24 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: स्वास्थ्य :
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
सामाजिक न्याय:
अर्थव्यवस्था
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
हाथियों के बच्चे के बचाव अभियान की बदौलत तमिलनाडु के वन अधिकारियों ने ‘हाथियों की भाषा’ सीखी
पर्यावरण:
विषय: संरक्षण
मुख्य परीक्षा: हाथियों और अन्य जानवरों के संरक्षण के लिए संचार विधियों को समझने का महत्व
संदर्भ
- हाल के दिनों में विभिन्न बचाव अभियानों के कारण तमिलनाडु वन विभाग के अधिकारी हाथी के तौर तरीकों से परिचित हो रहे हैं।
पृष्ठभूमि
- पिछले एक साल में, नीलगिरी जिले में अलग हुए हाथी के तीन बच्चों को सफलतापूर्वक उनके झुंडों में शामिल कर दिया गया है।
- बचाव अभियानों में शामिल अधिकारियों ने माना कि इन बचाव अभियानों से उन्हें हाथियों के जटिल व्यवहार और सामाजिक संरचनाओं को समझने में मदद मिली है।
विवरण
- वन अधिकारियों के अनुसार, यह निर्धारित करने के लिए कि बच्चे को उसकी माँ के साथ फिर से मिलाने का अभियान सफल होता है या नहीं, कई कारक उत्तरदायी होते हैं।
- अधिकारियों का मानना है कि हाथियों के बच्चों के अपने झुंड के साथ फिर से जुड़ने की संभावना अधिक होती है यदि वह अपनी मां से गलती से जैसे बाढ़ के कारण, या एक शिकारी से बचने के दौरान बिछड़ गया हो।
- हालाँकि, यदि माँ हाथी ने उसकी कमजोरी, या अन्य कारणों से बच्चे को छोड़ दिया है, तो उसे उसके झुंड के साथ फिर से मिलाना लगभग असंभव होगा।
- वन विभाग के अधिकारियों ने पाया कि वयस्क हाथी समूह के सदस्य गोबर और मूत्र के विभिन्न रासायनिक संकेतों का उपयोग करके और इन्फ्रासोनिक संचार का उपयोग करके वृहद क्षेत्र में संवाद कर सकते हैं।
संचार की इन्फ्रासोनिक विधि
चित्र स्त्रोत: elephantlisteningproject.org
- वयस्क हाथी इंफ्रासोनिक ध्वनि तरंगों का उपयोग करके चार से पांच किमी से अधिक दूरी तक संचार कर सकते हैं। हाथियों द्वारा इन्फ्रासोनिक संचार की इस विधि की खोज पहली बार 1980 के दशक में की गई थी।
- ये बहुत कम-आवृत्ति वाली ध्वनियाँ हैं, जिनमें मानव श्रवण की सीमा से कम की आवृत्ति होती हैं।\
- ये इंफ्रासोनिक ध्वनि तरंगें हाथियों को एक निजी संचार माध्यम प्रदान करती हैं जो उनके जटिल सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, हाथी अपने स्वरयंत्र (वॉयस बॉक्स) में मांसपेशियों को तनाव और आराम देकर ये ध्वनि तरंगें उत्पन्न करते हैं।
- लेकिन इन इंफ्रासोनिक तरंगों को पहचानने के लिए बच्चों के संवेदी अंग पूर्ण रूप से विकसित नहीं होते हैं और इसलिए मां हाथी अपने बिछड़े हुए बच्चों को खोजने के लिए बछड़ों के दृश्य और श्रवण संकेतों पर निर्भर करती है, इसके लिए बच्चों का मां के करीब होना आवश्यक है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
उच्चतम न्यायालय ने शराब की बोतलों पर स्वास्थ्य चेतावनी की मांग वाली याचिका खारिज की
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
मुख्य परीक्षा: भारत में मद्यपान की समस्याओं के समाधान के लिए एकीकृत प्रयासों की आवश्यकता।
संदर्भ
उच्चतम न्यायालय ने नई दिल्ली में शराब के उत्पादन, वितरण और खपत को विनियमित करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
पृष्ठभूमि
- शराब सेवन के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए इस याचिका में न्यायालय से दिल्ली सरकार को शराब की बोतलों पर स्वास्थ्य चेतावनी छापने का आदेश देने को कहा गया है।
- याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि सिगरेट उत्पादों पर चेतावनी के विपरीत, वर्तमान में शराब के सेवन से होने वाले खतरे को दर्शाने वाले कोई चेतावनी लेबल या चित्र नहीं हैं।
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 47 का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय से दिल्ली सरकार को मादक पेय पदार्थों और दवाओं का वितरण और खपत के “स्वास्थ्य प्रभाव आकलन” और “पर्यावरण प्रभाव आकलन” करने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया।
तंबाकू उत्पाद पैकेटों पर स्वास्थ्य चेतावनी:
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उच्चतम न्यायालय का मत
