21 अक्टूबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: सामाजिक मुद्दे:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
यू.के. में राजनीतिक संकट:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: यूरोप में राजनीतिक और आर्थिक संकट।
संदर्भ:
- ब्रिटेन में गहराते राजनीतिक संकट के बीच वहां की प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस (Liz Truss) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
विवरण:
- ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका कार्यकाल केवल 44 दिनों का रहा। इसके साथ ही ब्रिटिश इतिहास में वह सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाली नेता बन गई हैं।
- ट्रस ने यह इस्तीफा 1922 समिति के अध्यक्ष के साथ एक बैठक के बाद दिया हैं। यह (1922 समिति) बिना मंत्री पद वाले कंजर्वेटिव सांसदों का एक समूह है जो प्रधानमंत्री के संबंध में अविश्वास पत्र प्रस्तुत कर सकता है।
- हाउस ऑफ कॉमन्स के सत्र के दौरान 1922 समिति की सप्ताह में दो बार बैठक होती है और इसका समर्थन प्रधानमंत्री के लिए महत्वपूर्ण होता है।
- हाल के दिनों में वर्तमान सरकार में कार्यरत पूर्व चांसलर क्वासी क्वार्टेंग और गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन सहित कई हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों द्वारा इस्तीफे दिए गए हैं।
पृष्ठभूमि:
- ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (Office for National Statistics (ONS)) के आकड़ों से पता चलता है कि यूके की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) अगस्त 2022 तक तीन महीनों में 0.3% गिर गई थी।
- ब्रिटेन की मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 10.1% हो गई, जो 40 साल के उच्च स्तर पर है।
चित्र स्रोत: The Hindu
- बैंक ऑफ इंग्लैंड ने पहले कहा था कि उसे वर्ष 2022 के अंत तक ब्रिटेन के मंदी की चपेट में आने का अनुमान है।
- बैंक ऑफ इंग्लैंड ने कीमतों में तीव्र वृद्धि (विशेष रूप से ऊर्जा के लिए) के लिए ब्रिटेन की आर्थिक समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया है।
- प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस ने सितंबर 2022 में ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करने और देश को “दीर्घकालिक सफलता” के रास्ते पर लाने का वादा करते हुए पदभार ग्रहण किया था।
- हालाँकि, उनका कार्यकाल उथल-पुथल भरा रहा क्योंकि गिरवी दरों (mortgage rates) में वृद्धि हुई है, पाउंड रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गया है और बांड बाजारों में फ़ैली अराजकता ने देश की वित्तीय स्थिरता को खतरे में डाल दिया है।
- ट्रस द्वारा 105 अरब पाउंड की कर कटौती करने और एक मिनी-बजट में खर्च बढ़ाने की घोषणा करने के उनके निर्णय ने (इस बारे में विवरण प्रदान किए बिना कि प्रशासन इसका भुगतान कहाँ से और कैसे करेगा) बढ़ते सार्वजनिक ऋण को लेकर बाजारों की चिंताओं को बढ़ा दिया था।
- विशेषज्ञों और बाजारों द्वारा इसकी भारी आलोचना की गई थी।
- पहली नीति के तहत £1,50,000 या इससे अधिक आय पर लगने वाले 45% कर को समाप्त करने की योजना थी।
- दूसरी नीति के तहत अप्रैल 2023 से कॉर्पोरेट कर में 19% से 25% तक वृद्धि करने की योजना को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया था। एक साथ किये जाने वाले इन दो उपायों से कर में 45 बिलियन की कटौती का अनुमान था।
- इन उपायों ने अपने बिलों को भुगतान करने की सरकार की क्षमता में विश्वास को कमजोर कर दिया और एक नए प्रधानमंत्री की आर्थिक साख के बारे में सवाल उठाए, जिन्होंने सत्तारुढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व के लिए एक गहन विभाजनकारी मुकाबले के बाद पदभार संभाला था।
इन नीतियों के क्या परिणाम हुए?
