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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 22 June, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

  1. नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य क्या है?

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत-नेपाल संबंधों में उतार-चढ़ाव:

भूगोल:

  1. गर्मी और राज्य:

सुरक्षा:

  1. मणिपुर में इंटरनेट पर प्रतिबंध:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. वीरांगना रानी दुर्गावती:
  1. कलासा बंदूरी परियोजना:
  2. संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शांति की दीवार (Wall of Peace):
  3. सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच (SPIEF):

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत को ‘नाटो प्लस फाइव’ का दर्जा:
  2. वैश्विक लैंगिक सूचकांक में भारत आठ पायदान ऊपर चढ़कर 127वें स्थान पर पहुंचा: WEF रिपोर्ट

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य क्या है?

पर्यावरण:

विषय: पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण और क्षरण।

प्रारंभिक परीक्षा: बॉन जलवायु सम्मेलन से सबंधित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य और एक नए जलवायु वित्त लक्ष्य की आवश्यकता।

प्रसंग:

  • हाल ही में जर्मनी में संपन्न बॉन जलवायु सम्मेलन (Bonn climate conference) में मौजूदा जलवायु वित्त की संरचना एवं ढांचे की समीक्षा और सुधार किया गया।

नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (New Collective Quantified Goal (NCQC)) क्या है?

  • वर्ष 2009 में पक्षकारों के सम्मेलन (COP) में निर्धारित किये गए लक्ष्य के अनुसार, विकसित देशों ने विकासशील देशों को वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर देने पर प्रतिबद्धता जताई थी।
    • यह इस समझ पर आधारित है कि विकसित देशों का आर्थिक विकास उच्च कार्बन उत्सर्जन की कीमत पर हुआ है, और इसलिए उन्हें अधिक जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
    • हालाँकि, हाल के अनुमानों और रिपोर्टों से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के प्रयासों में अरबों और यहाँ तक कि खरबों डॉलर खर्च हो सकते हैं।
  • इसी वजह से वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु समझौते (Paris Climate Agreement) के दौरान वर्ष 2025 से पहले जलवायु वित्तपोषण के लिए एक नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCGQ) को अपनाया गया था।
  • नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQC) एक संदर्भ बिंदु के रूप में कार्य करता है जो विकासशील देशों की जरूरतों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखता है, और इसे “सबसे महत्वपूर्ण जलवायु लक्ष्य” माना जाता है।
  • इस प्रकार,NCQC विकसित देशों की प्रतिबद्धता की सीमा का विस्तार करता है और इसका उद्देश्य वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर विकासशील देशों की उभरती जरूरतों और प्राथमिकताओं को पूरा करना है।

नये वित्तीय लक्ष्य की आवश्यकता:

  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, विकसित देशों ने वर्ष 2020 में प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर के वादे में से केवल 83.3 बिलियन डॉलर ही प्रदान किए हैं।
  • रिपोर्ट यह भी बताती है कि ये वार्षिक आंकड़े भ्रामक हैं और लगभग 225% तक बढ़ाए गए हैं।
    • उदाहरण के लिए, ऑक्सफैम के एक विश्लेषण में पाया गया कि ये आंकड़े “बहुत अधिक भ्रामक हैं और इनकी रिपोर्टिंग संदिग्ध है”।
  • इसके अलावा प्रति वर्ष $100 बिलियन का लक्ष्य वर्ष 2009 में ही निर्धारित किया गया था जिसे एक राजनीतिक लक्ष्य के रूप में देखा गया था क्योंकि जलवायु वित्त की परिभाषा या स्रोत के संबंध में स्पष्टता प्रदान करने का कोई प्रयास नहीं किया गया था।
  • यद्यपि जलवायु वित्त के लिए उपलब्ध धनराशि में मात्रात्मक रूप से वृद्धि हुई है, लेकिन यह देखा गया है कि धनराशि काफी हद तक पहुंच से बाहर है, और यह निजी तौर पर प्राप्त की गई है एवं विलंबित है और उन देशों तक भी नहीं पहुंची है जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है।
  • सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है की जलवायु वित्त का लगभग 5% ही अनुदान के रूप में आता है, जबकि शेष ऋण और इक्विटी के रूप में प्रदान किया गया होता है जिससे विकासशील देशों पर बोझ बढ़ता है और इसकी वजह से ऋण संकट का खतरा बढ़ गया है।
    • इसने वित्त की आवश्यकता वाले देशों को धन प्राप्त करने के लिए वर्षों तक इंतजार करने के लिए मजबूर कर दिया है, जिससे उन्हें उच्च दरों पर ब्याज का भुगतान करना पड़ता है, कारणवश उनके ऋण बोझ में वृद्धि हुई है।