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अगुवाई वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने माना कि न्यायालय इस मुद्दे से संबंधित नीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है और अगर उसे सरकार पर छोड़ दिया जाए तो सबसे अच्छा है।
- CJI ने कहा कि इस मुद्दे पर मतभिन्नता हैं क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि कम मात्रा में मदिरा का सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है, जबकि सिगरेट के मामले में, कोई यह नहीं कहता है कि कम मात्रा में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
- इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका को खारिज भी कर दिया था जिसमें केंद्र सरकार को राष्ट्रीय शराब-निवारण नीति तैयार करने के निर्देश देने की मांग की गई थी, क्योंकि यह ‘नीतिगत’ मामला था।
वर्तमान दिशा-निर्देश
- मादक पेय पदार्थों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत विनियमित किया जाता है। हालांकि, इस अधिनियम के तहत कोई लेबलिंग नियम नहीं बनाए गए हैं।
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) 2018 में जारी अधिसूचना के अनुसार, मादक पेय निर्माताओं को “शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है” और “सुरक्षित रहें: शराब पीकर गाड़ी न चलाएं” की चेतावनियों के साथ लेबल लगाना होगा ।
- इसके पहले निर्माता भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित उत्पाद शुल्क कानूनों और मानकों का पालन करते थे।
भारत में शराब का प्रचलन:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी अल्कोहल एंड हेल्थ-2018 पर वैश्विक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, हर साल दुनिया भर में शराब से लगभग 30 लाख लोगों की मौत होती है।
- विश्व स्तर पर, यह 1% बीमारी बोझ के लिए जिम्मेदार है और शराब से जुड़ी बीमारी का बोझ विशेष रूप से निम्न आय और निम्न मध्यम आय वाले देशों में अधिक है।
- विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, भारत को 2020 में दुनिया में शराब के 9वें सबसे बड़े उपभोक्ता का स्थान दिया गया था।
- अन्य देशों की तुलना में भारत में प्रति वयस्क औसत शराब का सेवन काफी कम होने के बावजूद, युवाओं में अधिक मात्रा में शराब का सेवन चिंता का कारण है।
- अध्ययनों के अनुसार, 25 वर्ष से कम आयु के लगभग 88% भारतीय अवैध होने के बावजूद मादक पेय खरीदते या पीते हैं।
- सामाजिक न्याय मंत्रालय की मेग्नीट्यूड ऑफ सब्सटेंस यूज इन इंडिया 2019 रिपोर्ट के अनुसार, शराब भारतीयों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम साइकोएक्टिव पदार्थ है।
- यह उच्च संख्या भारत के कुछ राज्यों में शराब पर प्रतिबंध लगाने और अन्य राज्यों में बिक्री पर सीमाओं के बावजूद दर्ज की गई है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
भू-राजनीति में ग्लोबल साउथ की जगह
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव
मुख्य परीक्षा: बदलती भू-राजनीति और उसके निहितार्थ
संदर्भ: अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में ग्लोबल साउथ के उदय के परिणामस्वरूप भू-राजनीतिक परिवर्तन और प्रतिस्पर्धी शक्ति के आधिपत्य की ओर जोर है।
पृष्ठभूमि:
- संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में श्रेष्ठता के अपने लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
- अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा दस्तावेज चीन के उदय पर अंकुश लगाने, रूस की क्षमताओं को कमजोर करने, अमेरिकी नेतृत्व के पीछे यूरोप को सुरक्षित करने तथा अमेरिकी हितों और मूल्यों के अनुरूप देशों के साथ गठबंधन बनाने की वकालत करते हैं।
- चीन ने वैश्वीकरण के दौरान अपनी आर्थिक पहुंच में वृद्धि के साथ विरोधी संस्थानों का निर्माण शुरू किया, जिससे यह साझेदार से प्रतिस्पर्धी के रूप में आ गया एवं पश्चिमी पुरानी व्यवस्था के लिए खतरा बन गया।
ग्लोबल साउथ एवं रूस:
- बदलती दुनिया में ग्लोबल साउथ की एक नई एजेंसी है, जिसमें कई देशों ने पाया है कि तटस्थता और रणनीतिक स्वायत्तता एक व्यवहार्य विकल्प बन गई है।
- रूस ने अपने विशाल प्राकृतिक संसाधनों और सैन्य क्षमता के साथ वैश्विक भू-राजनीति में अपनी इच्छा व्यक्त करने की क्षमता दिखाई है।
