15 जून 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: भारतीय अर्थव्यवस्था:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
पर्यावरण:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: सामाजिक मुद्दे:
सामाजिक मुद्दे और न्याय:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
18 महीने में 10 लाख लोगों को मिलेगी सरकारी नौकरी : मोदी
भारतीय अर्थव्यवस्था:
विषय: रोजगार
मुख्य परीक्षा: बेरोजगारी से संबंधित मुद्दे और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव।
संदर्भ:
- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 1.5 वर्षों के भीतर, “एक मिशन मोड के तहत” 10 लाख कर्मियों की भर्ती करने की घोषणा की हैं।
विवरण:
- इस समय यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा क्योंकि COVID-19 महामारी के कारण सरकारी नौकरियों की भर्ती बाधित हुई थी।
- सरकार ने सभी विभागों और मंत्रालयों में मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा की है और इस मिशन के तहत भर्ती करने के निर्देश दिए हैं।
- हाल ही में, रक्षा मंत्री और तीनों सेना प्रमुखों ने 17.5 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं की भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना पर एक घोषणा की हैं।
- योग्यता के आधार पर अग्निपथ के तहत देशभक्त युवाओं को चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों में सेवा का मौका दिया जायगा।
- इनमे से अधिकांश भर्ती रेलवे, सशस्त्र बलों, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, माल और सेवा कर (जीएसटी) विभागों में, जिसमें सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क और सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों और बीमा कंपनियों आदि के प्रशासनिक कर्मचारी शामिल होंगे।
अचानक तात्कालिकता क्यों है?
- आर्थिक संकट के साथ-साथ वैश्विक महामारी के दो साल बाद सरकार के सामने बेरोजगारी एक बड़ी बाधा के रूप में सामने आई है।
- साथ ही विभिन्न विभागों के परीक्षा पत्रों के बार-बार लीक होने से स्थिति और भी विकट हो गई है।
- कई बार परिणाम का विरोध और मुकदमों की वजह से भर्ती परीक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह से रद्द करना पड़ा है।
- एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि किस विभाग में कितनी भर्तियां की जाएंगी, इसके आंकड़े साझा नहीं किए गए हैं।
इस कदम का महत्व:
- जीएसटी विभागों, बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों के लिए यह भर्ती बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अर्थव्यवस्था को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- राजस्व पैदा करने वाले विभागों और प्रशासनिक क्षेत्रों में चयन की प्रक्रिया पिछले 15 वर्षों से ठप पड़ी हुई है।
- इस भर्ती में समय सीमा का निर्धारण निश्चित रूप से इस प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद करेगा।
भावी कदम:
- सरकार को विभिन्न विभागों और मंत्रालयों (नवीनतम अनुमानों के अनुसार लगभग दस लाख) में वर्ग ‘ए से सी’ अधिकारियों की बड़ी संख्या में रिक्तियों को देखते हुए और अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
- इसके अलावा, महामारी की चपेट में आने के बाद से बेरोजगारी की दर भी अधिक बढ़ रही है और बड़ी संख्या में कर्मचारियों की नौकरी भी चली गई है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
क्या नया गूगल चैटबॉट संवेदनशील हो सकता है?
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विकास
मुख्य परीक्षा: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विकास से संबंधित मुद्दे।
संदर्भ:
- संवाद अनुप्रयोगों के लिए भाषा मॉडल (LaMDA) नामक Google के उन्नत संवादी एजेंट में एक न्यूरल नेटवर्क/तंत्रिका नेटवर्क निहित किया गया है जो इसे डीप लर्निंग में सक्षम बनाएगा।
- संवाद अनुप्रयोगों के लिए LaMDA या भाषा मॉडल एक मशीन-लर्निंग भाषा मॉडल है जिसे Google द्वारा चैटबॉट के रूप में बनाया गया है जो बातचीत में मनुष्यों की नकल करने वाला है।
- डीप लर्निंग एक तरह की मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) है जो लोगों के विशिष्ट प्रकार के ज्ञान की नकल करती है।
विवरण:
- LaMDA ‘संवाद अनुप्रयोगों के लिए भाषा मॉडल’ का संक्षिप्त रूप है, जो Google का उन्नत संवादी एजेंट है, जिसमें न्यूरल नेटवर्क/तंत्रिका नेटवर्क है जो डीप लर्निंग में सक्षम है।
- LaMDA एक गैर-लक्ष्य-निर्देशित चैटबॉट है जिसमें विभिन्न विषयों पर संवाद हो सकता हैं।
- इसमें ग्राहक संपर्क और AI-सक्षम इंटरनेट खोज में क्रांति लाने की क्षमता है।
- टेक दिग्गज का दावा है कि उन्नत सॉफ्टवेयर सूक्ष्म बातचीत को समझ भी सकता है और बातचीत कर भी सकता है।
- डीप लर्निंग ML(Machine Learning) की एक शाखा है,जो कि पूरी तरह से आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क पर आधारित है।
- आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क अल्गोरिथम को इंसानी दिमाग के आधार पर ही तैयार किया गया है।काफी जटिल न्यूरल नेटवर्क को ही डीप लर्निंग का नाम दिया गया है।
- LaMDA पैटर्न मान्यता पर निर्भर करता है, न कि सहानुभूति, बुद्धि, स्पष्टवादिता या इरादे पर।
न्यूरल नेटवर्क/तंत्रिका नेटवर्क क्या है?
