30 मई 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
राज्यव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
सरकारी नौकरियों में आरक्षण
विषय: भारत का संविधान – विशेषताएं, महत्वपूर्ण प्रावधान और आधारभूत संरचना।
प्रारंभिक परीक्षा: संविधान में आरक्षण से संबंधित लेख
मुख्य परीक्षा: सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण के न्यायशास्त्र का विकास।
संदर्भ:
- इस लेख में भारत में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के क्रमिक विकास के बारे में चर्चा की गई है।
सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण:
- भारत में आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 16 (1) जो “सरकारी नौकरियों में अवसर की समानता” की गारंटी देता है और इसी अनुच्छेद के विभिन्न खंडों जैसे अनुच्छेद 16 (4) और अनुच्छेद 16 (4A) में उल्लिखित प्रावधानों के पारस्परिक सह-अस्तित्व पर आधारित है। ।
- ये अनुच्छेद सरकार को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का विस्तार करने और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने पर विचार करने का विवेकाधिकार प्रदान करते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि अनुच्छेद 16(4) और अनुच्छेद 16 (4A) के तहत “आरक्षण या पदोन्नति कोई मौलिक अधिकार नहीं है”।
- अनुच्छेद 16(4) और 16 (4A) जरूरत पड़ने पर आरक्षण का विस्तार करने का विकल्प प्रदान करते हैं।
- राज्य नीति के निदेशक तत्व के अंतर्गत अनुच्छेद 46 में व्यवस्था है कि “राज्य, जनता के दुर्बल वर्गों विशेषकर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों की अभिवृद्धि करेगा।
भारत में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का क्रमिक विकास:
- मंडल समिति की रिपोर्ट और इंदिरा साहनी मामले में निर्णय:
- मंडल समिति की सिफारिशों (1980) के अनुसार, आरक्षण को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तक बढ़ा दिया गया था, जो पूर्व में अनुसूचित जातियों (ST) और अनुसूचित जनजातियों (ST) तक सीमित था।
- मंडल समिति ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए मौजूदा 22.5% आरक्षण की तुलना में केंद्रीय सेवाओं और सार्वजनिक उपक्रमों में OBC को 27% आरक्षण देने की सिफारिश की।
- ऐतिहासिक इंद्र साहनी फैसले (1992) में, शीर्ष अदालत ने OBC के लिए 27% आरक्षण को बरकरार रखा, लेकिन आरक्षण के लिए 50% की उच्चतम सीमा (असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर) निर्धारित की।
- शीर्ष अदालत ने यह भी दोहराया कि अनुच्छेद 16(1) एक मौलिक अधिकार है और अनुच्छेद 16(4) एक समर्थकारी प्रावधान (enabling provision) है और यह अनुच्छेद 16(1) का अपवाद नहीं है।
- इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने ओबीसी के क्रीमी लेयर और नॉन-क्रीमी लेयर में क्षैतिज विभाजन के माध्यम से क्रीमी लेयर को आरक्षण से बाहर करने का आदेश दिया।
- 77वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1995:
- इस अधिनियम के तहत अनुच्छेद 16(4-A) को शामिल किया गया जो राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न रखने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए रोजगार में पदोन्नति हेतु आरक्षण का प्रावधान करता है।
- बाद में, दो और संशोधन पेश किए गए जिसमें से एक ने परिणामी वरिष्ठता [अनुच्छेद 16(4A)] सुनिश्चित की और दूसरे ने किसी विशेष वर्ष की अधूरी रिक्तियों को अगले वर्ष के लिये स्थानांतरित करने का प्रावधान [अनुच्छेद 16(4B)] किया।
- एम. नागराज मामले में निर्णय, 2006:
- सर्वोच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों वाली एक संवैधानिक पीठ ने 1995 के संशोधनों को संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन माना और ऐसी शर्तें निर्धारित की जिनमें “सार्वजनिक नौकरियों में वर्ग के पिछड़ेपन और उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को दर्शाने वाला मात्रात्मक डेटा” का संग्रह किया जाना शामिल था।
- पीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के क्रीमी लेयर को आरक्षण से बाहर करने का भी आदेश दिया।
- जरनैल सिंह बनाम लच्छमी नारायण गुप्ता मामला, 2018:
- इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने SC और ST के संबंध में “मात्रात्मक डेटा” एकत्र करने की आवश्यकता को खारिज कर दिया।
- न्यायालय ने हालांकि SC और ST के लिए क्रीमी लेयर की अवधारणा को बरकरार रखा।
- जरनैल सिंह मामले में आए फैसले को भारत में आरक्षण के न्यायशास्त्र में महत्वपूर्ण विकास माना जाता है।
- 103वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2019:
- इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक रोजगार और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS), अन्य SC, ST और पिछड़े वर्गों के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया।
- डॉ. जयश्री लक्ष्मणराव पाटिल बनाम मुख्यमंत्री मामला, 2021:
- इंद्रा साहनी मामले में दिए गए निर्णय के बावजूद, अतीत में कई राज्यों ने आरक्षण को 50% की सीमा से अधिक बढ़ाने का प्रयास किया है और इस संबंध में महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग आरक्षण (SEBC) अधिनियम, 2018 को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती भी दी गई थी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने इंद्रा साहनी के फैसले को बरकरार रखा और अधिनियम की धाराओं को खारिज कर दिया, जिसमें मराठों के लिए क्रमशः शैक्षणिक संस्थानों में 12% और सार्वजनिक नौकरियों में 13% आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान किया गया था। न्यायालय ने यह पाया कि उक्त आरक्षण 50% की सीमा से अधिक था और किसी भी असाधारण परिस्थितियों को ध्यान में रखकर नहीं तय किया गया था।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
5G: अंडर द हुड (5G:Under the hood)
विषय: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण।
प्रारंभिक परीक्षा: 5G प्रौद्योगिकी के बारे में।
मुख्य परीक्षा: 5G से जुड़े लाभ और चुनौतियाँ और उन्नत बुनियादी ढाँचे तथा अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता।
संदर्भ:
- प्रधानमंत्री ने भारत के पहले 5G टेस्टबेड का उद्घाटन किया। यह 5G के विस्तार में सहायक होगा।
नवीनतम घटनाक्रम:
- सरकार ने कहा है कि उसकी योजना जून (2022) में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी करने और 2022 की तीसरी तिमाही में सेवाओं को शुरू करने की है।
- सेवा प्रदाता निरंतर 5G परीक्षण कर रहे हैं और 5G सक्षम फोन बाजार में बड़े पैमाने पर बेचे जा रहे हैं।
5G प्रौद्योगिकी:
- सरल शब्दों में, 5G क्षमता वृद्धि के लिए नए स्पेक्ट्रम के आवंटन को निरूपित करता है क्योंकि वर्तमान में आवंटित स्पेक्ट्रम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
- रेडियो इलेक्ट्रॉनिक्स उन प्रौद्योगिकियों को संदर्भित करता है जो वायरलेस संकेत प्रसारित, प्राप्त और संसाधित करते हैं।
- रेडियो इलेक्ट्रॉनिक्स संचार के लिए विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम, विशेषकर निम्न आवृत्तियों, का उपयोग किया जाता है, क्योंकि ये लंबी दूरी तय कर बाधाओं को पार कर सकती हैं।
- इसके अलावा, एम्पलीफायर, ट्रांसमीटर, रिसीवर जैसे निम्न आवृत्तियों पर काम करने वाले इलेक्ट्रॉनिक घटकों को डिजाइन और निर्मित करना भी आसान होता है, इसलिए स्पेक्ट्रम की निम्न आवृत्तियों वाले अधिकांश बैंडविड्थ को पहले से आवंटित कर दिया गया है।
- मोबाइल संचार में आमतौर पर 800 मेगाहर्ट्ज से 2.5 गीगाहर्ट्ज़ तक के स्पेक्ट्रम का उपयोग किया जाता है।
- 5G में उच्च आवृत्ति वाले स्पेक्ट्रम का आवंटन शामिल है जो 3 गीगाहर्ट्ज़ से लेकर 25 गीगाहर्ट्ज़ या इससे अधिक तक होगा।
- 5G निम्न विलंबता (low latency), ऊर्जा दक्षता और मानकीकरण जैसे विभिन्न लाभ प्रदान करता है।
5G के लाभ और चुनौतियाँ:
- उच्च आवृत्ति वाले स्पेक्ट्रम मोबाइल सेवाओं के लिए उपलब्ध बैंडविड्थ का विस्तार करने में मदद करते है, लेकिन इसके कारण उपकरणों का डिजाइन और निर्माण जटिल हो जाता है।
- इससे संकेत क्षीणन (संकेत के आयाम में कमी) भी बढ़ जाता है जो टावरों के कवरेज क्षेत्र को कम कर देता है और इसलिए टावरों को कम दूरी पर स्थापित करना होगा।
- उच्च आवृत्तियों के साथ, संकेत को किसी विशिष्ट दिशा में निर्देशित करने की प्रक्रिया अधिक आसान हो जाती है, अतः किसी टॉवर से प्रेषित संकेतों को किसी विशिष्ट उपयोगकर्ता तक अधिक सटीकता से निर्देशित किया जा सकता है जो पहले अलग-अलग दिशाओं में प्रसारित हो जाता था जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा की हानि होती थी।