- नई प्रधानमंत्री के मिनी बजट ने बाजारों में ऐसी मची अफरा-तफरी मचा दी कि बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank of England (BoE)) को पेंशन उद्योग, आसमान छूती सरकारी उधारी लागत, गिरते पाउंड और गिरवी दरों (mortgage rates) में वृद्धि से बचने में मदद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- ट्रस सरकार द्वारा अपनी दो विवादास्पद कर नीतियों पर यू-टर्न के बावजूद उधार लेने की लागत में वृद्धि जारी है।
- सार्वजनिक वित्त की स्थिरता के संबंध में बढ़ती चिंता के बीच सरकारी बांडों पर प्रतिफल – सरकारी ऋण धारण करने की एवज में निवेशकों द्वारा मांग किया जाने वाले प्रतिफल – में वृद्धि हुई है।
- इससे सरकारी उधारी लागत की कीमत बढ़ जाती है। 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल अक्टूबर में बढ़कर 4.53% हो गया था, जो सितंबर, 2022 में 3.37% था।
सारांश:
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- भारत-ब्रिटेन संबंधों पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: India-UK Relations
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा गूगल पर जुर्माना:
राजव्यवस्था:
विषय: वैधानिक, नियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय।
मुख्य परीक्षा: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका।
संदर्भ:
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ( Competition Commission of India (CCI)) ने हाल ही में गूगल (Google) पर ₹1,337.76 करोड़ का जुर्माना लगाया है।
विवरण:
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल पर “एंड्रॉयड मोबाइल डिवाइस इकोसिस्टम” के बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने” को लेकर ₹1,337.76 करोड़ का जुर्माना लगाया है।
- इसके अलावा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने प्रमुख इंटरनेट कंपनी को अनुचित कारोबारी गतिविधियों को “रोकने और बंद” (cease and desist) करने का आदेश भी जारी किया है और गूगल को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने कामकाज के तरीके को संशोधित करने का भी निर्देश दिया है।
- आयोग ने कहा है कि मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) को एप्लीकेशनों के एक समूह को प्री-इंस्टॉल करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
- इसने गूगल को यह भी आदेश दिया कि वह स्मार्टफोन निर्माताओं को अपनी सर्च सेवाओं के लिए कोई प्रोत्साहन न दे।
- आयोग गूगल के स्मार्ट टीवी बाजार और इन-ऐप भुगतान प्रणाली के संबंध में व्यावसायिक आचरण की भी जांच कर रहा है।
- गूगल का एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम भारत के 600 मिलियन स्मार्टफ़ोन में से 97% में इस्टाल है।
मामला क्या है?
- गूगल भारत में अविश्वास के कई मामलों और तकनीकी क्षेत्र के सख्त विनियमन का सामना कर रहा है।
- वर्तमान समस्या 2005 में गूगल द्वारा अधिग्रहित एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) से संबंधित है।
- एंड्रॉइड स्मार्टफोन और टैबलेट के मूल उपकरण निर्माताओं (Original Equipment Manufacturers (OEMs)) द्वारा इंस्टाल किया जाने वाला एक ओपन-सोर्स, मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है।
- अप्रैल 2019 में, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने देश में एंड्रॉइड-आधारित स्मार्टफोन के उपभोक्ताओं की शिकायतों के बाद मामले की विस्तृत जांच का आदेश दिया था।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, आयोग द्वारा आदेशित दो साल की जांच में पाया गया कि गूगल इंडिया सर्च, म्यूजिक, ब्राउज़र, ऐप लाइब्रेरी और अन्य प्रमुख सेवाओं में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए बाजार में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बाधित कर रहा था।
- आयोग ने गूगल के लाइसेंस के संबंध में इसकी कई प्रथाओं और विभिन्न स्वामित्व वाले इसके कई मोबाइल एप्लिकेशन की जांच की, जिसमें Play Store, Google Search, Google Chrome, YouTube, आदि शामिल हैं।