- यह एक AI तकनीक है जो इंसानों की तरह सीखने और व्यवहार करने के लिए मस्तिष्क में न्यूरॉन्स के नेटवर्क की नकल करती है।
- कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क (ANN) को आदेश देने से पहले एक पालतू कुत्ते की तरह प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, हजारों विशिष्ट बिल्ली छवियों को पिक्सेल में तोड़ दिया जाता है और फिर इसे ANN में डाल दिया जाता हैं।
- इसके एल्गोरिथम को 1.56 ट्रिलियन शब्दों के सार्वजनिक संवाद डेटा और विविध विषयों पर वेब टेक्स्ट का उपयोग करके प्रशिक्षित किया गया है।
- AI तकनीक उन प्रमुख पैटर्न को पहचानना सिखाती है,जो यह निर्दिष्ट करते है कि इन विशेषताओं वाली एक सामान्य ‘बिल्ली’ कैसी दिखती है।
- बड़े डेटा और एक शक्तिशाली प्रोसेसर तक पहुंच के साथ, उभरते हुए गहन शिक्षण सॉफ़्टवेयर के लिए असंभव दिखने वाले कार्यों को करना पर्याप्त है।
अब तक की यात्रा:
- एक अमेरिकी अनुभवी सैन्य दिग्गज ब्लेक लेमोइन इस परियोजना में डायलॉग एप्लिकेशन के लिए भाषा मॉडल (LaMDA) में पूर्वाग्रह/अभद्र भाषा का परीक्षण कर रहे थे।
- उन्होंने जोर देकर कहा कि डीप लर्निंग की क्षमता के साथ न्यूरल नेटवर्क में सात या आठ साल के बच्चे की चेतना होती है।
- हालाँकि, इस पर प्रयोग करने से पहले इसके सॉफ़्टवेयर से सहमति लेनी होगी, हालाँकि गूगल और कई तकनीकी विशेषज्ञों ने इस दावे का खंडन किया है।
LaMDA बनाम अन्य चैटबॉट:
- आईआरसीटीसी के ‘आस्क दिशा’ जैसे चैटबॉट्स, जो नियमित रूप से ग्राहकों से जुड़ने के लिए उपयोग किए जाते हैं, में विषयों का भण्डार होता है और चैट प्रतिक्रियाएं संकीर्ण होती हैं।
- IRCTC ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर वर्ष 2018 में अक्टूबर माह में यात्रियों की सुविधाओं के लिए आस्क दिशा (Ask Disha) चैटबॉट को लॉन्च किया था। आस्क दिशा चैटबॉट एक खास तौर से डिजाइन्ड कंप्यूटर प्रोग्राम है।
- इस प्रोग्राम को यात्रियों के साथ उनकी टिकटिंग संबंधी समस्याओ को हल करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- इसमें किये गए वार्तालाप पूर्वनिर्धारित और अधिकतर लक्ष्य-निर्देशित होते हैं। LaMDA को एक गैर-लक्ष्य निर्देशित चैटबॉट के रूप में विकसित किया गया है जो विभिन्न विषयों पर बातचीत कर सकता है।
- उदाहरण के लिए, यह भोजन के स्वाद और कीमतों में वृद्धि से लेकर यूक्रेन युद्ध तक के विषयों पर खाने की मेज पर एक परिवार की तरह बातचीत कर सकता है। इसलिए, यह ग्राहक संपर्क में क्रांति ला सकता है और AI-सक्षम इंटरनेट खोज में मदद कर सकता है।
AI तकनीक अभी कितनी दूर और कितनी बुद्धिमान है?