- इसके अलावा, बेहतर दिशात्मकता (directivity) से उपयोगकर्ताओं तक संकेतों को प्रसारित करने के बीच कोई रुकावट नहीं आएगी, जिससे क्षमता में वृद्धि होगी।
- 5G से ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा है। इससे सेवा प्रदाताओं के ऊर्जा बिल में कमी आएगी और मोबाइल उपकरणों की बैटरी लाइफ भी बेहतर होगी।
बेहतर बुनियादी ढांचे की जरूरत:
- चूँकि 5G बुनियादी ढांचे को स्क्रैच (scratch) से बनाया जा रहा है, इसलिए भविष्य की संचार आवश्यकताओं के लिए व्यवहार्य बनाने हेतु प्रौद्योगिकी को फिर से डिजाइन किया जा सकेगा।
- वर्तमान वायरलेस संचार अवसंरचना मुख्य रूप से मोबाइल फोन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई है। हालांकि, स्वचालन, गेमिंग और दूरस्थ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में उभरते अनुप्रयोगों के लिए लेटेंसी रेक्विरेमेंट (latency requirement) की आवश्यकता है।
- उदाहरण: स्वचालित कारें केवल तभी काम कर सकती हैं जब संदेशों के प्रसारण और ग्रहण में बहुत कम समय लगे क्योंकि कारों को दुर्घटनाओं से बचाने की भी आवश्यकता होगी।
- 5G की शुरुआत के साथ, डेटा की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है और इसलिए इसके अनुसार ही बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाना चाहिए।
- 5G बुनियादी ढांचे का तीव्र विकास सुनिश्चित करने के लिए घटकों के बीच संपर्क (interaction) को मानकीकृत करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
- उच्च मानकीकरण से सेवा प्रदाताओं को विभिन्न विक्रेताओं के घटकों के अनुसार अपने बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में मदद मिलेगी।
- विक्रेताओं को बदलना भी आसान होगा, इससे संचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और लागत में भी कमी आएगी।
उन्नत अनुसंधान एवं विकास:
- 5G पर केंद्रित उद्योग और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में अनुसंधान में वृद्धि हुई है।
- स्थिति निर्धारण, संवेदन और संचार में एक अभिसरण देखा गया है जिसे अलग-अलग प्रौद्योगिकियों के रूप में देखा जाता था। 5G संचार ने इन प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने में मदद की है।
- लागत और ऊर्जा कुशल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर अनुसंधान में वृद्धि हुई है जो उच्च आवृत्ति के संकेतों को प्रसारित और प्राप्त करने में मदद करते हैं।
- इसके लिए अर्धचालक प्रौद्योगिकियों के बारे में ज्ञान की आवश्यकता होती है जो उच्च आवृत्ति बैंड में वायरलेस प्रौद्योगिकी के विकास का आधार बन सकता है।
- 100 गीगाहर्ट्ज़ से अधिक आवृत्तियों का उपयोग करने वाली 6G प्रणाली के निर्माण पर भी शोध चल रहा है।
5G प्रौद्योगिकी के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:
https://byjus.com/free-ias-prep/5g-rstv-in-depth/
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
शक्तियों के टकराव की वापसी
विषय: विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: यूरोप में अतीत और वर्तमान शक्तियों का टकराव तथा शक्ति संतुलन पर यूक्रेन युद्ध प्रभाव के बीच समानता।
संदर्भ:
- इस लेख में हाल में यूरोप में हुए भू-राजनीतिक परिवर्तन की चर्चा और उनकी तुलना अतीत में हुई घटनाओं से की गई है।
प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत:
- फ्रांस और ब्रिटिश के बीच समझौते और उस पर जर्मनी की चिंताओं का उल्लेख करते हुए, शाही जर्मनी के एक राजनेता, हेर वॉन त्सचिर्स्की ने कहा कि “जर्मनी की नीति हमेशा दो राज्यों के बीच किसी भी गठबंधन को आजमाने और विफल करने की होगी, जिसके परिणामस्वरूप जर्मनी के हितों को नुकसान होगा और जर्मनी गठबंधन को तोड़ने के लिए इस तरह के कदम उठाने से नहीं हिचकिचाएगा।”
- यूरोप के सुरक्षा परिदृश्य में उल्लेखनीय परिवर्तन देखा जा रहा था क्योंकि 1904-05 में जापान के साथ युद्ध के बाद सुदूर पूर्व में रूसी शक्ति का पतन हो गया था।
- रूसी प्रभाव का क्षरण और विल्हेल्मिन जर्मनी के उदय ने मिलकर यूरोप के शक्ति संतुलन के लिए एक चुनौती पेश की।
