विषयसूची:
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1. आयुर्वेद आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के लिए किफायती, प्राकृतिक और संपूर्ण समाधान प्रदान करता है
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य
विषय: स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय
प्रारंभिक परीक्षा: आयुष्मान भारत योजना, वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव
मुख्य परीक्षा: ‘किफायती, गैर-आक्रामक, प्रभावकारी और संपूर्ण समाधान’ के रूप में आयुर्वेद की भूमिका, चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों के व्यापक उपयोग
प्रसंग:
- 5वें वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव में वर्त्तमान में आधुनिक गैर-संचारी और जीवनशैली संबंधी बीमारियों में वृद्धि के बीच एक ‘किफायती, गैर-आक्रामक, प्रभावकारी और संपूर्ण समाधान’ के रूप में आयुर्वेद की भूमिका को रेखांकित किया गया।
विवरण:
- आयुर्वेद बीमारियों के इलाज से कहीं आगे जाता है, क्योंकि इसमें कल्याण और भलाई के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण शामिल है।
- आयुष्मान भारत योजना के तहत पूरे देश में आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित करने के लिए आयुष मंत्रालय की सराहना की गई और इसे “एक ऐतिहासिक कदम” बताया गया।
- इस बात पर जोर दिया गया कि “चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों के व्यापक उपयोग से भारत को दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंच और वितरण में सुधार करके सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।”
- प्राचीन परंपरा की सहस्राब्दियों से चली आ रही ज्ञान और अभ्यास की व्यापक विरासत को स्पष्ट करते हुए कहा गया कि कैसे अथर्ववेद, चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे ग्रंथ मानव शरीर, उसके कष्टों और आयुर्वेद के भीतर गहराई से अंतर्निहित चिकित्सीय सिद्धांतों के बारे में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
- बीमारियों के इलाज से परे इस प्राचीन चिकित्सा विज्ञान के महत्व पर जोर देते हुए कहा गया कि “इसमें कल्याण और भलाई के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण शामिल है।” आयुर्वेद को “जीवन का एकमात्र विज्ञान” बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह प्राचीन उपचार प्रणाली, “आपकी आत्मा, दिमाग और शरीर के कार्य करने के तरीके को एक साथ रखती है” और “आपको एक संपूर्ण व्यक्ति बनने में मदद करती है।”
- “यह प्रकृति से जुड़ा हुआ है। यह हमें प्रकृति के महत्व का एहसास कराता है जिसे हमने वर्षों से नष्ट कर दिया है। हम इस पर वापस लौटने की कोशिश कर रहे हैं।”
- केरल को ‘आयुर्वेदिक उत्कृष्टता का उद्गम स्थल’ बताते हुए कहा गया कि वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव ने 2012 से आयुर्वेद की स्थायी विरासत के प्रतीक के रूप में काम किया है।
- “विश्व भर से विशेषज्ञों, चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं का एक साथ आना बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और मानवता के स्वास्थ्य आधार को आकार देने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।”
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. प्रधानमंत्री ने जलवायु वित्त परिवर्तन पर सीओपी-28 प्रेसीडेंसी सत्र में भागीदारी की
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में “ट्रांसफॉर्मिंग क्लाइमेट फाइनेंस” पर सीओपी-28 प्रेसीडेंसी सत्र में भाग लिया।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त को अधिक सुलभ, उपलब्ध और किफायती बनाने पर केंद्रित था।
- सत्र के दौरान, वैश्विक नेताओं ने “नए वैश्विक जलवायु वित्त प्रारूप पर संयुक्त अरब अमीरात घोषणा” को अपनाया।
- घोषणा में अन्य बातों के अलावा, प्रतिबद्धताओं को पूर्ण करना, महत्वाकांक्षी परिणाम प्राप्त करना और जलवायु कार्रवाई के लिए रियायती वित्त स्रोतों को व्यापक बनाना शामिल है।
- इस अवसर पर अपने संबोधन के दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्लोबल साउथ की चिंताओं को व्यक्त करते हुए विकासशील देशों को उनकी जलवायु महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने और उनके एनडीसी को लागू करने हेतु कार्यान्वयन के साधन, विशेष रूप से जलवायु वित्त उपलब्ध कराने की तात्कालिकता पर जोर दिया।
- प्रधानमंत्री ने हानि और क्षति कोष के संचालन और सीओपी-28 में संयुक्त अरब अमीरात जलवायु निवेश कोष की स्थापना का स्वागत किया ।
- प्रधानमंत्री ने सीओपी-28 में जलवायु वित्त से संबंधित निम्नलिखित मुद्दों पर सक्रियता से विचार-विमर्श करने का आह्वान किया:
- जलवायु वित्त पर नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य में प्रगति
- हरित जलवायु निधि एवं अनुकूलन निधि की पुनःपूर्ति
- जलवायु कार्रवाई के लिए एमडीबी द्वारा किफायती वित्त उपलब्ध कराया जाएगा
- विकसित देशों को 2050 से पहले अपने कार्बन उत्सर्जन को ख़त्म करना होगा
2. भारत ने सीओपी-28 में संयुक्त अरब अमीरात के साथ ग्लोबल ग्रीन क्रेडिट पहल की संयुक्त रूप से मेजबानी की
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुबई में आयोजित सीओपी-28 के दौरान हुए ‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ पर हुए उच्च स्तरीय कार्यक्रम की यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान के साथ संयुक्त रूप से मेजबानी की।