- अमेरिका इस क्षेत्र के पुन: सैन्यीकरण के लिए यूरोप का समर्थन प्राप्त करके वैश्विक श्रेष्ठता के लिए चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष का उपयोग कर रहा है।
- अमेरिका बढ़ती चीन-रूसी रणनीतिक साझेदारी को ‘बिना सीमा’ के पश्चिम के लिए एक खतरे के रूप में देखता है।
- इसलिए, पश्चिमी देश ग्लोबल साउथ के कुछ देशों, विशेष रूप से भारत, चीन और अन्य को यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में रूस के खिलाफ विफल प्रतिबंधों के लिए दोषी ठहरा रहे हैं।
ग्लोबल साउथ और चल रहे संघर्ष:
- ग्लोबल साउथ, कुछ अपवादों के साथ, रूस-यूक्रेन संघर्ष का अंत त्वरित और बातचीत से चाहता है।
- ग्लोबल साउथ के सभी देश प्रतिबंध व्यवस्था का विरोध करते हैं और तटस्थता की बात करते हैं।
- तटस्थता के कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- रूस दक्षिण के कई देशों को तेल, ईंधन, उर्वरक, गेहूं, वस्तुओं और रक्षा प्रौद्योगिकी का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
- हाल की घटनाएं, जैसे कि कोविड-19 वैक्सीन के लिए एक बार पेटेंट कानून में छूट देने के प्रति पश्चिम की अस्वीकृति भी मददगार नहीं रही है।
- जिस तरह से यूक्रेनी शरणार्थियों के स्वागत के विपरीत दक्षिण से आने वाले शरणार्थियों के साथ व्यवहार किया जाता है, उसकी मीडिया छवियों ने आश्चर्यजनक नस्लवाद का खुलासा किया है।
- कई दक्षिण राष्ट्र सोचते हैं कि जब उन्हें सबसे अधिक आवश्यकता होती है तो उन्हें पश्चिम से सहायता प्राप्त करने की संभावना नहीं के बराबर होती है। इन परिस्थितियों में, ग्लोबल साउथ रूस को खतरे के रूप में नहीं देखता है।
ग्लोबल साउथ की तटस्थता और सामरिक स्वायत्तता:
- चीन ने अपनी “ग्रे ज़ोन” रणनीति के साथ वियतनाम, इंडोनेशिया, भारत और फिलीपींस सहित कई देशों को अलग-थलग कर दिया है, जिसमें क्रीपिंग विस्तारवाद एवं दक्षिण चीन सागर और अन्य जगहों पर समुद्री क्षेत्रों का उल्लंघन शामिल है।
- अधिकांश दक्षिणी राष्ट्र पश्चिम के साथ-साथ रूसी या चीनी पक्षों के साथ सुरक्षा या सैन्य गठबंधन में शामिल होना पसंद नहीं करेंगे।
- दक्षिणी देश, विशेष रूप से अफ्रीकी देश जो चीन या अमेरिका या रूस से संबंध बनाना चाहते हैं, वे अपनी पसंद के संबंध चुनने के लिए अपनी नीतियों में बड़ी स्वायत्तता के संकेत दिखा रहे हैं।
- स्थापित पुरानी विश्व व्यवस्था के खिलाफ लैटिन अमेरिका और पश्चिम एशियाई देशों की ओर से भी इसी तरह की कार्यवाही देखी गई है।
- छोटे राज्य क्षेत्रीय शक्तियों के बीच संतुलन बना रहे हैं – जैसा कि श्रीलंका भारत और चीन के बीच करता है। भारत जैसे मजबूत देशों ने कई पक्षों के साथ बातचीत करने में अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया है।
- भारत ने पश्चिम के दबाव का विरोध करते हुए रूस से अपनी तेल की खरीद बढ़ा दी है। भारत और अमेरिका के बीच एक सैन्य रसद विनिमय समझौता ज्ञापन (LEMOA) है, जबकि उसी समय, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे का निर्माण किया, जो रूस और भारत को मध्य एशिया और ईरान के माध्यम से तीन स्वीकृत राज्यों से जोड़ता है।
- यह RIMPAC जैसे सैन्य अभ्यासों में भाग लेता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा आयोजित किया जाता है और यह अब तक के सबसे बड़े समुद्री अभ्यासों में से एक है। यह वोस्तोक अभ्यास के लिए एक सैन्य बल भी भेजता है, जिसे चीन, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका अक्सर एक साथ करते हैं।
- बदलती भू-राजनीति ने दक्षिण देशों को व्यापार और अर्थव्यवस्था के प्रति अधिक सतर्क कर दिया है।
- डॉलर के भंडार को फ्रीज करने की अमेरिकी रणनीति के डर ने दक्षिण को धीरे-धीरे स्थानीय मुद्राओं का उपयोग करके द्विपक्षीय व्यापार में डॉलर को दरकिनार करने के तरीके खोजने के लिए मजबूर कर दिया है।
- मुद्रा स्वैम्प प्रणाली का उपयोग चीन और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान)+ 3 देशों, भारत, रूस और 23 अन्य देशों द्वारा किया जाता है ।
निष्कर्ष:
ब्रिक्स और अफ्रीकी संघ से लेकर आसियान और लैटिन अमेरिकी व कैरेबियाई राज्यों के समुदाय तक की बहुपक्षीय संस्थाओं ने ग्लोबल साउथ को एक नया आत्मविश्वास दिया है। यदि जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिक विनाश, असमानता और बढ़ते सैन्यीकरण से अस्तित्व संबंधी जोखिमों के बारे में सामान्य चिंताओं को उठाया जाए और बहुल समावेशी तरीकों से काम किया जाए तो यह अपने लिए वैश्विक स्थिति में सुधार कर सकता है।
सारांश: ग्लोबल साउथ ने व्यापार के लिए बेहतर शर्तों के लिए अपने विकास पर एक बयान दिया है जिसके लिए उसे रणनीतिक स्वायत्तता की आवश्यकता है। भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया और मलेशिया सहित कई राष्ट्र अपने घरेलू मुद्दों और असमानताओं के बावजूद आर्थिक महाशक्तियों के रूप में विकसित हुए हैं। इन परिस्थितियों में तटस्थता और सामरिक स्वायत्तता एक व्यावहारिक विकल्प है।
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
केरल में रेबीज के बढ़ते मामले
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे
मुख्य परीक्षा: भारत में जूनोटिक रोग
संदर्भ: हाल ही में केरल में एक 12 वर्षीय लड़की की मौत से रेबीज के मामलों की बढ़ती संख्या और राज्य में आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी पर ध्यान गया है।
पृष्ठभूमि:
- केरल राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कुत्ते के काटने के मामलों की संख्या 2013 के 60,000 से बढ़कर 2021 में 2.2 लाख हो गई है। इस साल, इसके मामले अगस्त महीने तक 2 लाख को पार कर चुके हैं।
- इस राज्य से 2022 में अब तक 21 लोगों की मृत्यु रेबीज से हो चुकी है।
- दुनिया में रेबीज से होने वाली मौतों में एक तिहाई से अधिक मौतें भारत में होती है।
- राज्य के विभिन्न भागों से नियमित रूप से आवारा कुत्तों द्वारा पैदल चलने वालों के साथ-साथ मोटर चालकों पर हमला करने की खबरें आती रहती हैं।
- राज्य सरकार ने आवारा कुत्तों से संबंधित मुद्दों को देखने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
केरल में कैनाइन आबादी और रेबीज के मामलों में वृद्धि:
- 20वीं पशुधन जनगणना 2019 के दौरान कुत्तों की संख्या 11.2 लाख है, जो कि एक दशक पहले 7.88 लाख थी।
- नवीनतम गणना में आवारा कुत्तों की आबादी 2.89 लाख बताई गई है।
वृद्धि के पीछे कारण:
- कोविड-19 महामारी के कारण कुत्तों के लिए पशु जन्म नियंत्रण (ABC) कार्यक्रम में व्यवधान
- जब कोविड के कारण यात्रा और सामाजिक कार्यक्रम निषिद्ध थे, तो बहुत से व्यक्तियों ने जीवन की एकान्तता को दूर करने के लिए पालतू कुत्ते खरीदे जिससे समुदाय के बीच कुत्ते के काटने की संभावना बढ़ गई।
- कुत्ते जंगली जानवरों, विशेष रूप से लोमड़ियों से इस वायरस के संपर्क में आते हैं। ऐसे जंगली जीव आज मानव बस्तियों में तेजी से आम हो रहे हैं। लोमड़ियों और कुत्तों के आपस में संपर्क में आने की संभावना बनती है, जिसने वायरस के संचरण में योगदान दिया होगा।
भावी कदम:
- जानवरों और लोगों को इस घातक बीमारी से बचाव का एकमात्र तरीका कुत्तों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित करना और हर्ड प्रतिरक्षा विकसित करना है।
- केरल राज्य ने 2025 तक केरल में रेबीज से होने वाली मौतों को खत्म करने के लिए एक कार्य योजना स्थापित की है। इस रणनीति के हिस्से के रूप में, पशुपालन, स्थानीय स्व-सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय ABC कार्यक्रम को लागू करने और कुत्तों का टीकाकरण करने के लिए सहयोग करेंगे।
- ABC कार्यक्रम के तहत, कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के लिए सड़कों से उठाया जाता है, और उसी स्थान पर छोड़ने से पहले कुछ दिनों के लिए उन्हें निगरानी में रखा जाता है।
- टीके का गुणवत्ता विश्लेषण किया जाना चाहिए और रेबीज वायरस में संभावित म्यूटेशन की भी जांच की जानी चाहिए।
- जोखिम से पहले टीकाकरण या कमजोर आबादी का टीकाकरण, क्योंकि कुत्तों द्वारा काटे जाने से पीड़ितों में लगभग 40% से 50% बच्चे हैं।
सारांश: प्रत्येक वर्ष टेस्ट किए गए नमूनों की संख्या में वृद्धि संभवतः रेबीज-पॉजिटिव मामलों की बढ़ती संख्या में योगदान दे रही हो, फिर भी खतरनाक आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि यह बीमारी जानवरों से मनुष्यों में अपना रास्ता बना रही है। जन्म नियंत्रण उपायों के समुचित क्रियान्वयन से इस संख्या में कमी आ सकती है, और टीकाकरण अभियान रेबीज के प्रसार को रोक सकता है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
