A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आतंरिक सुरक्षा
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। E. संपादकीय: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
बीएसएफ की शक्तियों को लेकर पंजाब ने अदालत का रुख क्यों किया है?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
आतंरिक सुरक्षा
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका; विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा: बीएसएफ शक्तियां
मुख्य परीक्षा: भारत में सीमा प्रबंधन के मुद्दे
प्रसंग:
- सीमा सुरक्षा बल (BSF) की शक्तियों में वृद्धि को लेकर पंजाब सरकार और केंद्र के बीच क्षेत्राधिकार संबंधी विवाद के कारण कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है और पंजाब सरकार सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई है। पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के अंदर BSF के अधिकार क्षेत्र को 15 से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक करने के सरकार के फैसले ने विशेष रूप से पंजाब में विवाद पैदा कर दिया है।
मुद्दे की पृष्ठभूमि
- केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 में BSF अधिनियम, 1968 में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना पारित की।
- इसने BSF के अधिकार क्षेत्र को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 15 किमी से 50 किमी तक बढ़ा दिया।
- गुजरात में सीमा 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर कर दी गई। राजस्थान के लिए इसे 50 किमी पर अपरिवर्तित रखा गया।
- BSF के अनुसार, सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 50 किमी की बेल्ट तक बढ़ाने का निर्णय सभी राज्यों में ‘क्षेत्राधिकार को एकरूपता देने’ के लिए लिया गया था।
समस्याएँ
- संवैधानिक वैधता को चुनौती: पंजाब ने सीमा सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 की धारा 139 को लागू करने के लिए अक्टूबर 2021 में जारी केंद्र की अधिसूचना की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। अधिसूचना ने BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया है और पंजाब इसे केंद्र द्वारा शक्ति के मनमाने ढंग से प्रयोग के रूप में देखता है।
- संघवाद का उल्लंघन: पंजाब सरकार का तर्क है कि अधिसूचना राज्य की शक्तियों का उल्लंघन करती है क्योंकि पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य के विषय हैं। इस कदम को संविधान में निहित संघवाद की भावना के उल्लंघन के रूप में देखा जाता है।
- भौगोलिक असमानता: पंजाब की चिंताएँ विशिष्ट हैं क्योंकि इसका विस्तारित अधिकार क्षेत्र घनी आबादी वाला और कृषि की दृष्टि से उपजाऊ है। यह गुजरात और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों के विपरीत है, जहां विस्तारित क्षेत्र कम आबादी वाले हैं या बंजर भूमि से युक्त हैं।
- किसानों पर प्रभाव: 50 किलोमीटर का क्षेत्राधिकार विस्तार किसानों के लिए व्यावहारिक चुनौतियाँ पैदा करता है, जिसमें सीमा से लगी अपनी भूमि पर खेती करने के लिए कांटेदार तार की बाड़ को पार करने की असुविधा भी शामिल है।
महत्व
- राज्य बनाम केंद्र का मुद्दा: यह मामला राज्य और केंद्र के बीच शक्ति के नाजुक संतुलन को रेखांकित करता है, खासकर कानून और व्यवस्था के मामलों में।
- संघीय ढांचे की चिंताएं: यह विवाद संविधान में निहित संघीय ढांचे और कानून एवं व्यवस्था को प्रभावित करने वाले मामलों पर केंद्र और राज्यों के बीच परामर्श की आवश्यकता पर सवाल उठाता है।
- व्यावहारिक निहितार्थ: सीमावर्ती राज्यों के बीच भौगोलिक और जनसांख्यिकीय अंतर BSF के अधिकार क्षेत्र का निर्धारण करते समय अनुरूप विचारों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
समाधान
- संवैधानिक समीक्षा: सर्वोच्च न्यायालय यह आकलन करेगा कि क्या अधिसूचना शक्ति का मनमाना प्रयोग है और क्या यह राज्य के विधायी डोमेन का उल्लंघन करती है।
- परामर्शी दृष्टिकोण: पंजाब राज्य विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव कानून एवं व्यवस्था को प्रभावित करने वाले बड़े निर्णय लेने से पहले राज्य सरकार से परामर्श के महत्व पर जोर देता है।
- राज्य-विशिष्ट कारकों पर विचार: न्यायालय संभवतः यह जाँच करेगा कि जनसंख्या घनत्व और भूगोल जैसे कारकों पर विचार करते हुए “भारत की सीमाओं से सटे क्षेत्रों की स्थानीय सीमा” निर्धारित करने में क्या सभी राज्यों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए।
BSF का क्षेत्राधिकार
- BSF की शक्तियों में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920, पासपोर्ट अधिनियम, 1967, सीमा शुल्क अधिनियम, 1962, स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985, और कुछ अन्य कानूनों के तहत गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की शक्ति शामिल है।
- यह मुख्य रूप से सीमा पार अपराधों, विशेष रूप से भारतीय क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश या निकास को रोकने पर केंद्रित है।
- इसके पास अपराधियों की जांच करने या मुकदमा चलाने की शक्ति नहीं है, लेकिन इसे गिरफ्तार किए गए लोगों और उनके पास से जब्त किए गए प्रतिबंधित पदार्थ को स्थानीय पुलिस को सौंपना होगा।
