विषयसूची:
|
1. भारत और श्रीलंका ने आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ईटीसीए) पर वार्ता फिर से शुरू की:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ईटीसीए)।
मुख्य परीक्षा: भारत और श्रीलंका के बीच आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ईटीसीए) पर वार्ता फिर से शुरू करने के महत्व का आकलन कीजिए।
प्रसंग:
- भारत और श्रीलंका ने 30 अक्टूबर 2023 से 1 नवंबर 2023 तक कोलंबो, श्रीलंका में आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ईटीसीए) पर 12वें दौर की वार्ता की।
उद्देश्य:
- इस दौर में, दोनों पक्षों ने 11वें दौर तक हुई प्रगति का जायजा लिया और वस्तुओं में व्यापार, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपाय, सेवाओं में व्यापार, सीमा शुल्क प्रक्रिया व व्यापार सुविधा, उत्पत्ति के नियम, व्यापार उपाय, आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग तथा विवाद निपटान सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
- दोनों पक्षों ने समन्वय के क्षेत्रों के साथ उन क्षेत्रों की भी पहचान की, जहां उन्हें रचनात्मक समाधान ढूंढने की आवश्यकता है।
विवरण:
- इस दौर के दौरान, दोनों पक्षों ने कार्यान्वयन पर प्रगति की समीक्षा की और 9 मुद्दों को हल होने के रूप में छोड़ने का निर्णय लिया।
- परिधान व काली मिर्च पर कोटा और फार्मास्यूटिकल्स की खरीद जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई तथा दोनों पक्षों ने चर्चा जारी रखने और मामले के समाधान के लिए नए विकल्प की तलाश करने का फैसला किया।
- प्रस्तावित ईटीसीए पर, दोनों पक्ष नए विकास को प्रतिबिंबित करने के क्रम में, जहां भी संभव हो अपनी स्थिति पर दोबारा विचार करते हुए, अतीत में हुई प्रगति को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर सहमत हुए।
- वार्ता के समापन से दोनों देशों के लिए व्यापार और आर्थिक सहयोग के नए अवसर खुलने की उम्मीद है।
- भारत-श्रीलंका ईटीसीए, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
- दोनों पक्षों ने भारत और श्रीलंका के बीच व्यापार साझेदारी की अपार संभावनाओं एवं आपसी हित के क्षेत्रों में आर्थिक संबंधों को बढ़ाने की संभावनाओं को स्वीकार किया।
पृष्ठ्भूमि:
- दोनों देशों के बीच 2016 से 2018 तक 11 दौर की द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। इसके बाद वार्ता रोक दी गई थी।
- श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मुख्य वार्ताकार श्री के. जे. वीरसिंघे ने किया और भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सरकार के वाणिज्य विभाग के संयुक्त सचिव और मुख्य वार्ताकार श्री अनंत स्वरूप ने किया।
2.सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) की सेवा खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम)।
मुख्य परीक्षा: जीईएम कई श्रेणियों में विविध प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है। उन क्षेत्रों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने पिछले कुछ वर्षों में सेवाओं की खरीद में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं।
उद्देश्य:
- जीईएम ने लेनदेन मूल्य में असाधारण वृद्धि देखी, जिससे खरीद की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और सरकारी खरीद में दक्षता एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता सुदृढ़ हुई है।
विवरण:
- सेवा खरीद में जीईएम की मजबूत वृद्धि हुई है।
- पिछले दो से तीन वर्षों में, लेन-देन का मूल्य वित्त वर्ष 20-21 के लगभग 8,505 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 22-23 में 65,957 करोड़ रुपये हो गया है।
