विषयसूची:

  1. शिक्षा मंत्रालय ने प्रेरणा कार्यक्रम की शुरूआत की:
  2. रक्षा मंत्रालय ने सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए 802 करोड़ रुपये के अनुबंध-पत्र पर हस्ताक्षर किए:
  3. भारतीय खिलौना उद्योग आयात में 52 प्रतिशत की गिरावट और निर्यात में 239 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी:
  4. ‘बल्लम’ – पीबीजी लांस:
  5. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इंदौर, भोपाल और उदयपुर शहरों के लिए आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत वेटलैंड सिटी प्रमाणन के लिए प्रस्ताव दिया:

1. शिक्षा मंत्रालय ने प्रेरणा कार्यक्रम की शुरूआत की:

सामान्य अध्ययन: 2

शिक्षा:

विषय: शिक्षा से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से सम्बंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: प्रेरणा कार्यक्रम,राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 से सम्बन्धित तथ्यात्मक जानकारी।

मुख्य परीक्षा: शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा कार्यक्रम के महत्व का आकलन कीजिए।

प्रसंग:

  • भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने ‘प्रेरणा: अनुभव पर आधारित एक शिक्षा कार्यक्रम’ की शुरूआत की है, जिसका उद्देश्य सभी प्रतिभागियों को एक सार्थक, अद्वितीय और प्रेरणादायक अनुभव प्रदान करना है, जिससे उन्हें नेतृत्व के गुणों के साथ सशक्त बनाया जा सके।

उद्देश्य:

  • प्रेरणा भारतीय शिक्षा प्रणाली के सिद्धांतों और मूल्य-आधारित शिक्षा के दर्शन को जोड़ने की गहरी प्रतिबद्धता से प्रेरित है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की आधारशिला है।

विवरण:

  • प्रेरणा नौवीं से बारहवीं कक्षा के चयनित छात्रों के लिए एक सप्ताह तक चलने वाला आवासीय कार्यक्रम है।
    • यह सर्वोत्तम श्रेणी की तकनीक के साथ छात्रों के लिए एक अनुभवात्मक और प्रेरणादायक शिक्षण कार्यक्रम है जहां विरासत और नवाचार का मिलन होता है।
    • देश के विभिन्न हिस्सों से हर सप्ताह 20 चयनित छात्रों (10 लड़के और 10 लड़कियां) का एक बैच इस कार्यक्रम में भाग लेगा।
  • प्रेरणा कार्यक्रम भारत के सबसे पुराने शहरों में से 1888 में गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर में स्थापित वर्नाक्युलर स्कूल से शुरू होगा।
    • स्कूल वडनगर की अदम्य भावना को सम्मान देने के रूप में खड़ा है, एक जीवंत शहर जिसने भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं जैसी चुनौतियों पर विजय प्राप्त की और यह प्राचीन विरासत स्थलों और स्मारकों का घर है जो प्रारंभिक ऐतिहासिक काल और आधुनिक समय से बसे हुए हैं।
    • स्कूल इस तथ्य का प्रतीक है कि असाधारण जीवन की जड़ें अक्सर सामान्य नींव में पाई जाती हैं।
    • भारत की समृद्ध सभ्यता के कालातीत ज्ञान पर आधारित, यह अनूठी पहल हमारे प्रधानमंत्री, जो एक पूर्व छात्र रहे हैं, के सिद्धांतों और आदर्शों के अनुरूप एक कल्पना का प्रतीक है।
  • आईआईटी गांधी नगर द्वारा तैयार प्रेरणा स्कूल का पाठ्यक्रम नौ मूल्य आधारित विषयों पर बना है: स्वाभिमान और विनय, शौर्य और साहस, परिश्रम और समर्पण, करुणा और सेवा, विविधता और एकता, सत्यनिष्ठा और शुचिता, नवाचार और जिज्ञासा, श्रद्धा और विश्वास, और स्वतंत्रता और कर्तव्य।
    • उपरोक्त विषयों पर आधारित कार्यक्रम युवाओं को प्रेरित करेगा और भारत की विविधता में एकता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देगा, “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना को मूर्त रूप देगा और आज के युवाओं को विकसित भारत के लिए एक मशाल धारक बनाने में योगदान देगा।
    • इस प्रयास के लिए, प्रतिभागियों को प्रतिष्ठित संस्थानों के सलाहकारों द्वारा मार्गदर्शन किया जाएगा।
  • दिन-वार कार्यक्रम अनुसूची में योग, सचेतन और ध्यान सत्र शामिल होंगे, इसके बाद अनुभव आधारित शिक्षा, विषयगत सत्र और दिलचस्प शिक्षण गतिविधियाँ कार्यक्रम शामिल होंगे।
    • शाम के कार्यों में प्राचीन और विरासत स्थलों का दौरा, प्रेरणादायक फिल्म स्क्रीनिंग, मिशन जीवन रचनात्मक गतिविधियां, प्रतिभा शो आदि शामिल होंगे जो समग्र शिक्षण दृष्टिकोण सुनिश्चित करेंगे।
    • इसके अलावा, छात्र विविध गतिविधियों में संलग्न होंगे, स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों, नवीनतम अत्याधुनिक तकनीकों और प्रेरणादायक व्यक्तित्वों से सीखेंगे।
  • छात्र पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं, जिसमें आवेदक महत्वाकांक्षी और आकांक्षी प्रेरणा कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए आवश्यक विवरण भर सकते हैं।
  • चयन होने पर, 20 प्रतिभागी (10 लड़के और 10 लड़कियां) प्रेरणा कार्यक्रम में भाग लेंगे और प्रेरणा, नवाचार और आत्म-खोज की यात्रा पर निकलेंगे।
  • कार्यक्रम के बाद, प्रतिभागी प्रेरणा के लोकाचार को अपने-अपने समुदायों में ले जाएंगे, परिवर्तन निर्माता बनेंगे और दूसरों को प्रेरित करने के लिए सकारात्मक बदलाव लाएंगे।