अर्थव्यवस्था
मुद्रा दबाव- फेडरल रिजर्व की नवीनतम नीति परिवर्तन
विषय: संसाधन जुटाना
मुख्य परीक्षा: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के लिए मौद्रिक नीति
संदर्भ: हाल ही में, रुपया पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 81 के स्तर से कमजोर हुआ है।
भूमिका:
- मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की अपनी निरंतर प्रतिबद्धता में, यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में वृद्धि की घोषणा की, बेंचमार्क उधार दर को 0.75 प्रतिशत अंक बढ़ा दिया।
- डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया पहली बार 81 अंक से नीचे गिर गया।
फ़ेडरल रिज़र्व दर में वृद्धि का प्रभाव:
भारत पर:
- 2022 में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपए के मूल्य में 8% से अधिक की कमी हो चुकी है।
- ऐसे समय में जब स्थानीय मांग अभी भी महामारी के बाद के स्थिर स्तर को प्राप्त करने की कोशिश कर रही है, वहीं भारतीय व्यवसाय जो आयातित कच्चे माल या सेवाओं पर निर्भर हैं, उन्हें बढ़ते खर्चों को बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।
- आयात लागत में वृद्धि पहले से ही उच्च मुद्रास्फीति से बोझिल अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ाएगी और मौद्रिक नीति निर्माताओं के लिए कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित करना और अधिक कठिन बना देगी।
- फेड दरों में बढ़ोतरी के साथ, उभरते बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अपना पैसा निकाल लेते हैं और अमेरिकी बॉन्ड में निवेश करते हैं। इससे अमेरिकी मुद्रा अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत होगी।
- लगातार तीन वर्षों के शुद्ध निवेश के बाद, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2022 में अब तक 20.6 बिलियन डॉलर की भारतीय इक्विटी और ऋण बेचा है।
- फेडरल रिज़र्व द्वारा अनुमानित और तेज मौद्रिक सख्ती, कम से कम एक और 125 आधार अंक की, से केवल इस वर्ष की अंतिम तिमाही में बहिर्वाह में वृद्धि की संभावना है।
वैश्विक स्तर:
- यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में यह बढ़ोतरी वैश्विक आर्थिक विस्तार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, खासकर जब चीन रियल एस्टेट संकट और लॉकडाउन-प्रेरित मंदी के प्रभावों से उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है।
- यह भारत जैसे देशों को करेंसी कैरी ट्रेड के लिए कम आकर्षक बनाता है।
- निवेशक, विशेष रूप से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक, अक्सर अमेरिका में डॉलर में कम ब्याज दरों पर ऋण लेते हैं और फिर अधिक ब्याज दर अर्जित करने हेतु भारत जैसे देशों के बॉन्ड में निवेश करने के लिए उन फंडों को रुपये में परिवर्तित करते हैं।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बारे में
- मुद्रास्फीति में अनियमित वृद्धि से निपटने के लिए केंद्रीय बैंकों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला मुख्य मौद्रिक नीति साधन ब्याज दरों में वृद्धि है।
- जैसे-जैसे उधार की लागत बढ़ती है, लोग उत्पादों और सेवाओं पर कम खर्च करते है, और व्यवसायों के बढ़ने, नई संपत्ति हासिल करने या नए उद्यमों में संलग्न होने के लिए ऋण लेने की संभावना कम होती है।
- अंत में, उत्पादों और सेवाओं की मांग में गिरावट के परिणामस्वरूप मजदूरी और अन्य लागतें कम आती हैं, जो परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने में मदद करती हैं।
सारांश: अमेरिकी नीति दर में यह वृद्धि विकासशील बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक नकारात्मक संदेश है। भारत की मौद्रिक नीति समिति आने वाले हफ्तों में वृद्धि को प्रभावित किए बिना मूल्य स्थिरता बहाल करने के लिए नीतियां तैयार करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि रुपया बहुत तेजी से कमजोर न हो।
प्रीलिम्स तथ्य:
1. हिमस्खलन निगरानी रडार