- सेवा क्षेत्र ने जीईएम के सकल व्यापारिक मूल्य अथवा प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से लेनदेन किए गए कुल ऑर्डर मूल्य में अपने समग्र योगदान में आश्चर्यजनक वृद्धि प्रदर्शित की है, जो वित्त वर्ष 21-22 के 23 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 47 प्रतिशत हो गई है।
- जीईएम ने चालू वित्त वर्ष में 1.50 लाख करोड़ रुपये को पार करने का दूरदर्शी लक्ष्य निर्धारित किया है।
- इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय विभिन्न क्षेत्रों के शीर्ष सरकारी खरीदारों की सक्रिय भागीदारी को दिया जा सकता है।
जीईएम कई श्रेणियों में विविध प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है जैसे:
- जनशक्ति आउटसोर्सिंग सेवाएँ: वित्त वर्ष 22-23 में जनशक्ति सेवाओं को काम पर रखने के लिए लगभग 40,000 अनुबंधों के साथ, कुल अनुबंध मूल्य 14,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।
- वाहन किराये पर लेने की सेवाएँ:
- हैंडलिंग, परिवहन और अन्य खनन सेवाएं: कोल इंडिया लिमिटेड और एनटीपीसी लिमिटेड की प्रमुख सहायक कंपनियों ने पर्याप्त ऑर्डर मूल्यों के साथ कई ऑर्डर दिए हैं
- बीमा सेवाएँ: जीईएम ने बीमा सेवाओं को शामिल करने के लिए सेवाओं के प्रस्तावों के अपने बड़े पोर्टफोलियो का भी विस्तार किया है।
- सेवाओं के यह प्रस्ताव इसलिए भी विशेष रूप से लाभप्रद हैं, क्योंकि जीईएम सभी बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) से अनुमोदित बीमा कंपनियों को दलालों और एजेंटों जैसे बिचौलियों के बिना सीधे बीमा सुरक्षा विक्रय का आदेश देता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाएँ: कई प्रमुख संगठनों और मंत्रालयों ने कोर बैंकिंग समाधान और डिजिटल हेल्थकेयर समाधान सहित जटिल आईटी सेवाओं की खरीद के लिए आईटी सेवाओं के लिए जीईएम का उपयोग किया है।
- स्थानीय औषधि विक्रेताओं की पैनलबद्धता: देश भर के विभिन्न चिकित्सा केंद्रों में औषधि विक्रेताओं को पैनलबद्ध करने के बाद केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) द्वारा लगभग 1038 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए हैं।
- चिकित्सा सेवाएँ: स्वास्थ्य सेवा जनशक्ति को काम पर रखने के लिए अब तक 1100 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध रखे गए हैं।
- हेल्थकेयर स्वच्छता सेवाएं, एम्बुलेंस सेवाएं, हीथकेयर किचन और आहार सेवाएं आदि सहित अन्य चिकित्सा सेवाएं इस जीईएम पर उपलब्ध हैं।
- जीईएम इन योजनाओं के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए उपयुक्त सेवाएं सृजित कर जल जीवन मिशन, मिशन कर्मयोगी, स्वच्छ भारत अभियान और सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 योजना सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन का सक्रिय रूप से समर्थन करता है।
जीईएम ने अद्वितीय सेवा आदेशों की सुविधा प्रदान की :
- चार्टर्ड विमानों को किराए पर लेना: रक्षा मंत्रालय ने लेह, श्रीनगर, अंडमान और निकोबार से आने-जाने वाली उड़ानों सहित कई मार्गों के लिए 830 चार्टर्ड विमानों को किराए पर लिया, जिनका ऑर्डर मूल्य लगभग 142 करोड़ रुपये था।
- एयर इंटरनेशनल लॉजिस्टिक्स सेवा: रक्षा मंत्रालय के तहत म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड ने स्वीडन हवाई अड्डे से भारत तक लगभग 24,000 किलोग्राम अंतर्राष्ट्रीय नौवहन संगठन (आईएमओ) के श्रेणी-1 की खतरनाक सामग्री के अंतरराष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स के लिए एक एजेंसी को यह कार्य दिया है और जिसका ऑर्डर मूल्य लगभग 3 करोड़ रुपये है।