2. रक्षा मंत्रालय ने सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए 802 करोड़ रुपये के अनुबंध-पत्र पर हस्ताक्षर किए:

सामान्य अध्ययन: 3

सुरक्षा:

विषय:सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबन्धन।

प्रारंभिक परीक्षा: बीओएम वैगन ।

मुख्य परीक्षा: बीओएम वैगनों का उपयोग ।

प्रसंग:

  • रक्षा मंत्रालय ने 4 जनवरी 2024 को नई दिल्ली में मेसर्स ज्यूपिटर वैगन्स लिमिटेड के साथ 473 करोड़ की लागत की 697 बोगी ओपन मिलिट्री (बीओएम) वैगनों की खरीद और मेसर्स बीईएमएल लिमिटेड के साथ 329 करोड़ की लागत की 56 मैकेनिकल माइनफील्ड मार्किंग इक्विपमेंट (एमएमएमई) मार्क II की खरीद के सौदे के लिए, (भारतीय-आईडीडीएम) श्रेणी के तहत, दो अनुबंध-पत्रों पर हस्ताक्षर किए।

उद्देश्य:

  • बीओएम वैगन और एमएमएमई का उत्पादन स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त उपकरणों और उप-प्रणाली के साथ किया जाएगा, जिससे आत्मनिर्भर भारत के विज़न को साकार करते हुए स्वदेशी विनिर्माण एवं रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।

विवरण:

  • रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) द्वारा डिजाइन किए गए बोगी ओपन मिलिट्री (बीओएम) वैगन, भारतीय सेना द्वारा सेना इकाइयों के परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले विशेषज्ञ वैगन हैं।
    • बीओएम वैगनों का उपयोग हल्के वाहनों, आर्टिलरी गन, बीएमपी, अभियांत्रिकी से संबंधित उपकरणों आदि को उनके शांतिकालीन स्थानों से परिचालन क्षेत्रों तक ले जाने के लिए किया जाता है।
    • यह महत्वपूर्ण रोलिंग स्टॉक किसी भी संघर्ष की स्थिति के दौरान इकाइयों और उपकरणों को परिचालन क्षेत्रों में तेज़ गति से और एक साथ शामिल करना सुनिश्चित करेगा, इसके साथ ही सैन्य अभ्यास के लिए तथा एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक सैन्य इकाइयों की आवाजाही को शांतिकाल के दैरान सुगम बनाएगा।
  • कुछ पारंपरिक हथियारों के समझौते से संबंधित संशोधित प्रोटोकॉल-II के मुताबिक, सभी बारूदी सुरंग क्षेत्रों को चिह्नित करना एक अनिवार्य आवश्यकता है, जिस पर भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है।
    • एमएमएमई को स्टोरों के पूरे भार के साथ खुले मैदानों में परिचालन करने और न्यूनतम समय तथा जनशक्ति के इस्तेमाल के साथ बारूदी सुरंग क्षेत्रों को चिह्नित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    • यह उपकरण उन्नत मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल प्रणाली वाले इन-सर्विस उच्च गतिशीलता वाले वाहन पर आधारित है, जो ऑपरेशन के दौरान बारूदी सुरंग क्षेत्रों को चिन्हित करने के समय को कम करेगा और भारतीय सेना की परिचालन क्षमता को बेहतर बनाएगा।