- हालांकि AI तकनीक भविष्यवादी प्रतीत होती है,बावजूद इसके हमारे सामने फेसबुक का फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर (चेहरा पहचानना), वॉयस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर (आवाज़ पहचानना) जैसे एलेक्सा और गूगल ट्रांसलेट ऐप मौजूद है।
- AI की प्रौद्योगिकियां गणितज्ञ एलन ट्यूरिंग के प्रश्न ‘क्या कोई मशीन सोच सकती है?’ के उत्तर से प्रेरित है।
- ट्यूरिंग दुनिया के पहले कंप्यूटर, ENIGMA मैं अग्रणी थे, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन कोड को तोड़ने में सफलता हासिल की थी।
पहला चैटबॉट:
- MIT आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लेबोरेटरी के जोसेफ वेइज़नबाम ने एलिज़ा (ELIZA) का निर्माण किया जिसके साथ हम चैट कर सकते थे।
- एलिस (कृत्रिम भाषाई इंटरनेट कंप्यूटर इकाई-Artificial Linguistic Internet Computer Entity) को रिचर्ड वालेस द्वारा विकसित किया गया था, जो मानव अंतःक्रियाओं का अनुकरण करने में सक्षम है।
- भाषाविद् जॉर्ज किंग्सले जिपफ ने उपयोगकर्ता चैट का विश्लेषण करके एलिस (ALICE’s ) के प्रतिक्रिया प्रदर्शनों की सूची में सुधार किया, जिससे 1930 के दशक में नकली रूपांतरण वास्तविक दिखाई देने लगे।
AI तकनीकी से सम्बंधित मुद्दे:
- AI को संवेदनशील बनाना अभी बहुत दूर की कोड़ी हैं; हालांकि अनैतिक AI द्वारा ऐतिहासिक पूर्वाग्रह को बढ़ावा देना और इसके माध्यम से घृणास्पद भाषण की सुविधा इसके वास्तविक खतरे हैं।
- हाल ही में गूगल ने टिमनीट गेब्रू को अनैतिक AI के उपयोग के कारण नौकरी से निकाल दिया है और अब इस ने सही मायने में सोशल मीडिया में हलचल मचा दी है।
- भविष्य के लाभ कार्यक्रमों में न्याय और समानता के मुद्दे पर महिलाओं और हाशिए के समुदायों से भेदभाव हो सकता है।
- यदि हम अकेले पूर्वाग्रह के मुद्दे को छोड़ दें जिसे हम अनदेखा कर रहे हैं तो ऐतिहासिक डेटा से AI तकनीक सीखना अनजाने में भेदभाव को कायम रख सकता है।
भावी कदम:
- रॉबर्ट ए. हेनलेन के अनुसार “सब कुछ सैद्धांतिक रूप से असंभव है जब तक कि इसे पूरा नहीं किया जाता”। यह AI, रोबोटिक्स और अन्य समान डोमेन के गतिशील स्थान के लिए सही है।
- इसलिए इन क्षेत्रों में प्रगति करते हुए हमें आधुनिक युग की इस आवश्यक बुराई से बचने के लिए मानव-मशीन इंटरफेस को संतुलित करने की आवश्यकता है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
हाथियों को ट्रेन की चपेट में आने से बचाने के लिए नयी योजना:
पर्यावरण:
विषय: संरक्षण
मुख्य परीक्षा: जैव विविधता के संरक्षण से संबंधित मुद्दे।
संदर्भ:
- पर्यावरण और रेल मंत्रालय हाथियों के टकराने से होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिए एक परियोजना तलाश रहे हैं।
विवरण:
- आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में ट्रेनों की टक्कर से करीब 200 हाथियों की मौत हो चुकी है।
- इस नवीनतम पहल के तहत भौगोलिक व्यवहार का विश्लेषण किया जायेगा और इसमें ऐसे सुझाव होंगे जिन्हें रेलवे व्यावहारिक रूप से लागू कर सकता है।
- एक प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि जिन राज्यों में सबसे अधिक हाथीयों की संख्या हैं, उनमें हमेशा मौतों की संख्या सबसे अधिक नहीं होती है।
- असम, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड पहाड़ी राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।
- ढलान और मुश्किल इलाके जानवरों के रेलवे लाइनों को पार करने के प्रयासों को अनिश्चित बनाते हैं जिसके परिणामस्वरूप उनका टकराव ट्रैन से हो जाता है।
- एक हाथी के पैर में छह उंगलियां होती हैं, और वह इस विशेषता वाला एकमात्र स्तनपायी है, उसकी यह उँगलियाँ किसी ढलान पर पकड़ बनाने के लिए विशिष्ट होती है।
अब तक के समाधान:
- हम मौजूदा लाइनों के पास अंडरपास या समर्पित हाथी पास बना रहे हैं।
- लाइनों में फंसे अपने बच्चों को ज्यादातर हाथी नहीं छोड़ते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे हताहत होते हैं।
- हालाँकि बाड़ लगाने, लोकोमोटिव पायलटों को चेतावनी देने के लिए साइनेज बोर्ड लगाने, नियमित आधार पर ट्रेन कर्मियों को जागरूक करने, रेलवे भूमि के भीतर ट्रैक के किनारों पर झाड़ियों को साफ करने और रेलवे नियंत्रण कार्यालयों में वन विभाग के कर्मचारी को तैनात करने आदि के मिश्रित परिणाम अब तक मिले हैं।
भावी कदम:
- बढ़ती हुई मानव आबादी के कारण आर्थिक और ढांचागत विकास की आवश्यकता है, यह लगभग अपरिहार्य है कि मनुष्य जानवरों के प्राकृतिक आवासों में अतिक्रमण करेंगे। इसलिए आगे बढ़ने के लिए और अधिक टिकाऊ दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक मुद्दे:
बाल विवाह समाप्त करने का उपाय:
विषय:भारत के कमजोर वर्गों से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारत में विवाह की कानूनी आयु बढ़ाने के कैबिनेट के निर्णय का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।
संदर्भ:
- इस लेख में बाल विवाह, इसके प्रतिकूल प्रभावों और इसे कम करने में शिक्षा की भूमिका पर चर्चा की गई।
पृष्टभूमि:
- भारत में प्राचीन काल से ही बाल विवाह महिलाओं के लिए एक बड़ी बाधा रहा है।
- पहले यह देश के सभी हिस्सों में व्याप्त था लेकिन सरकारी नियम और अधिनियम इसे एक हद तक कम करने में कामयाब रहे बावजूद इसके यह अभी भी प्रचलित है।
- 19वीं शताब्दी में महिलाओं की विवाह योग्य आयु 10 वर्ष तथा 1949 के बाद 15 वर्ष थी।
- हालाँकि, 1978 में, बाल विवाह निरोध अधिनियम (CMRA) के तहत लड़कियों की आयु को बढ़ाकर 18वर्ष किया गया था।
- 2006 में, भारत सरकार ने बाल विवाह रोकथाम अधिनियम (PCMA) पारित किया, जिसने CMRA को बाल विवाह के उन्मूलन के आदर्श वाक्य में बदल दिया।
- हालांकि बाल विवाह विरोधी अधिनियम को 44 वर्ष हो चुके हैं,लेकिन देश के कई हिस्सों में यह आदिम प्रथा अब भी जारी है।
- अब, महिलाओं को पुरुषों के बराबरी पर लाने के लिए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की कानूनी उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 करने का फैसला किया है।
- बाल विवाह की उम्र बढ़ने से समस्या का समाधान होगा या नहीं, इसका विश्लेषण राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5), 2019-20 के हाल ही में जारी आंकड़ों से किया गया है।
बाल विवाह और स्वास्थ्य परिणाम:
- दक्षिण एशिया के कुछ अनुभवजन्य अध्ययनों के अनुसार, जल्दी विवाह का नकारात्मक स्वास्थ्य और शैक्षिक परिणामों के बीच एक संबंध है। शीघ्र विवाह के कुछ प्रतिकूल प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- प्रारंभिक गर्भावस्था और प्रसव पूर्व स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की कमी।
- मातृ रुग्णता और मृत्यु दर का उच्च जोखिम।
- महिलाओं की खराब पोषण स्थिति।
- बच्चों का खराब पोषण और शैक्षणिक स्थिति।
- ये अध्ययन विवाह की आयु को 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के महत्वपूर्ण कारण हैं।
शीघ्र विवाह के पीछे संरचनात्मक कारक:
कम उम्र में शादी के पीछे कई संरचनात्मक कारक हैं। उनमें से कुछ निम्नवत है:
सामाजिक आदर्श:
- कुछ क्षेत्रों में, सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंड बालिका के कम उम्र में विवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लड़की के रजस्वला होने के बाद माता-पिता लड़की की शादी के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं।
गरीबी:
- कई मामलों में बाल विवाह, गरीबी और देरी से विवाह दहेज की भारी लागत के कारण होता है।
शिक्षा की कमी:
- ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के मामले में लड़कियों की तुलना में लड़के को प्राथमिकता दी जाती है। कमजोर वित्तीय पृष्ठभूमि वाले माता-पिता लड़के की पढाई को अधिक तवज्जो देते हैं और बालिकाओं को घर के कामों में लगा देते हैं।
- इसलिए, शिक्षा की कमी भी शीघ्र विवाह में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
राज्यवार आंकड़े:
- हाल ही में जारी NFHS-5 आंकड़े उन राज्यों में विवाह के प्रतिशत को दर्शाते है जहां लड़कियों की उम्र 18 साल से कम थी।
- आंकड़ों से पता चलता है कि 18-29 आयु वर्ग की लगभग 25% महिलाओं की शादी 18 साल की कानूनी उम्र से पहले हो गई थी। हालांकि, NFHS-4 सर्वेक्षण में ऐसी महिलाओं का प्रतिशत 28% थी।
- शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिशत अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह 28% और शहरी क्षेत्रों में 17% है।
- पश्चिम बंगाल में उच्चतम प्रतिशत (42%), उसके बाद बिहार और त्रिपुरा (प्रत्येक में 40%) का स्थान रहा।
- सबसे कम प्रतिशत वाले राज्य गोवा, हिमाचल प्रदेश और केरल (6% से 7% के बीच) हैं।
समुदाय और धन पर आधारित आंकड़े:
- यदि हम समुदाय-वार आंकड़ों को देखें, तो आदिवासी और दलित भारत में कुल बाल विवाह में 39% का योगदान करते हैं।
- सुविधा संपन्न सामाजिक समूह का योगदान 17% तथा शेष हिस्सा अन्य पिछड़े वर्गों का है।
- आंकड़ों से पता चलता है कि धन की कमी के कारण कुल बाल विवाह का गरीबों में 58%, 50% मध्य वर्ग में 40% तथा शीर्ष 10% धनी समूहों में 2% बाल विवाह होते हैं।
शिक्षा की भूमिका:
- NFHS-5 के आंकड़ों के अनुसार, केवल 4% बाल विवाहित महिलायें ही अपनी 12 साल की शिक्षा पूरी कर पाती है।