- इस अवधि के दौरान, दो प्रतिस्पर्धी औपनिवेशिक शक्तियां फ्रांस और ब्रिटेन एक हो गए तथा फ्रांस पहले ही रूस के साथ एक समझौता कर चुका था। तीनों ने बाद में ट्रिपल एंटेंटे का गठन किया।
- इसने यूरोप में ट्रिपल एंटेंटे और जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली के ट्रिपल एलायंस के बीच एक गंभीर सुरक्षा प्रतियोगिता शुरू हुई, जिसके कारण अंततः 1914 में प्रथम विश्व युद्ध हुआ।
हाल की घटनाएं और अतीत के साथ उनकी समानताएं:
- जब 1862 में ओटो वॉन बिस्मार्क प्रशिया (Prussia) के राष्ट्रपति बने, तब कोई एकीकृत जर्मन राज्य नहीं था। प्रशिया कमजोर जर्मन परिसंघ का हिस्सा था।
- बिस्मार्क ने आक्रामक विदेश नीति अपनाई। उसने डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और फ्रांस के साथ तीन युद्ध लड़े और जीते। उसने परिसंघ को तोड़ा और प्रशिया की जगह एक मजबूत और बड़ा जर्मन रीच स्थापित किया।
- इसी तरह, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2000 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूसी प्रशासन को संभाला।
- रूस ने अपने क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा खो दिया था, अर्थव्यवस्था गिर रही थी, इसकी मुद्रा संकटग्रस्त हो गई थी, रूसियों का जीवन स्तर और वैश्विक स्थिति कमजोर हो गई थी।
- बिस्मार्क जिसने जर्मनी को आंतरिक रूप से मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया, की तरह रूस ने भी राज्य और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया और बाद में अपनी सीमाओं का विस्तार किया और पहले क्रीमियन प्रायद्वीप के कब्जा और बाद में यूक्रेन पर आक्रमण कर यूरोप के शक्ति संतुलन को चुनौती दी।
- यूरोप की महान शक्तियों का मानना था कि जर्मनी सत्ता समीकरणों के लिए खतरा है इसलिए जर्मनी का मुकाबला करने के लिए वे एक हो गए।
- दूसरी ओर जर्मनी ने महसूस किया कि एंटेंटे का गठन उसके हितों के लिए खतरा था।
- इसी तरह, वर्तमान संदर्भ में, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के नेतृत्व में पश्चिम ने रूस को इस क्षेत्र में अपने सुरक्षा हितों के लिए एक खतरे के रूप में देखा, जैसे एंटेंटे ने जर्मनी को माना।
- अतीत में जर्मनी की तरह, रूस ने “नाटो के पूर्व की ओर विस्तार” पर लगातार चिंता व्यक्त की है।
“आक्रामक यथार्थवाद” की अवधारणा:
- 20वीं सदी के जर्मनी और 21वीं सदी के रूस की प्रकृति को जॉन मियरशाइमर द्वारा “आक्रामक यथार्थवाद” की अवधारणा के माध्यम से समझाया है।
- आक्रामक यथार्थवादी मानते हैं कि “संशोधनवादी शक्तियाँ” जैसे कि 20वीं सदी के जर्मनी और 21वीं सदी के रूस ने अनुकूल परिस्थितियों में सत्ता समीकरणों को बदलने के लिए बल का उपयोग किया।
- हालाँकि “यथास्थिति या मौजूदा शक्तियाँ” किसी भी नए देश का मुकाबला करने की कोशिश करेंगी जो अपने हित के विरुद्ध अधिक शक्तियां प्राप्त कर रहा है।
- इस प्रकार का संघर्ष अंततः स्थायी प्रतिद्वंद्विता की ओर ले जाता है।
- आक्रामक यथार्थवाद अवधारणा को जॉर्जिया के प्रति रूस की आक्रामकता के रूप में देखा जा सकता है जिसका उद्देश्य नाटो महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करना था।
- रूस ने बिना युद्ध के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और टार्टस में अपने भूमध्यसागरीय नौसैनिक अड्डे की रक्षा के लिए तथा तुर्की एवं इज़राइल को बेअसर करने के लिए सीरिया में सेना भेजी थी।
- रूस ने नागोर्नो-कराबाख में शांति कायम करने और कजाकिस्तान में व्यवस्था बहाल करने के लिए सेना भेजकर मध्य एशिया में अपनी प्रधानता को भी मजबूत किया।
- इन सफलताओं ने रूस के आत्मविश्वास को बढ़ाया और यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए इसे बढ़ावा दिया, इस प्रकार यूरोप में सत्ता समीकरणों को चुनौती दी।
यूरोप में “शक्ति संतुलन” पर यूक्रेन युद्ध का प्रभाव:
- कहा जाता है कि यूक्रेन में रूस के दो उद्देश्य थे,
- रूसी सीमाओं का विस्तार करने और बफर बनाने के लिए।
- नाटो के खिलाफ रूस के प्रतिरोध को मजबूत करने के लिए।
- जबकि रूस यूक्रेन पर आक्रमण के माध्यम से एक बफर क्षेत्र बनाने के अपने उद्देश्य में सफल रहा है, जबकि अपने दूसरे उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सका।
- युद्ध को जल्दी जीतने में रूस की अक्षमता ने रूसी शक्ति संदेह पैदा कर दिया है जिसने हमेशा नाटो को मजबूत किया है क्योंकि स्वीडन और फिनलैंड भी झुकाव इसकी ओर हुआ है।