3. भारतीय खिलौना उद्योग आयात में 52 प्रतिशत की गिरावट और निर्यात में 239 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, संवृद्धि और विकास से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा: भारतीय खिलौना उद्योग का आर्थिक विकास में योगदान।

प्रसंग:

  • भारतीय खिलौना उद्योग में वित्त वर्ष 2014-15 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में आयात में 52 प्रतिशत की गिरावट और निर्यात में 239 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई हैं।

उद्देश्य:

  • भारतीय खिलौना उद्योग में वित्त वर्ष 2014-15 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
  • इस दौरान आयात में 52 प्रतिशत की गिरावट, निर्यात में 239 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी और घरेलू बाजार में उपलब्ध खिलौनों की समग्र गुणवत्ता का विकास हुआ।
  • उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) लखनऊ द्वारा “भारत में निर्मित खिलौनों की सफलता की कहानी” विषय पर आयोजित एक केस स्टडी में ये बातें सामने आईं हैं।

विवरण:

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के प्रयासों से भारतीय खिलौना उद्योग के लिए अधिक अनुकूल विनिर्माण परितंत्र बनाने में मदद मिली है।
    • इसमें यह बताया गया है कि 2014 से 2020 तक 6 वर्षों की अवधि में विनिर्माण इकाइयों की संख्या दोगुनी हो गई है, आयातित वस्तुओं पर निर्भरता 33 प्रतिशत से घटकर 12 प्रतिशत हो गई है, सकल बिक्री मूल्य में 10 प्रतिशत सीएजीआर की बढ़ोत्तरी और श्रम उत्पादकता में समग्र वृद्धि दर्ज की गई।
  • रिपोर्ट का विश्लेषण बताता है कि संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया सहित देशों में घरेलू स्तर पर निर्मित खिलौनों के लिए शून्य-शुल्क बाजार पहुंच के साथ-साथ वैश्विक खिलौना मूल्य श्रृंखला में देश के एकीकरण के कारण भारत एक बड़े निर्यातक देश के रूप में भी उभर रहा है।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को दुनिया के मौजूदा खिलौना केंद्रों यानी चीन और वियतनाम के लिए एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी में प्रगति, ई-कॉमर्स को अपनाने, साझेदारी और निर्यात को प्रोत्साहित करने, ब्रांड निर्माण में निवेश, बच्चों के साथ संवाद करने के लिए शिक्षकों और अभिभावकों के साथ जुड़ने, सांस्कृतिक विविधता को महत्व देने और क्षेत्रीय कारीगरों के साथ सहयोग करने आदि के लिए खिलौना उद्योग और सरकार के लगातार सहयोगात्मक प्रयास आवश्यक हैं।
  • रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि इन समस्‍याओं के समाधान और भारतीय खिलौना उद्योग में विकास को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक कार्ययोजना की जरूरत है।

सरकार ने इस बारे में कई हस्तक्षेप और पहल लागू की हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • 21 विशिष्ट कार्य बिंदुओं वाले एक व्यापक एनएपीटी का निर्माण और समन्वय निकाय के रूप में डीपीआईआईटी के साथ 14 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा कार्यान्वित किया गया।
  • खिलौनों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) फरवरी 2020 में 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत और उसके बाद मार्च 2023 में 70 प्रतिशत कर दिया गया।
  • विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने घटिया स्तर के खिलौनों के आयात पर अंकुश लगाने के लिए प्रत्येक आयात खेप का नमूना परीक्षण अनिवार्य कर दिया है।
  • खिलौनों के लिए एक गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) 2020 में जारी किया गया था जो 01.01.2021 से प्रभावी है।
  • एक वर्ष के लिए परीक्षण सुविधा के बिना और इन-हाउस परीक्षण सुविधा स्थापित किए बिना खिलौने बनाने वाली सूक्ष्म बिक्री इकाइयों को लाइसेंस देने के लिए बीआईएस द्वारा 17.12.2020 को विशेष प्रावधान अधिसूचित किए गए थे, जिसे तीन साल के लिए आगे बढ़ाया गया था।
  • बीआईएस मानक चिन्‍ह वाले खिलौनों के निर्माण के लिए बीआईएस ने घरेलू निर्माताओं को 1200 से अधिक लाइसेंस और विदेशी निर्माताओं को 30 से अधिक लाइसेंस प्रदान किए हैं।
  • घरेलू खिलौना उद्योग को मदद देने के लिए क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण अपनाया गया।
  • एमएसएमई मंत्रालय पारंपरिक उद्योगों के पुनर्जीवन के लिए निधि योजना (एसएफयूआरटीआई) के तहत 19 खिलौना उत्पादन केंद्रों की मदद कर रहा है, और वस्त्र मंत्रालय 13 खिलौना उत्‍पादन केंद्रों को खिलौनों का डिजाइनिंग तैयार करने और जरूरी साधन मुहैया कराने में मदद कर रहा है।
  • स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रचार पहल भी की गई हैं, जिनमें द इंडियन टॉय फेयर 2021, टॉयकैथॉन आदि शामिल हैं।

