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04 दिसंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. उड़ान योजना:
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास:
  3. प्रथम सर्वेक्षण पोत (वृहद) संध्याक भारतीय नौसेना को सौंपा गया:
  4. शांति समझौते के बाद NRFM के नेता UNLF में शामिल हुए:

1. उड़ान योजना:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

प्रारंभिक परीक्षा: उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना।

प्रसंग:

  • जनता के लिए किफायती दरों पर हवाई सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) – उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) शुरू की जिसके तहत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना को प्रोत्साहन देने के लिए मौजूदा हवाई पट्टियों और हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के माध्यम से देश के अपर्युक्त और कम उपयोग वाले हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।

उद्देश्य:

  • उड़ान योजना से अब तक 130 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।
  • 517 क्षेत्रीय कनेक्टिविटी मार्गों से अब तक 76 हवाई अड्डों को जोड़ने के लिए परिचालन शुरू, इनमें 9 हेलीपोर्ट और 2 जल हवाई अड्डे शामिल हैं।
  • उड़ान योजना के अंतर्गत सरकार, उड़ान के संचालन के लिए 2024 तक 1000 उड़ान मार्गों को चालू करने और 100 अप्रयुक्त और कम सेवा वाले हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों को विकसित करने का लक्ष्य।
  • हवाई अड्डों के विकास के लिए आवंटित 4500 करोड़ रुपये में से 3751 करोड़ रु. का उपयोग किया गया।

विवरण:

  • यह योजना दस वर्ष की अवधि के लिए लागू रहेगी।
  • उड़ान योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
    • i) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना – उड़ान को क्षेत्रीय मार्गों को जोड़ने वाले कम सेवा वाले/अपर्युक्त मार्गों पर हवाई परिचालन को बढ़ावा देने और जनता के लिए उड़ान को किफायती बनाने के लिए बनाया गया है।
    • ii) केंद्र, राज्य सरकारों और हवाईअड्डा संचालकों की ओर से रियायतों के संदर्भ में वित्तीय प्रोत्साहन चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों को दिया जाता है ताकि कम सेवा वाले/अपर्युक्त हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों से परिचालन को प्रोत्साहित किया जा सके और हवाई किराया वहनीय रखा जा सके।
    • iii) चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों को वित्तीय सहायता व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) के रूप में है।
      • राज्य सरकारें अपने राज्यों से संबंधित क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ानों के लिए वीजीएफ के लिए 20 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करती हैं। पूर्वोत्तर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वीजीएफ की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है।
    • iv) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ानों के लिए आरसीएस हवाई अड्डों पर चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों द्वारा शुरू की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के लिए निकाले गए एविएशन टर्बाइन ईंधन (एटीएफ) पर एक प्रतिशत/दो प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाता है।
    • v) एयरलाइंस को आरसीएस उड़ानों में विमान के प्रकार और आकार के आधार पर सीटों की एक निश्चित संख्या को आरसीएस सीटों के रूप में प्रतिबद्ध करना आवश्यक है।
    • vi) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी फंड (आरसीएफ) पूर्वोत्तर क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप द्वीप समूह के मार्गों पर उड़ानों के प्रस्थान को छोड़कर 40 टन से अधिक एमटीओडब्ल्यू (अधिकतम टेक-ऑफ वजन) वाले विमानों पर उड़ानों के प्रत्येक प्रस्थान पर लेवी द्वारा बनाया गया है।
    • vii) संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए, मार्ग आवंटन देश के पांच क्षेत्रों उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और उत्तर पूर्व (किसी दिए गए क्षेत्र में 30 प्रतिशत की सीमा के साथ) में समान रूप से फैला हुआ है। ।
    • viii) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना-उड़ान एक बाजार संचालित योजना है। इच्छुक एयरलाइंस विशेष मार्गों पर मांग के आकलन के आधार पर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना – उड़ान के तहत बोली के समय प्रस्ताव प्रस्तुत करती हैं।
  • योजना का कार्यकाल: यह योजना 10 वर्षों की अवधि के लिए लागू होगी और समय-समय पर इसकी समीक्षा की जाएगी।
    • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना मार्ग के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण समर्थन केवल तीन वर्षों की अवधि के लिए उपलब्ध है।
    • विमान/हेलीकॉप्टर का प्रकार: यह योजना समुद्री विमानों और हेलीकॉप्टरों सहित विभिन्न प्रकार के विमानों के संचालन की अनुमति देती है।
    • उड़ान योजना के तहत, सरकार ने योजना के दौरान 1000 उड़ान मार्गों को चालू करने और उड़ान उड़ानों के संचालन के लिए 2024 तक देश में 100 अपर्युक्त और कम सेवा वाले हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों को कार्यशील/विकसित करने का लक्ष्य रखा है।
    • 517 क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना मार्गों में अब तक 76 हवाई अड्डों को जोड़ने के लिए परिचालन शुरू कर दिया है, जिसमें 9 हेलीपोर्ट और 2 जल हवाई अड्डे शामिल हैं।
    • इस योजना का लाभ अब तक 130 लाख से अधिक लोग उठा चुके हैं।
  • तमिलनाडु सहित देश में 50 नए हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों के विकास और संचालन के लिए 2023-26 की अवधि में योजना के दूसरे चरण के तहत 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

