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01 मार्च 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. ओएनडीसी प्लेटफॉर्म पर लगभग 5,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) पंजीकृत
  2. भारत और मलेशिया का द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास समुद्र लक्ष्मण
  3. पिछले वर्ष के सबसे तीव्र भू-चुंबकीय तूफान के सौर स्रोत पर नज़र बनाए रखना

01 March 2024 Hindi PIB
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1. ओएनडीसी प्लेटफॉर्म पर लगभग 5,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) पंजीकृत

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास

विषय: कृषि उत्पाद का विपणन, किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी, भारत में खाद्य प्रसंस्करण

मुख्य परीक्षा: किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में प्रौद्योगिकी एवं नवाचारों की भूमिका

प्रसंग:

  • देश में उपभोक्ताओं को अपनी उपज ऑनलाइन बेचने के क्रम में 8,000 पंजीकृत किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में से लगभग 5 हजार को ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है।

उद्देश्य:

  • कृषि को आत्मनिर्भर कृषि में परिवर्तित करने के लिए एफपीओ का गठन और प्रचार पहला कदम है। इस पहल के उद्देश्य में किफायती उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने और एफपीओ के सदस्य की शुद्ध आय को बढ़ाना निहित है।

विवरण:

  • देश के किसी भी हिस्से में अपने खरीदारों तक पहुंचने के लिए ओएनडीसी पर एफपीओ को शामिल करना उत्पादकों को बेहतर बाजार पहुंच प्रदान करने के केंद्र सरकार के उद्देश्य के अनुरूप है।
  • इस कदम का उद्देश्य इन किसान उत्पादक संगठनों की डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन भुगतान, बिजनेस-टू-बिजनेस और बिजनेस-टू-कंज्यूमर लेनदेन तक सीधी पहुंच को सशक्त बनाना है।
  • 6,865 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान के साथ वर्ष 2020 में शुरू की गई “10,000 किसान उत्पादन संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन” नामक एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत 10,000 किसान उत्पादक संगठनों के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 8,000 से अधिक एफपीओ अब तक पंजीकृत किए गए हैं।
  • इन एफपीओ में छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों का एकत्रित होना, किसानों की आय बढ़ाने के लिए उनकी आर्थिक ताकत और बाजार संपर्क बढ़ाने में भी सहायता प्रदान करता है।
  • एफपीओ किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बेहतर प्रौद्योगिकी, ऋण, बेहतर इनपुट और अधिक बाजारों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करते हैं।
  • एफपीओ को 3 वर्ष की अवधि के लिए प्रति एफपीओ 18.00 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • इसके अलावा, एफपीओ की संस्थागत ऋण तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 15 लाख प्रति एफपीओ की सीमा के साथ एफपीओ के प्रति किसान सदस्यों को 2,000 रुपये तक मैचिंग इक्विटी अनुदान देने और पात्र ऋण देने वाली संस्थाओं से प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपये के परियोजना ऋण की क्रेडिट गारंटी सुविधा का प्रावधान किया गया है।
  • अभी तक, 10.2 लाख से अधिक किसानों को कवर करते हुए 1,101 एफपीओ को 246 करोड़ रुपये की गारंटीकृत क्रेडिट गारंटी जारी की गई है। 145.1 करोड़ रुपये का मैचिंग इक्विटी अनुदान पात्र 3,187 एफपीओ के बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित कर दिया गया है।
  • इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के साथ-साथ ग्रामीण युवाओं के लिए उनके गांवों में ही रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। किसानों की आय में उल्लेखनीय सुधार करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम था।
  • एफपीओ को उपज समूहों में विकसित किया जाना है, जिसमें सदस्यों के लिए बाजार पहुंच को बेहतर बनाने के लिए कृषि और बागवानी उपज की खेती या उत्पादन किया जाता है।
  • विशेषज्ञता और बेहतर प्रसंस्करण, विपणन, ब्रांडिंग और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए “एक जिला एक उत्पाद” क्लस्टर बनाए गए हैं।
  • इसके अलावा कृषि मूल्य श्रृंखला संगठन एफपीओ का गठन कर रहे हैं और सदस्यों की उपज के लिए 60 प्रतिशत मार्केट लिंकेज सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
  • योजना के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
    • स्थायी आय-उन्मुख खेती के विकास और समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास और कृषि समुदायों के कल्याण के लिए 10,000 नए एफपीओ बनाने के लिए समग्र और व्यापक-आधारित सहायक इकोसिस्टम उपलब्ध कराना।
    • कुशल, किफायती और सतत संसाधन उपयोग के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाना और अपनी उपज के लिए बेहतर तरलता और बाजार जुड़ाव के माध्यम से अधिक आय प्राप्त करना और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से टिकाऊ बनना।
    • एफपीओ के प्रबंधन, इनपुट, उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन, बाजार लिंकेज, क्रेडिट लिंकेज और प्रौद्योगिकी के उपयोग आदि सभी पहलुओं में सृजन के वर्ष से 5 साल तक नए एफपीओ को सहायता और समर्थन प्रदान करना।
    • सरकार से समर्थन की अवधि के बाद आर्थिक रूप से व्यवहार्य और आत्मनिर्भर बनने के लिए कृषि-उद्यमिता कौशल विकसित करने के लिए एफपीओ को प्रभावी क्षमता निर्माण प्रदान करना।
    • एफपीओ को या तो कंपनी अधिनियम के भाग 9ए के तहत या सहकारी समितियों के तहत पंजीकृत किया जा सकता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारत और मलेशिया का द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास समुद्र लक्ष्मण