- व्यवहार में, BSF कर्मी आमतौर पर पुलिस के साथ घनिष्ठ समन्वय में काम करते हैं और उनके अधिकार क्षेत्र का कोई टकराव नहीं होना चाहिए।
- BSF अधिनियम की धारा 139(1) केंद्र सरकार को एक आदेश के माध्यम से “भारत की सीमाओं से सटे ऐसे क्षेत्र की स्थानीय सीमा के भीतर” एक ऐसे क्षेत्र को नामित करने की अनुमति देती है जहां BSF के सदस्य केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट किसी भी अधिनियम के तहत अपराधों को रोकने के लिए शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।
सारांश:
|
गिलगित-बाल्टिस्तान पर लद्दाख की क्या मांग है?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
राजव्यवस्था
विषय : औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।
प्रारंभिक परीक्षा: लद्दाख के प्रमुख स्थान।
मुख्य परीक्षा: गिलगित-बाल्टिस्तान पर लद्दाख की मांग के मुद्दे
प्रसंग:
- लद्दाख के सामाजिक-राजनीतिक समूह, लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने केंद्र के साथ चल रही बातचीत के हिस्से के रूप में गृह मंत्रालय (MHA) के समक्ष नई मांगें प्रस्तुत की हैं। इन मांगों में लद्दाख के क्षेत्रीय नियंत्रण को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान तक बढ़ाना भी शामिल है। इस कदम के ऐतिहासिक और रणनीतिक निहितार्थ हैं, और इसमें पूर्ण राज्य का दर्जा, विशेष दर्जा और विशेष अधिकारों की व्यापक मांगें शामिल हैं।
समस्याएँ
- प्रादेशिक नियंत्रण विस्तार
- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: गिलगित-बाल्टिस्तान तक क्षेत्रीय नियंत्रण बढ़ाने की लद्दाख की मांग इस तथ्य से उपजी है कि 1947 से पहले, लद्दाख जिले में गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र शामिल था, जिस पर अब पाकिस्तान का कब्जा है।
- सामरिक महत्व: लद्दाख का तर्क है कि गिलगित-बाल्टिस्तान पर नियंत्रण बढ़ाने से क्षेत्र में स्थिरता बढ़ेगी और विदेश नीति मजबूत होगी, सैन्य और रसद संचालन में दुर्गम इलाके के स्थानीय ज्ञान का लाभ मिलेगा।
- राज्य का दर्जा और विधायी प्रतिनिधित्व
- विधायिका की अनुपस्थिति: लद्दाख, बिना विधायिका वाले एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में, जम्मू-कश्मीर विधानसभा और विधान परिषद में अपनी ऐतिहासिक भागीदारी पर जोर देते हुए, पूर्ण राज्य का दर्जा और विधायी प्रतिनिधित्व की बहाली चाहता है।
- विशेष दर्जा: छठी अनुसूची और अनुच्छेद 371 के तहत विशेष दर्जे की मांग का उद्देश्य लद्दाख की पारिस्थितिकी की रक्षा करना और भर्ती पर नियंत्रण बनाए रखना है।
- विशिष्ट अधिकार और भर्ती
- लद्दाख लोक सेवा आयोग: राजपत्रित सेवाओं में भर्ती के लिए लद्दाख लोक सेवा आयोग की स्थापना का प्रस्ताव।
- स्थानीय निवास मानदंड: इस बात पर ज़ोर देना कि क्षेत्र में नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए लद्दाख निवासी प्रमाणपत्र ही एकमात्र आधार होना चाहिए, जिससे भर्ती पर विशेष अधिकार सुरक्षित रहें।
महत्व
1. ऐतिहासिक संदर्भ
- विभाजन-पूर्व विरासत: गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ लद्दाख के संबंध की ऐतिहासिक जड़ें हैं, और यह मांग खोए हुए क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने की इच्छा को दर्शाती है।
2. रणनीतिक और सुरक्षा निहितार्थ
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC): लद्दाख चीन के साथ एक लंबी और अस्थिर एलएसी साझा करता है, और गिलगित-बाल्टिस्तान को शामिल करने की मांग को क्षेत्रीय स्थिरता और सैन्य संचालन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
3. राजनीतिक गतिशीलता
- अद्वितीय सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य: लेह में बौद्ध प्रभुत्व और कारगिल में शिया मुस्लिम बहुमत के साथ लद्दाख की विविध जनसांख्यिकी, इसकी मांगों और राजनीतिक आकांक्षाओं में जटिलता जोड़ती है।
समाधान
- संरचित वार्ता और समितियाँ
- जुड़ाव: केंद्र ने व्यापक समाधान की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, LAB और KDA के साथ जुड़ने के लिए 2022 और 2024 में समितियों का गठन किया।
- समग्र दृष्टिकोण: संतुलित समाधान प्रदान करने के लिए लद्दाख में भाषा, संस्कृति और भूमि संरक्षण के मुद्दों को संबोधित करना।
- स्थानीय फीडबैक का समावेश
- स्थानीय भागीदारी: उच्चाधिकार प्राप्त समितियों में लद्दाख के उपराज्यपाल तथा KDA और LAB के सदस्यों को शामिल करने से स्थानीय दृष्टिकोण का समावेश सुनिश्चित होता है।
- सामरिक एवं ऐतिहासिक कारकों पर विचार
- सामरिक संतुलन: भारत के सामरिक हितों में लद्दाख के महत्व को पहचानना और उसकी मांगों के ऐतिहासिक संदर्भ पर विचार करना।
गिलगित-बाल्टिस्तान (G-B) का सामरिक महत्व
- G-B दुनिया के कुछ सबसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद रणनीतिक बिंदुओं में से एक है जहां युद्ध की आशंका निरंतर बनी रहती है।
- इस क्षेत्र में अत्यधिक अस्थिरता है और यदि स्थिति बिगड़ती है तो दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और चीन के पूरे क्षेत्र में हडकंप हो सकता है, जिसका प्रभाव अंततः पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।
