्रास्फीति नहीं, अपितु लागत प्रेरित मुद्रास्फीति के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इन दोनों के बीच के अंतर की पहचान कीजिए और उन कारणों को स्पष्ट कीजिए जिनकी वजह से भारत लागत प्रेरित मुद्रास्फीति का सामना करता है।

(250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III -अर्थव्यवथा)

प्रश्न 2.विभिन्न कारणों से भारत में शहरी बाढ़ आम होती जा रही है। इसके कारणों और इस समस्या को कम करने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III -आपदा प्रबंधन)