18 जून 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: सामाजिक न्याय:
सुरक्षा:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
भविष्य की तकनीक पर भारत, अमेरिका की पहल
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार
मुख्य परीक्षा: महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (iCET) पर पहल और भारत के लिए इसका महत्व
संदर्भ: भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए एक रोडमैप का अनावरण किया।
भूमिका:
- भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए एक रोडमैप का अनावरण किया है।
- दोनों देशों ने विनियामक चुनौतियों से निपटने और व्यापार को सुविधाजनक बनाने तथा महत्वपूर्ण क्षेत्रों में “गहन सहयोग” को बढ़ावा देने के लिए निर्यात नियंत्रणों को सुसंगत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
- वर्ष 2022 में राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (iCET) पर पहल की समीक्षा हाल ही में आयोजित दूसरे ट्रैक 1.5 संवाद के दौरान की गई थी।
- अमेरिका ने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और सार्वभौमिक मानवाधिकारों के साथ प्रौद्योगिकी को संरेखित करने के महत्व पर जोर दिया तथा लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संस्थानों को मजबूत करने वाले एक खुले, सुलभ तथा सुरक्षित प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (iCET) पर पहल क्या है?
- भारत और अमेरिका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर्स और वायरलेस टेलीकम्युनिकेशन जैसे महत्वपूर्ण और उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक ढांचे के रूप में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल की शुरुआत की है।
- जनवरी 2023 में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना और प्रौद्योगिकी तथा रक्षा में सहयोग को बढ़ावा देना है।
- मई 2022 में जापान में क्वाड बैठक के दौरान, मोदी और बाइडेन ने शुरुआत में इस ढांचे की घोषणा की थी।
- महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (iCET) पर पहल का प्राथमिक उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण और सह-उत्पादन तथा सह-विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत और अमेरिका को विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदारों के रूप में स्थापित करना है।
अब तक की प्रगति:
- पिछले एक साल में अधिकारियों और हितधारकों के बीच हाई-प्रोफाइल यात्राओं और बातचीत के परिणामस्वरूप भारत और अमेरिका ने महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (iCET) पर पहल के माध्यम से सहयोग के लिए पहचाने गए विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है।
- iCET वार्ता के दूसरे दौर के दौरान, क्वांटम समन्वय तंत्र स्थापित किया गया था, OpenRAN, 5G, और 6G में सहयोग के लिए दूरसंचार पर एक सार्वजनिक-निजी संवाद (PDD) शुरू किया गया था और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा अंतरिक्ष पर पर्याप्त आदान-प्रदान हुआ था।
- सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के लिए मार्च 2023 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके बाद iCET से जुड़े उद्योग के नेतृत्व वाले कार्यबल की सिफारिशों की समीक्षा करने के लिए सेमीकंडक्टर उप-समिति का गठन किया गया।
- उम्मीद है कि दोनों देश जल्द ही एक महत्वपूर्ण जेट इंजन सौदे को अंतिम रूप देंगे।
- इसके अलावा, भारत-यू.एस. रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र (INDUS-X) नामक एक नई पहल लॉन्च की जाने वाली है, जिसका लक्ष्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी सहयोग को आगे बढ़ाना है।
- महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (iCET) पर पहल के तहत कल्पना की गई सामरिक प्रौद्योगिकी और व्यापार सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए एक सामरिक व्यापार वार्ता शुरू की गई है। इसका उद्देश्य विनियामक बाधाओं को दूर करना और मौजूदा निर्यात नियंत्रण मानदंडों की समीक्षा करना है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
अफ्रीकी संघ के लिए G-20 सदस्यता का विस्तार
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार
मुख्य परीक्षा: अफ्रीकी संघ के साथ जुड़ाव पर भारत की सॉफ्ट पावर का महत्व
संदर्भ: प्रधानमंत्री मोदी ने अफ्रीकी संघ के लिए G-20 सदस्यता का प्रस्ताव रखा।
भूमिका:
- आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G-20 देशों के नेताओं को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि भारत द्वारा आयोजित आगामी G-20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को पूर्ण सदस्यता दी जानी चाहिए।
- यह प्रधानमंत्री मोदी को अफ्रीका के प्रतिनिधित्व का समर्थन करने के लिए एक उपयुक्त मंच प्रदान करता है।
महत्व:
- इस प्रस्ताव को वैश्विक मंच पर अफ्रीका के प्रभाव को बढ़ाने और हमारी आपस में जुड़ी दुनिया के भविष्य को सक्रिय रूप से आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण और साहसी कदम माना जा रहा है।
- G-20 में अफ्रीकी संघ को पूर्ण सदस्यता प्रदान करना एक अधिक न्यायसंगत, समावेशी और प्रतिनिधिक वैश्विक शासन ढांचे की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
- यह कदम उठाकर, प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि G-20 एजेंडा में अफ्रीकी देशों की प्राथमिकताओं और चिंताओं को शामिल किया जाए, उनके महत्व और अनूठे दृष्टिकोण को मान्यता दी जाए।
- यह अफ्रीका के साथ मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है और अधिक समावेशी तथा प्रतिनिधिक वैश्विक व्यवस्था की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
अफ्रीकी संघ:
- अफ्रीकी संघ, जिसमें 55 सदस्य देश शामिल हैं, अफ्रीकी देशों के सामूहिक हितों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक महत्वपूर्ण महाद्वीपीय निकाय के रूप में कार्य करता है।
- अफ्रीका की आवाज़ का प्रतिनिधित्व करने वाले प्राथमिक संगठन के रूप में, अफ्रीकी संघ सक्रिय रूप से अपने सदस्य देशों की प्रगति और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में लगा हुआ है।
- वर्ष 2002 में अफ्रीकी एकता संगठन के स्थान पर इसकी स्थापना की गई और इसने क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने तथा सामान्य लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण पर बल दिया।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
भारत अपने डायबिटीज के बोझ से कैसे निपट सकता है?
विषय: स्वास्थ्य संबंधित विषय
मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति
संदर्भ: इस आलेख में ICMR-InDiab के एक अध्ययन के निष्कर्षों पर चर्चा की गई है जो भारत के मधुमेह परिदृश्य के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
भूमिका:
- जून 2023 में, भारतीय उपमहाद्वीप में चयापचय कारकों पर एक दीर्घकालिक अध्ययन के संबंध में द लैंसेट (The Lancet) में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया था।
- 2008 में शुरू किया गया, यह अध्ययन देश में चिरकालिक गैर-संचारी रोगों (NCD) का अनुमान लगाने वाला सबसे बड़ा दीर्घकालिक अध्ययन था।
- यह पूरे देश में 2008 और 2020 के बीच पांच चरणों में आयोजित (कुछ द्वीपों और केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर) किया गया था एवं 1.24 लाख व्यक्ति इस सर्वेक्षण का हिस्सा थे।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
- रिपोर्ट के अनुसार, देश की आबादी का लगभग 11% (101.3 मिलियन) डायबिटिक है और 15.3% (136 मिलियन) आबादी प्री-डायबेटिक चरण में है।
- शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत में प्री-डायबिटीज से डायबिटीज में परिवर्तन तेजी से हो रहा है।
- शहरी भारत में डायबिटीज के 16.4% मामले हैं, जबकि ग्रामीण आबादी में इसका प्रसार 8.9% है।
- अध्ययन से यह भी पता चलता है कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में डायबिटीज उतना ही आम हो गया है जितना कि मेट्रो शहरों में।
- केरल, सिक्किम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी मामले आश्चर्यजनक रूप से अधिक हैं- जहां सामाजिक-आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है।
इस अध्ययन का क्या अर्थ है?
- अध्ययन के परिणामों को एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए और पहली चीज जो करने की जरूरत है वह उन लोगों को डायबिटीज से बचाना है जो पहले से ही प्री-डायबेटिक चरण में हैं।
- दुनिया भर में लगभग 422 मिलियन लोगों को डायबिटीज है, और हर साल 1.5 मिलियन लोगों की मौत सीधे इसके कारण होती है।
- ऐसा कहा जाता है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है, इसलिए जीवन शैली में सुधार करने, स्वस्थ आहार बनाए रखने और पर्याप्त व्यायाम करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। समय-समय पर इसकी जांच को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां प्रसार अभी भी कम है, मुख्य उद्देश्य इसे नियंत्रण में रखना होना चाहिए।
भावी कदम:
- डायबिटीज एक पुरानी समस्या है जो हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, न्यूरोपैथी, अंधापन आदि जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकती है। इसलिए, इसे दूर रखना महत्वपूर्ण हो जाता है।
- समय-समय पर जांच को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- जागरूकता अभियान और नियमित जांच-पड़ताल जैसे तरीकों के अलावा, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के हिस्से के रूप में गठजोड़ भी प्रस्तावित किया जा रहा है। यह बड़े समुदायों को आसानी से कवर करने में मदद कर सकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
कथित CoWIN डेटा लीक से क्या पता चलता है?