- पर्वतीय प्रांत में 3 मुख्य प्रभाग शामिल हैं: गिलगित, बाल्टिस्तान और डायमर।
- यह क्षेत्र 5,180 वर्ग किमी की शक्सगाम घाटी – जिसे 1963 के सीमा समझौते में कब्जे वाले पाकिस्तान द्वारा चीन को उपहार में दिया गया था – के साथ 10 जिलों में विभाजित है।
G-B की आर्थिक क्षमता
- मूल्यवान मृदा संसाधनों से भरपूर, गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र खनिज भंडार से समृद्ध है।
- इनमें धात्विक, अधात्विक, ऊर्जा खनिज, कीमती पत्थर और औद्योगिक उपयोग की विभिन्न चट्टानें शामिल हैं।
- इस क्षेत्र के दक्षिणी भागों में निकल, सीसा, तांबा और जिरकॉन के पर्याप्त भंडार हैं।
- इसके उत्तरी क्षेत्रों में लोहा, चांदी, सोना, गार्नेट और पुखराज के भंडार हैं।
- इसकी लगभग संपूर्ण खनन क्षमता अप्रयुक्त है और पर्याप्त मात्रा में संपदा सृजित करने में सक्षम है।
सारांश:
|
क्या मलेरिया वैक्सीन के लागूकरण में वृद्धि की जा सकती है?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: मलेरिया का टीका
मुख्य परीक्षा: मलेरिया वैक्सीन के पैमाने को बढ़ाने में मुद्दे
प्रसंग:
- मलेरिया से निपटने के वैश्विक प्रयास के रूप में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और कैमरून बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण में RTS, S मलेरिया वैक्सीन को शामिल करने वाला पहला देश बन गया है। यह उपलब्धि घाना, केन्या और मलावी में पायलट कार्यक्रमों के बाद प्राप्त हुई है, जिसमें इस साल बीस और देशों में वैक्सीन को लागू करने की योजना है। हालाँकि, कुछ क्षेत्रों में मलेरिया का उच्चतम बोझ, मलेरिया के मामलों में भारत का महत्वपूर्ण योगदान और रोग संचरण पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव जैसी चुनौतियाँ महत्वपूर्ण चिंताएँ प्रस्तुत करती हैं।
समस्याएँ
- वैश्विक मलेरिया बोझ
- उच्च घटना: मलेरिया वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है, खासकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए। 30 से अधिक देशों में मध्यम से उच्च संचरण का सामना करना पड़ रहा है।
- क्षेत्रीय असमानताएँ: अफ्रीका में 94% मामले और 95% वैश्विक मलेरिया से होने वाली मौतें होती हैं, जबकि, WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला भारत, मलेरिया के 66% मामलों में योगदान देता है।
- RTS, S मलेरिया वैक्सीन
- यूनिसेफ पहल: वैक्सीन को लागू करना यूनिसेफ पहल का हिस्सा है, जिसमें ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय कंपनी GSK को पहली आपूर्ति के लिए अनुबंध प्राप्त हुआ है।
- वित्तपोषण: यूनिसेफ की पहल को 170 मिलियन डॉलर तक के अनुबंध मूल्य के साथ वित्त पोषित किया गया है, जिससे तीन वर्षों में 18 मिलियन खुराक की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
- विनिर्माण और आपूर्ति
- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा दूसरे प्रयास (R21) के प्रत्याशित रोलआउट का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जाएगा, जिसका लक्ष्य सालाना 100 मिलियन खुराक है।
- खुराक का समय: टीके को लगभग पांच महीने की उम्र के बच्चों के लिए चार खुराक में दिए जाने की आवश्यकता होती है, लगातार मलेरिया जोखिम वाले क्षेत्रों में एक वर्ष के बाद संभावित पांचवीं खुराक दी जाती है।
- चुनौतियाँ और जलवायु परिवर्तन
- मलेरिया और जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन मलेरिया संचरण और बोझ को प्रभावित करने वाले एक प्रमुख कारक के रूप में उभरा है।
- क्षेत्रीय भेद्याताएँ: पूर्वी भारत, बांग्लादेश के पहाड़ी इलाके, म्यांमार के कुछ हिस्से और इंडोनेशियाई पापुआ जैसे क्षेत्र बढ़ते तापमान और बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण बढ़ी हुई भेद्यता का सामना कर रहे हैं।
महत्व
- वैश्विक स्वास्थ्य प्रभाव
- जीवनरक्षक क्षमता: यह टीका, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में, मलेरिया के प्रभाव को रोकने और कम करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- समान पहुंच: GAVI और अन्य संगठनों का लक्ष्य दुनिया के सबसे गरीब देशों में बच्चों के लिए वैक्सीन तक समान पहुंच प्रदान करना है।
- भारत की मलेरिया रणनीति
- वैश्विक बोझ में योगदान: 2015 के बाद से मामलों में 55% की कमी के बावजूद, भारत वैश्विक मलेरिया बोझ में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बना हुआ है।
- राष्ट्रीय दृष्टिकोण: भारत द्वारा 2027 तक मलेरिया मुक्त देश और 2030 तक मलेरिया उन्मूलन की कल्पना की गई है, जिसके लिए व्यापक रणनीतियों की आवश्यकता है।
समाधान
- संरचित वैक्सीन रोलआउट
- प्राथमिकता: आयु-आधारित या मौसम आधारित क्रियान्वयन दृष्टिकोण पर विचार करते हुए, रोलआउट में अत्यधिक मौसमी या बारहमासी मलेरिया संचरण वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- सहयोगात्मक प्रयास: प्रभावी टीका वितरण और कार्यान्वयन के लिए देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है।
- जलवायु-सुनम्य प्रतिक्रियाएँ