  • समुद्री अभ्यास समुद्र लक्ष्मण 28 फरवरी से 2 मार्च 2024 तक विशाखापट्टनम में आयोजित किया जा रहा है।
  • भारतीय नौसेना का जहाज किल्टन और रॉयल मलेशियाई जहाज केडी लकीर इस अभ्यास के तीसरे संस्करण में भाग ले रहे हैं, जिसमें समुद्र में परिचालन प्रक्रिया से संबंधित चरण के बाद पेशेवर स्तर पर विचार-विमर्श होगा।
  • इन दोनों जहाजों के चालक दल बंदरगाह पर विभिन्न कार्य-प्रणालियों से संबंधित संपर्क, आपसी हित के मुद्दों पर विषय विशेषज्ञ आदान-प्रदान, खेल कार्यक्रम और अन्य तरह के संवाद करेंगे।
  • इस तरह से मेलजोल बढ़ाने का उद्देश्य ज्ञान के आधार को बढ़ाना, सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों को साझा करना तथा समुद्र संबंधी दृष्टिकोणों पर आपसी सहयोग को और आगे बढ़ाना है।
  • समुद्री चरण के दौरान, दोनों टुकड़ियां संयुक्त रूप से समुद्र में विभिन्न नौसैन्य अभियानों का संचालन करते हुए अपने कौशल को निखारेंगी।
  • इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय और रॉयल मलेशियाई नौसेना के बीच संबंधों को सशक्त करना तथा आपसी सामंजस्य को बढ़ाना है।