- इस कार्यक्रम में स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन, मोज़ाम्बिक के राष्ट्रपति फ़िलिप न्यूसी और यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल की भागीदारी देखी गई।
- प्रधानमंत्री ने सभी देशों को इस पहल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
- ग्रीन क्रेडिट पहल को जलवायु परिवर्तन की चुनौती के लिए एक प्रभावी प्रतिक्रिया के रूप में, पृथ्वी के हित से जुड़े स्वैच्छिक कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए एक तंत्र के रूप में तैयार किया गया है।
- यह प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों का जीर्णोद्धार करने और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए बंजर/ खराब भूमि और नदी जलग्रहण क्षेत्रों पर वृक्षारोपण के लिए ग्रीन क्रेडिट जारी करने की कल्पना करता है।
- कार्यक्रम के दौरान एक वेब प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया गया, जो पर्यावरण-अनुकूल कार्यों को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों और सबसे अच्छे तौर तरीकों के संग्रह के रूप में काम करेगा (https://ggci-world.in/)
- इस वैश्विक पहल का उद्देश्य ग्रीन क्रेडिट जैसे कार्यक्रमों/तंत्रों के माध्यम से पर्यावरण के लिहाज से सकारात्मक कार्यों की योजना, कार्यान्वयन और निगरानी में ज्ञान, अनुभवों और सर्वोत्तम तौर तरीकों के आदान-प्रदान के माध्यम से वैश्विक सहभागिता, सहयोग और साझेदारी को सुविधाजनक बनाना है।
3. प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से मुलाकात की
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव (यूएनएसजी) एंटोनियो गुटेरेस से दुबई में सीओपी 28 शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात की।
- भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान समर्थन के लिए यूएनएसजी को धन्यवाद दिया गया।
- जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत की पहल और प्रगति पर प्रकाश डाला गया।
- दोनों नेताओं ने जलवायु कार्रवाई, जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी और संयुक्त राष्ट्र सहित बहुपक्षीय शासन तथा वित्तीय संस्थानों में सुधारों से संबंधित ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं और चिंताओं पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने जी20 अध्यक्षता के तहत सतत विकास, जलवायु कार्रवाई, एमडीबी सुधार और आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में भारत के प्रयासों की सराहना की।
- उन्होंने पीएम की ग्रीन क्रेडिट पहल का स्वागत किया।
- गुटेरस ने भारत की जी20 अध्यक्षता की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने और उन्हें संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन 2024 में आगे ले जाने के लिए भारत के साथ काम करने की पुष्टि की।
4. राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) ने बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवात ‘मिचौंग’ से निपटने की तैयारियों की समीक्षा बैठक की
- राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) की बैठक हुई जिसमें बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवात ‘मिचौंग’ के लिए राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों की तैयारियों की समीक्षा की गई।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक ने समिति को चक्रवात ‘माइचौंग’ की वर्तमान स्थिति की जानकारी दी।
- बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व और उससे सटे दक्षिण-पश्चिम पर बना दबाव पिछले 06 घंटों के दौरान 13 किमी प्रति घंटे की गति से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ गया है।
- इसके पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और 2 तारीख तक गहरे दबाव में तब्दील होने और 3 दिसंबर के आसपास बंगाल की दक्षिण-पश्चिम खाड़ी के ऊपर एक चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है।
- इसके अलावा, यह उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ेगा और 4 दिसंबर की दोपहर तक दक्षिण आंध्र प्रदेश और आसपास के उत्तरी तमिलनाडु के तटों के पास पहुंच जाएगा।
- इसके बाद, यह दक्षिण आंध्र प्रदेश के तट के लगभग समानांतर उत्तर की ओर बढ़ेगा और 5 दिसंबर की दोपहर के दौरान नेल्लोर और मछलीपट्टनम के बीच एक चक्रवाती तूफान के रूप में दक्षिण आंध्र प्रदेश को पार करेगा और हवा की गति 80-90 किमी प्रति घंटे से लेकर 100 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाएगी।
- मछुआरों को समुद्र में न जाने के लिए कहा गया है। पर्याप्त संख्या में आश्रय स्थल, बिजली आपूर्ति, चिकित्सा और आपातकालीन सेवाओं को पूरी तरह से तैयार रखा जा रहा है।
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पुडुचेरी को 18 टीमें उपलब्ध कराई हैं और 10 अतिरिक्त टीमों को तैयार रखा गया है।
- यह सुनिश्चित किया जाएगा कि समुद्र में गए मछुआरे सुरक्षित लौट आएं। तेल रिगों, जहाजों आदि में तैनात कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
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