विषय: साइबर सुरक्षा
मुख्य परीक्षा: व्यक्तिगत और गोपनीय डेटा की सुरक्षा के लिए एक मजबूत डेटा संरक्षण कानून का महत्व
संदर्भ: इस आलेख में मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर एक बॉट द्वारा कथित तौर पर CoWIN डेटा लीक पर चर्चा की गई है।
भूमिका:
- 12 जून, 2023 को एक रिपोर्ट से पता चला कि एक बॉट उन लोगों के व्यक्तिगत डेटा का खुलासा कर रहा है, जिन्होंने कोविड-19 टीकाकरण पोर्टल CoWIN पर पंजीकरण कराया था।
- भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने उसी दिन डेटा ब्रीच की ऐसी खबरों का खंडन किया और कहा कि आरोप “शरारतपूर्ण” थे।
CoWIN क्या है?
CoWIN सरकारी स्वामित्व वाला एक ऑनलाइन पोर्टल है जिसकी शुरुआत 2021 में भारत के कोविड-19 टीकाकरण अभियान को समुचित रूप से आगे बढाने और इसके प्रबंधन के लिए की गई थी। यह टीकों और लाभार्थियों को ट्रैक करता है और लोगों को अपनी वैक्सीन अपॉइंटमेंट शेड्यूल करने में मदद करता है। यह एक वैक्सीन सर्टिफिकेट भी जारी करता है, जिसके लिए इस पर लाभार्थियों के आधार नंबर सहित कुछ व्यक्तिगत डेटा की आवश्यकता होती है।
कोविड-19 महामारी के बारे में और पढ़ें: COVID-19 Pandemic.
समस्या की वजह क्या हो सकती है?
- CoWIN ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को अमेज़न वेब सीरीज (Amazon Web Services – AWS) के आधार पर विकसित किया गया है।
- यह एक माइक्रोसर्विस आर्किटेक्चर है जो एक एप्लिकेशन को ठीक-ठाक सेवाओं के संग्रह के रूप में व्यवस्थित करता है। ये सेवाएं निश्चित सेट प्रोटोकॉल के माध्यम से एक दूसरे के साथ संपर्क में होती हैं।
- AWS जैसे क्लाउड-देशी प्लेटफ़ॉर्म केवल अंतर्निहित बुनियादी ढाँचे के लिए सुरक्षा प्रदान करते हैं, अनुप्रयोगों और डेटाबेस को सुरक्षित करने के लिए नहीं। अपने डेटा की गोपनीयता बनाए रखना ग्राहक (डेटा को होस्ट करने वाला) की जिम्मेदारी है।
- वर्चुअल सर्वर (इस मामले में CoWIN पोर्टल) में प्रयुक्त पारंपरिक सॉफ्टवेयर-आधारित सिस्टम को “लीगेसी सिस्टम” कहा जाता है, जो श्रृंखला की कमजोर कड़ी हैं। इस तरह के लिंक हैकर्स के लिए डेटाबेस में प्रवेश करने का एक आसान मार्ग है।
- मानवीय त्रुटि, लापरवाही या तीसरे पक्ष के ऐप की भागीदारी भी डेटा ब्रीच का कारण बन सकती है।
यह क्यों मायने रखती है:
- यह पहली बार नहीं है जब डेटा लीक की खबरें सामने आई हैं। पहले भी आरोप लगे थे कि सरकार CoWIN डेटा को गोपनीय नहीं रख सकी।
- देश को एक मजबूत डेटा सुरक्षा प्रणाली की आवश्यकता है और मजबूत डेटा संरक्षण कानून इस संबंध में मदद कर सकता है।
सारांश:
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आगे पढ़े: निजता का अधिकार (Right to Privacy)
प्रीलिम्स तथ्य:
- मंकी पॉक्स का प्रकोप
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
प्रारंभिक परीक्षा: मंकी पॉक्स; स्थानिक रोग
संदर्भ: कुछ देशों से रिपोर्ट किए गए मंकीपॉक्स (Mpox) के मामलों में वृद्धि हुई है।
मुख्य विवरण:
- मई 2023 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मामलों में निरंतर गिरावट को देखते हुए यह घोषित किया था कि मंकी पॉक्स अब अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) नहीं है।
- हालांकि, इसने कुछ देशों में बीमारी के संचरण के तरीकों, रिपोर्ट किए गए आंकड़ों की खराब गुणवत्ता और अफ्रीकी देशों (जहाँ mpox के मामले नियमित रूप से रिपोर्ट किये जाते हैं) में प्रभावी प्रत्युपायों की निरंतर कमी को भी स्वीकार किया है।
- दुनिया भर में समग्र संचयी मामलों में कमी के बावजूद, दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के कुछ देशों में रिपोर्ट किए गए मामलों में वृद्धि हुई है।
मंकीपॉक्स पर और पढ़ें: Monkeypox
वैश्विक स्थिति:
- नए देशों द्वारा मामलों की सूचना देने के साथ Mpox एक वैश्विक चुनौती बना हुआ है।