- एक सेवा के रूप में ड्रोन का उपयोग : भारतीय सर्वेक्षण विभाग और कोल इंडिया लिमिटेड ने सर्वेक्षण और हवाई मानचित्रण जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए एक सेवा के रूप में ड्रोन डीएएएस) का उपयोग किया है।
- जीईएम द्वारा सेवा श्रेणियों के अंतर्गत कई अन्य अनूठी सेवा जैसे उच्च मूल्य वाले चिकित्सा उपकरणों को पट्टे पर देना, बाजार अनुसंधान/ सर्वेक्षण, परीक्षा सेवा, साइबर सुरक्षा सेवाएं, आयोजनों के लिए श्रव्य दृश्य (एवी)/वीडियो रिकॉर्डिंग (वीआर) सेवाओं को किराए पर लेना जैसे प्रस्तावों की भी सुविधा प्रदान की गई है।
3. निकट भविष्य में भारतीय नदी घाटियों (आईआरबी) पर हाइड्रोक्लाइमेट की चरम सीमा और अधिक तीव्र हो जाएगी:
सामान्य अध्ययन: 1,3
भूगोल,पर्यावरण:
विषय: महत्वपूर्ण भू भौतिक घटनाएँ,भूगोलीय विशेषताएँ और उनका स्थान। संरक्षण पर्यावरण प्रदुषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
प्रारंभिक परीक्षा: पश्चिमी घाट,मृत्यु दर,हाइड्रोक्लाइमेट (जल जलवायु) चरम घटना।
मुख्य परीक्षा: पिछले कुछ दशकों में, ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारतीय नदी घाटियों (आईआरबी) पर हाइड्रोक्लाइमेट (जल जलवायु) चरम घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति के कारण बाढ़ से संबंधित आपदाओं, मृत्यु दर और आर्थिक नुकसान में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इससे सकल घरेलू उत्पाद भी प्रभावित हो रहा है। टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर नदी घाटियों में बारिश की आवृत्ति तीव्र होने की संभावना है, जबकि ऊपरी गंगा और सिंधु घाटियों में भारी बारिश की तीव्रता में वृद्धि होने का पूर्वानुमान है। एक अध्ययन में विभिन्न भारतीय नदी घाटियों में तेज वर्षा के पैटर्न में वृद्धि होने के कारण भविष्य में शहरों में बाढ़ आने के लिए नए संभावित हॉटस्पॉट (संवेदनशील) क्षेत्रों का पता चला है।
उद्देश्य:
- पिछले कुछ दशकों में, ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारतीय नदी घाटियों (आईआरबी) पर हाइड्रोक्लाइमेट (जल जलवायु) चरम घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति के कारण बाढ़ से संबंधित आपदाओं, मृत्यु दर और आर्थिक नुकसान में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इससे सकल घरेलू उत्पाद भी प्रभावित हो रहा है।
विवरण:
- इस संबंध में, भविष्य में हाइड्रोक्लाइमेट चरम सीमाओं की जांच करना और भारतीय नदी घाटियों (आईआरबी) के ऊपर उन हॉटस्पॉट क्षेत्रों की पहचान करना बहुत जरूरी हो गया है, जो हाइड्रोक्लाइमेट चरम सीमाओं के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं।
- इससे तत्काल नीतिगत उपायों, शमन और अनुकूलन रणनीतियों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग-महामना सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्लाइमेट चेंज रिसर्च (डीएसटी-एमसीईसीसीआर) द्वारा किए गए एक शोध में भारत की विभिन्न नदी घाटियों में आगामी हाइड्रोक्लाइमेट चरम सीमाओं की जांच करने के लिए युग्मित मॉडल इंटरकंपेरिजन प्रोजेक्ट-6 (सीएमआईपी-6) के प्रयोगों से हाई-रिज़ॉल्यूशन सिम्युलेटेड वर्षा का उपयोग किया गया।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के तहत समर्थित इस कार्य में विशेष रूप से पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर नदी घाटियों में भारी वर्षा और ऊपरी गंगा और सिंधु घाटियों में भारी वर्षा की तीव्रता (14.3%) में वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है इसके साथ ही गंभीर सूखे की तीव्रता होने का भी पता चला है।