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: हिमस्खलन निगरानी रडार और रक्षा भू सूचना विज्ञान और अनुसंधान प्रतिष्ठान (DRGE) के बारे में
हिमस्खलन निगरानी रडार
- भारत में पहला हिमस्खलन निगरानी रडार उत्तरी सिक्किम में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है।
- भारतीय सेना और रक्षा भू-सूचना विज्ञान और अनुसंधान प्रतिष्ठान (DGRE) द्वारा इस हिमस्खलन निगरानी रडार को चालू किया गया ।
- रडार में शुरू होने के तीन सेकंड के भीतर हिमस्खलन का पता लगाने की क्षमता है और सैनिकों के जीवन को बचाने व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संपत्ति के नुकसान को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- रडार लघु माइक्रोवेव स्पंदन की एक श्रृंखला को नियोजित करता है, जो लक्ष्य पर बिखरे होते हैं और हिमस्खलन के लिए लक्षित ढलान को स्थायी रूप से स्कैन कर सकते हैं तथा पथ और हिमस्खलन के आकार को ट्रैक कर सकते हैं। रडार का उपयोग भूस्खलन का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।
- यह रडार बर्फ, कोहरे और रात में भी देख सकता है। यह दो वर्ग किमी से अधिक के क्षेत्र को कवर कर सकता है और खतरनाक हिमस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में अतिरिक्त उपकरणों को तैनात करने की आवश्यकता को कम करता है।
- रडार एक अलार्म सिस्टम से भी जुड़ा है, जो स्वचालित नियंत्रण और चेतावनी उपायों को सक्षम करता है। घटना के चित्र और वीडियो विशेषज्ञों द्वारा भविष्य के विश्लेषण के लिए स्वचालित रूप से रिकॉर्ड किए जाते हैं।
रक्षा भू सूचना विज्ञान और अनुसंधान प्रतिष्ठान (DGRE)
- यह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) का एक विंग है जो सशस्त्र बलों को स्थानीय अत्याधुनिक समाधान प्रदान करने के लिए काम करता है।
- DGRE का मुख्यालय चंडीगढ़ में है
- DRGE, DRDO की दो प्रमुख प्रयोगशालाओं स्नो एंड एवलांच स्टडी एस्टेब्लिशमेंट (SASE), चंडीगढ़ और डिफेंस टेरेन रिसर्च लेबोरेटरी (DTRL), दिल्ली के विलय के साथ गठित एक प्रतिष्ठान है।
- DRGE भारतीय हिमालय में भूस्खलन और हिमस्खलन के प्रभाव का मानचित्रण, पूर्वानुमान, निगरानी, नियंत्रण और शमन करने में भी शामिल है।
- DRGE के मनाली, दिल्ली, तेजपुर, तवांग और लाचुंग में पांच अनुसंधान एवं विकास केंद्र (RDC) हैं। इसके श्रीनगर, औली और ससोमा में तीन पर्वतीय मौसम विज्ञान केंद्र (MMC) भी हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- G 4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए ‘तत्काल आवश्यकता’ पर प्रकाश डाला
- चार (G4) देशों के समूह में भारत, जर्मनी, ब्राजील और जापान शामिल हैं।
- इस समूह का मुख्य जोर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार लाना और UNSC में G4 सदस्यों के लिए स्थायी सदस्यता प्राप्त करना है।
- G4 देशों ने UNSC की स्थायी और अस्थायी सदस्यता में अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता को भी दोहराया।
- G4 देशों ने अपने संयुक्त बयान में संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने वाले निकायों के तत्काल सुधार के लिए भी आग्रह किया क्योंकि वैश्विक मुद्दे जटिल और परस्पर जुड़े हुए हैं।
- G4 मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76 वें सत्र के बारे में भी चिंता व्यक्त की, जो अंतर-सरकारी वार्ता (IGN) में कोई महत्वपूर्ण प्रगति करने में विफल रही, जो पारदर्शिता की कमी के कारण बाधित हुई है।
- आपदा राहत और सहायता के लिए क्वाड ने समझौते पर हस्ताक्षर किया
- हाल ही में क्वाड समूह के विदेश मंत्रियों ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के बैठक के मौके पर अमेरिका द्वारा आयोजित एक बैठक के दौरान इंडो-पैसिफिक में मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- यह साझेदारी क्वाड पार्टनर के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आपदा प्रतिक्रिया कार्यों के समन्वय के लिए एक विशेष मंच के रूप में कार्य करेगी और इसका निर्माण क्षेत्र की भेद्यता से निपटने के लिए किया गया था।
- यह तंत्र क्षमता, अंतर-संचालनीयता और परिचालन तालमेल में वृद्धि कर HADR संचालन की क्षमता में भी सुधार करेगा।