- स्पेन और यू.के. ने यूरोपीय क्षेत्र में नए मामलों की सूचना दी है, लेकिन यूरोप और उत्तरी अमेरिका में पिछले बड़े प्रकोपों को टीकाकरण और जागरूकता अभियानों के माध्यम से नियंत्रित किया गया है।
- चीन ने हाल ही में चार मामलों की सूचना दी है, जिससे बीमारी के प्रसार के बारे में चिंता बढ़ गई है। श्रीलंका ने भी दुबई की यात्रा करने वाले दो व्यक्तियों में इसके प्रसार की सूचना दी है।
- इससे पहले 2023 में थाईलैंड, ताइवान, पाकिस्तान और जापान में Mpox का पता चला था। यह उल्लेखनीय है कि कई मामलों की पुष्टि उन लोगों में हुई है जिन्होंने मध्य पूर्व की यात्रा की थी, हालांकि उस क्षेत्र से संबंधित रिपोर्टें मामलों की संख्या में वृद्धि का संकेत नहीं देती हैं।
- नए क्षेत्रों में Mpox मामलों का उभरना चिंता का विषय है, जो अनिर्धारित संचरण माध्यम से रोग के संभावित विस्तार का संकेत देता है। यह रोकथाम के प्रयासों में नई चुनौतियां पेश करता है।
चिंता का कारण:
- मध्य पूर्व क्षेत्र को Mpox मामलों को सटीक रूप से पहचानने और दस्तावेज़ीकरण करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि रिपोर्ट किए गए मामलों में कोई उछाल नहीं दर्ज किया गया है। यह क्षेत्र में स्थिति की व्यापक समझ हासिल करने के लिए बेहतर रिपोर्टिंग तंत्र की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- अफ्रीकी क्षेत्र, विशेष रूप से कैमरून, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और नाइजीरिया में Mpox मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह उछाल इस क्षेत्र में बीमारी का समाधान करने के महत्व पर जोर देता है।
- बढ़े हुए वैश्वीकरण और यात्रा के साथ, वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयास, सहयोग और संसाधन साझा करना Mpox से प्रभावी ढंग से निपटने में महत्वपूर्ण हो गया है।
- Mpox रोगज़नक़ की जीनोमिक निगरानी संपर्क अनुरेखण और इसके मामले बढ़ने की निगरानी को सक्षम बनाती है। हालांकि, विकासशील देशों, विशेष रूप से एशिया में जीनोमिक डेटा की कमी है, जो इन क्षेत्रों में रोग के प्रसार और विकास को समझने की हमारी समझ को बाधित करता है।
- वैश्विक महामारी की स्थिति विकसित होने के बावजूद संक्रमण को नियंत्रित करने और कमजोर आबादी की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाते हुए, भविष्य की चुनौतियों के लिए सतर्कता और तैयारी बनाए रखना आवश्यक हो जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- शिक्षक उपस्थिति निगरानी प्रणाली (TAMS) ऐप:
- यह सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए मेघालय के पूर्वी जयंतिया पहाड़ी जिले में एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में पेश किया गया एक निगरानी ऐप है।
- यह उपस्थिति दर्ज करने वाला एक ऐप है जिसमें चेहरे की पहचान प्रणाली तथा जियोफेंसिंग का उपयोग किया गया है। यह शिक्षकों द्वारा स्कूल में बिताए गए समय को रिकॉर्ड करता है।
- इसमें रजिस्ट्रेशन के लिए सेल्फी लेना होता है।
- चेहरे की पहचान सुविधा यह सुनिश्चित करती है कि केवल निर्दिष्ट शिक्षक ही उपस्थिति को अंकित कर सकता है, जबकि जियोफेंसिंग स्कूल परिसर के भीतर ही उपस्थिति दर्ज करने की सुविधा देता है।
- जियोफेंसिंग में आभासी सीमा निर्धारण के लिए जीपीएस तकनीक का उपयोग होता है। जब कोई मोबाइल डिवाइस किसी विशिष्ट क्षेत्र में प्रवेश करता है या वहां से बाहर जाता है तो यह प्रतिक्रिया करता है।
- सरकारी विद्यालयों में अनुपस्थिति या प्रॉक्सी शिक्षण की समस्या को दूर करने के लिए इस प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है।
- कोरल रीफ शार्क:
- एक वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि प्रवाल भित्तियों (कोरल रीफ) में रहने वाली पांच प्रमुख शार्क प्रजातियों की आबादी में 60-73% की बड़ी गिरावट आई है।
