18 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
सामाजिक न्याय
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: पर्यावरण:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद- 1267 सूची
विषय:महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ।
मुख्य परीक्षा: आतंकवाद रोधी नीतियां
प्रसंग: हाल ही में चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 सूची में पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी को शामिल करने के एक संयुक्त भारत-यू.एस प्रयास को बाधित कर दिया ।
भूमिका:
- चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 सूची में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर साजिद मीर को शामिल करने के भारत-यू.एस के संयुक्त.प्रयास को बाधित कर दिया।
- वह एक पाकिस्तानी आतंकवादी है जो 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के साथ-साथ यू.एस. और डेनमार्क में हमलों का वांछित अपराधी है।
- साजिद मीर भारत की UAPA की मोस्ट वांटेड लिस्ट में और अमेरिकी FBI की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल है।
- 26/11 के हमलों के मुकदमे में, मीर की पहचान अजमल कसाब सहित हमलावरों को भर्ती करने और प्रशिक्षित करने के रूप में की गई थी।
- साजिद मीर अभी आतंकी फंडिंग के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पाकिस्तान की जेल में बंद है।
- तीन महीने में यह तीसरी बार है जब चीन ने UNSC की 1267 सूची में आतंकवादियों को शामिल करने के भारत-अमेरिका के प्रयास को रोक दिया है।
- चीन द्वारा यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद लिया गया, जहां यूरेशियन समूह इस क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ मजबूत और समेकित कार्रवाई करने पर सहमत हुए थे।
पृष्ठभूमि:
- जून 2022 में, चीन ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित करने के भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव को रोक दिया।
- मक्की अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी, लश्कर-ए-तैयबा (LET) प्रमुख और 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बहनोई है।
- भारत और अमेरिका पहले ही अपने घरेलू कानूनों के तहत मक्की को आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध कर चुके हैं।
- चीन ने अगस्त 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के नेता अब्दुल रऊफ अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने से भी रोक दिया था ।
- चीन ने इससे पहले जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को 2019 की सूची में शामिल किए जाने तक वैश्विक आतंकवादी के रूप में इसे शामिल करने के भारत के विभिन्न प्रयासों को अवरुद्ध कर दिया था।
- मसूद अजहर उन बीस 1267-प्रतिबंधित आतंकवादियों में से एक है, जिनके पास पाकिस्तानी राष्ट्रीयता है, और अधिकांश वहीं मौजूद हैं।
UNSC 1267 समिति:
- इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अल-कायदा और ISIL प्रतिबंध समिति के रूप में भी जाना जाता है। यह पहली बार 1999 में स्थापित किया गया था, और सितंबर, 2001 के हमलों के बाद मजबूत हुआ।
- इसमें UNSC के सभी स्थायी और गैर-स्थायी सदस्य शामिल होते हैं।
- यह समिति आतंकवादियों की आवाजाही विशेष रूप से यात्रा प्रतिबंधों से संबंधित, को सीमित करने, संपत्ति की जब्ती और आतंकवाद के लिए हथियारों पर प्रतिबंध के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों पर चर्चा करती है।
- कोई भी सदस्य किसी व्यक्ति, समूह या संस्था को सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता है।
- सूचीबद्ध करने तथा सूची से बाहर रखने पर निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा किसी को आतंकवादी घोषित करने की प्रक्रिया में उस देश जहाँ वह संबंधित व्यक्ति मौजूद है, को तीन कदम उठाने की आवश्यकता होती है – धन और वित्तीय संपत्तियों को फ्रीज करना, यात्रा प्रतिबंध लागू करना, और हथियारों और संबंधित सामग्रियों तक उसकी पहुंच को रोकना।
