विषयसूची:
|
1. अंतरिम बजट 2024-25 में घोषित तीन नए प्रमुख रेलवे गलियारों के लिए पीएम गतिशक्ति का उपयोग किया जाएगा
सामान्य अध्ययन: 2, 3
शासन, आर्थिक विकास
विषय: कार्यपालिका, सरकारी नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप । सरकारी बजट, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: पीएम गतिशक्ति संबंधित तथ्य
प्रसंग:
- 2024-25 के अंतरिम बजट में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को सक्षम करने के लिए पीएम गतिशक्ति के तहत कार्यान्वित किए जाने वाले तीन आर्थिक रेलवे गलियारे – (i) ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारा (ii) बंदरगाह कनेक्टिविटी गलियारा, और (iii) उच्च यातायात घनत्व गलियारे की घोषणा रेलवे की लॉजिस्टिक क्षमता और लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य उच्च घनत्व वाले रेल मार्गों पर भीड़ कम करना है और सड़क से रेल और तटीय शिपिंग तक मॉडल शिफ्ट की सुविधा प्रदान करना है, जिससे लॉजिस्टिक्स में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
विवरण:
- केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एव सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश से रोजगार के अवसर पैदा होंगे और देश की आर्थिक वृद्धि कई गुना तेज होगी।
- बजट 2024 की कई घोषणाओं के तहत मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी की योजना के लिए पीएम गतिशक्ति एनएमपी के निरंतर उपयोग के मजबूत अवसर उभर कर सामने आए हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- मौजूदा हवाई अड्डों का विस्तार और नए हवाई अड्डों का निर्माण;
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा भारत के लिए एक रणनीतिक और आर्थिक बदलाव का वाहक;
- भारतीय द्वीपों पर बंदरगाह कनेक्टिविटी, पर्यटन बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को बढ़ाकर प्रसिद्ध पर्यटन केंद्रों का व्यापक विकास;
- पारगमन-उन्मुख विकास और जीवन में सुगमता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए बड़े शहरों में मेट्रो रेल और नमो भारत का विस्तार;
- विभिन्न विभागों के तहत मौजूदा अस्पताल के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अधिक मेडिकल कॉलेजों की स्थापना में तेजी लाना और बेहतर पोषण वितरण तथा शिशु देखभाल के लिए “सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0” के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों का उन्नयन करना।
- विश्व स्तरीय आधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास सर्वोपरि है क्योंकि यह भारत के विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का हिस्सा बनने के लिए यह पहली शर्त है। इसमें, (i) पीएम गतिशक्ति (पीएमजीएस) राष्ट्रीय मास्टर प्लान (जीआईएस-डेटा-आधारित योजना मंच, एआई का उपयोग, उन्नत उपकरण आदि), (ii) लॉजिस्टिक्स सुगमता के लिए यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफ़ेस प्लेटफ़ॉर्म (यूलिप) और (iii) आरएफआईडी-प्रौद्योगिकी, बिग डेटा एनालिटिक्स और आईओटी आधारित लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (एलडीबी) जैसे नए युग की प्रौद्योगिकियों और डेटा-आधारित तंत्रों का उपयोग पूर्वानुमानित योजना तथा उद्देश्य, कुशल लॉजिस्टिक्स तथा एकीकृत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाना जारी रखेगा।
- इसकी शुरूआत के बाद से, पीएम गतिशक्ति का उपयोग भौतिक बुनियादी ढांचे की योजना में किया गया है और क्षेत्रीय दृष्टिकोण को आर्थिक और सामाजिक दोनों क्षेत्रों की संपत्तियों की व्यापक योजना के लिए एकीकृत किया गया है (उदाहरण के लिए, बुनियादी ढांचे के अंतराल की पहचान के लिए अंतराल विश्लेषक उपकरण, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों, कृषि बाजार यार्डों आदि के लिए बेहतर जगह की पहचान के लिए साइट उपयुक्तता उपकरण)।
- पीएमजीएस एनएमपी का उपयोग महत्वपूर्ण रूप से बुनियादी ढांचे के निवेश में जोखिम को कम कर रहा है और लॉजिस्टिक्स दक्षता की सुविधा के माध्यम से एफडीआई प्रवाह को प्रोत्साहित कर रहा है।
- बजट 2024 में नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के अलावा मौजूदा बुनियादी ढांचे को उन्नत करने की घोषणाओं के साथ, पीएमजीएस जैसी प्रौद्योगिकी की भूमिका महत्वपूर्ण बनी हुई है।