- आयोग के मुताबिक गूगल का अंतिम उद्देश्य अपने व्यवसायिक प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं को बढ़ाना है, ताकि वे उसकी राजस्व उत्पन्न करने वाली सेवाओं अर्थात ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करें जो सीधे गूगल द्वारा ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं की बिक्री को प्रभावित करता है।
- CCI ने कहा कि मोबाइल एप्लिकेशन डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंट (MADA) ने एंड्रॉइड उपकरणों में प्रमुख सर्च एंट्री पॉइंट यानी सर्च ऐप, विजेट (widget) और क्रोम सर्च ब्राउजर को इंस्टॉल करने में मदद की है। इसने कथित तौर पर एक अन्य राजस्व अर्जित करने वाले ऐप, YouTube के संबंध में अपने प्रतिस्पर्धियों पर एक महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान की है।
- CCI ने निष्कर्ष निकाला कि MADA के तहत संपूर्ण गूगल मोबाइल सूट की अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन उपकरण निर्माताओं पर अनुचित शर्तें थोपता है और इस तरह प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन करता है।
गूगल के साथ पिछले मुद्दे:
- CCI द्वारा गूगल पर वर्ष 2018 में “खोज पूर्वाग्रह” (search bias) और अपनी “प्रमुख स्थिति” (dominant position) का दुरुपयोग करने के लिए 135.86 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
- यह आदेश भारत मैट्रिमोनी डॉट कॉम और कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसाइटी (Consumer Unity & Trust Society (CUTS)) द्वारा 2012 में दायर की गई शिकायतों के बाद आया था।
- गूगल को सर्च परिणामों को प्रदर्शित करके “सर्च” करने के संबंध में पक्षपाती पाया गया था, जो बाजार के अन्य प्रतिस्पर्धियों और अप्रत्यक्ष रूप से, उपयोगकर्ताओं के लिए भी हानिकारक था। इस प्रकार, इसने अपनी प्रमुख बाजार स्थिति का दुरुपयोग किया था।
- वर्ष 2013 में, यूएस फ़ेडरल ट्रेड कमीशन ने गूगल की व्यावसायिक प्रथाओं पर नज़र रखनी शुरु की थी, हालाँकि गूगल द्वारा अपने सर्च और AdWords व्यवसाय में दो परिवर्तन करने के आश्वासन के बाद कमीशन ने अपनी अविश्वास समीक्षा को बंद कर दिया था।
- फरवरी 2014 में, गूगल ने यूरोपीय आयोग के साथ एक समझौता किया, जो गूगल की अनुचित व्यापार प्रथाओं की जांच कर रहा था। गूगल ने कहा कि वह हर बार खरीदारी और यात्रा से संबंधित खोजों के लिए अपने स्वयं के परिणाम दिखाने के साथ-साथ कम से कम 3 प्रतिस्पर्धियों के परिणाम दिखाएगा।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
तमिलनाडु के गिद्ध:
पर्यावरण:
विषय: संरक्षण
मुख्य परीक्षा: गिद्धों की आबादी को बचाने हेतु उनके संरक्षण के लिए किए जाने वाले प्रयास।
संदर्भ:
- तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में गिद्धों के प्रभावी संरक्षण के लिए एक संस्थागत ढांचा स्थापित करने हेतु एक समिति का गठन किया है।
विवरण:
- तमिलनाडु गिद्धों की चार प्रजातियों का घर है – सफेद दुम वाले गिद्ध (जिप्स बेंगालेंसिस-Gyps bengalensis), लंबी-चोंच वाले गिद्ध (जिप्स इंडिकस-Gyps indicus), एशियाई राजा-गिद्ध (सरकोजिप्स कैल्वस-Sarcogyps calvus) और मिस्र के गिद्ध (नियोफ्रॉन पर्कनोप्टेरस-Neophron percnopterus)।
- तमिलनाडु के विंध्य पर्वत श्रृंखला के दक्षिण में गिद्धों की सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है।
- ऐसा माना जाता है कि नीलगिरी, इरोड और कोयंबटूर जिले सबसे बड़े सन्निहित विस्तार वाले क्षेत्रों में से एक का गठन करते हैं जहाँ गिद्ध देखे जाते हैं।
- अनुमान के अनुसार, नीलगिरी में 100 से 120 सफेद दुम वाले गिद्ध, 10 से 15 लंबे चोंच वाले गिद्ध और 10 से कम एशियाई राजा गिद्ध हैं।
- मुदुमलाई बाघ अभयारण्य, नीलगिरी वन संभाग के कुछ हिस्से और सत्यमंगलम बाघ अभयारण्य दक्षिण भारत में गिद्धों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र हैं।