- सतत दृष्टिकोण: जलवायु परिवर्तन चुनौतियाँ पैदा करता है, और मलेरिया के प्रति प्रतिक्रियाएँ टिकाऊ और लचीली होनी चाहिए।
- क्षेत्रीय अनुकूलन: मलेरिया पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों को तदनुसार रोकथाम और उपचार रणनीतियों को अपनाना चाहिए।
- वैश्विक सहयोग
- अनुसंधान और विकास: बेहतर टीकों और मलेरिया नियंत्रण हस्तक्षेपों के लिए अनुसंधान और विकास में निरंतर निवेश।
- ज्ञान साझा करना: जलवायु परिवर्तन से प्रेरित चुनौतियों से निपटने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं, डेटा साझाकरण और संयुक्त प्रयासों पर सहयोग।
मलेरिया के विरुद्ध वैश्विक पहल
WHO का वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम (GMP):
- WHO का GMP मलेरिया को नियंत्रित करने और खत्म करने के लिए WHO के वैश्विक प्रयासों के समन्वय के लिए जिम्मेदार है।
- इसका काम मई 2015 में विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा अपनाई गई और 2021 में अद्यतन की गई “मलेरिया के लिए वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016-2030” द्वारा निर्देशित है।
- रणनीति में 2030 तक वैश्विक मलेरिया की घटनाओं और मृत्यु दर को कम से कम 90% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
मलेरिया उन्मूलन पहल:
- बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के नेतृत्व में, यह पहल उपचार की पहुंच, मच्छरों की आबादी में कमी और प्रौद्योगिकी विकास जैसी विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से मलेरिया उन्मूलन पर केंद्रित है।
- E-2025 पहल: WHO ने 2021 में E-2025 पहल शुरू की। इस पहल का लक्ष्य 2025 तक 25 देशों में मलेरिया के संचरण को रोकना है।
- WHO ने ऐसे 25 देशों की पहचान की है जिनमें 2025 तक मलेरिया को ख़त्म करने की क्षमता है।
मलेरिया के विरुद्ध भारतीय पहल
- मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय ढांचा 2016-2030: WHO की रणनीति के अनुरूप, 2030 तक पूरे भारत में मलेरिया को खत्म करना और मलेरिया मुक्त क्षेत्रों को बनाए रखना है।
- राष्ट्रीय वाहक-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम: रोकथाम और नियंत्रण उपायों के माध्यम से मलेरिया सहित विभिन्न वाहक-जनित रोगों का समाधान करता है।
- राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (NMCP): मलेरिया के विनाशकारी प्रभावों से निपटने के लिए, NMCP को 1953 में तीन प्रमुख गतिविधियों के इर्द-गिर्द शुरू किया गया था – DDT के साथ कीटनाशक अवशिष्ट स्प्रे (IRS); मामलों की निगरानी और निरीक्षण; तथा मरीजों का इलाज।
- उच्च बोझ से उच्च प्रभाव (HBHI) पहल: 2019 में चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में शुरू की गई, जिसमें कीटनाशक वितरण के माध्यम से मलेरिया में कमी लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
सारांश:
|
भारतीय परमाणु संयंत्रों से न्यूनतम रेडियोधर्मी स्राव: अध्ययन
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: भारतीय परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मी स्राव
प्रसंग:
- भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), मुंबई के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में दो दशकों (2000-2020) में छह भारतीय परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के रेडियोलॉजिकल डेटा का विश्लेषण किया गया है। अध्ययन का निष्कर्ष है कि इन संयंत्रों से रेडियोधर्मी स्राव न्यूनतम रहा है, जिससे अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में चर्चा को प्रेरित किया है।
समस्याएँ
- रेडियोलॉजिकल डेटा विश्लेषण
- अध्ययन का दायरा: शोध 20 साल की अवधि (2000-2020) को कवर करता है और कुडनकुलम, तारापुर, मद्रास, कैगा, राजस्थान, नरोरा और काकरापार सहित छह परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर केंद्रित है।
- सांद्रता स्तर: 5 किमी के दायरे से परे रेडियोधर्मी स्राव पता लगाए जाने योग्य न्यूनतम मात्रा में पाए गए। इस मात्रा ने उन्हें विश्लेषण के लिए महत्वहीन बना दिया है।
- स्राव घटक
- गैसीय और तरल अपशिष्ट: परमाणु संयंत्र गैसीय अपशिष्ट निर्मुक्त करते हैं जिनमें विखंडन उत्पाद उत्कृष्ट गैसें, आर्गन 41, रेडियोआयोडीन और पार्टिकुलेट रेडियोन्यूक्लाइड होते हैं। तरल स्राव में विखंडन उत्पाद रेडियोन्यूक्लाइड और सक्रियण उत्पाद शामिल होते हैं।
- तनुकरण और प्रसार: रेडियोधर्मी स्राव सख्त रेडियोलॉजिकल और पर्यावरण नियामक व्यवस्थाओं का पालन करते हुए तनुकरण और प्रसार से गुजरते हैं।
- माप पैरामीटर
- वायु कणों में अल्फा गतिविधि: सभी संयंत्रों में वायु कणों में औसत सकल अल्फा गतिविधि 0.1 मेगाबेक्यूरेल प्रति घन मीटर से कम थी।
- विशिष्ट मार्कर: रेडियोन्यूक्लाइड (आयोडीन-131, सीज़ियम-137, और स्ट्रॉन्शियम-90) सांद्रता वायु कणों, नदियों, झीलों और समुद्री जल में नियामक सीमा से नीचे थी।
- ट्रिटियम का पता लगाना
- ट्रिटियम की उपस्थिति: राजस्थान परमाणु ऊर्जा स्टेशन में अपेक्षाकृत उच्च सांद्रता के साथ, कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा स्टेशन को छोड़कर सभी साइटों पर ट्रिटियम का पता लगाया जा सकता था।
स्रोत: The hindu
महत्व