- साथ ही, आर्थिक प्रतिबंधों ने रूसी अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
- लेकिन इन सबके बावजूद, रूस अभी भी एक मजबूत सैन्य और भू-राजनीतिक शक्ति बना हुआ है जिसे नजरअंदाज किया जा सकता है और यह यूरोपीय राज्य प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा।
निष्कर्ष:
- जब तक रूस इस क्षेत्र में अपनी घटती भूमिका तथा पश्चिम रूस की सुरक्षा चिंताओं को स्वीकार नहीं करता, तब तक यूरोप में अराजकता और अशांति का यह दौर जारी रहने की उम्मीद है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
मजबूत ब्रिक्स के साथ शांति और समृद्धि का निर्माण
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े समझौते।
मुख्य परीक्षा: विभिन्न क्षेत्रों में ब्रिक्स को मजबूत करने की आवश्यकता और आगे की राह।
संदर्भ:
- हाल ही में चीन ने ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी की।
विवरण:
- ब्रिक्स और उभरते बाजारों के विदेश मंत्रियों के बीच पहली वार्ता भी हुई।
- ब्रिक्स विदेश मंत्रियों ने वैश्विक सुरक्षा और विकास के संबंध में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति व्यक्त की।
- यह बैठक महत्वपूर्ण है क्योंकि सदस्य देश, वैश्विक चुनौतियों के दौरान अपने सहयोग को मजबूत करेंगे और शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने वाली कार्रवाईयां करेंगे।
ब्रिक्स और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS and BRICS Summit) के बारे में पढ़े:
ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने की जरूरत:
सार्वभौमिक सुरक्षा बनाए रखने में:
- ब्रिक्स देशों को सार्वभौमिक सुरक्षा के निर्माण की पहल करनी चाहिए।
- ब्रिक्स देशों को आपसी विश्वास और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना चाहिए, साथ ही प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर संचार और सहयोग बनाए रखना चाहिए।
- एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं को समायोजित करने, एक-दूसरे की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों का सम्मान करने, एक साथ वर्चस्ववाद और सत्ता की राजनीति का विरोध करने और सभी के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सहयोग की आवश्यकता है।
आर्थिक मोर्चे पर:
- ब्रिक्स देशों को सभी का सामान्य विकास सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि COVID-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है।
- ब्रिक्स देशों को अपनी आपूर्ति श्रृंखला, ऊर्जा क्षेत्र, खाद्य सुरक्षा और वित्तीय लचीलापन में आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए, जो वैश्विक विकास पहल को लागू करने में मदद करेगा और एक खुली विश्व अर्थव्यवस्था और आम विकास के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करेगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में:
- ब्रिक्स देशों को COVID-19 महामारी प्रबंधन में सहयोग करने की आवश्यकता है।
- भारत के “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” के दृष्टिकोण को बढ़ावा दे कर विकासशील और अविकसित देशों की मदद करनी चाहिए।
- ब्रिक्स देश, ब्रिक्स वैक्सीन अनुसंधान और विकास केंद्र का उपयोग बृहद पैमाने पर संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने हेतु ब्रिक्स प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित कराने तथा वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक वस्तुएं उपलब्ध कराने हेतु कर सकते हैं।
वैश्विक शासन में:
- ब्रिक्स देशों को वैश्विक व्यवस्था की सुरक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।
- ब्रिक्स देशों को संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन सभी द्वारा किया जाए तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों एवं अंतरराष्ट्रीय नियमों को सभी की भागीदारी से तैयार किया जाना और विकास परिणामों को सभी द्वारा साझा किया जाना चाहिए।
- एक वैश्विक शासन सिद्धांत को बढ़ावा देने की आवश्यकता है जो व्यापक परामर्श, संयुक्त योगदान और साझा लाभों पर जोर दे जिससे दुनिया भर के देशों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ाया जा सके।
