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04 जुलाई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. 23वें SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री का संबोधन:
  2. हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICGH 2023):
  3. डिब्रूगढ़ में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन टर्मिनल का शिलान्‍यास:
  4. REC ने बाड़मेर में HPCL राजस्थान रिफाइनरी की परियोजना के लिए 4,785 करोड़ रुपए जारी किए:
  5. स्टार्टअप-20 गुरुग्राम शिखर सम्मेलन का समापन, भारत ने ब्राजील को मशाल सौंपी:
  6. अल्लूरि सीताराम राजू के 125वां जन्मोत्सव वर्ष समारोह:

1. 23वें SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री का संबोधन:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते और/या भारतीय हितों को प्रभावित करने वाले करार।

प्रारंभिक परीक्षा: शंघाई सहयोग संगठन (SCO)।

मुख्य परीक्षा: वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की प्रासंगिकता पर एक लेख लिखिए।

प्रसंग:

  • 23वें SCO सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन को सम्बोधित किया।

विवरण:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23वें SCO सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा की पिछले दो दशकों में, SCO, पूरे एशियाई क्षेत्र में, शान्ति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म के रूप में उभरा है।
    • हम इस क्षेत्र को “विस्तारित पड़ोस” ही नहीं बल्कि “विस्तृत परिवार” की तरह देखते हैं।
  • SCO के अध्यक्ष के रूप में, भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं।
    • इन सभी प्रयासों को हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला, वसुधैव कुटुम्बकम, यानि पूरा विश्व एक परिवार है।
    • दूसरा, SECURE यानि Security, Economic development, Connectivity, Unity, Respect for sovereignty and territorial integrity and Environmental protection.
    • यह हमारी अध्यक्षता का थीम और हमारे SCO के विज़न का प्रतिबिंब है।
  • भारत ने, इस दृष्टिकोण के साथ, SCO में सहयोग के पाँच नए स्तंभ बनाए हैं:

◦ स्टार्टअप और नवाचार,

◦ पारंपरिक चिकित्सा

◦ युवा सशक्तिकरण

◦ डिजिटल समावेशन, तथा

◦ साझा बौद्ध विरासत

  • भारत ने SCO की अपनी अध्यक्षता के अंतर्गत 140 से अधिक कार्यक्रमों, सम्मेलनों और बैठकों की मेजबानी की।
  • SCO की चौदह मंत्री स्तर की बैठको में, हमने मिलकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज तैयार किए हैं।
  • इनसे हम अपने सहयोग में नए और आधुनिक आयाम जोड़ रहे हैं – जैसे
    • उर्जा क्षेत्र में उभरते फ्यूल्स पर सहयोग;
    • ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में वि-कार्बनीकरण और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में सहयोग;
    • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के क्षेत्र में सहयोग।
  • भारत का प्रयास रहा है कि SCO में सहयोग केवल सरकारों तक सीमित न रहे।
  • लोगों के बीच संपर्क और गहरा करने के लिए, भारत की अध्यक्षता में नयी पहलें की गयी हैं।
  • पहली बार, SCO मिलेट फ़ूड फेस्टिवल, फिल्म फेस्टिवल, SCO सूरजकुंड क्राफ्ट मेला, थिंक टैंक सम्मेलन, साझा बौद्ध विरासत पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
  • SCO की पहली पर्यटन एवं सांस्कृतिक राजधानी, शाश्वत शहर वाराणसी, अलग-अलग कार्यक्रमों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी।
  • SCO देशों के युवाओं की ऊर्जा और प्रतिभा को सार्थक करने के लिए हमने युवा वैज्ञानिक सम्मेलन, युवा लेखक सम्मेलन, युवा निवासी विद्वान कार्यक्रम, स्टार्टअप फोरम, युवा परिषद – जैसे नए मंच का आयोजन किया।
  • भारत SCO में सुधार और आधुनिकीकरण के प्रस्ताव का समर्थन करता है।
  • यह डिजिटल प्रौद्योगिकी समावेशी विकास के लिए एक उदाहरण बन सकता है।
  • UN सहित अन्य वैश्विक संस्थानों में भी सुधार के लिए SCO एक महत्वपूर्ण आवाज़ बन सकता है।
  • आज ईरान SCO परिवार में एक नए सदस्य के रूप में जुड़ने जा रहा है।
  • साथ ही हम बेलारूस की SCO सदस्यता के लिए दायित्व का ज्ञापन (Memorandum of Obligation) पर हस्ताक्षर करने का स्वागत करते हैं।
  • यह आवश्यक है कि SCO का मूल फोकस मध्य-एशियाई देशों के हितों और आकांक्षाओं पर केन्द्रित रहे।
  • आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है।
    • इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है।
    • आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी।
    • कुछ देश, सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं।
    • SCO को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।
    • ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
    • आतंक के वित्तपोषण से निपटने के लिए भी हमें आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए। इसमें SCO के RATS मैकेनिज्म की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
  • अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति का हम सभी की सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ा है।
    • अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं SCO के अधिकांश देशों के समान हैं।
    • हमें अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। अफ़ग़ान नागरिकों को मानवीय सहायता; एक समावेशी सरकार का गठन; आतंकवाद और ड्रग तस्करी के विरुद्ध लड़ाई; तथा महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करना हमारी साझा प्राथमिकताएं हैं।
    • भारत और अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के बीच, सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं।
    • 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं।
  • किसी भी क्षेत्र की प्रगति के लिए मज़बूत कनेक्टिविटी का होना बहुत ही आवश्यक है।
    • ईरान की SCO सदस्यता के बाद हम चाबहार बंदरगाह के बेहतर उपयोग के लिए काम कर सकते हैं।
    • मध्य एशिया के भू-आबद्ध (landlocked) देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, हिंद महासागर तक पहुँचने का, एक सुरक्षित और सुगम रास्ता बन सकता है।
  • SCO विश्व के 40% लोगों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लगभग एक तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है।
    • इस कारण यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम एक-दूसरे की जरूरतों और संवेदनशीलताओं को समझें।
    • प्रधानमंत्री ने SCO के अगले अध्यक्ष, कजाख्स्तान के राष्ट्रपति तोकायेव को भारत की ओर से शुभकामनायें दी।

2. हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICGH 2023):

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा- ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन।

मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के महत्व इंगित करते हुए हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में हाल में हुई प्रगति एवं उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • भारत सरकार द्वारा 05 से 07 जुलाई, 2023 तक नई दिल्ली में हरित हाइड्रोजन पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICGH-2023) का आयोजन किया जा रहा है, जिससे संपूर्ण हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में हाल में हुई प्रगति एवं उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करने के लिए वैश्विक वैज्ञानिकों, नीति, शैक्षणिक और औद्योगिक दिग्गजों को एक साथ लाया जा सके।

उद्देश्य:

  • इस सम्मेलन का उद्देश्य यह पता लगाना है कि हम कैसे हरित हाइड्रोजन इकोसिस्‍टम को स्थापित कर सकते हैं और किस प्रकार से हरित हाइड्रोजन के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन के वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक प्रणालीगत दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • इसमें हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, वितरण और अनुप्रवाह अनुप्रयोगों पर डोमेन-विशिष्ट अनुसंधान बातचीत के अलावा, इस क्षेत्र में हरित वित्तपोषण, मानव संसाधन कौशल विकास और स्टार्टअप पहल पर भी चर्चा होगी।
    • यह सम्मेलन इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और सीखने में सक्षम बनाएगा।

विवरण:

  • इस सम्मेलन का आयोजन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के सहयोग से भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के साथ किया जा रहा है।
    • केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री 05 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली में इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
  • यह सम्मेलन इस क्षेत्र के हितधारकों को इस क्षेत्र में विकसित हरित हाइड्रोजन परिदृश्य और नवाचार-संचालित समाधानों का पता लगाने में सक्षम बनाएगा, इस प्रकार इस क्षेत्र के लिए स्थिर इकोसिस्‍टम को मजबूती प्रदान करेगा।
  • सम्मेलन में आयोजित होने वाली विभिन्न वार्ता में भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन के उद्देश्यों के अनुरूप, राष्ट्रीय और वैश्विक प्राथमिकताओं को गहराई से समझने का अवसर प्राप्त होगा, जो वर्ष 2070 तक भारत के नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक मिशन है।

25 सत्र, विभिन्न महाद्वीपों के विशेषज्ञ होंगे एकत्रित:

  • तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हरित हाइड्रोजन इकोसिस्‍टम स्थापित करने के उद्देश्य से कम से कम 25 गहन सत्रों का आयोजन किया जाएगा।
    • इसमें अमेरिका, जापान, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, अफ्रीका सहित अनेक देशों के विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो भारत के शीर्ष सरकारी अधिकारियों, वैज्ञानिकों, उद्योग एवं अन्य हितधारकों के साथ अपने दृष्टिकोण को साझा करेंगे, जिससे डीकार्बोनाइजेशन के लिए सबसे अच्छे मार्ग को परिभाषित किया जा सके।
  • सम्मेलन के पहले दिन;
    • हाइड्रोजन उत्पादन-इलेक्ट्रोलिसिस और बायो-पाथवे; हाइड्रोजन भंडारण, वितरण और रिफ्यूलिंग; हाइड्रोजन ऊर्जा इकोसिस्‍टम एवं मूल्यांकन; फ्यूल सेल और इलेक्ट्रोलाइज़र:
    • प्रमुख सामग्री और घटक; हाइड्रोजन उत्पादन- थर्मोकेमिकल परमाणु और अन्य; हाइड्रोजन गतिशीलता;
    • एकीकृत हाइड्रोजन पद्धति; उद्योगों में हाइड्रोजन पर सत्र आयोजित किए जाएंगे।
  • सम्मेलन के दूसरे दिन हरित हाइड्रोजन की भूमिका पर एक जापानी और दूसरा ऑस्ट्रेलियाई परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया जाएगा।
    • इस दिन रसद और अवसंरचना; कोड, मानक और विनियम; हाइड्रोजन हब/क्लस्टर; हाइड्रोजन में स्टार्ट-अप; हाइड्रोजन रणनीतियां और नीतियां; हरित वित्तपोषण; मजबूत अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण पर केंद्रीत होगा।
    • सम्मेलन का दूसरा दिन हरित हाइड्रोजन उत्पादन से जुड़े कार्बन उत्सर्जन पर एक पैनल चर्चा के साथ समाप्त होगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे और अंतिम दिन एक पूर्ण व्याख्यान होगा जो एक यूरोपीय परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करेगा और प्रमुख उद्योग हितधारकों के बीच एक पैनल चर्चा होगी।

पृष्ठ्भूमि:

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:

Green Hydrogen

चित्र स्रोत: PIB

  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत भारत सरकार ने 04 जनवरी 2023 को अपनी डीकार्बोनाइजेशन रणनीति के भाग के रूप में की थी।
    • मिशन हरित हाइड्रोजन में अनुसंधान एवं विकास पर महत्वपूर्ण बल दिया गया है और इसका उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।
    • यह मिशन देश में एक मजबूत हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए नीतियों एवं प्रौद्योगिकियों में प्रमुख मध्यवर्तन की शुरुआत करेगा।
    • यह मांग उत्पन्न करके, आपूर्ति पक्ष को मजबूत करके और नीति एवं नियामक संरचना, नवाचार और सामर्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसे प्राप्त करना चाहता है।
    • यह मिशन इस क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगा और तेजी से बढ़ोत्तरी, प्रौद्योगिकी विकास, मानकों और नियामक संरचना की स्थापना और लागत में कमी को सक्षम बनाएगा।
    • हरित हाइड्रोजन में अनुसंधान एवं विकास न केवल चिरस्थायी ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देता है, बल्कि भारत के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार सृजन एवं आर्थिक विकास के अवसरों को भी खोलता है।
    • अनुसंधान एवं विकास को प्राथमिकता प्रदान कर, भारत हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता बनने के लिए तैयार है, जो एक स्वच्छ एवं हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है।

National Green Hydrogen Mission targets

चित्र स्रोत: PIB

3. डिब्रूगढ़ में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन टर्मिनल का शिलान्‍यास:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा-बंदरगाह।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI)।

मुख्य परीक्षा: डिब्रूगढ़ में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन टर्मिनल का शिलान्‍यास से होने वाले लाभों पर प्रकाश डालिये।

प्रसंग:

  • केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम के डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र नदी (राष्ट्रीय जलमार्ग-2) के तट पर बोगीबील में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन (IWT) टर्मिनल का शिलान्‍यास किया।

उद्देश्य:

  • पर्यटक-सह-कार्गो IWT टर्मिनल को 46.60 करोड़ रूपए की लागत से बनाया जाएगा और इसे फरवरी, 2024 तक पूरा किया जाना है।
    • इस टर्मिनल के बनकर तैयार होते ही, इसके द्वारा व्यापार और वाणिज्य के विकास का मार्ग प्रशस्त कर इस क्षेत्र में माल और यात्री दोनों की आवाजाही की दिशा में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन को फिर से जीवंत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है।
  • यह नई जेट्टी जलमार्ग परिवहन को एक परिवर्तनकारी कारक के रूप में सक्षम बनाने में मदद करेगी।

विवरण:

  • पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की अंतर्देशीय जलमार्ग की नोडल एजेंसी, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के तत्वावधान में IWT टर्मिनल कई आधुनिक विशेषताओं से लैस होगा।
    • इस टर्मिनल का कार्य इंडियन पोर्ट रेल एंड रोपवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
    • इस टर्मिनल का विकास कार्गो के साथ-साथ यात्री परिवहन के संदर्भ में ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड जैसे आसपास के राज्यों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
    • इससे इको-पर्यटन में भी वृद्धि होगी और एक्जिम कार्गो की आवाजाही अन्‍य की तुलना में कम परिवहन लागत के साथ सुगम हो जाएगी।
  • किफायती और कुशल साधन के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों की बढ़ती लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल्स, सीमेंट आदि जैसे अन्य नए उद्योग इस क्षेत्र में आ सकते हैं, जबकि चाय, पॉलिमर, कोयला, उर्वरक आदि जैसे मौजूदा प्रमुख व्यापार की बड़ी मितव्‍ययता या इकॉनोमीज़ ऑफ स्‍केल में और भी सुधार होगा।
  • पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) अंतर्देशीय जलमार्ग विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
    • गुवाहाटी में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI), सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (SDCL), असम पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (ATDC) और अंतर्देशीय जल परिवहन निदेशालय (DIWT) असम के बीच ‘नदी आधारित पर्यटन सर्किट’ विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
    • यह सागरमाला परियोजना गुवाहाटी स्थित सात ऐतिहासिक मंदिरों कामाख्या, पांडुनाथ, अश्वक्‍लांता, डौल गोविंदा, उमानंद, चक्रेश्वर और औनियाती सत्र को जोड़ेगी।
  • बोगीबील IWT के निर्माण से औद्योगिक विकास में वृद्धि होगी जिससे परिवहन आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।
    • यह केवल असम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगा।

पृष्ठ्भूमि:

  • “एक्ट ईस्ट नीति” के तहत, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय और IWAI पिछले 9 वर्षों से भारत में जलमार्ग क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव ला रहे हैं।
    • इन उपायों से देश में असाधारण रूप से उत्‍कृष्‍ट परिवर्तन आये हैं।
    • पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में जलमार्गों के विकास के लिए, IWAI की ओर से ड्रेजिंग और नदी संरक्षण के अन्य कार्यों के माध्यम से ब्रह्मपुत्र नदी में जलमार्ग को बरकरार रखने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
    • नदी में सिलघाट तक नौवहन सहायता और रात्रि नेविगेशन प्रणाली भी प्रदान की जाती है।
    • पांडु और धुबरी में स्थायी टर्मिनल विकसित किए गए हैं।
    • पिछले दो वर्षों के दौरान धुबरी टर्मिनल बड़े पैमाने पर उपयोगी रहा है और 385 मालवाहक जहाज धुबरी से बांग्लादेश गए हैं।
    • पांडु टर्मिनल का प्रभावी उपयोग करने के लिए 180 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पांडु टर्मिनल को NH-27 से जोड़ने वाली एक वैकल्पिक सड़क पर काम चल रहा है।
  • बोगीबील IWT के निर्माण से औद्योगिक विकास में वृद्धि होगी जिससे परिवहन आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।
  • यह केवल असम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगा।

4. REC ने बाड़मेर में HPCL राजस्थान रिफाइनरी की परियोजना के लिए 4,785 करोड़ रुपए जारी किए:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा- ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: REC (रूरल इलेक्ट्रफिकेशन कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड), ग्रीन फील्ड रिफाइनरी- पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स।

मुख्य परीक्षा: ग्रीन फील्ड रिफाइनरी- पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना से राजस्थान को होने वाले लाभों पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • REC लिमिटेड ने राजस्थान के बाड़मेर जिले में ग्रीन फील्ड रिफाइनरी- पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना के लिए HPCL राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड (HRRL) को 4,785 रुपए का ऋण दिया है।

उद्देश्य:

  • परियोजना का लक्ष्य स्वच्छ ईंधन जैसे BS-6 ग्रेड मोटर्स स्पिरिट (MS या पेट्रोल) और BS 6 ग्रेड हाई स्पीड डीजल (HSD या डीजल) और पेट्रोकेमिकल उत्पाद जैसे पॉली प्रोपलीन, ब्यूटाडाइन, LLDPE, HDPE, बेंजीन और टॉलयून का उत्पादन करना है
  • यह परियोजना देश और विशेष रूप से भारत के पश्चिमी, उत्तरी और मध्य भागों में पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करेगी।