चिंता:
- आतंकवाद का खतरा गंभीर एवं सार्वभौमिक है और इससे संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के सामूहिक प्रयासों से ही निपटा जा सकता है।
- आतंकवाद को धर्म, विचारधारा, जातीयता या नस्ल के आधार पर सही ठहराना आतंकवादियों को अपनी गतिविधियों को और भी अधिक बढ़ाने के लिए आवश्यक उत्प्रेरक का ही कार्य करेगा।
- भारत ने अतीत में चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की आलोचना की है जो वैश्विक प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन कर रहे हैं जो आतंकवादियों को आश्रय दे रहे हैं और UNSC में प्रस्ताव को रोक रहे हैं जिससे ऐसे आतंकवादी समूहों को अपनी शक्ति और ताकत बढ़ाने में मदद मिलती है।
- आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने से बचाना न केवल चीन की विश्वसनीयता को कम करेगा बल्कि स्वयं को और अन्य देशों को आतंकवाद के बढ़ते खतरे के प्रति “जोखिम को उजागर” करेगा।
- आतंकवाद की एक सार्वभौमिक रूप से सहमत परिभाषा का न होना इस वैश्विक संकट को खत्म करने के साझा लक्ष्य के लिए हानिकारक है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
राष्ट्रीय रसद नीति (National Logistics Policy)
विषय:औद्योगिक नीति में परिवर्तन और औद्योगिक विकास पर उनके प्रभाव
मुख्य परीक्षा: बुनियादी ढांचे के विकास पर नीतियां
प्रसंग: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय रसद नीति (National Logistics Policy) का शुभारंभ किया।
पृष्ठभूमि:
- अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में रसद लागत अधिक है। अनुमान है कि भारत की रसद लागत इसके सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 14% है।
- कम रसद लागत मूल्यवर्धन और उद्यम को प्रोत्साहित करके घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करती है।
- 2014 से, सरकार ने ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस दोनों को बेहतर बनाने पर काफी जोर दिया है।
- वित्त मंत्री द्वारा 2022-23 के केंद्रीय बजट में राष्ट्रीय रसद नीति की घोषणा की गई थी।
राष्ट्रीय रसद नीति:
- राष्ट्रीय रसद नीति देश के 150 अरब डॉलर के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के विकास के लिए एक अंतर्विषयक रूपरेखा के साथ उच्च रसद लागत के समाधान का एक व्यापक प्रयास है।
- नई रसद नीति में 04 महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं:
- डिजिटल सिस्टम का एकीकरण (IDS)
- यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP);
- ईज ऑफ लॉजिस्टिक्स (ELOG); तथा
- प्रणाली सुधार समूह (SIG)।
- यह नीति प्रोसेस री-इंजीनियरिंग, डिजिटाइजेशन और मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
चित्र स्त्रोत: moneyControl
नीति का महत्व:
- विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और उभरते हुए विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत को एक ऐसी नीति की आवश्यकता है जो भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने, आर्थिक विकास को बढ़ाने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में सहायक हो ।
- यह नीति सरकार को रसद क्षेत्र की लागत को कम करने, सभी रसद और व्यापार सुविधा मामलों के लिए एक संदर्भ बिंदु बनाने का अधिकार प्रदान करती है।
- भारतीय रसद क्षेत्र 22 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है और इस क्षेत्र में सुधार से अप्रत्यक्ष रसद लागत में 10% की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8% की वृद्धि होगी।
- इससे सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केटप्लेस तैयार होगा तथा कौशल विकास व MSME को प्रतिस्पर्धी बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
राष्ट्रीय रसद नीति को और अधिक मजबूत बनाने के लिए सहायक नीतियां:
- अक्टूबर 2021 में शुरू की गई पीएम गतिशक्ति इस दिशा में एक अग्रणी कदम था। राष्ट्रीय रसद नीति के शुभारंभ के साथ पीएम गतिशक्ति को और बढ़ावा और पूरकता मिलेगी।