- इसी के अनुरूप ब्रिक्स के बीच विदेश मंत्रियों की पहली वार्ता ने बहुपक्षवाद, घनिष्ठ सहयोग, सामान्य विकास और एकजुटता और सहयोग के महत्व को बढ़ावा दिया।
निष्कर्ष:
- ब्रिक्स के सदस्यों को ‘ब्रिक्स प्लस’ सहयोग मॉडल का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है जो दुनिया भर में ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधित्व और प्रभाव को मजबूत करने में मदद करेगा।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राज्यव्यवस्था:
निरंकुशता
विषय: भारत के संविधान की विशेषताएं, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
मुख्य परीक्षा: शक्तियों के दुरुपयोग के शिकार को क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए कानून की आवश्यकता का विश्लेषण।
संदर्भ:
- मुंबई के ‘ड्रग्स-ऑन-क्रूज़’ मामले में आरोपी एक अभिनेता के बेटे को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है।
पृष्टभूमि:
- अक्टूबर 2021 में एक क्रूज जहाज पर ड्रग्स सेवन की सूचना के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के एक पूर्व अधिकारी द्वारा जांच की गई थी।
- पोत पर छापेमारी में नशीले पदार्थों की जब्ती हुई और एक अभिनेता के बेटे सहित कई लोगों की गिरफ्तारी हुई।
- एजेंसी ने व्यक्ति पर एक अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी नेटवर्क का हिस्सा होने का आरोप लगाया और व्हाट्सएप पर संदेशों के आदान-प्रदान को ‘सबूत’ माना।
- NCB के पूर्व अधिकारी के खिलाफ जबरन वसूली के आरोपों के बाद मामले को एक विशेष जांच दल (SIT) को स्थानांतरित कर दिया गया था।
- SIT ने शुरुआती जांच में खामियों, सबूतों के अभाव की पहचान की और छह सदस्यों को आरोपमुक्त कर दिया।
जांच में मिली खामियां:
- जहाज की तलाशी की वीडियोग्राफी न करना।
- चिकित्सा परीक्षण नहीं करना।
- बिना किसी कानूनी आधार के व्यक्ति के फोन की जांच करना।
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विभिन्न सिफारिशें:
- NCB की प्राथमिकताओं पर पुनः विचार किया जाना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ लड़ाई में खुद को शामिल करने के लिए विशिष्ट एजेंसी को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
- देश के भीतर तस्करी नेटवर्क के खिलाफ लड़ाई, स्थानीय ड्रग पेडलर्स और रेडिंग रेव पार्टियों को स्थानीय पुलिस के अधिकार क्षेत्र में रहने देना।
- दुर्भावनापूर्ण कारणों से व्यक्तियों के खिलाफ झूठे आरोप लगाने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करना।
- सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और बिना सबूत के जेल में बंद लोगों को मुआवजा देने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करना चाहिए क्योंकि देश में वर्तमान में ऐसे कानून का अभाव है जो दुर्भावनापूर्ण रूप से मुकदमा चलाने वालों को मुआवजा देता है।
- भारत के विधि आयोग ने ऐसे कानूनों को बनाने की सिफारिश की है जिनमें ऐसे मामलों में मुआवजे का प्रावधान हो।
- वर्तमान में, Cr.P.C की धारा 358 के तहत उस व्यक्ति पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है जिसकी शिकायत पर किसी व्यक्ति को पर्याप्त आधार के बिना गिरफ्तार किया जाता है और ऐसे प्रावधानों को स्पष्ट किया जाना चाहिए साथ ही राज्य द्वारा अनावश्यक गिरफ्तारी के लिए मुआवजे का प्रावधान होना चाहिए।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
- जन समर्थ पोर्टल
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन;
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप।
प्रारंभिक परीक्षा: जन समर्थ पोर्टल के बारे में।
संदर्भ:
- केंद्र सरकार जन समर्थ पोर्टल शुरू करने की योजना बना रही है।
जन समर्थ पोर्टल:
- जन समर्थ पोर्टल केंद्र सरकार की एक पहल है जिस पर सरकारी योजनाओं, प्रोत्साहनों और सब्सिडी से सम्बंधित सभी जानकारी उपलब्ध होगी।
- जन समर्थ पोर्टल के जरिए कर्ज से जुड़ी 15 सरकारी योजनाओं को शामिल किए जाने का प्रस्ताव है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य विभिन्न सरकारी योजनाओं तक पहुंच प्रदान करके विभिन्न क्षेत्रों के समावेशी विकास को बढ़ावा देना है।
- पोर्टल को अत्याधुनिक तकनीकों और स्मार्ट एनालिटिक्स के साथ विकसित किया गया है।