विकसित देशों द्वारा व्यक्त की गई असहमति:

  • विकसित देशों का मानना है कि NCQG को सभी विकसित और विकासशील देशों के लिए एक “सामूहिक लक्ष्य” के रूप में देखा जाना चाहिए।
  • विकसित देशों का तर्क है कि NCQG ढांचा विकासशील देशों को “नेट जीरो/शुद्ध शून्य” के मार्ग पर आगे बढ़ाता है।
    • विशेषज्ञों को इस बात का डर है कि यह तंत्र अनुकूलन, शमन, हानि और क्षति के भुगतान के लिए एक व्यवहार्य तंत्र नहीं होगा।
  • विकसित देश निजी क्षेत्र से निवेश और ऋण जुटाने का आग्रह करते हैं क्योंकि वे जलवायु वित्त के प्रमुख घटक के रूप में कार्य करते हैं।

भावी कदम:

  • ऐसा कहा जाता है कि सभी देश वर्ष 2024 से पहले NCQC पर सहमत होने के लिए समय सीमा पर खड़े हैं।
  • शर्म अल-शेख कार्यान्वयन योजना के अनुसार, विश्व की निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण के लिए प्रति वर्ष लगभग $4 ट्रिलियन से $6 ट्रिलियन के निवेश की आवश्यकता होती है।
  • हालाँकि,कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि एकल समग्र आंकड़े की पहचान करने के बजाय, NCQC को प्रमुख फोकस क्षेत्रों के लिए अलग-अलग लक्ष्य या उप-लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए जिनमें शमन, अनुकूलन, हानि और क्षति शामिल हो।
  • वर्तमान में मुख्य उद्देश्य रियायती वित्तपोषण बढ़ाने, ऋण सृजन को सीमित करने और NCQC को एक न्यायसंगत और लोगों के नेतृत्व वाले संक्रमण की दिशा में एक लक्ष्य के बजाय एक “प्रक्रिया” के रूप में सुविधाजनक बनाने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना है।

सारांश:

  • जलवायु वित्त संरचना पर विकसित और विकासशील देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध ने महत्वपूर्ण जलवायु कार्रवाई के भुगतान के लिए आवश्यक वित्त पोषण तंत्र में अंतर को बढ़ा दिया है। इस संदर्भ में, जलवायु वित्तपोषण के लिए एक नई प्रक्रिया या लक्ष्य की तत्काल आवश्यकता है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारत-नेपाल संबंधों में उतार-चढ़ाव:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत और उसके पड़ोसी – संबंध

मुख्य परीक्षा: भारत के पड़ोस में हालिया भू-राजनीतिक घटनाक्रम।

प्रसंग:

  • नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की हालिया भारत यात्रा।

भूमिका:

  • नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने हाल की भारत यात्रा को ”सफल” मानते हुए संतोष व्यक्त किया।
  • यह प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड के तीसरे कार्यकाल को चिह्नित करता है, और वर्ष 2008 और 2016 में उनकी पिछली आधिकारिक यात्राओं की तुलना में, 2023 की यात्रा से अधिक संख्या में ठोस परिणाम मिले।
  • प्रचंड की यात्रा के दौरान विवादास्पद मुद्दों और सार्वजनिक असहमतियों को सफलतापूर्वक अनदेखा करने ने इसकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे ध्यान आर्थिक संबंधों पर बना रहा।
  • नेपाल में एक जटिल सत्ता-साझाकरण व्यवस्था चल रही है, जिसमें प्रचंड दो साल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं, उसके बाद माधव नेपाल (सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट) और शेर बहादुर देउबा (नेपाली कांग्रेस) एक-एक वर्ष के लिए बारी-बारी से प्रधानमंत्री बनेंगे, जिससे सरकार को गठबंधन बनाए रखते हुए आर्थिक मुद्दों का समाधान करने की अनुमति मिल सके।

भारत-नेपाल संबंधों में जटिलताएं:

  • अगस्त 2014 में, प्रधानमंत्री मोदी की नेपाल की महत्वपूर्ण यात्रा के दौरान, बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने के लिए “पड़ोसी पहले” दृष्टिकोण पर जोर दिया गया था, विशेष रूप से HIT संक्षिप्त नाम (राजमार्ग, इन्फोवे और ट्रांसवे) के माध्यम से कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • हालाँकि 2015 में आर्थिक नाकेबंदी के कारण संबंधों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन संबंधों को सुधारने और मजबूत करने के प्रयास किए गए, जिससे स्पष्ट प्रगति हुई और श्री मोदी द्वारा HIT को पुनर्जीवित किया गया।
  • भारत-नेपाल के साथ मुख्य चुनौतियों में से एक बिजली परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है, क्योंकि बातचीत में समय लगता है।
  • हालिया मुद्दे में अग्निपथ योजना शामिल है, जो भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की भर्ती को प्रभावित कर रही है।
    • इसके लिए दोनों सेनाओं और संबंधित रक्षा और वित्त अधिकारियों के बीच चर्चा की आवश्यकता है, लेकिन सेनाओं के बीच मजबूत पारंपरिक संबंधों के कारण समाधान संभव है।
  • दूसरा मामला कालापानी सीमा विवाद का है।
    • इस मामले को सुलझाने के लिए समय, राजनीतिक ज्ञान और आपसी समझ की आवश्यकता होगी।
  • नेपाल में यह धारणा है कि 1950 में हस्ताक्षरित भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि अन्यायपूर्ण तरीके से थोपी गई थी। 1995 में संधि की समीक्षा करने का अनुरोध किए जाने और उसके बाद के शिखर सम्मेलनों में “समीक्षा और अद्यतन” की आवश्यकता को स्वीकार करने के बावजूद, इस मामले पर अभी तक पर्याप्त चर्चा नहीं हुई है।
    • वस्तुनिष्ठ चर्चा को सुविधाजनक बनाने के लिए ऐतिहासिक गलतफहमियों को दूर करना और दोनों देशों की चिंताओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है।

जलविद्युत सहयोग:

  • पिछले कुछ वर्षों में, जलविद्युत क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा ने धीरे-धीरे सकारात्मक संकेत दिखाए हैं, नेपाल के पास 50,000 मेगावाट की महत्वपूर्ण जलविद्युत क्षमता है।
  • नेपाल की स्थापित क्षमता एक दशक पहले मात्र 1,200 मेगावाट से बढ़कर आज 2,200 मेगावाट हो गई है, जिससे नेपाल द्वारा भारत को मौसमी बिजली निर्यात की अनुमति मिल गई है। एक कार्यात्मक 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन इस प्रगति का समर्थन करती है।
  • नेपाल के बिजली निर्यात में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो 2021 में 39 मेगावाट से शुरू होकर अगले वर्ष में 452 मेगावाट हो गई, जिसके परिणामस्वरूप NPR 11 बिलियन की निर्यात आय हुई।
  • इसके अतिरिक्त, पिछले पांच वर्षों में मंदी के मौसम के दौरान भारतीय बिजली आयात पर नेपाल की निर्भरता 20% से घटकर 10% हो गई है।
  • दोनों देशों के बीच एक दीर्घकालिक बिजली व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया गया है, जिसका लक्ष्य एक दशक के भीतर 10,000 मेगावाट निर्यात करना है।
  • अरुण III, अरुण IV, लोअर अरुण, फुकोट-करनाली जैसी कई जलविद्युत परियोजनाएं शुरू की गई हैं, और ट्रांसमिशन लाइनों को बढ़ाने और भारतीय ग्रिड के माध्यम से बांग्लादेश को बिजली निर्यात की सुविधा के लिए प्रयास चल रहे हैं।

सारांश:

  • नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने ठोस परिणामों और विवादों को अनदेखा करने के कारण अपनी सफल भारत यात्रा पर संतोष व्यक्त किया हैं। नेपाल में, एक जटिल शक्ति-साझाकरण व्यवस्था चल रही है, जबकि भारत-नेपाल के संबंधों को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत-नेपाल संबंधों के बारे में अधिक जानकारी: India-Nepal Relations

गर्मी और राज्य:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भूगोल:

विषय: जलवायु-विज्ञान:

मुख्य परीक्षा: हीटवेव्स के कारण, प्रभाव, शमन रणनीतियाँ

प्रसंग:

  • इस लेख में हीटवेव (heatwave) के प्रभावों पर चर्चा की गई है।

मुख्य विवरण:

  • उत्तर प्रदेश और बिहार में भीषण गर्मी के बीच यूपी के बलिया जिले में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गईं।
    • राज्य द्वारा नियुक्त एक टीम ने स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए बलिया का दौरा किया, और एक सदस्य ने आस-पास के जिलों में कम हताहतों का हवाला देते हुए गर्मी को मौतों का एकमात्र कारण होने पर संदेह व्यक्त किया।
  • यह घटना यह मानने के महत्व पर प्रकाश डालती है कि हीटवेव का प्रभाव तापमान से परे होता है, जिसमें अपर्याप्त सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और सामाजिक सुरक्षा शामिल होती है।
  • बलिया में मरने वालों की उच्च संख्या दूषित पानी या लोगों के लिए खुद को ठंडा करने के साधनों की कमी जैसे कारकों के कारण हो सकती है।
  • गर्मी के प्रभाव की गंभीरता किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य, अनुकूलन, शारीरिक परिश्रम, सहरुग्णता, स्थान, आर्द्रता और जोखिम की अवधि जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।

हीटवेव से होने वाली मौतों पर काबू पाना:

  • जलवायु संकट से निपटने के लिए, जिससे भारत में हीटवेव बढ़ने की आशंका है, बेहतर तैयारी के लिए साक्षरता और संसाधनों तक पहुंच की आवश्यकता है।
  • बुनियादी साक्षरता में यह समझ शामिल होनी चाहिए कि गर्मी तब घातक हो जाती है जब शरीर इसे उतनी तेजी से नष्ट नहीं कर पाता जितनी वह शरीर में एकत्र होती है,
  • ऐसा अक्सर जीवन-यापन की ख़राब स्थितियों और सामाजिक प्रतिबंधों के कारण होता है।
  • स्वच्छ पेयजल, उचित वातायन, स्वास्थ्य देखभाल, नियमित अवकाश और वेतन हानि से सुरक्षा जैसी आवश्यक सुविधाएं हीटवेव के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती हैं।
  • हीटवेव के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में सुधार करने के लिए, राज्य सरकारों को गर्मी से संबंधित सभी मौतों को रिकॉर्ड करना चाहिए और कारणों का निर्धारण करना चाहिए, और उचित चिकित्सा प्रमाणन प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।
  • महापंजीयक के कार्यालय को मृत्यु के कारणों पर वार्षिक डेटा संकलित और जारी करना चाहिए, अनुसंधान और सूचित नीति निर्धारण को सक्षम करना चाहिए और आधिकारिक आंकड़ों पर विवादों से बचना चाहिए।
  • गर्मी से संबंधित मौतों को अन्य कारणों से हुई मौतों से अलग करने के लिए जीवन-यापन की बेहतर स्थिति सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

सारांश:

  • हाल के दिनों में हीटवेव के कारण बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं, जिससे गर्मी को एकमात्र कारण मानने पर सवाल उठ रहे हैं। यह हीटवेव से निपटने के लिए साक्षरता और संसाधनों तक पहुंच की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। गर्मी से संबंधित मौतों को अन्य कारणों से हुई मौतों से अलग करने के लिए जीवन-यापन की स्थिति में सुधार महत्वपूर्ण है।

मणिपुर में इंटरनेट पर प्रतिबंध:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सुरक्षा:

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौतियाँ।

मुख्य परीक्षा: इंटरनेट शटडाउन के निहितार्थ।

प्रसंग:

  • मणिपुर सरकार का नेट शटडाउन बढ़ाने का फैसला।

भूमिका:

  • हाल ही में मणिपुर उच्च न्यायालय ने इंटरनेट पहुंच की बहाली के लिए एक याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य के निर्दिष्ट क्षेत्रों में सीमित इंटरनेट पहुंच की अनुमति दी।
  • 3 मई, 2023 से लागू शटडाउन ने आर्थिक गतिविधियों और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
  • नागरिक ई-कॉमर्स से संबंधित गतिविधियों जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं तक पहुंचने में असमर्थ हैं, सिवाय उन लोगों के, जिन्हें सरकारी अनुमति से शटडाउन से छूट मिली हुई है।

2023 मणिपुर हिंसा के बारे में अधिक जानकारी: 2023 Manipur Violence

शटडाउन बढ़ाने के पीछे कारण:

  • शटडाउन की अवधि बढ़ाने के कारणों में कानून-व्यवस्था को खतरा और असामाजिक तत्वों को कारण बताया गया है।
  • मणिपुर सरकार ने उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि उन वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए शटडाउन की आवश्यकता है जहां भड़काऊ सामग्री प्रकाशित की जा सकती है।
  • हालाँकि, सरकार टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 और टेलीग्राफ नियमों के अनुसार सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रही है और ऐसा कठोर दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से समस्याग्रस्त है।

इंटरनेट प्रतिबंध पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख:

  • अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ (2020) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आनुपातिकता और आवश्यक अवधि के सिद्धांत पर जोर देते हुए फैसला सुनाया है कि इंटरनेट सेवाओं का अनिश्चितकालीन निलंबन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और वाणिज्यिक अधिकारों का उल्लंघन है।
  • अदालत ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के विकल्प के रूप में इंटरनेट शटडाउन के उपयोग की भी आलोचना की तथा एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जो व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान करता हो और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करता हो।

भावी कदम:

  • मणिपुर की स्थिति विश्वास बहाल करने, नागरिक समाज को शामिल करने, चरमपंथियों को अलग-थलग करने और शांति की दिशा में चरण-दर-चरण दृष्टिकोण अपनाने की मांग करती है।
  • संकट के कारण उत्पन्न चुनौतियों और छिटपुट हिंसा तथा विस्थापन के परिणामस्वरूप चल रहे जातीय तनाव के बावजूद, यह जरूरी है कि इंटरनेट शटडाउन, जिसे लंबे समय से लागू किया गया है, समाप्त किया जाए।

सारांश:

  • मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा सीमित इंटरनेट पहुँच की अनुमति देने का हालिया निर्णय आर्थिक गतिविधियों और आजीविका पर शटडाउन के प्रतिकूल प्रभाव को संबोधित करता है। शटडाउन बढ़ाने के पीछे के कारण, जिनमें कानून और व्यवस्था के लिए खतरा और भड़काऊ वेबसाइटों को अवरुद्ध करना शामिल है, सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के मापदंडों का पालन नहीं करते हैं।

भारत में इंटरनेट शटडाउन के बारे में अधिक जानकारी: Internet Shutdowns in India

प्रीलिम्स तथ्य:

1. वीरांगना रानी दुर्गावती:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

इतिहास:

विषय: महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।

प्रारंभिक परीक्षा: वीरांगना रानी दुर्गावती से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।

प्रसंग:

  • केंद्रीय गृह मंत्री “वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा” का शुभारंभ करेंगे, जो वीरांगना रानी दुर्गावती की विरासत का सम्मान करने के लिए मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा की गई एक पहल है।

वीरांगना रानी दुर्गावती:

  • वीरांगना रानी दुर्गावती 16वीं सदी की गोंडवाना साम्राज्य की रानी थीं।
  • रानी दुर्गावती 1550 से 1564 तक गोंडवाना की रानी थीं।
  • रानी दुर्गावती का जन्म 1524 ई. में चंदेल सम्राट कीरत राय के परिवार में हुआ था।
  • रानी दुर्गावती का विवाह 1542 में गढ़ा साम्राज्य के राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से हुआ था।
  • 1545 ई. में रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम वीर नारायण रखा गया।
  • 1550 ई. में दलपत शाह की मृत्यु हो गई और उस समय वीर नारायण बहुत छोटे थे, रानी दुर्गावती ने गोंड साम्राज्य की बागडोर संभाली।
  • रानी की सहायता अधर कायस्थ और मन ठाकुर नामक दो योग्य मंत्रियों ने की थी।
  • अपने शासनकाल के दौरान, रानी दुर्गावती ने अपनी राजधानी सिंगौरगढ़ से चौरागढ़ स्थानांतरित की थी।
  • रानी दुर्गावती को मुगल प्रभुत्व के खिलाफ प्रतिरोध के लिए जाना जाता है।

2. कलासा बंदूरी परियोजना:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भूगोल:

विषय: जल निकाय एवं संसाधन।

प्रारंभिक परीक्षा: कलासा बंदूरी परियोजना और महादायी नदी से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।

प्रसंग:

  • पिछली कर्नाटक सरकार द्वारा कलासा बंदूरी परियोजना के कार्यान्वयन के लिए जारी की गई निविदाएं मुश्किल में पड़ सकती हैं क्योंकि उन्हें आवश्यक वन और पर्यावरण मंजूरी प्राप्त किए बिना घोषित किया गया था।