पृष्ठ्भूमि:

रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के अनुरूप, सरकार ने एनएपीटी के तहत पहले ही उपाय शुरू/किये हैं।

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अगस्त 2020 में अपने रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” बात में भारत को वैश्विक खिलौना विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की।
    • इस दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए सरकार ने खिलौनों की डिजाइनिंग को बढ़ावा देने, खिलौनों को सीखने के संसाधन के रूप में उपयोग करने, खिलौनों की गुणवत्ता की निगरानी करने, स्वदेशी खिलौना समूहों को बढ़ावा देने के लिए खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीटी) जैसे व्यापक उपाय करने सहित कई पहल की हैं।
  • सरकार की नीतिगत पहलों के साथ-साथ घरेलू निर्माताओं के प्रयासों से भारतीय खिलौना उद्योग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. ‘बल्लम’ – पीबीजी लांस:

  • 4 जनवरी, 2024 को राष्ट्रपति भवन में एक संक्षिप्त समारोह में, राष्ट्रपति के सचिव ने अरब गणराज्य मिस्र के राजदूत श्री वाएल मोहम्मद अवद हमीद को ‘बल्लम’ – राष्ट्रपति का अंगरक्षक लांस – भेंट किया।
  • हाल ही में मिस्र सरकार ने पीबीजी के लांस की मांग की है जो आमतौर पर उनके देश में भी इस्तेमाल किए जाते हैं। राष्ट्रपति के सचिव ने भारत के राष्ट्रपति की ओर से मिस्र के राजदूत को 50 पीबीजी लांस सौंपे।
  • नौ फीट नौ इंच लंबे बल्लम पर एक लाल और सफेद पेनोन सजाया गया है जो समर्पण के बजाय खून का प्रतीक है – पीबीजी का लोकाचार।
  • पीबीजी के सवार रेजिमेंट में एक परंपरा के रूप में अपने हाथों से बल्लम बनाते हैं।
  • राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले जवानों की यूनिट को प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड यानी पीबीजी कहा जाता है।
  • जो भारतीय सेना की सर्वोच्च यूनिट होती है। इन जवानों का एक ही काम होता है हर वक्त राष्ट्रपति की सुरक्षा करना।

2. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इंदौर, भोपाल और उदयपुर शहरों के लिए आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत वेटलैंड सिटी प्रमाणन के लिए प्रस्ताव दिया:

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इंदौर (मध्य प्रदेश), भोपाल (मध्य प्रदेश) और उदयपुर (राजस्थान) शहरों के लिए आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत वेटलैंड सिटी प्रमाणन (डब्ल्यूसीए) के लिए भारत से तीन नामांकन प्रस्तुत किए हैं।
  • ये पहले तीन भारतीय शहर हैं जिनके लिए नगर निगमों के सहयोग से संबंधित राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरणों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर डब्ल्यूसीए के लिए नामांकन प्रस्तुत किए गए हैं।
  • इन शहरों में और उसके आसपास स्थित आर्द्रभूमि अपने नागरिकों को बाढ़ विनियमन, आजीविका के अवसरों, मनोरंजक और सांस्कृतिक मूल्यों के संदर्भ में अनेक लाभ प्रदान करती है।
  • सिरपुर वेटलैंड (इंदौर में रामसर साइट), यशवंत सागर (इंदौर के समीप रामसर साइट), भोज वेटलैंड (भोपाल में रामसर साइट) और उदयपुर और उसके आसपास कई वेटलैंड्स (झीलें) इन शहरों के लिए जीवन रेखा के रूप में काम करते हैं।

तीन नामांकित शहरों में शामिल हैं:

  • इंदौर: इंदौर शहर की स्थापना होलकर ने की थी और यह भारत का सबसे स्वच्छ शहर है और अपने सर्वश्रेष्ठ स्वच्छता, पानी और शहरी पर्यावरण के लिए भारत के स्मार्ट सिटी अवार्ड 2023 का विजेता है।
    • सिरपुर झील, शहर में एक रामसर स्थल, को जल पक्षी समागम के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में मान्यता दी गई है और इसे पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित किया जा रहा है।
    • 200 से ज्यादा आर्द्रभूमि मित्रों का एक मजबूत नेटवर्क पक्षी संरक्षण और सारस क्रेन की रक्षा के लिए स्थानीय समुदाय को संवेदनशील बनाने का काम कर रहा है।
  • भोपाल: भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक है, जिसने अपने नगर विकास योजना 2031 के प्रारूप में आर्द्रभूमि के आसपास संरक्षण क्षेत्रों का प्रस्ताव दिया है।
    • भोज वेटलैंड, रामसर साइट शहर की जीवन रेखा है, जो विश्व स्तरीय वेटलैंड व्याख्या केंद्र, जल तरंग से सुसज्जित है।
    • इसके अतिरिक्त, भोपाल नगर निगम के पास एक समर्पित झील संरक्षण सेल है। 300 से ज्यादा आर्द्रभूमि मित्रों का एक नेटवर्क आर्द्रभूमि प्रबंधन और सारस क्रेन के संरक्षण कार्य में लगा हुआ है।
  • उदयपुर: राजस्थान में स्थित यह शहर पांच प्रमुख आर्द्रभूमियों से घिरा हुआ है, अर्थात् पिछोला, फतेह सागर, रंग सागर, स्वरूप सागर और दूध तलाई।
    • ये आर्द्रभूमि शहर की संस्कृति और पहचान का एक अभिन्न अंग हैं, शहर के सूक्ष्म जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं, और चरम घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • वेटलैंड सिटी प्रमाणन (डब्ल्यूसीए): शहरी और अर्ध-शहरी वातावरण में आर्द्रभूमि के महत्व को स्वीकार करते हुए और इन आर्द्रभूमि का संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु उचित उपाय करने के लिए, वर्ष 2015 में आयोजित सीओपी12 में रामसर कन्वेंशन ने संकल्प XII.10 के अंतर्गत एक स्वैच्छिक आर्द्रभूमि शहर मान्यता प्रणाली को मंजूरी प्रदान की, जो उन शहरों को प्रमाणन देता है जिन्होंने अपने शहरी आर्द्रभूमि की सुरक्षा के लिए असाधारण कदम उठाए हैं।
    • वेटलैंड सिटी प्रमाणन योजना का उद्देश्य शहरी और अर्ध-शहरी आर्द्रभूमि के संरक्षण और चतुर उपयोग को बढ़ावा देना है, साथ ही स्थानीय आबादी के लिए स्थायी सामाजिक-आर्थिक लाभ भी है।
    • इसके अतिरिक्त, प्रमाणन उन शहरों को प्रोत्साहित करता है जो आर्द्रभूमि के समीप हैं और उन पर निर्भर हैं, मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि और अन्य संरक्षण श्रेणी वाले आर्द्रभूमि, इन मूल्यवान पारिस्थितिक तंत्रों के साथ सकारात्मक संबंध विकसित करने और मजबूत करने के लिए।
    • औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त करने के लिए, वेटलैंड सिटी प्रमाणन के लिए एक उम्मीदवार को आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के डब्ल्यूसीए के लिए परिचालन मार्गदर्शन में उल्लिखित छह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों में से प्रत्येक को लागू करने के लिए उपयोगी मानकों को पूरा करना चाहिए।
    • यह स्वैच्छिक योजना उन शहरों के लिए एक अवसर प्रदान करती है जो अपने प्राकृतिक या मानव निर्मित आर्द्रभूमि को महत्व देते हैं जिससे वे आर्द्रभूमि के साथ मजबूत सकारात्मक संबंधों का प्रदर्शन करने में अपनी कोशिशों के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता और सकारात्मक ब्रांडिंग का अवसर प्राप्त कर सकें।
  • इस वर्ष के बजट के भाग के रूप में घोषित पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की चल रही अमृत धरोहर पहल का उद्देश्य रामसर साइटों के अद्वितीय संरक्षण मूल्यों को बढ़ावा देकर इसी प्रकार के लक्ष्यों को प्राप्त करना है।
    • इस संदर्भ में, डब्ल्यूसीए न केवल शहरी और अर्ध-शहरी आर्द्रभूमि के संरक्षण के बारे में जन जागरूकता उत्पन्न करेगा, बल्कि पूरे देश में अमृत धरोहर के कार्यान्वयन में भी सहायता प्रदान करेगा।

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