- जीएसटी की शुरुआत से रसद और परिवहन क्षेत्र में दक्षता आई है। इससे ट्रकों के टर्नअराउंड समय में 20% से अधिक की कमी हुई है।
- सीमा शुल्क और ई-वे बिल में फेसलेस मूल्यांकन और FASTag से रसद क्षेत्र में दक्षता आ रही है।
- बंदरगाहों और समर्पित माल गलियारों को जोड़ने वाली सागरमाला परियोजना ने रसद कनेक्टिविटी और व्यवस्थित बुनियादी ढांचे के विकास कार्य में सुधार किया है।
- महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्राम भंडारण योजना बीजों के लिए बैकवर्ड लिंकेज प्रदान करेगी जिससे रसद लागत कम हो जाएगी। इस उद्देश्य के लिए मुद्रा ऋण और नाबार्ड के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
सारांश: राष्ट्रीय रसद नीति एंड-टू-एंड लॉजिस्टिक्स सेवाओं के लिए एक एकीकृत नीति व नियामक वातावरण और एक व्यापक संस्थागत ढांचे की सुविधा प्रदान करेगी जो लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को नियंत्रित करेगी तथा इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगी। राज्य और केंद्र सरकार दोनों रसद के लिए एक मास्टर प्लान तैयार करेंगे। इससे विभिन्न मंत्रालयों द्वारा मल्टी मॉडल, इष्टतम मॉडल मिश्रण सुनिश्चित करने पर ध्यान जाएगा तथा पहले और अंतिम मील कनेक्टिविटी संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए नियोजित परियोजनाएँ इसके तहत आएँगी। |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
बाल कल्याण समितियां
विषय:महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दे
मुख्य परीक्षा: भारत में बाल कल्याण पर नीतियां
प्रसंग: किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 में यह प्रावधान है कि राज्यों को प्रत्येक जिले के लिए एक या अधिक बाल कल्याण समितियों (CWC) का गठन करना चाहिए।
भूमिका:
- इस अधिनियम में प्रावधान है कि राज्यों को प्रत्येक जिले के लिए एक या अधिक बाल कल्याण समितियों का गठन करना चाहिए।
- यह अधिनियम बाल कल्याण समितियों में सदस्यों की नियुक्ति के लिए कई मानदंड प्रस्तुत करता है। उदाहरण के लिए, एक सदस्य को: (i) स्वास्थ्य, शिक्षा, या बच्चों के कल्याण में कम से कम सात साल का अनुभव होना चाहिए, या (ii) बाल मनोविज्ञान, मनोचिकित्सक, विधि या सामाजिक कार्य में डिग्री के साथ एक पेशेवर होना चाहिए।
- विधेयक में किसी व्यक्ति के CWC का सदस्य बनने से अपात्र होने के लिए कुछ मानदंड है। इनमें शामिल हैं: (i) मानवाधिकारों या बाल अधिकारों के उल्लंघन का कोई रिकॉर्ड होना, या (ii) किसी जिले में चाइल्ड केयर संस्थान के प्रबंधन का हिस्सा होना।
- राज्य सरकार द्वारा गठित CWC के पास सामने लाए गए देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के मामलों को देखने का अधिकार है।
- यह बच्चों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए जांच का आदेश भी दे सकता है और परिवार या अभिभावक, गोद लेने, पालक देखभाल या बाल देखभाल संस्थानों में भेजने के माध्यम से परिवार-आधारित देखभाल में उनके पुनर्वास के लिए आदेश दे सकता है।
हालिया बदलाव:
- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण संशोधन) मॉडल संशोधन नियम, 2022 को 1 सितंबर 2022 को अधिसूचित किया गया और यह तत्काल प्रभाव में आ गया।
- नियम अधिनियम के विभिन्न पहलुओं में कई बदलाव करते हैं, जिनमें गोद लेने, पालक देखभाल और स्पोंसरशिप को नियंत्रित करने वाले नियम में बदलाव और CWC में शामिल होने के लिए पात्रता मानदंड को संशोधित करना शामिल है।
- ये नियम विदेशी धन प्राप्त करने वाले संगठन से जुड़े व्यक्ति को बाल कल्याण समितियों (CWC) का हिस्सा बनने से रोकते हैं।
- नियम में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी गैर सरकारी संगठन या संगठन में अधिनियम के क्रियान्वयन पर काम करने वाला कोई भी व्यक्ति, जो हितों के टकराव का कारण बनता है, वह भी CWC में शामिल होने के लिए पात्र नहीं होगा।
- इसमें कहा गया है कि जिनके “परिवार का कोई सदस्य” या “करीबी संबंधी” NGO के लिए काम करते है, उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