- इसलिए, यह इंगित करता है कि अधिकांश बाल विवाह उन लड़कियों का होता हैं जो 12 वर्ष की स्कूली शिक्षा में भाग नहीं लेती है तथा जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई हैं।
- विवाह की आयु स्वतः ही 17 (5 वर्ष की स्कूली शिक्षा में भाग लेने वालों के मामले में) से बढ़कर 22 वर्ष (उनके मामले में जिन्होंने 12 वर्ष से अधिक की स्कूली शिक्षा प्राप्त की है) हो जाती है।
- इसलिए, शिक्षा और विवाह के वर्षों में वृद्धि साथ-साथ चलती है।
- आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 27% महिलाएं जो निरक्षर थीं और जिनकी 18 साल से पहले शादी हो गई थी, उनका वजन उन महिलाओं की तुलना में कम है जो साक्षर और जिनकी शादी 21 साल की उम्र में हुई थी।
- लगभग 64% निरक्षर महिलाएं एनीमिया और आयरन की कमी से पीड़ित हैं, चाहे उनकी शादी की उम्र कुछ भी हो।
- साक्षर महिलाओं की तुलना में शादी और पहली गर्भावस्था के बीच का अंतर अनपढ़ महिलाओं में अधिक है और साक्षर महिलाओं की तुलना में अधिक बच्चे पैदा करती है।
- उपर्युक्त शैक्षिक और स्वास्थ्य परिणाम शिक्षा के महत्व को उजागर करते हैं।
भावी नीति:
- महिलाओं की शैक्षिक स्थिति को सुधारे बिना महिलाओं की कानूनी उम्र बढ़ाने से स्वास्थ्य और पोषण संबंधी बेहतर परिणाम नहीं मिलने वाले हैं। वास्तव में, यह गरीबों और निरक्षरों को अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा।
- महिलाओं की शिक्षा उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजिक, आर्थिक कल्याण और समग्र विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- विवाह की कानूनी उम्र में वृद्धि का सकारात्मक परिणाम तभी मिलेगा जब यह शिक्षा के स्तर और रोजगार के लिए महिलाओं के कौशल में वृद्धि से जुड़ा हो।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक मुद्दे और न्याय:
भारत में कुपोषण आधुनिक परिदृश्य में चिंता का विषय है:
विषय: गरीबी और भूख से जुड़े मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: देश की पोषण स्थिति का समालोचनात्मक विश्लेषण करें।
सन्दर्भ:
- इस लेख में हाल ही में हुए कुपोषण पर, NFHS-5 सर्वेक्षण पर तथा देश की पोषण स्थिति में सुधार के उपायों पर भी चर्चा की गई है।
पृष्टभूमि:
- वर्तमान और भावी पीढ़ियों के सशक्तिकरण के लिए पर्याप्त पोषण आवश्यक है। भारत की सबसे बड़ी पूँजी इसके लोग हैं लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी, भारत की अधिकांश आबादी को अपनी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त आहार नहीं मिलता है।
- मां के साथ बच्चे की पोषण स्थिति का सीधा संबंध है। यदि गर्भवती महिला के पोषण की स्थिति खराब होती है तो यह बच्चे एवं भावी पीढ़ी को प्रभावित करेगी।
- कुपोषित बच्चों का पढ़ाई और नौकरी दोनों में कमजोर होने का जोखिम अधिक होता है। इसलिए कुपोषित बच्चे देश के विकास में बाधा है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5:
- NFHS-5 के आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि पोषण स्तर के विभिन्न संकेतकों में मामूली सुधार हुआ है।
- गरीबी में कमी, खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता और विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के बावजूद, कुपोषण में सुधार सीमित है।
- कुछ राज्यों में बच्चे पांच साल पहले की तुलना में अधिक कुपोषित हैं।
स्टंटिंग, वेस्टिंग और एनीमिया:
- NFHS-5 के अनुसार, देश ने पांच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण के दो प्रमुख संकेतकों, स्टंटिंग और वेस्टिंग में मामूली सुधार दर्ज किया है।
स्टंटिंग:
- WHO ने स्टंटिंग को ख़राब वृद्धि के रूप में परिभाषित किया है जो बच्चों के खराब पोषण, बार-बार संक्रमण तथा अपर्याप्त मनोसामाजिक उत्तेजना का परिणाम है।
- NFHS-5 के आंकड़े बताते हैं कि NFHS-4 में बताए गए 38.8 फीसदी की तुलना में पांच साल से कम उम्र के 35.5 फीसदी बच्चे बौने (उम्र के हिसाब से ऊंचाई) हैं।
- नवीनतम आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों (30.1 प्रतिशत) की तुलना में ग्रामीण भारत (37.3 प्रतिशत) में अविकसित बच्चों का प्रतिशत अधिक है।
वेस्टिंग:
- WHO के अनुसार, हाल ही में बच्चों में वेस्टिंग गंभीर वजन की कमी के रूप में प्रदर्शित हो रहा है तथा यह दीर्घकालिक समस्या है।
- NFHS-5 ने NFHS-4 में 21 प्रतिशत की तुलना में पांच साल से कम उम्र के 19.3 प्रतिशत बच्चों में वेस्टिंग (ऊंचाई के लिए वजन) की समस्या है।