कलासा बंदूरी परियोजना:

  • कलासा-बंदूरी नाला कर्नाटक सरकार द्वारा कलासा और बंदूरी धाराओं पर बैराज बनाने के लिए शुरू की गई एक परियोजना है।
    • कलासा और बंदूरी धाराएँ महादयी या मांडोवी नदी की सहायक नदियाँ हैं।
  • कलासा-बंदूरी परियोजना का लक्ष्य कर्नाटक के बेलगावी, बागलकोट, धारवाड़, गडग और हुबली जिलों की पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए महादयी नदी से पानी को मोड़ना है।
  • कलासा-बंदूरी परियोजना के माध्यम से, कर्नाटक सरकार का लक्ष्य राज्य में कलासा और बंदूरी नहरों से मांडोवी नदी के पानी को मालाप्रभा नदी में मोड़ना है।
  • कलासा-बंदूरी परियोजना में महादायी या मांडोवी नदी पर कुल 11 बांधों का निर्माण करना शामिल है।
  • हालाँकि, महादयी नदी के पानी का बंटवारा 1980 के दशक से गोवा और कर्नाटक राज्यों के बीच विवाद का कारण रहा है।

महादायी या मांडोवी नदी:

  • महादायी या मांडोवी नदी पश्चिमी घाट में पश्चिम की ओर बहने वाली एक अंतरराज्यीय नदी है।
  • महादयी या मांडोवी या महादायी नदी का उद्गम कर्नाटक के बेलगावी जिले में स्थित भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य से होता है।
  • महादायी उत्तरी गोवा जिले के सत्तारी तालुक से गोवा में प्रवेश करती है और अंत में पणजी में अरब सागर में मिल जाती है।
  • मांडोवी नदी बेसिन गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों में पड़ता है।
  • इस नदी को “गोवा की जीवन रेखा” माना जाता है, क्योंकि राज्य की अधिकांश नदियों में खारा पानी है और मीठे पानी का स्रोत होने के कारण मंडोवी नदी जल सुरक्षा सुनिश्चित करती है और मत्स्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।

3. संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शांति की दीवार (Wall of Peace):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, एजेंसियाँ और मंच- उनकी संरचना एवं अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शांति की दीवार और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।

प्रसंग:

  • हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शांति की दीवार पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शांति की दीवार:

  • शांति की दीवार न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के उत्तरी लॉन पर स्थित है।
  • शांति की दीवार “संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के शहीदों के लिए स्मारक दीवार” (मेमोरियल वॉल) होगी।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की निस्वार्थ सेवा को मान्यता देते हुए, भारत के प्रधानमंत्री ने दोहराया कि उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा और उनकी निस्वार्थता हमेशा हमारी यादों में अंकित रहेगी।

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना सेना:

  • संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना शांति संचालन विभाग और परिचालन सहायता विभाग का एक संयुक्त प्रयास है।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियान युद्धग्रस्त देशों में सुव्यवस्था और स्थिरता लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा की जाने वाली पुलिसिंग और शांति स्थापना की गतिविधियाँ हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना संघर्ष से जूझ रहे देशों में स्थायी शांति के लिए परिस्थितियाँ निर्मित करने में मदद करती है।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना तीन मूलभूत सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है:
    • पक्षकारों की सहमति,
    • निष्पक्षता,
    • आत्मरक्षा और जनादेश की रक्षा के अलावा बल का प्रयोग न करना।
  • हाल ही में 29 मार्च 2023 को 75वां संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक दिवस (U.N. Peacekeepers Day) मनाया गया था।
    • यह दिन 1948 में फ़िलिस्तीन में संयुक्त राष्ट्र के पहले शांति मिशन “संयुक्त राष्ट्र युद्धविराम संधि पर्यवेक्षण संगठन” की शुरुआत का प्रतीक है।
  • एक शांति मिशन को संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा सामूहिक रूप से वित्त पोषित किया जाता है, जबकि इसकी स्थापना और इसके अभियानों का रखरखाव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) द्वारा विनिश्चित किया जाता है।
  • वर्तमान में, तीन महाद्वीपों पर संयुक्त राष्ट्र के 12 शांति अभियान तैनात हैं।
  • भारत UNPK में सबसे अधिक सैन्य योगदान देने वाले देशों में से एक है और वर्तमान में भारत ने 12 मिशनों पर लगभग 5,900 सैनिक तैनात किए हुए हैं।
  • भारत ने अब तक शांति मिशनों में लगभग 2,75,000 सैनिकों का योगदान दिया है और दुनिया भर में 159 भारतीय सेना के जवानों ने अपनी जान गंवाई है।