- विशेष रूप से, कुछ शार्क प्रजातियाँ सर्वेक्षण की गई भित्तियों के 34-47% भाग से पूरी तरह से अनुपस्थित थीं।
- ऐसा माना जा रहा है कि इस गिरावट के पीछे प्राथमिक कारक अत्यधिक मछली पकड़ना है, जिसके कारण शार्क की आबादी के साथ-साथ उनके शिकार के स्रोत भी कम हो गए हैं।
- प्रवाल भित्ति पारिस्थितिक तंत्र मानव गतिविधियों – जिसमें तीव्र मछली पकड़ना, पानी की गुणवत्ता में गिरावट, और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं, के बढ़ते दबाव में हैं जो पारिस्थितिक तंत्र कार्यों की एक विस्तृत श्रृंखला के अनुकूल प्रजातियों के लिए खतरा हैं।
- परिणामस्वरूप, प्रवाल भित्ति पारिस्थितिक तंत्र के भीतर रे प्रजाति (ray species) की संख्या में वृद्धि हुई है।
- अध्ययन यह इंगित करता है कि संरक्षित समुद्री अभयारण्य में शार्क समुदाय की बहुलता है, जबकि सीमित नियंत्रण और आर्थिक चुनौतियों वाले क्षेत्रों में रे प्रजातियों की आबादी अधिक है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. प्रवाल भित्तियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)
- ये आम तौर पर उष्णकटिबंधीय और अर्ध-उष्णकटिबंधीय जल तक ही सीमित हैं।
- ये अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर में पाए जाते हैं।
- 1950 के दशक के बाद से प्रवाल भित्तियों में आधे से अधिक की गिरावट आई है क्योंकि इसे जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक मछली पकड़े जाने के प्रभावों से हानि पहुँचती है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (d)
व्याख्या:
- कथन 01 सही है, अधिकांश भित्तियाँ कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं।
- प्रवाल भूमध्य रेखा से दूर उन जगहों पर भी पाए जाते हैं जहां उष्ण कटिबंध से गर्म धाराएं निकलती हैं, जैसे कि फ्लोरिडा और दक्षिणी जापान में।
- कथन 02 सही है, ये अटलांटिक, प्रशांत, हिंद महासागर, कैरेबियन सागर, लाल सागर और फारस की खाड़ी में पाए जाते हैं।
- कथन 03 सही है, 1950 के दशक से प्रवाल भित्तियों में आधे से अधिक की गिरावट आई है क्योंकि इसे जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक मछली पकडे जाने के प्रभावों से नुकसान पहुंचा है। दुनिया भर में, 1957 से आधी सदी में प्रवाल भित्तियों वाले क्षेत्र में 50% की गिरावट आई है।
प्रश्न 2. एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)
- फ्रांस AIIB के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
- चीन AIIB में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है और इसलिए रूस के बाद इसका सबसे बड़ा एकल वोट शेयर है।
- इसका मुख्यालय शंघाई में है।
- बैंक गैर-संप्रभु संस्थाओं को सदस्यता के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है बशर्ते उनके देश सदस्य हों।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- केवल तीन
- सभी चार
उत्तर: (b)
व्याख्या:
- कथन 01 सही है, फ्रांस एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) के 57 संस्थापक सदस्यों में से एक है।
- कथन 02 गलत है, बैंक में 26.61% मतदान शेयरों के साथ चीन सबसे बड़ा शेयरधारक है, इसके बाद भारत (7.6%), रूस (6.01%), और जर्मनी (4.2%) का स्थान है।
- कथन 03 गलत है, इसका मुख्यालय चीन के बीजिंग में है।
- कथन 04 सही है, अन्य बहुपक्षीय विकास बैंक (MDB) के विपरीत, AIIB गैर-संप्रभु संस्थाओं को यह मानते हुए कि उनका देश एक सदस्य है, AIIB सदस्यता के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)
- ये तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में रहने वाले एक द्रविड़ जातीय समूह हैं।
- इस जनजाति का मुख्य पेशा सांप, चूहा पकड़ना और शहद जमा करना रहा है।
उपर्युक्त कथनों में निम्नलिखित में से किसका सर्वोत्तम वर्णन है?