2. पिछले वर्ष के सबसे तीव्र भू-चुंबकीय तूफान के सौर स्रोत पर नज़र बनाए रखना

  • अप्रैल 2023 के अंत में, पृथ्वी के चुम्बकीय मंडल (मैग्नेटोस्फीयर) में एक तीव्र भू-चुंबकीय तूफान (जिओमैग्नेटिक स्टॉर्म) के कारण निचले अक्षांशों (लोअर लैटीट्यूड्स) में प्रकाश मंडल (औरोरा) का एक स्पष्ट प्रदर्शन हुआ जो लद्दाख जैसे स्थानों तक फैला हुआ था।
  • खगोलविदों ने सूर्य में तूफान की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए कई अंतरिक्ष दूरबीनों से बहुतरंगदैर्ध्य अवलोकनों का उपयोग किया है।
  • उन्होंने पाया कि सूर्य के निकट होने पर सूत्रीय संरचना (फिलामेंट स्ट्रक्चर) का घूमना इस सौर तूफान के पीछे प्रमुख कारण था जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर इतना तीव्र प्रभाव पड़ा।
  • सामान्यतः सूर्य आयनित गैस, (प्लाज्मा) और चुंबकीय क्षेत्र को कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन (कोरोनल मास इजेक्शन –सीएमई) के रूप में अंतर-ग्रहीय अंतरिक्ष में उत्सर्जित करता है।
  • जब ये सीएमई हमारी पृथ्वी जैसे ग्रहों के सामने आते हैं, तो वे ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्रों के साथ अंतर्क्रिया करते हैं जिसके परिणामस्वरूप बड़े चुंबकीय तूफान आते हैं।
  • त्वरित कण एवं भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी और अंतरिक्ष में स्थापित मानव प्रौद्योगिकी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। इस प्रकार, कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन (कोरोनल मास इजेक्शन –सीएमई) को समझना और उसके बारे में पूर्वानुमान लगाना वैज्ञानिक और व्यावहारिक दोनों महत्व रखता है।
  • 21 अप्रैल, 2023 की आधी रात (भारतीय समयानुसार -आईएसटी) पर सौर डिस्क केंद्र के पास स्थित ‘सक्रिय क्षेत्र 13283’ से बड़े पैमाने पर सीएमई विस्फोट हुआ, जिसके परिणामस्वरूप सौर चक्र 25 का सबसे तीव्र भू-चुंबकीय तूफान आया।
  • यह सीएमई लगभग 1500 किमी/सेकंड की तेज गति से प्रक्षिप्त हुआ था और 23 अप्रैल को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:30 बजे इसका पृथ्वी के निकट के वातावरण से सामना हुआ ।
  • परिणामस्वरूप, एक घंटे बाद ही पृथ्वी पर एक भू-चुंबकीय तूफान शुरू हो गया। तूफान चुंबकीय क्षेत्र के अपने चरम बिंदु पर पहुंच गया और इसे “जी4 गंभीर” के रूप में वर्गीकृत किया गया। परिणामी ध्रुवीय प्रकाश को हानले, लद्दाख में भारतीय खगोलीय वेधशाला में स्थित सभी आकाशीय कैमरों द्वारा कैप्चर किया गया, जो भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान द्वारा संचालित है।
  • द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स) के शोध में एकत्र किए गए डेटा ने सूर्य में तूफान के स्रोत को पहचानने (ट्रैक) करने में सहायता की।
  • सीएमई के भू-प्रभावी होने के लिए, चुंबकीय क्षेत्र का पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के संबंध में दक्षिण की ओर निर्देशित होना आवश्यक है ।
  • महत्वपूर्ण बात यह है कि सूर्य से इस विस्फोट के दौरान, सीएमई संरचना दक्षिणावर्त दिशा में (क्लॉकवाइज) लगभग 56 अंश (डिग्री) तक घूम गई। यह घूर्णन चुंबकीय शक्तियों के कारण होता है, और बहुत कम सीएमई संरचनाएं ऐसे क्रम को प्रदर्शित करती देखी गई हैं।
  • इस घूर्णन के कारण, सीएमई चुंबकीय क्षेत्र प्रमुख रूप से दक्षिण की ओर उन्मुख हो गए और सीएमई के हेलिओस्फीयर में आगे प्रसार से पृथ्वी के साथ इस सीएमई चुंबकीय क्षेत्र की प्रभावी अंतर्क्रिया के लिए स्थितियां पैदा हुईं। यही सौर चक्र 25 के सबसे तीव्र तूफ़ान का कारण बना।
  • यह अध्ययन कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन (कोरोनल मास इजेक्शन –सीएमई) के पूरे परिदृश्य के महत्व को इंगित करता है, जिसमें उनकी चुंबकीय संरचना और सौर स्रोत क्षेत्रों से उनकी उत्पत्ति, उनके विकास और सूर्य से पृथ्वी तक उनके प्रसार में शामिल तंत्र शामिल हैं।
  • अन्य अंतरिक्ष-आधारित दूरबीनों के अलावा, शोधकर्ता हाल ही में प्रक्षेपित (लॉन्च) की गई अंतरिक्ष वेधशाला आदित्य-एल1 द्वारा प्रदान किए गए सूर्य के अवलोकन का उपयोग करने के लिए उत्सुक हैं।
  • इस उपग्रह पर लगे उपकरण दूरस्थ और यथास्थान अवलोकन प्रदान करते हैं जो हमें सूर्य पर सीएमई प्रक्षेपण के साथ-साथ पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष में इसके आगमन को समझने में सक्षम बनाते हैं।

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