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए :United Nations Peacekeeping

4. सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच (SPIEF):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, एजेंसियाँ और मंच- उनकी संरचना एवं अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच (SPIEF) से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।

प्रसंग:

  • हाल ही में सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच (St. Petersburg International Economic Forum (SPIEF)) का 26वां संस्करण आयोजित किया गया था।

सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच (SPIEF):

  • सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच (SPIEF) वर्ष 1997 से आयोजित किया जा रहा है, और इसे वर्ष 2006 से रूसी संघ के राष्ट्रपति के अधीन रखा गया है।
  • SPIEF को व्यापार और अर्थशास्त्र की दुनिया में अद्वितीय घटनाओं में से एक माना जाता है।
  • यह मंच प्रमुख रूसी और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, राज्य प्रमुखों, राजनीतिक नेताओं, प्रधानमंत्रियों, उप प्रधानमंत्रियों, विभागीय मंत्रियों और राज्यपालों को एक साथ लाता है।
  • SPIEF व्यापार समुदाय के सदस्यों के लिए रूस, उभरते बाजारों और पूरी दुनिया के सामने आने वाले प्रमुख आर्थिक मुद्दों पर बैठक और चर्चा करने के लिए एक अग्रणी वैश्विक मंच बन गया है।
  • SPIEF को “रूसी दावोस” के रूप में जाना जाता था क्योंकि यह दुनिया के इस हिस्से में वैश्विक व्यापार समुदाय के नेताओं की एकमात्र ऐसी विशिष्ट सभा थी।
  • इस फोरम का मुख्य उद्देश्य व्यवसायों और सरकारों के लिए व्यावहारिक समाधान प्रदान करना है, जिससे रूस और अन्य देशों के बीच भौगोलिक और सूचना बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत को ‘नाटो प्लस फाइव’ का दर्जा:
    • अमेरिकी सीनेट इंडिया कॉकस (समूह की बैठक) भारत को “नाटो प्लस फाइव” रक्षा दर्जा देने के लिए कानून लाने पर विचार कर रहा है।
    • हालाँकि, भारत के विदेश मंत्री पहले ही भारत के लिए इस रूपरेखा को अस्वीकार कर चुके हैं।
    • “नाटो प्लस फाइव” रक्षा व्यवस्था वर्तमान में अमेरिका, उसके नाटो सहयोगियों और पांच देशों अर्थात् जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और इज़राइल के बीच मौजूद है।
    • यह नवीनतम घोषणा चीन पर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा समिति की एक सिफारिश के बाद की गई है कि भारत को नाटो प्लस फाइव क्लब में शामिल किया जाना चाहिए।

  2. वैश्विक लिंग अंतराल सूचकांक में भारत आठ पायदान ऊपर चढ़कर 127वें स्थान पर पहुंचा: WEF रिपोर्ट

चित्र स्रोत: The Hindu

  • विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा प्रकाशित लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2023 के अनुसार लिंग समानता में भारत को 146 देशों में से 127वां स्थान दिया गया है।
    • 2022 में भारत 135वें स्थान पर था।
  • लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2023 के अनुसार, भारत के निकटतम पड़ोसियों जैसे पाकिस्तान को 142वें, बांग्लादेश को 59वें, चीन को 107वें, नेपाल को 116वें, श्रीलंका को 115वें और भूटान को 103वें स्थान पर रखा गया है।
    • इस सूचकांक के अनुसार आइसलैंड लगातार 14वें वर्ष भी सर्वाधिक लिंग-समानता वाला देश बना हुआ है।
  • भारत ने वर्ष 2022 से 1.4% अंकों का सुधार किया है, जो कि वर्ष 2020 के समता/समानता स्तर की ओर आंशिक सुधार दर्शाता है।
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने कुल लिंग अंतर का 64.3% कम कर लिया है, लेकिन देश आर्थिक भागीदारी और अवसर में केवल 36.7% समानता तक पहुंच पाया है।
  • इसके अलावा, राजनीतिक सशक्तिकरण में, भारत ने 25.3% समानता दर्ज की है, जिसमें 15.1% सांसद महिलाएँ हैं।
    • वर्ष 2017-18 से उपलब्ध डेटा वाले 117 देशों में से, बोलीविया (50.4%), भारत (44.4%) और फ्रांस (42.3%) जैसे देशों ने स्थानीय शासन में 40% से अधिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व हासिल किया है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक किसके द्वारा जारी किया जाता है?