- पोर्टल का उद्देश्य लाभार्थियों को नोडल एजेंसियों, वित्तीय संस्थानों और केंद्र तथा राज्य सरकार के मंत्रालयों से जोड़ना है।
- यह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT), नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL), स्थानीय सरकार निर्देशिका (LGD) जैसे प्लेटफार्मों को भी एकीकृत करेगा।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- केंद्र ने आधार फोटोकॉपी पर जारी सलाह वापस ली:
- लोगों को अपने आधार कार्ड की फोटोकॉपी साझा करने के खिलाफ चेतावनी देने वाला एक आदेश जारी करने के दो दिन बाद, केंद्र सरकार ने यह कहते हुए आदेश वापस ले लिया कि इसका “गलत अर्थ” लगाया गया है।
- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बाद, UIDAI के मूल निकाय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने आधार कार्ड धारकों को अपने आधार नंबर का उपयोग और साझा करने में “सामान्य विवेक” का प्रयोग करने की सलाह दी है।
- MeitY के बयान में कहा गया है कि “आधार पहचान प्रमाणीकरण पारिस्थितिकी तंत्र में आधार धारकों की पहचान और गोपनीयता की रक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा सुविधाएं हैं”।
- UIDAI की अधिसूचना में एक प्रच्छन्न आधार (masked Aadhaar) के उपयोग की सिफारिश की गई थी, जिसमें आधार संख्या के केवल अंतिम 4 अंक दिखते हैं।
चित्र स्रोत: The Hindu
- अमेरिका 119 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया:
- चीन को पीछे छोड़ते हुए अमेरिका 2021-22 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत होते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
- अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 80.51 अरब डॉलर की तुलना में 2021-22 में 119.42 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
- अमेरिका को भारत का निर्यात 2021-22 में बढ़कर 76.11 बिलियन डॉलर हो गया है, जो 2020-21 में 51.62 बिलियन डॉलर था।
- भारत का आयात भी करीब 29 अरब डॉलर से बढ़कर 43.31 अरब डॉलर हो गया है।
- चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 115.42 अरब डॉलर रहा, जबकि 2020-21 में यह 86.4 अरब डॉलर था।
- चीन को निर्यात में मामूली वृद्धि देखी गई और यह 2020-21 में 21.18 बिलियन डॉलर की तुलना में 21.25 बिलियन डॉलर रहा।
- चीन से आयात 2020-21 में 65.21 अरब डॉलर से बढ़कर 94.16 अरब डॉलर हो गया है।
- भारत और चीन के बीच व्यापार अंतर 2021-22 में बढ़कर 72.91 बिलियन डॉलर (चीन के पक्ष में) हो गया, जबकि 2020-21 में यह 44 बिलियन डॉलर था।
- विशेषज्ञों का मानना है कि भारत एक भरोसेमंद व्यापारिक भागीदार के रूप में उभर रहा है क्योंकि कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं।
- इसके अलावा, भारत अमेरिका के नेतृत्व वाले हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचे(IPEF) में भी शामिल हो गया है, जिससे आर्थिक संबंधों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत-यू.एस. व्यापारिक संबंध के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- 2021-22 में भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार बन अमेरिका ने चीन को पीछे छोड़ दिया।
- अमेरिका के साथ भारत का व्यापार संतुलन सकारात्मक है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: विकल्प c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: 2021-22 में भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार बन अमेरिका ने चीन को पीछे छोड़ दिया है।
- अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 119.42 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है, जबकि चीन और भारत के बीच व्यापार 115.42 बिलियन डॉलर है।
- कथन 2 सही है: 2021-22 में अमेरिका को निर्यात 76.11 बिलियन डॉलर है, जबकि अमेरिका से आयात 43.31 बिलियन डॉलर है।
- इसलिए, अमेरिका के साथ भारत का व्यापार संतुलन सकारात्मक है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन ई-श्रम पोर्टल का सर्वोत्तम वर्णन करता है? (स्तर – सरल)
- इसका उपयोग प्रशिक्षण के अवसरों की तलाश करने वाले कॉलेज छात्रों और संभावित कंपनियों के बीच समन्वय हेतु किया जाता है।
- इसका उपयोग सभी असंगठित श्रमिकों के आवश्यक डेटा के नामांकन, पंजीकरण, संग्रह और पहचान हेतु किया जाता है।