- औसत वर्षा में गिरावट के कारण निचली गंगा घाटी में कृषि सूखा होने के बारे में प्रकाश डाला गया है।
- यह अध्ययन प्रसिद्ध जर्नल ‘अर्थ्स फ्यूचर, अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन (एजीयू)’ में प्रकाशित हुआ था।
- इसमें नीति निर्माताओं से जल की अधिकता या कमी से निपटने के लिए अपनी रणनीति तैयार करने का भी आग्रह किया गया है।
- इस शोध में विस्तार से यह भी बताया गया है कि भारतीय नदी घाटियों के पश्चिमी भाग में लगभग चार प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक भारी वर्षा की वृद्धि होने का अनुमान है।
- भविष्य में, कुछ विशेष कार्बन उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत, लूनी, सिंधु और ऊपरी गंगा नदी घाटियों सहित पश्चिम की ओर बहने वाली कच्छ और सौराष्ट्र की नदियों की घाटी में प्रति दिन लगभग 30 प्रतिशत तक अधिक वर्षा होने की संभावना है।
- इन परिणामों से यह भी पता चला कि हाइड्रोक्लाइमेट चरम घटनाओं की आवृत्ति में होने वाले महत्वपूर्ण परिवर्तन का कृषि, स्वास्थ्य और समाज की अन्य सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
- भविष्य में शहरी बाढ़ के लिए पहचाने जाने वाले भारी आबादी वाले शहरों के प्रमुख हॉटस्पॉट नीति निर्माताओं को उचित घाटीवार जलवायु अनुकूलन और शमन रणनीतियों के अनुसार नीति तैयार करने में मदद कर सकते हैं।
- इसके अलावा घाटियों में चरम सीमाओं के कारण होने वाले जोखिम को कम करने के लिए पानी और आपातकालीन सेवाओं की नीतियों सहित उचित बेसिन-वार जलवायु अनुकूलन और शमन रणनीतियों को डिजाइन करने में मदद कर सकते हैं।
चित्र 1 1995-2014 के सापेक्ष निकट भविष्य (2021-2040) के लिए निम्न से उच्च उत्सर्जन परिदृश्यों में वार्षिक औसत वर्षा परिवर्तन (प्रतिशत) के बढ़ते और घटते रूझान।
चित्र: 2 अत्यधिक वर्षा की घटनाओं (5-दिवसीय वर्षा) की प्रेक्षित और अनुमानित तीव्रता और चरम घटनाओं (शुष्क दिन) की आवृत्ति में स्थानिक परिवर्तन।
चित्र स्रोत: PIB
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. यूनेस्को के क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में कोझिकोड को ‘साहित्य की नगरी’ और ग्वालियर को ‘संगीत की नगरी’ के रूप में शामिल किया:
- ‘कोझिकोड की समृद्ध साहित्यिक विरासत से भारत की सांस्कृतिक जीवंतता वैश्विक मंच पर और भी अधिक चमक रही है और ग्वालियर की सुरीली विरासत अब प्रतिष्ठित ‘यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क’ में शामिल हो गई है।
- विश्व शहर दिवस (वर्ल्ड सिटी डे) पर यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अजोले द्वारा स्वीकृति के बाद 55 शहर रचनात्मक शहरों के नेटवर्क में शामिल हो गए।
- भारत का ग्वालियर (Gwalior) और कोझिकोड (Kozhikode) उन 55 नये शहरों में शामिल हो गया है, जिन्हें 31 अक्टूबर 2023 को यूनेस्को (UNESCO) के रचनात्मक शहरों के नेटवर्क की सूची में शामिल किया गया है।
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इसकी घोषणा की हैं।
- यूनेस्को की ओर से जारी बयान के मुताबिक इन नए शहरों को अपनी विकास रणनीतियों के हिस्से के रूप में संस्कृति और रचनात्मकता का उपयोग करने तथा मानव-केंद्रित शहरी नियोजन में नवीन प्रथाओं को प्रदर्शित करने के प्रति उनकी मजबूत प्रतिबद्धता के लिए इस सूची में शामिल किया गया है।
- मध्य प्रदेश के ग्वालियर ने ‘संगीत’ श्रेणी में इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाई है, वहीं केरल के कोझिकोड को ‘साहित्य’ श्रेणी में इस सूची में शामिल किया गया है।