- हिमालयी ग्रिफॉन गिद्ध और सिनेरियस गिद्ध जैसे समसामयिक प्रवासी गिद्धों को भी हर साल तमिलनाडु में देखा जाता है।
- हालांकि, इस राज्य में गंभीर रूप से संकटग्रस्त एशियाई राजा-गिद्ध के प्रजनन स्थलों का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
भारत में गिद्ध:
- भारत गिद्धों की नौ प्रजातियों का घर है, लेकिन उनमें से अधिकांश के विलुप्त होने का खतरा है।
- 1990 के दशक के बाद से भारत में कुछ प्रजातियों के गिद्धों की संख्या में 90% तक की गिरावट देखी गई है।
चित्र: Wildlife Sos
IUCN स्थिति:
गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered):
- सफेद दुम वाला गिद्ध (White rumped vulture )
- पतला बिल वाला गिद्ध (Slender billed vulture )
- लंबी चोंच वाला गिद्ध (Long billed vulture)
- लाल सिर वाला गिद्ध (Red headed vulture )
विलुप्तप्राय (Endangered):
- मिस्र का गिद्ध (Egyptian vulture)
संकटासन्न (Near Threatened):
- हिमालयी ग्रिफॉन (Himalayan Griffon )
- सिनेरियस गिद्ध (Cinereous vulture)
- दाढ़ी वाले गिद्ध (Bearded vulture )
खतरे से बाहर (Least Concern):
- ग्रिफॉन गिद्ध (Griffon Vulture)
गिद्धों की आबादी में कमी:
- तमिलनाडु राज्य में गिद्धों की आबादी काफी हद तक स्थिर बनी हुई है। लेकिन इनकी संख्या अभी भी बहुत कम है और किसी भी घटना के कारण कई प्रजातियां स्थानीय रूप से विलुप्त हो सकती हैं, विशेष रूप से लंबी चोंच वाला गिद्ध और एशियाई राजा गिद्ध।
- पिछले कुछ सालों में, शिकार की कम उपलब्धता के साथ-साथ अनिश्चित मौसम के कारण प्रजनन के मौसम में भी कम प्रजनन देखा गया है।
- मवेशियों के इलाज के लिए नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) जैसे डिक्लोफेनाक, निमेसुलाइड, केटोप्रोफेन के उपयोग से पूरे भारत में गिद्धों की आबादी में कमी आई है। हानिकारक पदार्थों के लिए गिद्ध की सहनशीलता बहुत कम है और ये मानव निर्मित दवाओं के प्रति बिलकुल भी सहनशील नहीं है।
- सिगुर पठार में मंदिर पर्यटन मुख्य रूप से गिद्धों के आवास के आसपास केंद्रित है। पिछले कुछ वर्षों में, गिद्धों ने इन आरक्षित क्षेत्रों के अंदर मंदिरों के बहुत करीब घोंसले का निर्माण करना छोड़ दिया है।
- गिद्धों के आवास में लैंटाना कैमारा जैसे विदेशी/आक्रामक खरपतवारों के प्रसार के कारण इनकी आबादी में कमी आई है, क्योंकि यह इन पक्षियों के सफाई कार्य में बाधा पहुँचाती हैं क्योंकि इनके बड़े पंखों के कारण इन्हें जमीन पर सुरक्षित रूप से उतरने और खतरा महसूस होने पर उड़ने के लिए अधिक खुले क्षेत्र की आवश्यकता होती है।
- इन क्षेत्रों में बहने वाली नदियों के पानी के अवैध दोहन, संभावित जलवायु परिवर्तन और वनाग्नि के कारण गिद्धों के घोंसले बनाने के क्षेत्र नष्ट हो रहे हैं।
भावी कदम:
- मैला साफ़ करने वालों के रूप में, गिद्ध कई बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं और मृत मवेशियों/वन्यजीवों के शवों को सड़ने से पहले खाकर विषाक्त पदार्थों को पर्यावरण में प्रवेश करने से रोक सकते हैं।
- राज्य सरकार ने मवेशियों के इलाज के लिए डिक्लोफेनाक नामक दवा के उपयोग और नीलगिरी, इरोड तथा कोयंबटूर जिलों में अन्य NSAIDs की बिक्री पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं।
- केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गिद्ध संरक्षण के लिए कार्य योजना 2006 जारी की थी और इसी वर्ष भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने डिक्लोफेनाक के पशु चिकित्सा उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
- सरकार को सिगुर पठार के आसपास त्योहारों में शामिल होने वाले लोगों की संख्या पर सख्त नियंत्रण पर भी ध्यान देना चाहिए जो गिद्धों की आबादी को प्रभावित करता है।
- सिगुर पठार में रहने वाले गिद्ध पड़ोसी राज्य कर्नाटक और केरल के परिदृश्य का भी उपयोग करते हैं। गिद्धों की आबादी और घोंसले हेतु स्थलों की सही पहचान करने के लिए समकालिक गिद्ध जनगणना आयोजित की जानी चाहिए।
- केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) ने गिद्ध संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम की स्थापना की है। प्रभावी और सामयिक संरक्षण के लिए कार्यक्रम में और अधिक राज्य को शामिल होना जाना चाहिए।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
सामाजिक मुद्दे:
हिंदी और केवल हिंदी के प्रयोग की यह सलाह त्रुटिपूर्ण है
विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं, भारत की विविधता।
मुख्य परीक्षा: संसदीय राजभाषा समिति द्वारा की गई सिफारिशों और भारत की एकमात्र राजभाषा के रूप में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों का समालोचनात्मक मूल्यांकन।
संदर्भ:
- राजभाषा समिति की रिपोर्ट का 11वां खंड हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा गया था।
पृष्ठभूमि:
- यह सर्वविदित है कि संविधान सभा में राजभाषा के प्रश्न पर कई बहसें हुई थी। अंत में, हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया गया और यह भी घोषित किया गया कि संविधान के प्रारंभ से 15 वर्षों तक अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जाएगा।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में प्रावधान है कि देवनागरी लिपि में हिंदी संघ की राजभाषा होगी।
- संसद एक अधिनियम के माध्यम से 15 वर्षों की समाप्ति के बाद भी अंग्रेजी के उपयोग को बढ़ा सकती थी और तदनुसार, संसद ने 1963 में राजभाषा अधिनियम पेश किया, जिसने संघ के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए और संसद में कामकाज के संचालन के लिए हिंदी के साथ-साथ एक राजभाषा के रूप में अनिश्चित काल तक अंग्रेजी के उपयोग की सुविधा प्रदान की।
राजभाषा समिति:
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समिति की प्रमुख सिफारिशें:
- सरकारी सेवाओं में भर्ती हेतु परीक्षाओं के लिए भाषा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी को हिंदी से प्रतिस्थापित करना।
- इसके अलावा, विभिन्न सरकारी नौकरियों में हिंदी का ज्ञान अनिवार्य किया जाना चाहिए।
- देश के सभी तकनीकी और गैर-तकनीकी केंद्रीय संस्थानों जैसे केंद्रीय विद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हिंदी को शिक्षा का एकमात्र माध्यम बनाया जाना चाहिए।
- यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हिंदी का प्रचार करना राज्य सरकारों के लिए संवैधानिक रूप से बाध्यकारी हो।
- हिन्दी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए न कि स्थानीय भाषाओं विकल्प के रूप में।
इन सिफारिशों से जुड़े मुद्दे:
- विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों, IIMs, IIT आदि में अंग्रेजी को शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रतिस्थापित करने के कदम से इन संस्थानों के प्रदर्शन और रैंकिंग पर गंभीर परिणाम होंगे, जिन्हें देश का प्रमुख संस्थान माना जाता है।
- आलोचकों ने समिति द्वारा विश्वविद्यालयों और पेशेवर संस्थानों में शिक्षा के माध्यम की सिफारिश करने के अधिकार पर भी सवाल उठाया है क्योंकि समिति को केवल हिंदी के उपयोग में हुई प्रगति की समीक्षा करने का अधिकार है।
- जैसा कि संसद के कानून द्वारा स्थापित किया गया है कि हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी का उपयोग जारी रहेगा, ऐसे में विशेषज्ञों का सवाल है कि उसी अधिनियम के तहत गठित एक समिति अंग्रेजी को हटाने की सिफारिश कैसे कर सकती है।
- यदि केंद्रीय सेवाओं की भर्ती परीक्षाओं में हिंदी का प्रयोग एकमात्र भाषा के रूप में किया जाता है, तो गैर-हिंदी राज्यों, विशेष रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों के उम्मीदवारों को हिंदी भाषी उम्मीदवारों की तुलना में काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
- इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा अतीत में अंग्रेजी को हटाने और इसे हिंदी के द्वारा प्रतिस्थापित करने के प्रयासों को गैर-हिंदी भाषी राज्यों द्वारा विद्रोह, हिंसक विरोध और आत्मदाह जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ा था।