- यह लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में एकीकृत योजना के लिए जीआईएस-डेटा-आधारित फैसला लेने की प्रणाली प्रदान करती है जिससे जीवन की सुगमता के साथ-साथ व्यवसाय करने में आसानी होती है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. समुद्री सुरक्षा
- समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना इकाइयों को नियमित रूप से हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में अपने हित क्षेत्रों में मिशन-आधारित तैनाती पर लगाया जाता है।
- इसके अलावा, भारतीय नौसेना इकाइयां समुद्री डोमेन जागरूकता बढ़ाने और अचानक उत्पन्न होने वाली आकस्मिकताओं को संबोधित करने के लिए निगरानी करती हैं।
- 2008 से, भारतीय नौसेना ने अदन की खाड़ी और अफ्रीका के पूर्वी तट पर एंटी पायरेसी पैट्रोल के लिए इकाइयाँ तैनात की हैं। कुल 3,440 जहाजों और 25,000 से अधिक नाविकों को सुरक्षित बचा लिया गया है।
- भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय और अतिरिक्त-क्षेत्रीय नौसेनाओं/समुद्री बलों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रही है।
- समुद्री सुरक्षा बढ़ाने और समावेशी और सहयोगात्मक तरीके से गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना द्वारा द्विपक्षीय/बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास, संयुक्त विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) निगरानी, मित्रवत विदेशी देशों के साथ समन्वित पैट्रोलिंग (कॉर्पैट) किए जा रहे हैं।
- इसके अलावा, क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में, भारत सरकार ने इंफॉर्मेंशन फ्यूजन सेंटर- इंडियन ओशन रीजन (आईएफसी-आईओआर) की स्थापना की है।
- इसका समुद्री सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में रियल टाइम सूचना आदान-प्रदान के लिए 25 भागीदार देशों और 40 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय बहुराष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंध है।
- इसके अलावा, क्षेत्र में चल रही समुद्री सुरक्षा स्थिति के कारण, भारतीय नौसेना इकाइयों को व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा/यदि आवश्यक हो तो सहायता प्रदान करने के लिए जिबूती/अदन की खाड़ी, उत्तर/मध्य अरब सागर/सोमालिया के पूर्वी तट पर तैनात किया जा रहा है।
- इसके अलावा, हमलों/घटनाओं में शामिल स्रोत/कारण/खिलाड़ियों की पहचान करने के लिए मित्रवत विदेशी देशों के साथ सूचना का आदान-प्रदान/खुफिया साझाकरण भी किया जा रहा है।
2. प्रधानमंत्री कोयला मंत्रालय के तहत एनएलसी इंडिया लिमिटेड के तालाबीरा थर्मल पावर प्रोजेक्ट की आधारशिला रखेंगे
- कोयले की ढुलाई की लागत को कम करने के लिए पिट-हेड थर्मल पावर प्लांट लगाने को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री के विजन को आगे बढ़ाते हुए कोयला मंत्रालय ने कोयले से संबंधित सीपीएसयू द्वारा थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है।
- सरकार ने एनएलसीआईएल के माध्यम से तालाबीरा में 3 x 800 मेगावाट के अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की स्थापना को मंजूरी दे दी है। एनएलसीआईएल को 23 एमटी पीक रेटेड क्षमता के साथ 553 मिलियन टन (एमटी) के कुल भंडार वाली तालाबीरा कोयला खदानें आवंटित की गई हैं।
- यह पिट-हेड प्लांट चालू होने पर 3.65 रुपये प्रति यूनिट (2.40 रुपये स्थिर लागत और 1.25 रुपये परिवर्तनीय लागत) (लगभग) की लागत से बिजली का उत्पादन करेगा, जो देश में टीपीपी द्वारा उत्पादित सबसे सस्ती बिजली में होगी।
- नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) की 27,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली तालाबीरा थर्मल पावर परियोजना का शिलान्यास किया जाएगा, जो पूरी तरह आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप होगा।
- यह अत्याधुनिक परियोजना विश्वसनीय, किफायती और निरंतर बिजली प्रदान करते हुए देश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देगी और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- यह महत्वपूर्ण परियोजना भारत के ऊर्जा अनुकूलन को मजबूती प्रदान करने की दिशा में बड़ी छलांग है, जो टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा समाधानों को अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति दर्शाती है।
- यह हरित भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है तथा ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन की दिशा में देश के प्रयासों को प्रोत्साहन देती है।