नए नियमों का महत्व:
- CWC और राज्य बाल संरक्षण इकाइयों के तहत बाल देखभाल संस्थानों में बहुत कम निगरानी थी और उनमें से अधिकांश किशोर न्याय अधिनियम के नियमों और विनियमों के अनुरूप नहीं थे और उनके प्रबंधन में बड़ी कमियां थीं।
- नवीन संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी के बिना कोई भी नया बाल गृह नहीं खोला जा सकता है।
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने आरोप लगाया है कि देश में कई बाल देखभाल संस्थान अवैध रूप से चलाए जा रहे हैं और कुछ संदिग्ध विदेशी संगठनों से धन प्राप्त कर रहे हैं।
- NCPCR सर्वेक्षण के दौरान, विदेशी फंडिंग वाली बाल कल्याण संस्थानों में बच्चों को अस्वच्छ परिस्थितियों में रखते हुए पाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप उन 500 अवैध बाल कल्याण संस्थानों को बंद कर दिया गया था जो किशोर न्याय अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं थे।
- नवीन नियम में गैर सरकारी संगठनों में काम करने वाले रिश्तेदारों या विदेशी धन प्राप्त करने के कारण CWC में होने वाले हितों के संभावित टकराव की समस्या का समाधान है।
सारांश: बाल कल्याण समितियों को बच्चों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा गया है और उन्हें एक मजिस्ट्रेट की शक्ति दी गई है तथा उन्हें सरकार से वेतन भी मिलता है। CWC का हिस्सा बनने से विदेशी धन प्राप्त करने वाले संगठन से जुड़े किसी व्यक्ति को रोकने वाले नए नियम उन अन्य सरकारी अधिकारियों के मामले के समान हैं, जिन्हें FCRA के तहत विदेशी धन प्राप्त करने से रोक दिया गया है।
संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
पर्यावरण
क्या उत्सर्जन संबंधित समय सीमा बढ़ा दी गई है?
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और संरक्षण
मुख्य परीक्षा: ताप विद्युत संयंत्रों के लिए उत्सर्जन मानदंड।
संदर्भ: प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियों के संबंध में ताप विद्युत संयंत्रों के लिए नए दिशानिर्देश।
विवरण:
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा देश के ताप विद्युत संयंत्रों (TPP) में प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियों को स्थापित करने की समय सीमा तीसरी बार बढ़ा दी गई है।
- कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और मरकरी (Hg) को नियंत्रित करने के लिए, भारत ने 2015 में अपना पहला उत्सर्जन नियंत्रण मानदंड पेश किया। इसके तहत, ताप विद्युत संयंत्रों (TPP) को 2017 की समय सीमा दी गई थी।
अधिसूचना संबंधित विवरण:
- संशोधित पर्यावरण (संरक्षण अधिनियम), 1986 के आधार पर अप्रैल 2021 में बिजली संयंत्रों का वर्गीकरण विभिन्न श्रेणियों में किया गया था।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने विभिन्न प्रकार के ताप विद्युत संयंत्रों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियों की स्थापना के लिए तीन अलग-अलग समय सीमाएं निर्धारित की हैं:
- दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र और 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के 10 किमी के दायरे में मौजूद ताप विद्युत संयंत्रों (TPP) के लिए: नई समय सीमा 31 दिसंबर, 2024 है। इस श्रेणी के लिए पहले की समय सीमा दिसंबर 2022 थी।
- गंभीर रूप से प्रदूषित शहरों के 10 किमी के दायरे में मौजूद ताप विद्युत संयंत्र (TPP): इस श्रेणी के लिए समय-सीमा 31 दिसंबर, 2023 की पूर्व सीमा के विपरीत संशोधित कर 31 दिसंबर, 2025 कर दी गई है।
- पूरे भारत में मौजूद अन्य सभी बिजली संयंत्रों के लिए, समय सीमा 31 दिसंबर, 2024 से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2026 कर दी गई है।
- 25 वर्ष से अधिक पुराने (सेवा से बाहर होने वाली इकाइयां) बिजली संयंत्रों के लिए, नई समय-सीमा 2027 है और उन इकाइयों के लिए जो सेवा से बाहर नहीं होने वाली हैं, समय-सीमा 2026 है।