- यूसीसीएन में अभी सौ से अधिक देशों के 350 शहरों का नाम दर्ज हैं, ये शहर सात रचनात्मक क्षेत्रों (Creative Fields) – शिल्प और लोक कला, डिजाइन, फिल्म, गैस्ट्रोनॉमी, साहित्य, मीडिया कला और संगीत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने यूनेस्को के क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में कोझिकोड को ‘साहित्य की नगरी’ और ग्वालियर को ‘संगीत की नगरी’ के रूप में शामिल किए जाने की सराहना की है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि कोझिकोड की समृद्ध साहित्यिक विरासत से भारत की सांस्कृतिक जीवंतता वैश्विक मंच पर और भी अधिक चमक रही है।
- ग्वालियर ने जिस प्रतिबद्धता के साथ संगीत की विरासत को संजोया और समृद्ध किया है, उसकी गूंज दुनियाभर में सुनाई दे रही है।
2. भारतीय लाल बिच्छू के डंक के बेहतर उपचार के लिए विकसित किया गया नया रोगोपचारक फॉमूलेशन:
- भारतीय लाल बिच्छू के जहर से उत्पन्न विषाक्तता और संबंधित लक्षणों को रोकने के लिए वाणिज्यिक घोड़े के एंटी-बिच्छू एंटीवेनम (एएसए), अल्फा1-एड्रेनोसेप्टर एगोनिस्ट (एएए) और विटामिन सी की कम खुराक से युक्त एक नया चिकित्सीय दवा फॉर्मूलेशन (टीडीएफ) बिच्छू के डंक के रोगियों के नैदानिक प्रबंधन में सुधार करने में मदद कर सकता है।
- बिच्छू का जहर दुनिया के कई देशों में एक गंभीर समस्या है।
- भारतीय लाल बिच्छू (मेसोबुथुस टैमुलस), अपने जानलेवा डंक के कारण, दुनिया के सबसे खतरनाक बिच्छुओं में से एक है।
- एम. टैमुलस विष (एमटीवी) के खिलाफ, नसों के अंदर से दी जाने वाली घोड़े के एंटी-बिच्छू एंटीवेनम (एएसए), बिच्छू के डंक के लिए एकमात्र उपलब्ध उपचार है।
- हालांकि, सबसे प्रचुर मात्रा में कम आणविक द्रव्यमान चैनल विष के खिलाफ जहर-विशिष्ट एंटीबॉडिज का कम अनुपात बिच्छू के डंक रोगियों के कुशल नैदानिक प्रबंधन के लिए एक बाधा है।
- इसलिए, आवश्यक उच्च एंटीवेनम से इलाज किए गए रोगियों में प्रतिकूल सीरम प्रभाव हो सकते हैं।
- बिच्छू के जहर और इसके उपचार के लिए बड़े पैमाने पर अनुसंधान और वैकल्पिक चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
- परंपरागत रूप से, अल्फा 1- एड्रेनोसेप्टर एगोनिस्ट (एएए), जैसे कि प्राज़ोसिन, का उपयोग अकेले या वाणिज्यिक एएसए के साथ संयोजन में डंक रोगियों के उपचार के लिए भी किया जाता है; हालांकि, यह चिकित्सा कम प्रभावी है और इसकी कुछ सीमाएं हैं।
- इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने के लिए शोधकर्ताओं ने वाणिज्यिक एएसए, एएए और विटामिन सी की कम खुराक वाले नए रोगेपचारक दवा फॉर्मूलेशन (टीडीएफ) का भारतीय लाल बिच्छू के जहर से उत्पन्न विषाक्तता और संबंधित लक्षणों को रोकने के लिए आविष्कार किया है।
- दवा की प्रभावकारिता का परीक्षण पहली बार कैनोरहाब्डिस एलिगेंस पर किया गया था, यह एक मुक्त-जीवित निमेटोड मॉडल है, जो कि एक इनविवो पशु मॉडल के विकल्प के रूप में है।
- इस नई दवा के फॉर्मूलेशन पर एक भारतीय पेटेंट भी दायर किया गया है।
- इस अध्ययन ने पहली बार प्रमाणित किया कि सी. एलिगेंस, न्यूरोटॉक्सिक बिच्छू के जहर के खिलाफ, दवा के अणुओं की न्यूट्रलाइजेशन क्षमता की जांच के लिए एक अच्छा मॉडल जीव हो सकता है।
- नोवेल टीडीएफ ने कुशलतापूर्वक भारतीय लाल बिच्छू के जहर को बेअसर कर दिया, रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि, अंग ऊतक क्षति, नेक्रोसिस और विस्टार चूहों में फुफ्फुसीय एडिमा को उत्प्रेरित किया, जो वाणिज्यिक एएसए, एएए और विटामिन सी की तुलना में बहुत बेहतर है।
- यह उपचार बिच्छू के डंक के खिलाफ प्रभावी उपचार की बहुत आशा जगाता है और इससे दुनिया भर में लाखों रोगियों की जान बचाई जा सकेगी।
Comments