- मानवीय सहायता के प्रावधान पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प 46/182 में उल्लिखित मानवता, तटस्थता और निष्पक्षता के मौलिक मूल्य प्रतिक्रिया कार्यों के आधार के रूप में काम करेंगे।
- क्वाड पार्टनर को इस समझौते के तहत समन्वय में कार्य करने से पहले अंतरराष्ट्रीय सहायता के लिए एक अनुरोध करने की आवश्यकता है तथा सभी मानवीय कार्य प्रभावित राज्य की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय एकता का सम्मान करते हुए किए जाएँगे।
- ओडिशा के नयागढ़ में, बाल विवाह के लिए एक डेटा संचालित समाधान
- ओडिशा के नयागढ़ जिले में बाल विवाह को खत्म करने के उद्देश्य से जिले की सभी किशोरियों की जानकारी दर्ज करने की एक अनूठी पहल शुरू की गई है।
- यह स्वीकार करते हुए कि नयागढ़ में बाल विवाह अभी भी उनके सामाजिक जीवन का एक हिस्सा है, जिला प्रशासन ने जनवरी 2022 में अलीवा कार्यक्रम शुरू किया।
- अलीवा नाम के रजिस्टर में जन्म पंजीकरण तिथि, आधार संख्या, परिवार का विवरण और कौशल प्रशिक्षण जैसी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली प्रत्येक किशोरी की पहचान करने और उन पर नजर रखने का काम सौंपा गया है.
- चूंकि उड़ीसा राज्य का लक्ष्य बाल विवाह रोकथाम रणनीति के अनुसार 2030 तक बाल विवाह को समाप्त करना है, तो यह रजिस्टर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उपयोगी हो जाता है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- वर्तमान में केवल हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म से संबंधित व्यक्तियों को ही अनुसूचित जाति माना जाता है।
- एक राज्य में अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा प्राप्त व्यक्ति को उस दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति (SC) का माना जाएगा जहां वह रोजगार या शिक्षा के उद्देश्य से प्रवास करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है, वर्तमान में संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 के अनुसार, केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्मों से संबंधित व्यक्तियों को दलित (अनुसूचित जाति) माना जाता है।
- जैन धर्म से संबंधित व्यक्तियों को अनुसूचित जाति का नहीं माना जाता है।
- कथन 2 सही नहीं है, हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि “एक राज्य में अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा प्राप्त व्यक्ति रोजगार या शिक्षा के उद्देश्य से दूसरे राज्य में पलायन करता है तो उसे उस राज्य में SC या ST नहीं माना जाएगा”।
प्रश्न 2. स्वतंत्रता-पूर्व अवधि के दौरान पारित शारदा अधिनियम निम्नलिखित में से किससे संबंधित था ?
- बाल विवाह
- घरेलू हिंसा
- विरासत के अधिकार
- विशेष विवाह
उत्तर:
विकल्प a
व्याख्या:
- शारदा अधिनियम जिसे बाल विवाह निरोधक अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है, को सितंबर 1929 में पारित किया गया था।
- इस अधिनियम में विवाह योग्य आयु लड़कियों के लिए 14 वर्ष और लड़कों के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई थी।
प्रश्न 3. बाल विवाह निषेध अधिनियम के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- इस अधिनियम के अनुसार “चाइल्ड” वह है जिसकी अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं हुई है।
- इस अधिनियम के अनुसार सभी परिस्थितियों में सभी बाल विवाह अमान्य हैं।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है, बाल विवाह निषेध अधिनियम के अनुसार, “चाइल्ड” से तात्पर्य निम्नलिखित से है,
- यदि पुरुष ने इक्कीस वर्ष की आयु पूरी नहीं की है।
- यदि महिला ने अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है।
- कथन 2 सही नहीं है, कुछ परिस्थितियों में नाबालिग बच्चे का विवाह शून्य माना जाता है, जहां एक बच्चा, नाबालिग होने की स्थिति में-
- वैध अभिभावक के नियंत्रण से बहलाया जाता है।
- किसी जगह से जाने के लिए जबरदस्ती या किसी अनुचित तरीके से प्रेरित किया जाता है।
- विवाह के लिए बेचा जाता है।
प्रश्न 4.भारत का पहला हिमस्खलन-निगरानी रडार निम्नलिखित में से किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में स्थापित किया गया था?