- इसके अलावा, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) के लिए उत्सर्जन मानदंडों एवं जल की मात्रा को कम करने के मौके पर अधिसूचना जारी की गई थी।
- जनवरी 2017 के बाद स्थापित TPP के लिए जल मानदंडों को 2.5 क्यूबिक मीटर प्रति मेगावाट-घंटे की पूर्व सीमा के विपरीत 3 क्यूबिक मीटर प्रति मेगावाट-घंटे तक कर दिया गया था। ये मानदंड जून 2018 में निर्धारित किए गए थे।
- मई 2019 में, NOx के लिए समान मानदंड निर्धारित किए गए थे। NOx उत्सर्जन की सीमा 300 मिलीग्राम प्रति घन मीटर से बढ़ाकर 450 मिलीग्राम प्रति घन मीटर कर दी गई।
नए दिशानिर्देशों से जुड़ी चिंताएं:
- देश भर के पर्यावरणविदों ने इस तरह समय सीमा के कमजोर पड़ने और विस्तार को लेकर आशंका जताई है।
- 2015 के बाद से जिस तरह से नए दिशा-निर्देश बनाए गए हैं, वह अक्सर चिंताजनक बताया जाता है। यह तर्क दिया जाता है कि यह संभावित रूप से भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों में सेंध लगा सकता है और देश के वायु प्रदूषण परिदृश्य को और खराब कर सकता है।
- फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (FGD) तकनीक के प्रयोग से TPP का उत्सर्जन योगदान SO2 उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए जारी पहली अधिसूचना (यह सात साल पहले जारी किया गया था) के बाद से बहुत कम है।
- FGD को कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के निकास उत्सर्जन से उत्पन्न सल्फर यौगिकों को खत्म करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है। इस प्रक्रिया में एक शोषक पदार्थ का उपयोग किया जाता है, जो ग्रिप गैस (flue gas) से 95% तक सल्फर को स्क्रबिंग द्वारा समाप्त कर सकता है।
- SO2 का उन्मूलन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसका भारत में वायु प्रदूषण में प्रमुख योगदान है।
भारत में डिसल्फराइजेशन इकाइयों की वर्तमान स्थिति:
- फरवरी 2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने प्रकाश डाला है कि भारत की 600 इकाइयों में 211.6 गीगावॉट की कुल तापीय बिजली में से देखा जाए तो 20 इकाइयों में केवल 8.2 गीगावॉट में FGD को अपनाया गया है।
- FGD तकनीक को अपनाने की प्रक्रिया में समय लगता है और आमतौर पर प्रयोग में लाने में लगभग 36-42 महीने लगते हैं।
- केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि FGD तकनीक की स्थापना के लिए बोलियां 85.7 गीगावॉट उत्पन्न करने वाले बिजली संयंत्रों को प्रदान की गई हैं जो लगभग 190 इकाइयों में हैं।
चुनौतियां जो मौजूद हैं:
- ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर जोर देने के बाद भी, भारत कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों पर काफी निर्भर है। यह देश के कुल बिजली उत्पादन का लगभग 75% हिस्सा है।
- जिस गति से FGD की स्थापना के लिए बोलियां प्रदान की गई हैं, वह अपर्याप्त है। इसका परिणाम यह होगा कि अधिकांश TPP नए लक्ष्यों से भी चूक जाएंगे।
- इसके अलावा, मूल्य वृद्धि कारक के अलावा FGD के घटकों की आपूर्ति के लिए विक्रेताओं की कमी है। यह महामारी से और भी बदतर हो गया जिसके परिणामस्वरूप आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और मानव संसाधन की कमी हुई।
- भारत उत्सर्जन में कमी वाले घटकों के केवल 20 से 30% का निर्माण करता है और चीन से आयात पर बहुत निर्भर है।
- यह पूर्णतः स्पष्ट है कि यदि समय-सीमा बार-बार बढ़ती है, तो भारत राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत निर्धारित वर्ष 2024 तक 20-30% कटौती के अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएगा।
सारांश:
पर्यावरणविदों ने उत्सर्जन मानदंडों को कम करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नई अधिसूचना की आलोचना की है। समय-सीमा के लगातार विस्तार के साथ ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों की ओर गमन बहुत कठिन हो जाएगा। जलवायु संकट के वर्तमान परिदृश्य में संबंधित अधिकारियों द्वारा पर्यावरणीय स्थिरता के मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
क्या कॉमनवेल्थ का भविष्य बदलेगा?