- भारत की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करना
- संभावित महत्व: ये निष्कर्ष न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव प्रदर्शित करते हुए अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए संभावित महत्व रखते हैं।
- सुरक्षा और अनुपालन
- विनियामक अनुपालन: परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से प्राप्त कुल मात्रा विनियामक सीमा से नीचे बताई गई है, जिससे जनता के लिए सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- ALARA सिद्धांत: विशिष्ट साइटों पर मात्रा को “उचित रूप से प्राप्त करने योग्य न्यूनतम” (ALARA – as low as reasonably achievable) रखने के प्रयास चल रहे हैं, भले ही वे नियामक सीमाओं के भीतर हों।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन
- पर्यावरण निगरानी: अध्ययन पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने और नियामक मानकों के पालन के लिए निरंतर निगरानी के महत्व पर जोर देता है।
समाधान
- सतत निगरानी
- आवधिक मूल्यांकन: सुरक्षा मानकों का निरंतर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नियमित रेडियोलॉजिकल मूल्यांकन और निगरानी जारी रहनी चाहिए।
- उन्नत निगरानी तकनीकें: पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए उन्नत निगरानी तकनीकों में निवेश करना।
- प्रौद्योगिकी उन्नयन
- उन्नत रिएक्टर प्रौद्योगिकियों को अपनाना: उन्नत रिएक्टर प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर विचार करना जो विशिष्ट उत्सर्जन को कम कर सकती हैं तथा सुरक्षा को और अधिक बढ़ा सकती हैं।
- अनुसंधान और विकास: रेडियोधर्मी स्राव को कम करने वाली प्रौद्योगिकियों के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश करना।
- सार्वजनिक जागरूकता और सहभागिता
- पारदर्शी संचार: सुरक्षा उपायों और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के कम पर्यावरणीय प्रभाव के संबंध में जनता के साथ पारदर्शी संचार बनाए रखना।
- सामुदायिक सहभागिता: विश्वास कायम करने और सामूहिक कल्याण सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और मूल्यांकन प्रक्रियाओं में स्थानीय समुदायों को शामिल करना।
सारांश:
|
संपादकीय-द हिन्दू
आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।
प्रीलिम्स तथ्य
- भारत और फ्रांस हिंद महासागर में ‘संयुक्त निगरानी मिशन’ स्थापित करने पर सहमत हुए :
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की यात्रा के बाद जारी संयुक्त बयान में द्विपक्षीय बातचीत में प्रगति पर प्रकाश डाला गया है और क्षेत्र में मित्र देशों को रक्षा उपकरणों के निर्माण और निर्यात के लिए बेस के रूप में कार्य करने के लिए भारत के अवसरों की पहचान की गई है।
- संयुक्त निगरानी मिशन
- इतिहास: भारत और फ्रांस ने ला रीयूनियन के फ्रांसीसी द्वीप क्षेत्र से तैनात भारतीय नौसेना के P-8I समुद्री गश्ती विमान की क्षमताओं का लाभ उठाते हुए, दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में संयुक्त निगरानी अभियान चलाया है।
- विस्तार: सहयोग का उद्देश्य संयुक्त निगरानी मिशनों को तेज करना और रणनीतिक समुद्री मार्गों के प्रतिभूतिकरण में सकारात्मक योगदान के लिए भारत के समुद्री पड़ोस में परस्पर सहयोग का विस्तार करना है।
- रक्षा और सुरक्षा साझेदारी
- प्रमुख स्तंभ: रक्षा और सुरक्षा साझेदारी को समग्र द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ माना जाता है।
- व्यापक दायरा: साझेदारी खुफिया जानकारी और सूचना के आदान-प्रदान, हवा, समुद्र और जमीन पर संयुक्त रक्षा अभ्यास और समुद्र तल से अंतरिक्ष तक विभिन्न डोमेन में सहयोग तक विस्तारित है।
- अंतरसंचालनीयता और जटिलता
- संयुक्त रक्षा अभ्यास: भारत और फ्रांस ने अपने संयुक्त रक्षा अभ्यासों की बढ़ती जटिलता और अंतरसंचालनीयता पर संतोष व्यक्त किया है।
- त्रि-सेवा अभ्यास: विभिन्न सैन्य सेवाओं के बीच सहयोग पर जोर देते हुए एक विशिष्ट संयुक्त त्रि-सेवा अभ्यास आयोजित करने पर विचार किया जा रहा है।
- हिंद-प्रशांत रोडमैप
- व्यापक रोड मैप: जुलाई 2023 में, भारत और फ्रांस ने हिंद-प्रशांत के लिए एक व्यापक रोड मैप को अंतिम रूप दिया, जो क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- त्रिपक्षीय सहयोग: ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिपक्षीय सहयोग को पुनर्जीवित करने, संयुक्त अरब अमीरात के साथ सहयोग को गहन करने और क्षेत्र में नई साझेदारियाँ तलाशने की प्रतिबद्धता।
- रक्षा औद्योगिक सहयोग
- एकीकरण प्रतिबद्धता: दोनों नेताओं ने भारत और फ्रांस के संबंधित रक्षा औद्योगिक क्षेत्रों के बीच एकीकरण को गहरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
- रोडमैप अपनाना: इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए एक रोडमैप अपनाया गया है।
- रणनीतिक समुद्री उपस्थिति: हिंद महासागर में संयुक्त निगरानी मिशन और सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करते हुए दोनों देशों की रणनीतिक समुद्री उपस्थिति को मजबूत करते हैं।
- अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा: संयुक्त रक्षा अभ्यासों की बढ़ती जटिलता और अंतरसंचालनीयता सैन्य सहयोग की प्रभावशीलता को बढ़ाती है, जिससे क्षमताओं का निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित होता है।
- क्षेत्रीय स्थिरता: हिंद-प्रशांत रोडमैप और त्रिपक्षीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में योगदान करती है, जो व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ में भारत और फ्रांस के हितों को संरेखित करती है।
- आर्थिक अवसर: रक्षा उपकरणों के निर्माण और निर्यात के लिए भारत को बेस के रूप में उपयोग करने से आर्थिक अवसर खुलते हैं और दोनों देशों में रक्षा-औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होता है।
- फ्रांस UNSC में भारतीय सदस्यता और संयुक्त राष्ट्र के सुधारों का समर्थन करने वाला पहला P-5 देश था।
- मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR), वासेनार समझौता (WA) और ऑस्ट्रेलिया समूह (AG) में भारत के शामिल होने में फ्रांस का समर्थन महत्वपूर्ण था।
- फ्रांस ने भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सबसे बड़ी रणनीतिक परिसंपत्ति की पेशकश की है। उदहारण के लिए – भारतीय वायु सेना के विमानों को रीयूनियन द्वीप पर तैनात किया गया है।
- 2017-2021 में फ्रांस दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता बन गया है। फ्रांस से आयातित प्रमुख सैन्य उपकरणों में राफेल और मिराज 2000 लड़ाकू विमान और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां शामिल हैं।
- भारत और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 13.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नए शिखर पर पहुंच गया है। भारत से निर्यात 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है।
- फ्रांस भारत में 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है। अप्रैल 2000 से दिसंबर 2022 तक भारत में फ्रांस का संचयी निवेश 10.49 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- भारत और फ्रांस मिलकर महाराष्ट्र के जैतापुर में दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु पार्क बना रहे हैं।
- फ्रांस UPI भुगतान प्रणाली को स्वीकार करने वाला पहला यूरोपीय देश है।
- ज्ञानवापी मामला पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को चुनौती देता है :
- 1991 का अधिनियम सार्वजनिक पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र, जैसा कि वे 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में थे, के संरक्षण की गारंटी प्रदान करता है।
- अगस्त 2023 में, अंजुमन, ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधकों ने शीर्ष अदालत में तर्क दिया था कि मस्जिद परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा “वैज्ञानिक जांच” की मांग केवल “सलामी रणनीति (salami tactics)” थी और यह 1991 अधिनियम की भावना को क्षीण कर देगी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने “गैर-आक्रामक तकनीक” का उपयोग करके ASI सर्वेक्षण की अनुमति दी थी। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने मस्जिद कमेटी से मौखिक तौर पर टिप्पणी भी की थी जो बात उन्हें मामूली लगती है, वह हिंदुओं के लिए आस्था का विषय हो सकती है। सर्वेक्षण में अब बताया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद से पहले वहाँ एक भव्य मंदिर मौजूद था।
- रामजन्मभूमि फैसले में संविधान पीठ ने कहा कि 1991 का अधिनियम सभी धर्मों की समानता को संरक्षित करने के राज्य के गंभीर कर्तव्य की “पुष्टि” था। यह अधिनियम एक आवश्यक संवैधानिक मूल्य की अभिव्यक्ति था। 2019 के फैसले में कहा गया था, “एक मानदंड जिसे संविधान की मूल विशेषता होने का दर्जा प्राप्त है।”
- पांच न्यायाधीशों की पीठ ने बताया कि कैसे एक सांसद मालिनी भट्टाचार्य 15 अगस्त, 1947 की कट-ऑफ तारीख से सहमत थीं। “ऐसा इसलिए है क्योंकि उस दिन हम एक आधुनिक, लोकतांत्रिक और संप्रभु राज्य के रूप में उभरे थे। उस तिथि से, हमने खुद को एक ऐसे राज्य के रूप में प्रतिष्ठित किया जिसका कोई आधिकारिक धर्म नहीं है और जो सभी विभिन्न धार्मिक संप्रदायों को समान अधिकार देता है।
- इसे धार्मिक पूजा स्थलों की स्थिति, जैसा कि वे 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में थे, को स्थिर रखने और किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाने और उनके धार्मिक चरित्र के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
- रूपांतरण पर प्रतिबंध (धारा 3): किसी पूजा स्थल को, चाहे पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से, एक धार्मिक संप्रदाय से दूसरे धार्मिक संप्रदाय में या एक ही संप्रदाय के भीतर परिवर्तित करने से रोकता है।
- धार्मिक चरित्र का अनुरक्षण (धारा 4(1)): यह सुनिश्चित करता है कि पूजा स्थल की धार्मिक पहचान वही बनी रहे जो 15 अगस्त 1947 को थी।
- लंबित मामलों का निवारण (धारा 4(2)): घोषणा करता है कि 15 अगस्त, 1947 से पहले पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र के परिवर्तन के संबंध में चल रही कोई भी कानूनी कार्यवाही समाप्त कर दी जाएगी, और कोई नया मामला शुरू नहीं किया जा सकता है।