- इरुला
- कोटा
- कुरुम्बा
- टोडा
उत्तर: (a)
व्याख्या: इरुला, जिसे इरुलिगा के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में रहने वाले एक द्रविड़ जातीय समूह हैं।
- इरुला जातीयता के लोग इरुलर कहलाते हैं, और इरुला भाषा बोलते हैं, जो द्रविड़ परिवार से संबंधित है।
- इरुला जनजाति के लोग सांप और चूहे पकड़ने की क्षमता के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) पर और पढ़ें: Particularly Vulnerable Tribal Groups (PVTGs)
प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)
- सेप्सिस जीवन के लिए ख़तरा बनने वाली स्थिति है जो तब उत्पन्न होती है जब संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया अपने स्वयं के ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुंचाती है।
- सेप्सिस बैक्टीरिया के कारण ही होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: (a)
व्याख्या:
- कथन 01 सही है, सेप्सिस किसी संक्रमण के प्रति शरीर की अत्यधिक प्रतिक्रिया है। यह जीवन के लिए घातक बनने वाली चिकित्सा आपात स्थिति है। सेप्सिस तब होता है जब पहले से हुआ संक्रमण पूरे शरीर में एक चेन रिएक्शन को ट्रिगर करता है। सेप्सिस का कारण बनने वाले संक्रमण अक्सर फेफड़े, मूत्र मार्ग, त्वचा, या जठरांत्र संबंधी मार्ग में शुरू होते हैं। समय पर उपचार के बिना, सेप्सिस तेजी से ऊतक क्षति, अंग विफलता और मृत्यु का कारण बन सकता है।
- कथन 02 गलत है, जीवाणु संक्रमण सेप्सिस के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। फंगल, परजीवी और वायरल संक्रमण भी सेप्सिस के संभावित कारण हैं।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने का पात्र हैं? (स्तर-सरल) (PYQ-CSE-2011)
- केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवारों के वयस्क सदस्य
- गरीबी रेखा से नीचे के (BPL) परिवारों के वयस्क सदस्य
- सभी पिछड़े समुदायों के परिवारों के वयस्क सदस्य
- किसी भी परिवार के वयस्क सदस्य
उत्तर: (d)
व्याख्या:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) प्रत्येक ग्रामीण परिवार जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक होते हैं, को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के मजदूरी रोजगार की गारंटी देता है।
- घर के सभी वयस्क सदस्य, पुरुष या महिला, जो अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक होते हैं, जाति, धर्म या समुदाय से परे इस योजना से लाभान्वित होने के पात्र हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत में ज्यादातर मामलों में डायबिटीज का प्रसार हमारी जीवनशैली के कारण हो सकता है। क्या आप सहमत हैं? विस्तार से बताएं। (250 शब्द; 15 अंक) (GSII-स्वास्थ्य संबंधी विषय)
प्रश्न 2. पिछले एक दशक में सरकारी पोर्टलों से डेटा लीक होने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इस संदर्भ में इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डालिए। (250 शब्द; 15 अंक) (GSIII-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)