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01 सितंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. वाई 12654 (महेन्द्रगिरि) का शुभारंभ
  2. अंतर्राष्ट्रीय एयरोस्पेस सम्मेलन का उद्घाटन
  3. नवीकरणीय ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में सहयोग के लिए NTPC और OIL मिलकर कार्य करेंगे
  4. जया वर्मा सिन्हा ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कार्यभार संभाला
  1. वाई 12654 (महेन्द्रगिरि) का शुभारंभ
  2. सामान्य अध्ययन -3:

    सुरक्षा:

    विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन

    प्रारंभिक परीक्षा: वाई 12654 (महेन्द्रगिरि) के बारे में

    प्रसंग:

    • माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में बनाए जा रहे प्रोजेक्ट 17A के सातवें स्टील्थ फ्रिगेट महेन्द्रगिरि को अरब सागर के पानी में उतारा गया।

    विवरण:

    • हमारे देश की समुद्री क्षमताओं में योगदान देने में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। एमडीएल ने युद्धपोतों के निर्माण और गश्ती नौकाओं से लेकर स्टील्थ फ्रिगेट तक के जहाजों को बनाने में विशेषज्ञता और तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया है।
    • एमडीएल के योगदान ने न केवल देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया है बल्कि स्वदेशी निर्माण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • लॉन्च के बाद, ‘महेन्द्रगिरि’ एमडीएल के वेट बेसिन में अपने तीन सहयोगी जहाजों में शामिल हो जाएगा, ताकि उनकी डिलीवरी और कमीशनिंग तक शेष आउटफिटिंग गतिविधियों और उपकरण परीक्षणों को आगे बढ़ाया जा सके।
    • प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट्स प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक क्लास) फ्रिगेट्स का अनुवर्ती वर्ग है, जिसमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर और प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन सिस्टम हैं।
    • एडवांस्ड स्टील्थ फ्रिगेट्स का डिज़ाइन भारतीय नौसेना के लिए तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोतों को डिजाइन करने में युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो की शक्ति को भी प्रदर्शित करता है। लॉन्च के साथ, देश की स्वदेशी विशेषज्ञता और इंजीनियरिंग क्षमताओं को एक बड़ा बढ़ावा मिलता है, जिससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर भारत की निर्भरता कम हो जाती है, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलता है एवं मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार को बढ़ावा मिलता है।
    • सरकार के ‘भारत’ के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, प्रोजेक्ट 17A के 75 प्रतिशत से अधिक आत्मनिर्भर योजनाओं को एमएसएमई सहित स्वदेशी फर्मों पर रखा गया है। देश में आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, एमएसएमई और सहायक उद्योग की वृद्धि सकारात्मक है, यह युद्धपोत राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति हमारे संकल्प और प्रतिबद्धता तथा समृद्ध और सुरक्षित भविष्य के हमारे दृष्टिकोण के एक शक्तिशाली प्रमाण के रूप में काम करेगा।
  3. अंतर्राष्ट्रीय एयरोस्पेस सम्मेलन का उद्घाटन
  4. सामान्य अध्ययन – 3:

    अवसंरचना:

    विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

    मुख्य परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय एयरोस्पेस सम्मेलन का महत्त्व

प्रसंग:

  • केंद्रीय नागर विमानन और इस्पात मंत्री ने ‘अंतर्राष्ट्रीय एयरोस्पेस सम्मेलन: समावेशी वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं की ओर बढ़ते कदम’ का उद्घाटन किया।
  • इसका आयोजन संयुक्त रूप से नागर विमानन मंत्रालय और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में किया जा रहा है।

विवरण:

  • अंतर्राष्ट्रीय एयरोस्पेस सम्मेलन जी 20 और बी 20 प्राथमिकता के तहत एयरोस्पेस क्षेत्र में एक जी20 पहल है, जो वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए समावेशी वैश्विक मूल्य श्रृंखला विकसित करने पर केंद्रित है।
  • इसका उद्देश्य जी 20 देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना और मजबूत करना है।
  • अपने उद्घाटन भाषण में, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि वैश्विक एयरोस्पेस उद्योग के दिग्गज स्वयं भारत में काम करें। उन्होंने इसके कई कारण भी बताए:
    • बुनियादी ढांचे का विकास: नौ साल पूर्व भारतीय नागर विमानन क्षेत्र में केवल 74 हवाई अड्डे थे, जबकि अब यह हेलीपोर्ट और जल हवाई अड्डों सहित 148 हवाई अड्डों तक पहुंच गया है। साथ ही, सरकार आने वाले तीन से पांच वर्षों में इस संख्या को दो सौ से ऊपर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है;
    • विमानों की उपलब्धता: पहले 2014 में 400 विमान थे, अब यह संख्या लगभग 700 तक पहुंच गई है और लगभग 1000 और विमान खरीद की प्रक्रिया में हैं;
    • इकोसिस्टम का विकास: एयर इंडिया के विनिवेश से देश में नागर विमानन उद्योग में बदलाव आया है। यह बदलाव केवल यात्रियों अथवा केवल हवाई अड्डों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एमआरओ और विनिर्माण क्षेत्र के साथ-साथ कार्गो के लिए भी लागू है। एयर इंडिया और इंडिगो द्वारा दिए गए विमानों के भारी ऑर्डर और आकाश एयर जैसे नए भागीदारों का उदय भारतीय नागर विमानन उद्योग में हो रहे बदलावों का एक और उदाहरण है;
    • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पर जोर: उड़ान के माध्यम से देश में 4 नई क्षेत्रीय एयरलाइन अस्तित्व में आए हैं। हम दशकों से जिस हब और कनेक्टिविटी नेटवर्क की बात कर रहे हैं, वह आज भारत में एक वास्तविकता है।
  • नागर विमानन मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, हम वृद्धिशील होने के बजाय अपने दृष्टिकोण में ऐतिहासिक होने में विश्वास करते हैं और यह नागर विमानन क्षेत्र के लिए भी सच है, जहां ड्रोन नीति और उत्पादन को उदार बनाया गया है। ड्रोन और उसके घटकों के लिए लिंक्ड प्रोत्साहन योजना, डिजी यात्रा का कार्यान्वयन, नए एमआरओ दिशानिर्देश और अंतिम मील कनेक्टिविटी के लिए हेलीकॉप्टर- ने इस क्षेत्र को अपने ग्राहकों के लिए और अधिक सुलभ बना दिया है।
  • सम्मेलन में निम्नलिखित मुद्दों पर पांच सत्र शामिल हैं:
  1. डिजाइन और मजबूत एयरोस्पेस विनिर्माण में वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का निर्माण: एमएसएमई का महत्व
  2. एकीकृत वैश्विक एमआरओ सेवाएं
  3. एविएशन में महिलाएं: फायरसाइड चैट
  4. एयरोस्पेस और विमानन क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकियां: कौशल में बदलाव
  5. एयरोस्पेस विनिर्माण में नई ऊंचाइयों तक पहुंच
  • पिछले कुछ दशकों में, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारी वृद्धि हुई है, जिसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बदल दिया है। इन वर्षों में, जीवीसी ने विकास के इंजन के रूप में काम किया है और आर्थिक विकास, तकनीकी नवाचार और रोजगार सृजन को प्रेरित किया है। यह आयोजन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला द्वारा पेश की जाने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को तैयार करने में और योगदान देगा।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. नवीकरणीय ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में सहयोग के लिए NTPC और OIL मिलकर कार्य करेंगे
    • भारत के सबसे बड़े एकीकृत विद्युत उपयोगिता निगम, एनटीपीसी और देश की दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी, ऑयल इंडिया लिमिटेड ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक साथ काम करने का निर्णय किया है।
    • एनटीपीसी लिमिटेड और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और इससे संबद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ भू-तापीय ऊर्जा के उपयोग सहित डीकार्बोनाइजेशन पहल जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता ज्ञापन पत्र कार्बन पृथक्करण जैसी आगामी डीकार्बोनाइजेशन प्रौद्योगिकियों पर ज्ञान और अनुभव को साझा करने की सुविधा भी प्रदान करेगा।
    • समझौता ज्ञापन पत्र के माध्यम से दोनों महारत्न कंपनियां अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी विशिष्टताओं को बढ़ाने और वर्ष 2070 तक देश में नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में स्थायी समाधान खोजने की मंशा रखती हैं।
    • एनटीपीसी 73,024 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ बिजली क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला की एक प्रमुख कड़ी है। ऑयल इंडिया लिमिटेड एक सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनी है, जो कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की खोज, विकास और उत्पादन के व्यवसाय से जुड़ी है।
    • एनटीपीसी वर्ष 2032 तक 60 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका लक्ष्य ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में एक प्रमुख उद्यम के तौर पर कार्य करना है। एनटीपीसी हाइड्रोजन मिश्रण, कार्बन कैप्चर और ईंधन सेल, बसें जैसी कार्बन उत्सर्जन को कम करने वाली कई पहलों पर प्रमुखता से कार्य कर रही है।
  2. जया वर्मा सिन्हा ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कार्यभार संभाला
    • जया वर्मा सिन्हा ने रेल भवन में रेलवे बोर्ड (रेल मंत्रालय) के नए अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का पदभार संभाल लिया।
    • कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने जया वर्मा सिन्हा की नियुक्ति को स्वीकृति दी है। जया वर्मा सिन्हा रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ के रूप में भारतीय रेलवे के इस शीर्ष पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं।
    • इससे पहले जया वर्मा सिन्हा ने रेलवे बोर्ड में सदस्य (संचालन और व्यवसाय विकास) के तौर पर कार्य किया है। जया वर्मा सिन्हा भारतीय रेलवे में माल ढुलाई और यात्री सेवाओं के समग्र परिवहन का दायित्व भी संभाल चुकी हैं।
    • जया वर्मा सिन्हा 1988 में भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) में शामिल हुईं। भारतीय रेलवे में अपने 35 साल से अधिक के करियर में उन्होंने रेलवे बोर्ड के सदस्य (संचालन और व्यवसाय विकास) अपर सदस्य, यातायात परिवहन जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।
    • उन्होंने परिचालन, वाणिज्यिक, आईटी और सतर्कता सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है। वह दक्षिण-पूर्व रेलवे की प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला भी रही हैं।
    • उन्होंने बांग्लादेश के ढाका में भारतीय उच्चायोग में रेलवे सलाहकार के रूप में भी कार्य किया, उनके इस कार्यकाल के दौरान कोलकाता से ढाका तक प्रसिद्ध मैत्री एक्सप्रेस का उद्घाटन किया गया था।

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