- अधिनियम के अपवाद (धारा 5): यह अधिनियम प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों तथा प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के अंतर्गत आने वाले पुरातात्विक स्थलों पर लागू नहीं होता है। यह अधिनियम अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के नाम से जाने जाने वाले विशिष्ट पूजा स्थल तक विस्तारित नहीं है, जिसमें इससे जुड़ी कोई कानूनी कार्यवाही भी शामिल है।
- अर्जेंटीना में वेस्टर्न इक्वाइन एन्सेफलाइटिस का प्रकोप :
- 20 दिसंबर, 2023 को, अर्जेंटीना में इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशंस नेशनल फोकल पॉइंट (IHR NFP) ने अखिल अमेरिकन स्वास्थ्य संगठन/विश्व स्वास्थ्य संगठन (PAHO/WHO) को वेस्टर्न इक्वाइन एन्सेफलाइटिस वायरस (WEEV) संक्रमण के एक मानव मामले के बारे में सचेत किया।
- वर्तमान प्रकोप अर्जेंटीना और उरुग्वे में घोड़ों में चल रहे प्रकोप से भी संबंधित है। अतीत में अमेरिका और कनाडा से वेस्टर्न इक्विन एन्सेफलाइटिस के कई प्रकोप और मानव मामले सामने आए हैं और इन वर्षों में संक्रमण के 3,000 से अधिक मामले सामने आए हैं।
- वेस्टर्न इक्वाइन एन्सेफलाइटिस एक मच्छर जनित संक्रमण है जो वेस्टर्न इक्वाइन एन्सेफलाइटिस वायरस (WEEV) के कारण होता है, जो वायरस के टोगाविरिडी परिवार से संबंधित है। पैसरीन पक्षियों को संग्राहक और अश्व प्रजाति को मध्यवर्ती होस्ट माना जाता है। मनुष्यों में संक्रमण के संचरण का प्राथमिक तरीका मच्छरों के माध्यम से होता है जो वायरस के वाहक के रूप में कार्य करते हैं।
- दिसंबर 2023 से, अर्जेंटीना और उरुग्वे में जानवरों में WEEV संक्रमण के 374 प्रयोगशाला-पुष्टि मामले सामने आए हैं, और अर्जेंटीना में अतिरिक्त 21 मानव मामले सामने आए हैं। अर्जेंटीना में 15 प्रांतों में जानवरों में संक्रमण के 1,258 मामले सामने आए हैं, जिनमें ब्यूनस आयर्स प्रांत में सबसे अधिक मामले हैं। उरुग्वे में, घोड़ों में वेस्टर्न इक्वाइन एन्सेफलाइटिस वायरस के 56 मामले सामने आए हैं, जिनमें मानव संक्रमण की कोई सूचना नहीं है।
- ब्रिटेन, इटली, फिनलैंड ने गाजा में संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के लिए वित्तपोषण रोक दिया है :
प्रसंग: भारत और फ्रांस ने “संयुक्त निगरानी मिशन” पर ध्यान केंद्रित करते हुए, दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में अपने सहयोग को मजबूत किया है। यह सहयोग 2020 और 2022 में फ्रेंच ला रीयूनियन से आयोजित संयुक्त गश्त पर आधारित है।
समस्याएँ
महत्व
भारत-फ्रांस सहयोग के क्षेत्र
विवरण:
पूजा स्थल अधिनियम, 1991
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान:
प्रसंग:
विवरण:
प्रसंग:
- ब्रिटेन, इटली और फिनलैंड (इन आरोपों के बाद कि UNRWA के कर्मचारी 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के हमलों में शामिल थे) 27 जनवरी को फिलिस्तीनियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNRWA) का वित्तपोषण रोकने वाले नवीनतम देश बन गए।
विवरण:
- इज़राइल की स्थापना के समय 1948 के युद्ध के शरणार्थियों की मदद के लिए स्थापित, UNRWA गाजा, वेस्ट बैंक, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान में फिलिस्तीनियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सहायता सेवाएँ प्रदान करता है। यह गाजा की 2.3 मिलियन आबादी में से लगभग दो तिहाई की मदद करता है और वर्तमान युद्ध के दौरान इसने महत्वपूर्ण सहायता भूमिका निभाई है।
- इज़राइल द्वारा यह कहने के बाद कि सीमा पार हमले में UNRWA के 12 कर्मचारी शामिल थे, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने पहले ही सहायता एजेंसी को धन देना रोक दिया था। एजेंसी ने कई कर्मचारियों के विरुद्ध जांच शुरू कर दी है।
संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए)
- यह 1949 में महासभा द्वारा स्थापित एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है। यह अपने संचालन के पांच क्षेत्रों में फिलिस्तीनी शरणार्थियों की राहत और मानव विकास का समर्थन करती है।
- इसकी सेवाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, राहत और सामाजिक सेवाएं, शिविर के बुनियादी ढांचे और सुधार, सुरक्षा और माइक्रोफाइनेंस शामिल हैं।
- इसका मिशन पूर्वी येरुशलम और गाजा पट्टी सहित जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, वेस्ट बैंक में फिलिस्तीन शरणार्थियों की मदद करना है। इसे लगभग पूरी तरह से स्वैच्छिक योगदान और वित्तीय सहायता द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
- फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है जिनका सामान्य निवास स्थान 1 जून 1946 से 15 मई 1948 की अवधि के दौरान फ़िलिस्तीन था, और जिन्होंने 1948 के संघर्ष के परिणामस्वरूप घर और आजीविका के साधन दोनों खो दिए थे।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यदि किसी उच्च शिक्षा संस्थान को 3.51 और 4 के बीच स्कोर मिलता है, तो उसे A++ ग्रेड मिलता है।
- 3.26 और 3.50 के बीच के स्कोर को A+ ग्रेड मिलता है, और 3.01 और 3.25 के बीच के स्कोर को A ग्रेड मिलता है।