  1. विश्व आर्थिक मंच
  2. ऑक्सफैम इंटरनेशनल
  3. सतत विकास समाधान नेटवर्क
  4. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)

उत्तर: a

व्याख्या:

  • विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2023 में भारत 146 देशों में से 127वें स्थान पर है।
  • भारत ने 2022 की तुलना में 1.4% अंक और 135वें स्थान से 8 स्थान का सुधार प्रदर्शित किया है।

प्रश्न 2. अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह 15,000 किमी लंबा जहाज, रेल और सड़क मार्गों का एक मल्टी-मोड नेटवर्क है।
  2. रूस, भारत और ईरान INSTC के संस्थापक सदस्य देश हैं।
  3. यह कैस्पियन सागर के माध्यम से रूस को ईरान और भारत से जोड़ता है।

इनमें से कितने कथन सही है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) भारत, ईरान, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग का 7,200 किलोमीटर लंबा मल्टी-मोड नेटवर्क है।
  • कथन 2 सही है: रूस, ईरान और भारत ने 2002 में अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) परियोजना पर हस्ताक्षर किए थे।
  • कथन 3 सही है: यह कैस्पियन सागर के माध्यम से रूस को ईरान और भारत से जोड़ता है।

प्रश्न 3. इनमें से कौन-से देश ‘नाटो प्लस फाइव’ व्यवस्था का निर्माण करते हैं?

  1. ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, जापान, इज़राइल और दक्षिण कोरिया।
  2. भारत, न्यूज़ीलैंड, जापान, इज़राइल और दक्षिण कोरिया।
  3. भारत, न्यूजीलैंड, यूक्रेन, इज़राइल और दक्षिण कोरिया।
  4. ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, यूक्रेन और दक्षिण कोरिया।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • अमेरिकी सीनेट इंडिया कॉकस भारत को ‘नाटो प्लस फाइव’ रक्षा दर्जा देने के लिए कानून पेश करेगा।
  • वर्तमान में, नाटो प्लस फाइव, एक सुरक्षा व्यवस्था है जो ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इज़राइल और दक्षिण कोरिया को एक साथ लाती है।

प्रश्न 4. रानी दुर्गावती सबसे प्रसिद्ध योद्धा-रानी हैं:

  1. गढ़ा साम्राज्य की
  2. गजपति साम्राज्य की
  3. शिवगंगा साम्राज्य की
  4. तंजावुर नायक साम्राज्य की

उत्तर: a

व्याख्या:

  • रानी दुर्गावती गढ़-मंडला/गढ़ा साम्राज्य की सबसे प्रसिद्ध योद्धा-रानी हैं।
  • विंध्य और महाकोशल क्षेत्र के आदिवासी इलाकों में रानी दुर्गावती पूजनीय हैं।

प्रश्न 5. महादायी नदी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. महादायी पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है।
  2. इसका उद्गम कर्नाटक के बेलगावी जिले में भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य से होता है।
  3. कलसा, सुरला और बंडूरी इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।

इनमें से कितने कथन सही है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • महादायी या मांडोवी नदी पश्चिमी घाट में पश्चिम की ओर बहने वाली एक अंतरराज्यीय नदी है।
  • महादायी या मांडोवी या म्हादेई नदी का उद्गम कर्नाटक के बेलगावी जिले में स्थित भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य से होता है।
  • महादायी नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं: कलसा नाला, बंदुरी नाला, सुरला नाला, हलतार नाला, पोटी नाला, महादायी नाला, पनशीर नाला, बैल नाला, अंधेर नाला।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. हीटवेव के हानिकारक प्रभाव और इस आपदा को न्यून करने के लिए किए जाने वाले उपायों का परीक्षण कीजिए।

(250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-3; आपदा प्रबंधन]

प्रश्न 2. भारत-नेपाल संबंधों में काफी उतार-चढ़ाव आये हैं। वर्तमान में चल रही कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए परीक्षण कीजिए।

(250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-2; अंतर्राष्ट्रीय संबंध]