- इसका उपयोग श्रम और रोजगार मंत्रालय में नौकरी के अवसरों की तलाश कर रहे लोगों के लिए एक ऑनलाइन पंजीकरण मंच प्रदान करने हेतु किया जाता है।
- इसका उपयोग सरकारी कर्मचारियों के कौशल संग्रह से संबंधित जानकारी एकत्र करने हेतु किया जाता है।
उत्तर: विकल्प b
व्याख्या:
- ई-श्रम पोर्टल असंगठित श्रमिकों का पहला राष्ट्रीय डेटाबेस है जिसमें प्रवासी श्रमिक, निर्माण श्रमिक, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक आदि शामिल हैं।
- पोर्टल का उपयोग सभी असंगठित श्रमिकों के आवश्यक डेटा के नामांकन, पंजीकरण, संग्रह और पहचान हेतु किया जाता है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन-सा स्थान और संबद्ध देशों का युग्म सुमेलित है? (स्तर – कठिन)
स्थान संबद्ध देश
- नागोर्नो-कराबाख यूक्रेन
- खार्किव अज़रबैजान
- खोबानी इराक
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर: विकल्प d
व्याख्या:
- नागोर्नो-कराबाख आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
- ख़ारकिव उत्तर-पूर्व युक्रेन का एक शहर है।
- खोबानी उत्तरी सीरिया का एक शहर है।
- उपर्युक्त में से कोई भी सुमेलित नहीं है, इसलिए विकल्प d सही है।
प्रश्न 4. राज्यसभा के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- संविधान की तीसरी अनुसूची में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए राज्यसभा में सीटों के आवंटन का प्रावधान है।
- वर्तमान में, राज्यसभा में 245 सदस्य हैं, जो कि भारतीय संविधान में निर्दिष्ट अधिकतम सीमा है।
- राज्यसभा में एक आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए चुना गया सदस्य एक निर्वाचित सदस्य के समान छह साल की पूर्ण अवधि तक सेवा देगा।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: विकल्प d
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: संविधान की चौथी अनुसूची में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए राज्यसभा में सीटों के आवंटन का प्रावधान है।
- कथन 2 सही नहीं है: संविधान के अनुसार राज्यसभा की अधिकतम संख्या 250 है और वर्तमान संख्या 245 है।
- कथन 3 सही नहीं है: राज्यसभा में एक आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए चुना गया सदस्य अपने पूर्ववर्ती के शेष कार्यकाल तक ही सेवा देगा।
प्रश्न 5. भारत में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन) PYQ (2019)
- PVTGs 18 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में रहते हैं।
- स्थिर या घटती जनसंख्या PVTG स्थिति निर्धारित करने के मानदंडों में से एक है।
- देश में अब तक आधिकारिक तौर पर 95 PVTG अधिसूचित हैं।
- इरुलर और कोंडा रेड्डी जनजातियां PVTG की सूची में शामिल हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
- 1, 2 और 3
- 2, 3 और 4
- 1, 2 और 4
- 1, 3 और 4
उत्तर: विकल्प c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: PVTGs 18 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में रहते हैं।
- कथन 2 सही है: PVTG के निर्धारण के लिए मानदंड हैं:
- कृषि-पूर्व स्तर की प्रौद्योगिकी का प्रयोग
- स्थिर या घटती जनसंख्या
- बेहद कम साक्षरता
- निर्वाह स्तर की अर्थव्यवस्था
- कथन 3 सही नहीं है: भारत में 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) हैं।
- कथन 4 सही है: तमिलनाडु की इरुलर जनजाति और आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना की कोंडा रेड्डी जनजाति को PVTG की सूची में शामिल किया गया है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. 5G संचार-व्यवस्था वर्धित क्षमता, कम विलंबता और ऊर्जा दक्षता के साथ कई लाभ प्रदान करता है। इससे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) के साथ अत्याधुनिक और नए अनुप्रयोगों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। विस्तार से चर्चा कीजिए।
(250 शब्द; 15 अंक) (GS III – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
प्रश्न 2. एक मजबूत ब्रिक्स वैश्विक शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। विश्लेषण कीजिए।
(250 शब्द; 15 अंक) (GS II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
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