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ
मुख्य परीक्षा: ब्रिटिश रानी की मृत्यु के परिणामों का विश्लेषण।
प्रसंग: यूनाइटेड किंगडम की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु।
विवरण:
- महारानी 14 राष्ट्रमंडल देशों की राष्ट्राध्यक्ष थीं और वह सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली (सत्तर वर्ष) शासिका थीं।
- उनके शासनकाल के दौरान राष्ट्रमंडल देशों की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जो उनकी मृत्यु के बाद और अधिक गति से जारी रहेगा। कई विद्वानों द्वारा अक्सर इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि अधिकांश देश बारबाडोस के समान ब्रिटिश सम्राट को राष्ट्र के प्रमुख के पद से हटा देंगे।
- बारबाडोस 2021 में हेड ऑफ स्टेट को नेशनल गवर्नमेंट फंक्शनरी के साथ प्रतिस्थापित करने वाला अठारहवां देश था।
अधिक जानकारी के लिए 09 सितंबर 2022 के विस्तृत समाचार विश्लेषण को पढ़ें:
राष्ट्रमंडल और उसके क्षेत्र:
- यह 56 देशों का समूह है जो पहले ब्रिटिश उपनिवेश थे। इसके सदस्य देश ज्यादातर अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत में स्थित हैं।
- इसमें तीन विकसित देशों ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के साथ साइप्रस, माल्टा और यूके जैसे तीन यूरोपीय देश भी शामिल हैं।
- इसमें क्षेत्र और गणराज्य दोनों शामिल हैं। क्षेत्र का नेतृत्व ब्रिटिश सम्राट द्वारा किया जाता है, जबकि गणराज्यों पर निर्वाचित प्रतिनिधियों का शासन होता है। एकमात्र अपवाद ब्रुनेई दारुस्सलाम, इस्वातिनी, लेसोथो, मलेशिया और टोंगा हैं जिनकी अपनी स्व-शासित राजशाही है।
- क्षेत्र में एंटीगुआ और बारबुडा, ऑस्ट्रेलिया, बहामास, बेलीज, कनाडा, ग्रेनेडा, जमैका, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, सेंट किट्स एंड नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, सोलोमन द्वीप और तुवालु शामिल हैं।
- इस समूह के देश एक दूसरे के साथ अच्छे संबंध रखते हैं और राष्ट्राध्यक्षों की बैठक जैसी पहलों के माध्यम से समन्वय की नीति को बढ़ावा देते हैं।
ब्रिटिश राजशाही के साथ औपचारिक संबंध समाप्त करने वाले देश:
- ऑस्ट्रेलिया में लोकप्रिय आंदोलन हुए हैं जिससे गणतंत्र की स्थापना की उम्मीद है। इस संबंध में, एक मंत्री एक गणतंत्र देश की ओर क्रमिक परिवर्तन के लिए एक प्रस्ताव तैयार करेगा। आने वाले महीनों में ब्रिटिश राजशाही के साथ आधिकारिक संबंध तोड़ने के लिए इस संबंध में एक जनमत संग्रह कराया जाएगा।
- इसी तरह, बहामास के प्रधानमंत्री ने भी राजा को राज्य के प्रमुख के रूप में उसकी आधिकारिक भूमिका से हटाने के लिए एक जनमत संग्रह कराने का मत व्यक्त किया है। गौरतलब है कि बहामास को 1973 में आजादी मिली थी।
- पांच अन्य कैरेबियाई देश एंटीगुआ और बारबुडा, बेलीज, ग्रेनाडा, जमैका और सेंट किट्स एंड नेविस के विचार भी ऐसे ही हैं।
- न्यूजीलैंड ने कहा कि वह ब्रिटिश राजशाही का समर्थन करना जारी रखेगा, लेकिन भविष्य में एक गणतंत्र बनने के लिए भी तत्पर रहेगा।
सारांश:
- रानी की मृत्यु से राष्ट्रमंडल क्षेत्रों में परिवर्तन की हवा चलेगी और इसके परिणामस्वरूप ये स्वयं को गणतंत्र के रूप में स्थापित कर सकते है।
प्रीलिम्स तथ्य:
- चीता:
विषय: जैवविविधता और पर्यावरण
प्रारंभिक परीक्षा: विलुप्त प्रजाति
प्रसंग
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर 2022 को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को छोड़ा।
पृष्ठभूमि:
- चीतों के विश्व के पहले अंतर-महाद्वीपीय स्थानान्तरण के अंतर्गत 08 जंगली चीतों को नामीबिया से भारत ले जाया गया।
- 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
- विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के अनुसार, चीता दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका में पाए जाते हैं, विशेष रूप से नामीबिया, बोत्सवाना, केन्या और तंजानिया में।
- यह परियोजना वन्यजीवों और आवासों को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने के भारत के प्रयासों का एक हिस्सा है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- टाइफून नानमाडोल
- जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने नानमाडोल तूफान से पहले निवासियों से क्यूशू के दक्षिणी द्वीप के कुछ हिस्सों को खाली करने का आग्रह किया।
- टाइफून नानमाडोल जापान के लिए सबसे विनाशकारी उष्णकटिबंधीय तूफान का रूप धारण कर सकता है।
- जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने कागोशिमा प्रांत के लिए उच्चतम अलर्ट जारी किया, यह एक ऐसी चेतावनी है जो तब दी जाती है जब कई दशकों में एक बार देखी जाने वाली भयावह स्थितियों का पूर्वानुमान लगाया जाता है।
- टाइफून उष्णकटिबंधीय चक्रवात हैं जो प्रशांत महासागर के पश्चिमी भाग में उत्पन्न होते हैं। ये जापान, चीन, फिलीपींस आदि के तटों पर उत्पन्न होते हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. लोकायुक्तों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- इस संस्था की स्थापना सबसे पहले राजस्थान राज्य में हुई थी।
- बिहार, महाराष्ट्र और राजस्थान में लोकायुक्त के लिए न्यायिक योग्यता निर्धारित है।
- अधिकांश राज्यों में लोकायुक्त स्वत: संज्ञान लेकर जांच शुरू कर सकते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 3
- 1, 2 और 3
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है, लोकायुक्त की स्थापना पहली बार 1971 में महाराष्ट्र में की गई थी। हालांकि ओडिशा ने इस संबंध में 1970 में एक अधिनियम पारित किया था, लेकिन यह 1983 में लागू हुआ था।
- कथन 2 गलत है, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक और असम राज्यों में लोकायुक्त के लिए न्यायिक योग्यता निर्धारित है। लेकिन बिहार, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्यों में कोई विशिष्ट योग्यता निर्धारित नहीं है।
- कथन 3 सही है, लोकायुक्त अधिकांश राज्यों में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर जांच शुरू कर सकता है।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- इस अनुसूची में शामिल कानूनों को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर न्यायिक जांच से बचाने के लिए इंदिरा गांधी सरकार द्वारा 42वें संशोधन द्वारा इसे जोड़ा गया था।
- यहां तक कि नौवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले कानून भी जांच के लिए खुले होंगे यदि वे मौलिक अधिकारों या संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करते हैं।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है, मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर नौवीं अनुसूची में शामिल कानूनों को न्यायिक जांच से बचाने के लिए इस अनुसूची को प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम 1951 के द्वारा जोड़ा गया।
- कथन 2 सही है, इस अनुसूची में केंद्रीय और राज्य कानूनों की एक सूची है, जिन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। पहले संशोधन के माध्यम से अनुसूची में 13 कानून जोड़े गए। लेकिन, नौवीं अनुसूची के तहत आने वाले कानून का न्यायिक परीक्षण किया जा सकता है यदि वे मौलिक अधिकारों या संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करते हैं।
प्रश्न 3. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:
घाटीराज्य/केंद्र शासित प्रदेश
- बेताब उत्तराखंड
- लिद्दर सिक्किम
- पहलगाम जम्मू और कश्मीर
- स्पीति हिमाचल प्रदेश
उपर्युक्त युग्मों में से कितने सुमेलित हैं?