पृष्ठ्भूमि:

  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) ने भारतीय हवाई अड्डों के कार्बन लेखांकन और रिपोर्टिंग ढांचे के मानकीकरण के जरिए देश में हवाई अड्डों पर कार्बन तटस्थता और नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की दिशा में काम करने के लिए कदम उठाए हैं।
    • इस उद्देश्य के लिए, निर्धारित परिचालन वाले हवाई अड्डा संचालकों को सलाह दी गई है कि वे अपने संबंधित हवाई अड्डों पर कार्बन उत्सर्जन का मानचित्रण करें और कार्बन तटस्थता और नेट जीरो उत्सर्जन की दिशा में चरणबद्ध तरीके से काम करें।
    • एमओसीए ने भावी ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों और संबंधित राज्य सरकारों के डेवलपर्स को कार्बन तटस्थता और नेट ज़ीरो प्राप्त करने की दिशा में काम करने की सलाह दी है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ हरित ऊर्जा का उपयोग भी शामिल है।
  • भारत सरकार के उपरोक्त प्रयासों से, दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे हवाई अड्डों ने लेवल 4+ और उच्चतर हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय परिषद (एसीआई) मान्यता हासिल कर ली है और कार्बन तटस्थ बन गए हैं।
  • इसके अतिरिक्त, 66 भारतीय हवाई अड्डे शत-प्रतिशत हरित ऊर्जा पर काम कर रहे हैं।
  • वर्तमान में, देश में 14 हवाई अड्डे सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत संचालित होते हैं।
  • राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के अनुसार, 25 एएआई हवाई अड्डे, यानी, भुवनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, त्रिची, इंदौर, रायपुर, कालीकट, कोयम्‍बटूर, नागपुर, पटना, मदुरै, सूरत, रांची, जोधपुर, चेन्नई, विजयवाड़ा, वडोदरा, भोपाल, तिरूपति, हुबली, इम्फाल, अगरतला, उदयपुर, देहरादून और राजमुंदरी को वर्ष 2022 से 2025 तक पट्टे पर देने के लिए निर्धारित किया गया है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास:

  • सभी युवा भारतीय अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ आने वाले बड़ी संख्या में अवसरों के लिए तैयार हों यह सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के तहत, स्किल इण्डिया मिशन (SIM) का लक्ष्य कौशल, पुन: कौशल और उन्नयन करना है ताकि भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बदल जाए।
  • सिम का उद्देश्य भारत के सभी युवाओं को उद्योग कौशल तक पहुंच प्रदान करके भविष्य के लिए तैयार करना है।
  • सिम के तहत, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) विभिन्न योजनाओं के तहत कौशल विकास केंद्रों/संस्थानों के एक व्यापक नेटवर्क के माध्यम से उत्तर प्रदेश सहित देश भर में युवाओं को प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस), राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) आदि के तहत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से कौशल, पुन: कौशल और उन्नयन प्रशिक्षण प्रदान करता है।

इन योजनाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई): पीएमकेवीवाई योजना ग्रामीण क्षेत्रों सहित देश भर के युवाओं को अल्पकालिक प्रशिक्षण (एसटीटी) के माध्यम से कौशल विकास प्रशिक्षण और पूर्व शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) के माध्यम से अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग प्रदान करने के लिए है।
  • जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना: जेएसएस का मुख्य लक्ष्य गैर-साक्षरों, नव-साक्षरों और 15-45 आयु वर्ग के 12वीं कक्षा तक प्राथमिक स्तर की शिक्षा और स्कूल छोड़ने वाले व्यक्तियों, “दिव्यांगजन” और अन्य योग्य मामलों में उचित आयु में छूट के साथ, को व्यावसायिक कौशल प्रदान करना है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी कम आय वाले क्षेत्रों में महिलाओं, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस): यह योजना शिक्षुता अधिनियम, 1961 के तहत शिक्षुता कार्यक्रम चलाने वाले औद्योगिक प्रतिष्ठानों को वित्तीय सहायता प्रदान करके शिक्षुता प्रशिक्षण को बढ़ावा देने और प्रशिक्षुओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए है।
    • प्रशिक्षण में बुनियादी प्रशिक्षण और नौकरी में प्रशिक्षण/उद्योग में कार्यस्थल पर व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल है।
  • शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस): यह योजना देश भर में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से दीर्घकालिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए है।
    • आईटीआई उद्योग में कुशल कार्यबल के साथ-साथ युवाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में आर्थिक क्षेत्रों को कवर करते हुए व्यावसायिक/कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं।