इस विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख देखें:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis dated 18 Oct 2022
अंग्रेजी के उपयोग को जारी रखने के लिए तर्क:
- भारत में दो प्रमुख भाषा समूह अर्थात् इंडो-यूरोपीय भाषा समूह और द्रविड़ भाषा समूह हैं।
- हिंदी इंडो-यूरोपीय समूह से संबंधित है, जबकि कन्नड़, तमिल, तेलुगु और मलयालम जैसी भाषाएं द्रविड़ समूह से संबंधित हैं।
- अंग्रेजी भाषा ने देश के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों के इन विभिन्न भाषा समूहों के बीच एक सेतु के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने संविधान सभा की बहस में कहा था कि “हमें यह स्वीकार करना होगा कि जहाँ तक भाषा का सवाल है, उत्तर और दक्षिण दो अलग-अलग भाग हैं। उत्तर और दक्षिण का मिलन अंग्रेजी के माध्यम से ही संभव हुआ है। अगर आज हम अंग्रेजी छोड़ दें तो यह भाषाई संबंध खत्म हो जाएगा।
- अंग्रेजी भाषा के उपयोग ने दक्षिणी और अन्य गैर-हिंदी भाषी राज्यों को संघ के निर्णय निर्माण को प्रभावित करने और इन क्षेत्रों के लोगों की चिंताओं को उठाने में मदद की है।
- इसके अलावा, अंग्रेजी आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा मानव गतिविधि के अन्य क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ज्ञान बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- अंग्रेजी का ज्ञान दुनिया भर में विकास को समझने, अन्य देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने और साझा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर राय रखने में भी मदद करता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
- ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
विषय: कला और संस्कृति
प्रारंभिक परीक्षा: संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नीतियां
संदर्भ:
- केंद्र सरकार ने तमिलनाडु और वाराणसी के बीच संबंध को मजबूत करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है।
मुख्य विवरण:
- केंद्र सरकार ने हाल ही में तमिलनाडु और वाराणसी के बीच सांस्कृतिक और सभ्यतागत बंधन को “मजबूत” और “पुनर्जीवित” करने के लिए एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रम की घोषणा की है।
- ‘काशी-तमिल संगमम’ नाम से यह कार्यक्रम 16 नवंबर से 16 दिसंबर तक चलेगा।
- यह कार्यक्रम ‘Ek Bharat Shreshtha Bharat‘ पहल का एक हिस्सा है।
- कार्यक्रम के लिए ज्ञान भागीदार आईआईटी-मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय होंगे, जबकि उत्तर प्रदेश मेजबान राज्य होगा।
- कार्यक्रम का उद्देश्य नई काशी और तमिलनाडु – दोनों ज्ञान के गहन केंद्र हैं – के बीच सभ्यतागत संबंध को पुनर्जीवित करना है।
- नई पीढ़ी के लिए विरासत सेतु का निर्माण National Education Policy की एक प्रमुख विशेषता है।
- कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, छात्रों, शिक्षकों, शिल्पकारों और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों सहित 12 समूहों में विभाजित 2,500 लोग इस अवधि के दौरान ट्रेन से वाराणसी की यात्रा करेंगे।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- ‘आकाश तत्व’:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MoST) के साथ, उत्तराखंड के देहरादून में ‘आकाश तत्व’ विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है।
- सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत के युवाओं को आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति के साथ-साथ प्राचीन विज्ञान के ज्ञान से परिचित कराना है।
- सम्मेलन में तीन दिनों में 35 “प्रतिष्ठित वक्ता” शामिल होंगे है, जो “पंचमहाभूत पर आधारित स्थायी जीवन” जैसे विषयों पर चर्चा की मेजबानी करेंगे।
- पंचमहाभूत पांच तत्वों को संदर्भित करता है – पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश, जिनसे मिलकर ही सभी पदार्थों का निर्माण होता है।
- अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस. सोमनाथ ने कहा, “सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य आकाश तत्व, इससे जुड़े प्राचीन ज्ञान तथा यह आधुनिक विज्ञान से कैसे जुड़ता है, को समझाना है।”
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. ग्रीन पटाखे की श्रेणियों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)
- स्वास (SWAS)- हवा में जलवाष्प निर्मुक्त करके धूल को संदमित कर देता है।
- स्टार (STAR)- कम अभिकणीय पदार्थ निर्मुक्त करता है और ध्वनि की तीव्रता को कम करता है।
- सफल (SAFAL)- इसमें एल्युमीनियम का न्यूनतम और इसके बजाय मैग्नीशियम का अधिक उपयोग किया जाता है। यह पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम शोर उत्पन्न करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- ग्रीन पटाखे वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (Council for Scientific and Industrial Research – National Environmental Engineering Research Institute (CSIR-NEERI)) द्वारा विकसित किए गए हैं। ये अपने पारंपरिक समकक्षों की तुलना में 30% तक कम प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं।
भारत में तीन तरह के ग्रीन पटाखे उपलब्ध हैं:
- स्वास (SWAS)- यह सुरक्षित जल छोड़ने वाला पटाखा है, जो हवा में जलवाष्प छोड़ कर पटाखे से उड़ने वाली/निकलने वाली धूल को संदमित कर देता है। इसमें पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर शामिल नहीं होता है और निकलने वाली अभिकणीय धूल लगभग 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
- स्टार (STAR)- यह सुरक्षित थर्माइट पटाखा है, जिसमें पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर शामिल नहीं होते है। यह कम अभिकणीय पदार्थ निर्मुक्त करता है और ध्वनि की तीव्रता को कम करता है।
- सफल (SAFAL)- इसमें एल्युमीनियम का न्यूनतम और इसके बजाय मैग्नीशियम का अधिक उपयोग किया जाता है। यह पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम शोर उत्पन्न करता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)
कढ़ाई राज्य
- कसूती तेलंगाना
- खनेंग अरुणाचल प्रदेश
- पिपली उड़ीसा
- सोजनी जम्मू और कश्मीर
उपर्युक्त युग्मों में से कितने सही सुमेलित हैं?
(a) केवल एक युग्म
(b) केवल दो युग्म
(c) केवल तीन युग्म
(d) सभी चारों युग्म
उत्तर: b
व्याख्या:
- युग्म 1 सुमेलित नहीं है: कसूती कर्नाटक राज्य की विश्व प्रसिद्ध कढ़ाई है। यह रूपांकनों और कला के तौर पर महिलाओं की दुनिया का एक अहम हिस्सा है।
- कसूती कढ़ाई कर्नाटक के लोगों, उनकी परंपराओं, रीति-रिवाजों और व्यवसायों का वर्णन करती है।
- कसूती शब्द ‘काई’ (Kai) से बना है जिसका अर्थ है हाथ और ‘सूती’ का अर्थ कपास का धागा है, यानी कर्नाटक भाषा में कसूती सूती धागे की हस्तकला है।
- युग्म 2 सुमेलित नहीं है: खनेंग कढ़ाई का एकमात्र ज्ञात गाँव (मुस्तोह गाँव) बांग्लादेश सीमा के पास भारत के मेघालय में स्थित है। खनेंग कढ़ाई का पैटर्न बहु-पैर वाले सेंटीपीड (कनखजूरे) जैसा दिखता है। ।
- युग्म 3 सुमेलित है: ओडिशा का पिपिली गांव अपने एपलिक वर्क (एक कपड़े के ऊपर दूसरा कपड़ा रख कर जो काम किया जाता है) के लिए जाना जाता है, जिसे ‘चंदुआ’ (Chandua) के नाम से भी जाना जाता है। “एपलिक” (Appliqué) शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द एपलिकर (appliquer) से हुई है, जिसका अर्थ है “कसी वस्तु पर कुछ रखना”।
- यह उन उत्पादों में से एक है जिसे भारत सरकार द्वारा भौगोलिक संकेत टैग (GI) प्रदान किया गया है।
- युग्म 4 सुमेलित है: सोजनी (सोजन कारी के रूप में भी जाना जाता है) उत्तरी भारत में कश्मीर घाटी से एक लोकप्रिय सुई की नोक से की जाने वाली कढ़ाई की एक तकनीक है। कश्मीरी कारीगर लगभग 500 वर्षों से भी पहले से सोजनी कढ़ाई का कार्य कर रहे हैं। यह मुख्य रूप से ऊनी और रेशमी कपड़ों में की जाती है और पश्मीना कश्मीरी शॉल तथा जैकेट में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किस राज्य में भारत का पहला स्लेंडर लोरिस अभयारण्य स्थापित किया जाएगा? (स्तर-मध्यम)