- इस श्रेणी के बच्चों का प्रतिशत शहरी भारत (18.5 प्रतिशत) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (19.5 प्रतिशत) में थोड़ा अधिक है।
- लेकिन आंकड़े परेशान करने वाले है: NFHS-4 में 7.5 प्रतिशत की तुलना में पांच साल से कम उम्र के 7.7 प्रतिशत बच्चे गंभीर (कम वजन के) श्रेणी में आते हैं।
एनीमिया:
- श्रृंखला में NFHS-5, 2019-21 के आंकड़ों से पता चलता है कि सभी आयु समूहों में, 6-59 महीने में एनीमिया में NFHS-4, 2015-16 में 58.6 प्रतिशत की तुलना में 67.1 प्रतिशत की सर्वाधिक वृद्धि हुई है।
- आंकड़े बताते हैं कि शहरी भारत (64.2 फीसदी) की तुलना में ग्रामीण भारत (68.3 फीसदी) में यह संख्या अधिक है।
- 15-19 वर्ष की आयु की महिलाओं में एनीमिया- 54.1 प्रतिशत (NFHS-4) की तुलना में 59.1 प्रतिशत (NFHS-5) हुई है वहीँ इस समूह में भी शहरी भारत (54.1 प्रतिशत) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (58.7 प्रतिशत) में यह संख्या अधिक है।
- 15-49 वर्ष की गर्भवती महिलाओं में, विगत सर्वेक्षण में 50.4 प्रतिशत की तुलना में 52.2 प्रतिशत में एनीमिक पाया गया।
- एनीमिया लोगों की कार्य क्षमता को कम कर देता है जिससे देश की अर्थव्यवस्था और समग्र विकास प्रभावित होता है।
कुपोषण से निपटने के उपाय:
- सरकार कुपोषण को कम करने की दिशा में काम कर रही है तथा इससे संबंधित कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, लेकिन अपेक्षित अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। कुछ उपाय निम्नलिखित हैं जिनके द्वारा पोषण की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है:
वित्तीय प्रतिबद्धता:
- सतत विकास और जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण हेतु निवेश में वृद्धि होनी चाहिए।
- सरकार ने कई उपायों को लागू किया है जैसे कि समग्र पोषण के लिए प्रधान मंत्री की अतिव्यापी योजना (पोषण) लेकिन पोषण 2.0 के लिए बजट आवंटन बहुत संतोषजनक नहीं रहा है। इसलिए बेहतर निवेश की जरूरत है।
स्थानीय स्तर पर सुधार:
- स्थानीय सरकार को इसके प्रभावों और कुपोषण की समस्या के समाधान के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।
- पोषण की दृष्टि से कमजोर समूहों और स्थानीय सरकार के बीच सीधा संपर्क होना चाहिए ताकि प्रमुख पोषण सेवाओं की अंतिम लक्ष्य तक पहुँच सुनिश्चित की जा सके।
- यह एक ओर अधिक जागरूकता सुनिश्चित करेगा और दूसरी ओर जमीनी स्तर पर कार्यक्रमों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा, जिसे बाद में जिला और राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सकता है।
शिक्षा:
- शिक्षा महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर में भी सुधार कर सकती है।
- कोई व्यक्ति व्यक्तिगत स्तर पर पहल कर सकता है और परिवर्तन का माध्यम बन सकता है।
मूल्यांकन:
- एक कार्यक्रम के कार्यान्वयन और मूल्यांकन के लिए एक उचित तंत्र होना चाहिए। जमीनी स्तर की चुनौतियों को दूर किया जाना चाहिए और नीतियों को सही तरीके से लागू किया जाना चाहिए।
- राज्यों में पोषण की स्थिति का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए। कुपोषण की चुनौती को व्यवहारिक और अभिनव तरीके से दूर किया जाना चाहिए।
- पोषण संबंधी कमियों से निपटने के लिए सभी को पहल करनी चाहिए ताकि भविष्य सुरक्षित किया जा सके।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ‘ASI अधिनियम को और लचीला बनाया जाएगा’:
- केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने घोषणा की है कि स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण वाले कानून को और अधिक लचीला एवं लोगों के अनुकूल बनाया जाएगा।
- संस्कृति मंत्रालय प्राचीन स्मारकों और पुरातत्व स्थलों और अवशेष अधिनियम, 1958 में संशोधन करने पर काम कर रहा है, ताकि संरक्षित स्मारकों के आसपास के वर्तमान 100 मीटर निषिद्ध क्षेत्र को साइट-विशिष्ट सीमाओं में बदला जा सके।
- पर्यटन क्षेत्र में रोजगार सृजन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए ASI की आवश्यकता, और राज्यों के लिए उत्खनन और प्रशिक्षण के लिए प्रदान की जाने वाली धनराशि पर भी विचार किया जा रहा है।
- एएसआई ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के तहत स्वतंत्रता दिवस पर देश के 2,000 स्मारकों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएगा।
- अगले साल भारत द्वारा आयोजित किया जाने वाला G20 नेता शिखर सम्मेलन देश की संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करने का एक अवसर होगा।
2. बुजुर्गों को आर्थिक, सामाजिक सुरक्षा की कमी : अध्ययन