- केवल एक युग्म
- केवल दो युग्म
- केवल तीन युग्म
- सभी चारों युग्म
उत्तर: b
व्याख्या:
- युग्म 1 सुमेलित नहीं है, बेताब घाटी, जिसे मूल रूप से हजान घाटी कहा जाता है, जम्मू और कश्मीर में स्थित है।
- युग्म 2 सुमेलित नहीं है, लिद्दर घाटी जम्मू और कश्मीर में स्थित है। इसकी सीमा पश्चिम में कश्मीर घाटी और उत्तर में सिंध घाटी से लगती है। लिद्दर नदी इस घाटी से होकर प्रवाहित होती है।
- युग्म 3 सुमेलित है, पहलगाम घाटी जम्मू और कश्मीर में स्थित है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो अमरनाथ यात्रा के वार्षिक तीर्थयात्रा से जुड़ा हुआ है।
- युग्म 4 सुमेलित है, स्पीति घाटी हिमाचल प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है।
प्रश्न 4. समुद्री खीरे (सी कुकुम्बर – एक समुद्री जीव) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- ये समुद्री अकशेरुकी प्राणी है जो केवल खारे पानी में पाए जाते हैं।
- भारत में इस जीव को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
- ब्राउन सी कुकुम्बर को IUCN द्वारा संकटग्रस्त (endangered) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है, समुद्री खीरे समुद्री अकशेरुकी प्राणी हैं, जो आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र तल पर पाए जाते हैं
- कथन 2 सही है, ये वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972 के अनुसूची I के तहत संरक्षित हैं। इस अधिनियम के तहत उनका व्यापार प्रतिबंधित है।
- कथन 3 सही है, ब्राउन सी कुकुम्बर को IUCN की लाल सूची में लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, ब्लैकस्पॉटेड सी कुकुम्बर को कम चिंतनीय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:
शिखर पर्वत
- नामचा बरवा – गढ़वाल हिमालय
- नंदा देवी – कुमाऊं हिमालय
- नोकरेक – सिक्किम हिमालय
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सुमेलित है/हैं?
- 1 और 2
- केवल 2
- 1 और 3
- केवल 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- युग्म 1 सुमेलित नहीं है, नामचा बरवा को हिमालय का पूर्वी बिंदु माना जाता है और यह भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के सबसे पूर्व में स्थित है।
- युग्म 2 सुमेलित है, उत्तराखंड में स्थित नंदा देवी भारत का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है और यह सतलुज और काली नदी के बीच स्थित कुमाऊं हिमालय का हिस्सा है।
- युग्म 3 सुमेलित नहीं है, नोकरेक मेघालय की पश्चिमी गारो पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
- देश के ताप विद्युत संयंत्रों (TPP) में प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियों को अपनाने की समय सीमा को बढ़ाने से प्रदूषण में और वृद्धि हो सकती है। परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)। (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3- पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
- आर्थिक विकास का केंद्र होने के बावजूद भारत का रसद क्षेत्र खंडित और अविनियमित है। इस कथन के आलोक में, राष्ट्रीय रसद नीति पर टिप्पणी कीजिए और किस प्रकार यह लागत को कम करेगी और नियमों को सुव्यवस्थित करेगी, समझाइए। (15 अंक, 250 शब्द)। (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3-अर्थव्यवस्था)