- कुल मिलाकर आठ ग्रेड हैं, जिनमें 1.51 और 2 के बीच के स्कोर के लिए C, जिसका अर्थ है आधारभूत प्रत्यायन, और 1.51 से नीचे के स्कोर के लिए D, जो गैर-प्रत्यायन प्राप्त स्थिति को दर्शाता है, शामिल है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
- कोई एक
- कोई दो
- सभी तीन
- उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर: c
व्याख्या: राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद:
यदि किसी उच्च शिक्षा संस्थान को 3.51 और 4 के बीच स्कोर मिलता है, तो उसे A++ ग्रेड मिलती है। 3.26 और 3.50 के बीच के स्कोर को A+ ग्रेड मिलती है, और 3.01 और 3.25 के बीच के स्कोर को A ग्रेड मिलती है। कुल मिलाकर आठ ग्रेड हैं, जिनमें 1.51 और 2 के बीच के स्कोर के लिए C, जिसका अर्थ है आधारभूत प्रत्यायन और 1.51 से नीचे के स्कोर के लिए D, जो गैर-प्रत्यायन प्राप्त स्थिति को दर्शाता है, शामिल है।
प्रश्न 2. इसरो के POEM (PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- POEM एक ऐसा मंच है जो इसरो के वर्कहॉर्स रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के अंतिम और अन्यथा त्यक्त चरण का उपयोग करके कक्षा में प्रयोग करने में मदद करेगा।
- POEM अपनी शक्ति PS4 टैंक के चारों ओर लगे सौर पैनलों और लिथियम-आयन बैटरी से प्राप्त करता है।
- PSLV एक चार चरणों वाला रॉकेट है जहां पहले तीन चरण वापस समुद्र में गिर जाते हैं, और अंतिम चरण (PS4) – उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के बाद – अंतरिक्ष मलबे के रूप में समाप्त हो जाता है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
- कोई एक
- कोई दो
- सभी तीन
- उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर: c
व्याख्या: इसरो का POEM (PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल): POEM एक ऐसा मंच है जो इसरो के वर्कहॉर्स रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के अंतिम और अन्यथा त्यक्त चरण का उपयोग करके कक्षा में प्रयोग करने में मदद करेगा। POEM अपनी शक्ति PS4 टैंक के चारों ओर लगे सौर पैनलों और लिथियम-आयन बैटरी से प्राप्त करता है। PSLV एक चार चरणों वाला रॉकेट है जहां पहले तीन चरण वापस समुद्र में गिर जाते हैं, और अंतिम चरण (PS4) – उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के बाद – अंतरिक्ष मलबे के रूप में समाप्त हो जाता है।
प्रश्न 3. संबंधित राष्ट्रों से संबंधित निम्नलिखित मंगल मिशनों पर विचार कीजिए:
- मावेन – यूके
- साइक – यूएसए
- मेरिनर 4 – यूएसएसआर
- नोज़ोमी – चीन
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
- कोई एक
- कोई दो
- कोई तीन
- सभी चार
उत्तर: a
व्याख्या: मंगल मिशन:
मावेन – यूएसए
साइक – यूएसए
मेरिनर 4 – यूएसए
नोज़ोमी – जापान
प्रश्न 4. समुद्री शैवाल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- समुद्री शैवाल विटामिन, खनिज और फाइबर का एक स्रोत है, और यह स्वादिष्ट हो सकता है।
- बड़े समुद्री शैवाल सघन अंतःजल वनों का निर्माण करते हैं जिन्हें केल्प वन के रूप में जाना जाता है, जो मछली, घोंघे और समुद्री अर्चिन के लिए अंतःजल नर्सरी के रूप में कार्य करते हैं।
- समुद्री शैवाल अतिरिक्त पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करते हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
- कोई एक
- कोई दो
- सभी तीन
- उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर: c
व्याख्या: समुद्री शैवाल विटामिन, खनिज और फाइबर का एक स्रोत है, और यह स्वादिष्ट हो सकता है। बड़े समुद्री शैवाल सघन अंतःजल वनों का निर्माण करते हैं जिन्हें केल्प वन के रूप में जाना जाता है, जो मछली, घोंघे और समुद्री अर्चिन के लिए अंतःजल नर्सरी के रूप में कार्य करते हैं। समुद्री शैवाल अतिरिक्त पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करते हैं।
प्रश्न 5. हाल ही में, लोगों के विद्रोह की एक श्रृंखला जिसे ‘अरब स्प्रिंग’ के नाम से जाना जाता है, मूल रूप से शुरू हुई थी:
- मिस्र
- लेबनान
- सीरिया
- ट्यूनीशिया
उत्तर: d
व्याख्या: लोगों के विद्रोह की एक श्रृंखला जिसे ‘अरब स्प्रिंग’ कहा जाता है, मूल रूप से ट्यूनीशिया से शुरू हुई थी।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- दुर्गम भूभाग और कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक जटिल कार्य है। उपरोक्त कथन के आलोक में, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र का परीक्षण कीजिए। (Border management is a complex task due to difficult terrain and hostile relations with some countries. In the light of the above statement, examine jurisdiction of Border Security Force (BSF).)
- परमाणु ऊर्जा में बढ़ती प्रगति के अपने लाभ हैं लेकिन कई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। चर्चा कीजिए। (Rising advancements in nuclear energy has its own advantages but posed several challenges. Discuss.)
(250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – III, आंतरिक सुरक्षा)
(250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – III, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)