- हेल्पएज इंडिया द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण से पता चला है कि लगभग आधी बुजुर्ग आबादी अपने परिवारों पर आर्थिक रूप से निर्भर है।
- इस सर्वे में यह भी दिखाया गया हैं कि 34% बुजुर्ग पेंशन और नकद हस्तांतरण पर निर्भर थे,जबकि सर्वे में शामिल 40% लोगों ने “जब तक शरीर साथ दे” तब तक काम करने की इच्छा व्यक्त की है।
- यह सर्वे देश में वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा की कमी पर ध्यान देने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस की पूर्व संध्या पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा यह रिपोर्ट जारी की गई है।
- यह सर्वेक्षण बीस से अधिक शहरों में 4,399 वरिष्ठ नागरिकों और 2,200 देखभाल करने वालों की भागीदारी पर आधारित था।
- सर्वेक्षण से पता चला हैं कि उनमें से 52% की आय अपर्याप्त है; 40% आर्थिक रूप से सुरक्षित नहीं हैं ; 57% ने अपनी बचत से अधिक व्यय किया है, और 45% को लगता है किपेंशन राशि जीवित रहने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
- हेल्पएज इंडिया ने हर महीने ₹3,000 की सार्वभौमिक पेंशन करने के पक्ष में तर्क दिए हैं।
- सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 71% वरिष्ठ नागरिक काम नहीं कर रहे थे, जबकि 36% काम करने को तैयार थे और 40% “जितना संभव हो सके” काम करना चाहते थे।
- कम से कम 30% बुजुर्ग विभिन्न सामाजिक कार्यों के लिए अपना समय स्वेच्छा से देने को तैयार थे।
- 87% बुजुर्गों ने बताया कि आस-पास स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता है,हालांकि, 78% ने कहा कि ऐप-आधारित ऑनलाइन स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता है और उनमें से 67% ने बताया कि उनके पास कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं है और केवल 13% सरकारी बीमा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं।
- जबकि 59% बुजुर्गों ने उल्लेख किया कि समाज में बड़े पैमाने उनके साथ दुर्व्यवहारहोता है , केवल 10% ने स्वयं को पीड़ित होना स्वीकार किया।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत में जनगणना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- जनगणना अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के तहत जनगणना की जाती है।
- दस वर्ष में होने वाली जनगणना का संचालन महापंजीयक कार्यालय और जनगणना आयुक्त तथा गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
- जनसंख्या जनगणना के दौरान एकत्र की गई जानकारी इतनी गोपनीय होती है कि कि इसे अदालतों को भी नहीं दिया जा सकता है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- जनगणना कराने के संबंध में कुछ मामलों के लिए उपबंध करवाने हेतु अधिनियम:
- इस अधिनियम को जनगणना अधिनियम, 1948 भी कहा जा सकता है।
- भारत की दशकीय जनगणना 2011 तक 15 बार आयोजित की जा चुकी है। जनगणना प्रभाग देश में दस वर्षों में एक बार जनगणना का समय पर और सफल संचालन के लिए भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त की सहायता करता है।
- जनगणना के दौरान एकत्र की गई जानकारी इतनी निजी होती है कि यह अदालतों के लिए भी उपलब्ध नहीं करवाई जाती है।
- 1948 का जनगणना अधिनियम गोपनीयता सुनिश्चित करता है।
- कानून में उन सार्वजनिक और जनगणना अधिकारियों दोनों के लिए दंड का प्रावधान किए गया है जो अधिनियम के किसी भी भाग का पालन करने में विफल या उल्लंघन करते हैं।
- अत: सभी कथन सही हैं
प्रश्न 2. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- NPS को PFRDA (पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण) द्वारा कार्यान्वित और विनियमित किया जा रहा है।
- OCI (भारत के प्रवासी नागरिक), PIO (भारतीय मूल के व्यक्ति) कार्ड धारक तथा हिंदू अविभाजित परिवार (HUFs) NPS खाते खोलने के पात्र नहीं हैं।
- ग्राहक की जरूरतों और उनके द्वारा दवा किये जाने पर ही टियर 1 खाते से धन निकासी की अनुमति होती है।
गलत कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: b
व्याख्या:
- राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली अब पीएफआरडीए अधिनियम, 2013 के तहत विनियमित है और इसके तहत इसका विनियमन वित्तीय सेवा विभाग और पीएफआरडीए द्वारा किया गया है।
- NPS के तहत प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को एक स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) पंजीकृत और आवंटित किया जाता है। अतः कथन 1 सही है।
- NPS अब ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (भारत के प्रवासी नागरिक) के लिए उपलब्ध है।