3. पीएलआई संभावना- 1200 से अधिक हितधारकों के साथ अपनी तरह की पहली बैठक
- उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय 3 फरवरी, 2024 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के तहत एक हितधारक बैठक “पीएलआई संभावना” का आयोजन कर रहा है।
- इसका उद्देश्य ज्ञान और अनुभवों के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए स्वामित्व की भावना को बढ़ावा देना, अंततः पीएलआई योजनाओं के सफल कार्यान्वयन में योगदान देने वाली अच्छी कार्य प्रणालियों और सफलता की कहानियों पर चर्चा के लिए सभी हितधारकों को एक साझा मंच पर लाना है।
- बैठक उद्योग जगत के नेताओं, विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों को ज्ञानवर्धक चर्चा में भाग लेने और पीएलआई योजनाओं के निहितार्थ के बारे में मूल्यवान संभावना को साझा करने के लिए एक विशिष्ट मंच प्रदान करेगी। यह सभी 14 पीएलआई योजनाओं के बीच आपसी जानकारियों को भी सक्षम बनाएगा।
- पीएलआई योजना को लागू करने वाले सभी माननीय मंत्रियों के अपने विचारों और मूल्यवान जानकारियों को साझा करने के लिए भाग लेने की संभावना है जो न केवल सभी हितधारकों के विश्वास को बढ़ावा देगा बल्कि भारत में एक मजबूत विनिर्माण इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगा।
- यह बैठक अपनी तरह की पहली बैठक है क्योंकि इसमें पूरे देश में लागू की जा रही 14 पीएलआई योजनाओं के 1200 से अधिक हितधारकों की भागीदारी की उम्मीद है।
- इस बैठक में पीएलआई योजनाओं के तहत उपलब्धियों, सफलता की कहानियों और अच्छी कार्य प्रणालियों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें पर्याप्त संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन के साथ 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश और 8.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की उत्पादन/बिक्री देखी गई है।
- निर्यात को 3.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ाया गया है। पीएलआई योजना ने एक ऐसे इकोसिस्टम को सक्षम किया है जहां वैश्विक चैंपियन बनाए गए हैं और इनकी केवल संख्या बढ़ेगी।
- इस बैठक में आगे चलकर सभी पीएलआई योजनाओं के तहत उपलब्धियों के लिए नए लक्ष्य निर्धारित किए जाने की संभावना है।
4. देश में डिफेंस इकोसिस्टम
- सरकार ने देश के रक्षा इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए विभिन्न कार्य योजनाएं बनाई हैं।
- सार्वजनिक और निजी दोनों भारतीय उद्योगों को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 (डीएपी-2020) के अध्याय-III में निर्धारित ‘मेक प्रोसीजर’ के तहत रक्षा प्रणालियों के डिजाइन, विकास और निर्माण में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिसमें प्रोटोटाइप विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रावधान भी शामिल हैं।
- पूर्वनिर्धारित वित्तीय और गुणवत्ता प्रमाण-पत्र वाली फर्मों को ग्रीन चैनल का दर्जा देने के लिए रक्षा भंडार और पुर्जों की खरीद के लिए एक ग्रीन चैनल नीति शुरू की गई है।
- ग्रीन चैनल सर्टिफिकेट का अनुदान रक्षा मंत्रालय के तहत विभिन्न खरीद एजेंसियों द्वारा संपन्न अनुबंधों के तहत आपूर्तिकर्ता की गारंटी/वारंटी के तहत भंडार के प्री-डिस्पैच निरीक्षण और स्वीकृति की छूट प्रदान करता है।
- रक्षा उद्योगों के लिए निवेश आकर्षित करने, घरेलू आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने और देश में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग ईकोसिस्टम को मजबूत करने के उद्देश्य से दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर (डीआईसी) – उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर (यूपीडीआईसी) और तमिलनाडु डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर (टीएनडीआईसी) स्थापित किए गए हैं। ।
- घरेलू रक्षा और एयरोस्पेस मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम शुरू की गई है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सरकारी सहायता के लिए एक सामान्य परीक्षण सुविधा के रूप में ग्रीनफील्ड डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना है, जिसके तहत देश में रक्षा परीक्षण बुनियादी ढांचे में कमियों को कम करने के लिए एमएसएमई और स्टार्ट-अप की भागीदारी पर विशेष ध्यान देने के साथ स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है।
- इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सिलेंस (आईडेक्स) को स्टार्ट-अप और एमएसएमई को इनोवेशन करने, प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और रक्षा और एयरोस्पेस से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए लॉन्च किया गया है, जिसका उद्देश्य रक्षा और एयरोस्पेस, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में इनोवेशन और प्रौद्योगिकी विकास और एकेडमिया को बढ़ावा देने के लिए एक ईकोसिस्टम का निर्माण करना है।
- साथ ही उन्हें अनुसंधान एवं विकास के लिए अनुदान/धन और अन्य सहायता प्रदान करता है जिसमें भविष्य में भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस आवश्यकताओं के लिए अपनाने की क्षमता है। डीएसपीयू विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के लिए विभिन्न उत्कृष्टता केंद्रों/शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएससी, आईआईएम आदि के साथ हाथ मिला रहे हैं।
- डीआरडीओ ने एक प्रक्रिया निर्धारित की है जिसके द्वारा वह अपनी विकसित प्रौद्योगिकियों को उद्योगों को ट्रांसफर करता है। इसके लिए लाइसेंसिंग एग्रीमेंट फॉर ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी साइन किया जाता है।
- डीआरडीओ ने अपने इंडस्ट्री पार्टनर्स (विकास सह उत्पादन भागीदार (डीसीपीपी)/विकास भागीदार (डीपी)) के लिए जीरो टीओटी फीस और भारतीय सशस्त्र बलों और सरकारी विभागों को आपूर्ति के लिए जीरो रॉयल्टी के साथ एक नई टीओटी नीति और प्रक्रियाएं विकसित की हैं।
- डीआरडीओ लैब्स में उद्योगों के लिए परीक्षण सुविधाएं अब खोली गई हैं। डीआरडीओ ने प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) लॉन्च किया है जो नवीन रक्षा उत्पादों के डिजाइन विकास के लिए भारतीय उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- जून 2023 में, डीआरडीओ ने उद्योग में रक्षा अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए 75 प्राथमिकता वाले प्रौद्योगिकी क्षेत्रों/उत्पादों/प्रणालियों को जारी किया जिसे डीआरडीओ नहीं करेगा।
- युवाओं को इनोवेशन, प्रौद्योगिकी विकास और रक्षा एवं एयरोस्पेस से संबंधित समस्या समाधान में आईडेक्टस योजना के तहत स्टार्ट-अप के रूप में जोड़ा जाता है। युवा इंजीनियर विभिन्न परियोजनाओं के लिए रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के उत्कृष्टता केंद्रों/शैक्षणिक संस्थानों के साथ गठजोड़ के माध्यम से शामिल होते हैं जिनमें अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण शामिल हैं।
- डीआरडीओ ने विभिन्न आईआईटी, आईआईएससी, केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में 15 डीआरडीओ उद्योग अकादमी-उत्कृष्टता केंद्र (डीआईए-सीओई) स्थापित किए हैं, जिनमें से छह 2023 में चालू हो गए हैं। डीपीएसयू और निजी क्षेत्र रक्षा क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञता वाले प्रशिक्षित युवाओं को काम पर रख रहे हैं।
5. अभ्यास वायुशक्ति-2024
- भारतीय वायु सेना 17 फरवरी, 2024 को जैसलमेर के पास पोखरण के एयर टू ग्राउंड रेंज में अभ्यास वायु शक्ति-2024 का आयोजन करेगी।
- वायु शक्ति अभ्यास का अंतिम संस्करण 16 फरवरी, 2019 को आयोजित किया गया था। हमेशा की तरह ही अभ्यास वायु शक्ति द्वारा भारतीय वायुसेना की दिन और रात में संचालित की जाने वाली आक्रामक एवं रक्षात्मक क्षमताओं का एक शानदार प्रदर्शन किया जाएगा।
- इस अभ्यास में भारतीय सेना के साथ भी संयुक्त अभियानों का संचालन किया जाएगा।
- इस वर्ष, अभ्यास में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस, प्रचंड और ध्रुव सहित 121 विमान शामिल होंगे।
- अभ्यास वायुशक्ति में भाग लेने वाले अन्य विमानों में राफेल, मिराज-2000, सुखोई-30 एमकेआई, जगुआर, हॉक, सी-130जे, चिनूक, अपाचे और एमआई-17 भी शामिल हैं।
- स्वदेशी रूप से निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली हथियार प्रणालियां आकाश और समर घुसपैठ करने वाले शत्रुओं के विमान को ट्रैक करने तथा उसे मार गिराने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेंगे।
- अभ्यास वायु शक्ति कई वायु सेना अड्डों से संचालन करते हुए लंबी दूरी, सटीक मारक क्षमता के साथ-साथ पारंपरिक हथियारों को सही ढंग से, समय पर और शत्रु का विनाश करने में इस्तेमाल करने की भारतीय वायुसेना की क्षमता का प्रदर्शन होगा।
- भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े द्वारा विशेष अभियान संचालित होगा, जिसमें गरुड़ और भारतीय सेना के अन्य विमान भी शामिल होकर अपना प्रदर्शन करेंगे।
Comments