- हिमाचल प्रदेश
- जम्मू और कश्मीर
- सिक्किम
- उत्तराखंड
उत्तर:
विकल्प c
व्याख्या:
- भारत का पहला हिमस्खलन-निगरानी रडार सिक्किम राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में स्थापित किया गया है।
- हिमस्खलन-निगरानी रडार भारतीय सेना तथा रक्षा भू सूचना विज्ञान और अनुसंधान प्रतिष्ठान (DGRE) द्वारा उत्तरी सिक्किम में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है।
प्रश्न 5. पट्टचित्र के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- यह कपड़े के एक टुकड़े पर चित्रित चित्र होता है।
- कला के इस रूप का बिहार के मंगलागौरी मंदिर और इसकी परंपराओं से गहरा संबंध है।
- चित्रकारी में प्रयुक्त सामग्री वनस्पति, मिट्टी और खनिज स्रोतों से प्राप्त होती हैं।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर:
विकल्प c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है, पट्टचित्र कला कपड़ा आधारित स्क्रॉल चित्रकला का एक रूप है।
- कथन 2 सही नहीं है, पट्टचित्र कला आमतौर पर भारत के पूर्वी राज्यों से संबंधित है।
- उड़ीसा में, पट्टचित्र की उत्पत्ति भगवान जगन्नाथ की कहानियों को चित्रित करने के तरीके के रूप में हुई थी।
- पश्चिम बंगाल में, देवी दुर्गा की कहानियों और अन्य पौराणिक कहानियों को चित्रित करने के लिए पट्टचित्रों का उपयोग किया जाता था।
- कथन 3 सही है, चित्रकारी में प्रयुक्त सामग्री वनस्पति, मिट्टी और खनिज स्रोतों से प्राप्त होती है।
- काला रंग (ब्लैक), लैम्प ब्लैक से तैयार होता है
- पीला रंग हरितला पत्थर से तैयार होता है।
- लाल सिंगल स्टोन से तैयार होता है।
- सफेद रंग कुचले, उबाले और छने हुए शंख से तैयार किया जाता है।
प्रश्न 6. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
- मोनाजाइट दुर्लभ मृदाओं का स्रोत है।
- मोनाजाइट में थोरियम होता है।
- भारत की समस्त तटवर्ती बालुकाओं में मोनाजाइट प्राकृतिक रूप से होता है।
- भारत में, केवल सरकारी निकाय ही मोनाजाइट संसाधित या निर्यात कर सकते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
- केवल 1, 2 और 3
- केवल 1, 2 और 4
- केवल 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर:
विकल्प b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है, मोनाजाइट दुर्लभ मृदा का एक स्रोत है जैसे कि सेरियम, लैन्थेनम, अन्य।
- कथन 2 सही है, मोनाजाइट में यूरेनियम और थोरियम पाए जाते हैं
- कथन 3 सही नहीं है, मोनाजाइट प्राकृतिक रूप से तमिलनाडु के तीन जिलों तिरुनेलवेली, तूतूकुडी और कन्याकुमारी के तटीय रेत में पाया जाता है।
- कथन 4 सही है, भारत में, केवल इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL), जो परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के तहत भारत सरकार (GOI) के पूर्ण स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, को मोनाजाइट का उत्पादन और प्रसंस्करण करने तथा घरेलू उपयोग के साथ-साथ निर्यात की अनुमति दी गई है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
- विभिन्न प्रयासों के बावजूद भारत में मनुष्यों को होने वाले रेबीज की समस्या एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके पीछे महत्वपूर्ण कारण क्या हैं?
(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III – रोग)
- क्या आपको लगता है कि तंबाकू उत्पादों पर चित्रित चेतावनी लोगों को इसके सेवन से हतोत्साहित करती है? चर्चा कीजिए।
(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II – स्वास्थ्य)