- NPS की सदस्यता लेते समय OCI को अनिवासी भारतीय (NRI) के समान माना जाएगा। NPS टियर II खाते का विकल्प NRI और OCI दोनों के लिए उपलब्ध नहीं होगा। अतः कथन 2 गलत है।
- एनपीएस टियर 1 खाता सदस्य के 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर परिपक्व होता है, हालांकि आप 70 वर्ष की आयु तक निकासी को स्थगित कर सकते हैं।
- आप मौजूदा एनपीएस निकासी दिशानिर्देशों के तहत मैच्योरिटी के बाद निकासी के लिए अपने कॉरपस का 60% तक टैक्स-फ्री ले सकते हैं। अतः कथन 3 गलत है।
प्रश्न 3. न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB), जिसे पहले ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक के रूप में जाना जाता था, ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा स्थापित विकास बैंक में पांच संस्थापक देशो के अलावा चार और सदस्य देश हैं। उनके नाम है (स्तर – कठिन)
(a) बांग्लादेश, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, उरुग्वे
(b) इटली, इज़राइल, जापान, जर्मनी
(c) बांग्लादेश, लेबनान, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया
(d) नाइजीरिया, मेक्सिको, फिजी, कुवैत
उत्तर: a
व्याख्या:
- न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की स्थापना 2015 में ब्रिक्स देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका द्वारा की गई थी। बैंक की सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के लिए खुली है।
- बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और उरुग्वे 2021 में NDB में शामिल हुए।
- अत: विकल्प A सही है।
प्रश्न 4. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- इसे राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा प्रारंभ किया गया था।
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) का आकलन करने के लिए शहरी क्षेत्रों में ‘चक्रीय पैनल नमूना डिजाइन (rotational panel sampling design)” का उपयोग करता है।
- श्रम बल भागीदारी दर जनसंख्या में (अर्थात काम कर रहे या काम की तलाश में या काम के लिए उपलब्ध) श्रमिकों का प्रतिशत है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- अधिक लगातार समय अंतराल पर श्रम बल डेटा की उपलब्धता के महत्व को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 2017 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) शुरू किया था। इसलिए कथन 1 सही है।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रोजगार और बेरोजगारी कैसे प्रमुख संकेतकों का अनुमान लगाता है जैसे श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), बेरोजगारी दर (यूआर) आदि। इसलिए कथन 2 सही है।
- श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर): एलएफपीआर को जनसंख्या में (यानी काम कर रहे या काम की तलाश या काम के लिए उपलब्ध) श्रमिकों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है। अत: कथन 3 सही है।
प्रश्न 5. आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है? PYQ (2021) (स्तर – कठिन)
(a) पिंगली वेंकय्या ने यहां भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को डिजाइन किया था।
(b) पट्टाभि सीतारमैया ने यहां से आंध्र क्षेत्र में भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया था।
(c) रवींद्रनाथ टैगोर ने यहां राष्ट्रगान का बांग्ला भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
(d) मैडम ब्लावत्स्की और कर्नल आल्कॉट ने सबसे पहले यहां थियोसोफिकल सोसायटी का मुख्यालय स्थापित किया।
उत्तर: c
व्याख्या:
- 1919 में, रवींद्रनाथ टैगोर ने आंध्र प्रदेश.के चित्तूर,शहर के मदनपल्ले थियोसोफिकल कॉलेज के अपने छोटे से प्रवास के दौरान, अपनी बंगाली कविता / राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का अंग्रेजी में ‘भारत का सुप्रभात गीत’ के रूप में अनुवाद किया था।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. क्या भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रौद्योगिकियों के ‘सचेत’ होने की संभावना है? सम्बंधित चिंताओं का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III विज्ञान और प्रौद्योगिकी)
प्रश्न 2. चूंकि भारत में बाल विवाह बड़े पैमाने पर किये जाते है, क्या महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने से यह समस्या हल हो जाएगी,चर्चा कीजिए ? साथ ही बाल विवाह को समाप्त करने का उपाय सुझाएं। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस I सामाजिक मुद्दे)
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