2. प्रथम सर्वेक्षण पोत (वृहद) संध्याक भारतीय नौसेना को सौंपा गया:

  • गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में बनाए जा रहे चार सर्वेक्षण पोत (वृहद) में से प्रथम, संध्याक (यार्ड 3025), 04 दिसंबर 2023 को भारतीय नौसेना को सौंपा गया। चार सर्वेक्षण पोतों (वृहद) के लिए 30 अक्टूबर 2018 को अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गये थे।
  • एसवीएल पोतों को इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग क्लासिफिकेशन सोसाइटी के नियमों के अनुसार मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है।
    • इस पोत की प्राथमिक भूमिका बंदरगाह/हार्बर तक पहुंचने वाले मार्गों का सम्पूर्ण तटीय और डीप-वॉटर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना और नौवहन चैनलों/मार्गों का निर्धारण करना होगी।
    • इसके परिचालन क्षेत्र में ईईजेड/एक्‍सटेंडेड कॉन्टिनेंटल शेल्फ तक की समुद्री सीमाएं शामिल हैं।
    • ये पोत रक्षा और नागरिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्र विज्ञान और भूभौतिकीय डेटा भी एकत्र करेंगे।
    • अपनी द्वितीयक भूमिका में, ये पोत सीमित सुरक्षा प्रदान करेंगे और युद्ध/आपातकालीन स्थिति के दौरान अस्पताल के रूप में कार्य करेंगे।
    • लगभग 3400 टन के विस्थापन और 110 मीटर की कुल लंबाई सहित संध्याक अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों जैसे डेटा अधिग्रहण और प्रसंस्करण प्रणाली, स्वायत्त अंडरवाटर वाहन, रिमोट चालित वाहन, डीजीपीएस लॉन्ग रेंज पोजिशनिंग सिस्टम, डिजिटल साइड स्कैन सोनार से युक्त है।
    • दो डीजल इंजनों द्वारा संचालित यह पोत 18 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है।
  • इस पोत के निर्माण की प्रक्रिया 12 मार्च 2019 को आरंभ हुई और इस पोत को 05 दिसंबर 2021 को लॉन्च किया गया।
    • यह पोत बंदरगाह और समुद्र में व्यापक परीक्षणों से गुजर चुका है। इसके पश्चात 04 दिसंबर 2023 को इसे भारतीय नौसेना को सौंपा गया।
  • लागत की दृष्टि से संध्याक में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है।
  • संध्याक की सुपुर्दगी भारत सरकार और भारतीय नौसेना द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में दिए जा रहे प्रोत्साहन की पुष्टि है।
    • संध्याक के निर्माण के दौरान कोविड और अन्य भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, इस को शामिल किया जाना, हिंद महासागर क्षेत्र में राष्ट्र की समुद्री ताकत बढ़ाने की दिशा में बड़ी संख्या में हितधारकों, एमएसएमई और भारतीय उद्योग के सहयोगपूर्ण प्रयासों का परिणाम है।

3. शांति समझौते के बाद NRFM के नेता UNLF में शामिल हुए:

  • यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF), मणिपुर सरकार और भारत सरकार के बीच 29 नवंबर, 2023 को हुए शांति समझौते के बाद नेशनल रिवोल्यूशनरी फ्रंट मणिपुर (NRFM) के लगभग 25 नेता/कैडर, मेजर बोइचा (NRFM के सेना-उप-प्रमुख) के नेतृत्व में 25 हथियारों के साथ 02 दिसंबर, 2023 को UNLF में शामिल हो गए हैं।
    • इसके साथ ही संगठन के अधिकांश सदस्य हिंसा छोड़ समाज की मुख्यधारा में सामिल हो गए हैं।
    • इस घटनाक्रम से मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के मोदी सरकार के प्रयासों को गति मिलेगी।
  • उल्लेखनीय है कि एनआरएफएम (पुराना नाम-यूनाइटेड रिवोल्यूशनरी फ्रंट) का गठन 11 सितंबर, 2011 को केसीपी (एक मैतेई यूजी संगठन) के तीन गुटों के कैडरों द्वारा किया गया था।
    • इसके वरिष्ठ नेता पड़ोसी देश के ठिकानों से काम करते थे और मणिपुर घाटी के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और जबरन वसूली में शामिल थे।
    • इस घटनाक्रम से अन्य मैतेई यूजी संगठनों को शांति प्रक्रिया में शामिल होने और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को आगे रखने के लिए प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।
    • साथ ही, इससे मोदी सरकार के ‘उग्रवादमुक्त और समृद्ध पूर्वोत्तर’ के सपने को साकार करने में सहायता मिलेगी।

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