(a) आंध्र प्रदेश
(b) गोवा
(c) महाराष्ट्र
(d) तमिलनाडु
उत्तर: d
व्याख्या:
- तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 26 (A) (1) (b) के तहत करूर और डिंडीगुल जिलों में 11,806 हेक्टेयर में फैले कदवुर स्लेंडर लोरिस अभयारण्य को अधिसूचित किया हैं। स्लेंडर लोरिस के लिए यह भारत का पहला अभयारण्य है।
प्रश्न 4. इंटरपोल के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं? (स्तर-मध्यम)
- इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में स्थित है।
- R&AW (अनुसंधान एवं विश्लेषण शाखा) को भारत के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में नामित किया गया है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों
(d) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: इंटरपोल (Interpol) की स्थापना वर्ष 1923 में हुई थी, जिसका मुख्यालय लियॉन (Lyon) फ्रांस में है।
- कथन 2 गलत है: केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation (CBI)) को भारत के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में नामित किया गया है।
प्रश्न 5. यदि कोई मुख्य सौर तूफान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में से कौन से संभव प्रभाव होंगे? (CSE-PYQ-2022) (स्तर-कठिन)
- GPS और दिक्संचालन (नेविगेशन) प्रणालियाँ विफल हो सकती हैं।
- विषुवतीय क्षेत्रों में सुनामियाँ आ सकती हैं।
- बिजली ग्रिड क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
- पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियाँ घटित हो सकती हैं।
- ग्रह पर अधिकांश हिस्से पर दावाग्नियाँ घटित हो सकती हैं।
- उपग्रहों की कक्षाएं विक्षुब्ध हो सकती हैं।
- ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ते हुए वायुयान का लघुतरंग रेडियो संचार बाधित हो सकता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 2, 3, 5, 6 और 7
(c) केवल 1, 3, 4, 6 और 7
(d) 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7
उत्तर: c
व्याख्या:
- सौर प्रज्वाल सूर्य से निकलने वाले विकिरण के तीव्र विस्फोट हैं जो सीधे पृथ्वी पर संचार को प्रभावित कर सकते हैं।
- ये प्रायः कोरोनल मास इजेक्शन (coronal mass ejections (CMEs)) से जुड़े होते हैं, जो गैस के बड़े बादल होते हैं और सूर्य के आंतरिक भाग से उसके वातावरण में प्रस्फुटित होते हैं।
- विशाल सौर प्रज्वाल GPS, दिक्संचालन (नेविगेशन), मोबाइल फोन ट्रांसमिशन और सैटेलाइट टीवी को प्रभावित करते हैं तथा ये ग्रह के विभिन्न क्षेत्रों में बिजली ग्रिड और विद्युत नेटवर्क को संभावित रूप से बाधित करते हैं।
- सौर प्रज्वाल सुनामी का कारण नहीं बनते हैं क्योंकि यह केवल ऊपरी वायुमंडल को प्रभावित बनते है।
- प्रज्वाल (flares) द्वारा उत्सर्जित उच्च-ऊर्जा कण पृथ्वी के वायुमंडल में कुछ परमाणुओं को चमकने का भी कारण बन सकते हैं, जिससे मध्य यूरोप के साथ-साथ उत्तरी अमेरिका में भी ध्रुवीय ज्योतियाँ अरोरा) घटित होती हैं।
- कोरोनल मास इजेक्शन (coronal mass ejections (CMEs)) और घातक वनाग्नि के बीच कोई संबंध नहीं है।
- सौर प्रज्वाल और तूफान वातावरण को गर्म और विस्तारित करते हैं और ये प्रभाव उपग्रहों की कक्षाओं तक पहुंच सकते हैं।
- सौर प्रज्वाल लघुतरंग रेडियो में हस्तक्षेप करता है, अधिक किरणों का उत्सर्जन करता है और इस समय सीमा के दौरान अधिक सनबर्न (सूर्यदाह) का कारण बनता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. वन-प्लस रणनीति क्या है? अगले वित्तीय वर्ष के लिए वैश्विक अनुमानों के संदर्भ में इसकी चर्चा कीजिए? (150 शब्द, 10 अंक) (जीएस III-अर्थव्यवस्था)
प्रश्न 2.भारतीय उपमहाद्वीप में गिद्धों के संरक्षण में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए? (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस III-पर्यावरण)