विवरण:

  • यह ऋण 48,625 करोड़ के कन्सोर्टियम व्यवस्था के तहत बढ़ाया गया है, जिसमें REC लिमिटेड की हिस्सेदारी 4,785 करोड़ है।
    • रिफाइनरी-कॉम्प्लेक्स की क्षमता 9 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष होगी और इसकी कुल परियोजना लागत 72,937 करोड़ होगी।
  • HRRL हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और राजस्थान सरकार की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसे 18 सितंबर 2013 को शामिल किया गया था।
  • HPCL के पास एचआरएल में 74% इक्विटी हिस्सेदारी है जबकि शेष 26% राजस्थान सरकार के पास है।
  • HRRL हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और राजस्थान सरकार की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसे 18 सितंबर 2013 को शामिल किया गया था।
  • HPCL के पास एचआरएल में 74% इक्विटी हिस्सेदारी है जबकि शेष 26% राजस्थान सरकार के पास है।
  • नौ MMTPA की क्षमता के साथ एक ऊर्जा दक्ष और पर्यावरण अनुकूल रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स स्थापित करने के अलावा इस परियोजना से राजस्थान क्रूड और आयातित क्रूड दोनों के परिवहन के लिए एक पाइप लाइन स्थापित करना शामिल है, रिफाइनरी स्थल तक पानी पहुँचाने के लिए एक पाइपलाइन, रिफाइनरी के बिजली और भाप की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक कैप्टिव पावर प्लांट, कच्चे तेल और उत्पाद भंडारण सुविधाएं और टाउनशिप और संबद्ध सुविधाओं भी स्थापित की जाएगीं।

पृष्ठ्भूमि:

  • REC लिमिटेड, विद्युत मंत्रालय के अधीन एक महारत्न CPSU और एक NBFC है, जो पूरे भारत में विद्युत क्षेत्र के वित्त पोषण और विकास पर कार्य कर रही है।
    • 1969 में स्थापित REC लिमिटेड ने संचालन के 50 वर्ष से अधिक पूरे कर लिए है।
    • यह राज्य बिजली बोर्ड, राज्य सरकारों, केंद्र/राज्य बिजली उपयोगिताओं, स्वतंत्र बिजली उत्पादकों, ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों और निजी क्षेत्र के उपयोगिताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
    • इसकी व्यावसायिक गतिविधियों में संपूर्ण बिजली क्षेत्र की परियोजनाओं का वित्तपोषण शामिल है, जिसमें उत्पादन, पारेषण, वितरण और नवीकरणीय ऊर्जा सहित विभिन्न प्रकार की परियोजनाएं शामिल है।
    • REC की निधि से भारत में हर चौथा बल्ब रोशन होता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. स्टार्टअप-20 गुरुग्राम शिखर सम्मेलन का समापन, भारत ने ब्राजील को मशाल सौंपी:
    • भारत G-20 अध्यक्षता के तहत स्टार्टअप-20 एंगेजमेंट ग्रुप द्वारा आयोजित स्टार्टअप-20 गुरुग्राम शिखर सम्मेलन का गुरुग्राम में समापन हुआ।
      • इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन ने नवोन्मेषणों, सहयोगों, ज्ञान साझा करने और वैश्विक स्टार्टअप इकोसिस्टम के भीतर रणनीतिक गठबंधनों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच का काम किया।
    • समापन समारोह के दौरान, स्टार्टअप-20 के अध्यक्ष डॉ. चिंतन वैष्णव ने आधिकारिक रूप से ब्राजील को मशाल सौंपी क्योंकि ब्राजील को अगले वर्ष G-20 की अध्यक्षता करनी है और उसने 2024 में स्टार्टअप-20 पहल को जारी रखने के लिए प्रतिबद्धता की है।
      • ब्राजील अध्यक्षता के साथ स्टार्टअप-20 की निरंतरता समूह के लिए एक सच्ची सफलता है तथा विश्व भर में स्टार्टअप इकोसिस्टम की उन्नति की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
    • स्टार्टअप-20 के महत्व को रेखांकित करते हुए, प्रिंस फहद बिन मंसूर के प्रतिनिधित्व में सऊदी अरब 2030 तक स्टार्टअप इकोसिस्टम में 1 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष की महत्वाकांक्षी राशि आवंटित करने की स्टार्टअप-20 की अपील की अभिपुष्टि और समर्थन करने वाले पहले देश के रूप में उभरा।
    • प्रिंस फहद बिन मंसूर ने वैश्विक कल्याण के लिए स्टार्टअप्स को एक सच्ची ताकत बनाने में स्टार्टअप्स के महत्व को स्वीकार करते हुए गुरुग्राम शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान इसकी घोषणा की।
    • डॉ. चिंतन ने नीति विज्ञप्ति को आधिकारिक रूप से जारी करते हुए इसमें उल्लिखित विशिष्ट कार्य बिन्दुओं के महत्व को भी रेखांकित किया।
      • नीति विज्ञप्ति में प्रमुख कार्य बिन्दुओं में स्टार्टअप के लिए एक परिभाषा संरचना का सृजन करने और उसे अपनाने, पूरे G-20 में स्टार्टअप्स और इकोसिस्टम हितधारकों की सहायता करने के लिए एक नेटवर्क संस्थान का निर्माण करना, पूंजी तक पहुंच को बढ़ाना और उसे विविधीकृत करना, स्टार्टअप्स के लिए बाजार विनियमनों को सरल बनाना और स्टार्टअप इकोसिस्टम के भीतर निम्न प्रतिनिधित्व वाले समुदायों के समावेशन को प्राथमिकता प्रदान करना और साथ ही वैश्विक हितों वाले स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।
      • इन उपायों का उद्देश्य एक अनुकूल वातावरण का निर्माण करना है जो स्टार्टअप्स को नवोन्मेषण करने, आगे बढ़ने और वैश्विक चुनौतियों से प्रभाव तरीके से निपटने के लिए सशक्त बनाता है।
    • स्टार्टअप-20 गुरुग्राम शिखर सम्मेलन स्टार्टअप इकोसिस्टम, इकोसिस्टम के निर्माताओं, उद्योग के विशेषज्ञों, सरकार, नीति निर्माताओं और विचारकों के लिए आपस में सहयोग करने तथा वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप्स के मार्ग को आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करता है।
    • नीति विज्ञप्ति G-20 देशों के लिए आशावान स्टार्टअप्स की गहनता से खोज करने, सहयोगात्मक रूप से उन्हें वित्त पोषित करने, संदर्भ रूप से उन्हें संरक्षण प्रदान करने और उन्हें वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए दिशा निर्धारित करती है।
  2. अल्लूरि सीताराम राजू के 125वां जन्मोत्सव वर्ष समारोह:
    • राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु ने हैदराबाद में 04 जुलाई, 2023 को अल्लूरि सीताराम राजू की 125वें जन्मोत्सव वर्ष के समापन समारोह को संबोधित किया।
    • राष्ट्रपति ने कहा कि अल्लूरि सीताराम राजू की अन्याय और शोषण के खिलाफ लड़ाई भारत के स्वतंत्रता संग्राम का गौरवपूर्ण अध्याय रहा है।
      • सभी लोगों और विशेषतौर से युवा पीढ़ी को उनके साहस और देशभक्ति के बारे में जानकारी होनी चाहिये।
    • अल्लूरि सीताराम राजू का जीवन जाति और वर्ग के आधार पर भेदभाव किये बिना समाज को एकजुट करने का एक बेहतर उदाहरण है।
      • अल्लूरि सीताराम राजू को आदिवासी समाज ने पूरी तरह से अपना बना लिया था।
      • उन्हें एक आदिवासी योद्धा के रूप में याद किया जाता है और यही उनकी सही पहचान है।
      • वह अपनी शहादत तक आदिवासी समाज के अधिकारों के लिये लड़ते रहे। यह हम सब का कर्तव्य है कि हम ऐसे महान स्वतंत्रता सैनानी के बलिदान को याद करें।
      • उन्होंने बुद्धीजीवियों, विशेषतौर से समाजशास्त्रियों और इतिहासकारों से आग्रह किया कि उन्हें अल्लूरि सीताराम राजू जैसे स्वतंत्रता सेनानी के योगदान के बारे में नागरिकों, विशेषतौर से युवा पीढ़ी के बीच जागरूकता बढ़ाने का काम करना चाहिये।
    • समाज के वंचित तबके की भलाई के लिये निःस्वार्थ और निडर होकर काम करना अल्लूरि सीताराम राजू के जीवन का संदेश है।

प्रारंभिक परीक्षा:

अल्लूरी सीताराम राजू:

  • अल्लूरि सीताराम राजु भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक क्रांतिकारी थे।
  • जन्म : 4 जुलाई 1897 विशाखापट्टणम जिले के पांड्रिक गांव में हुआ था (वर्तमान में आंध्र प्रदेश में)।
  • मृत्यु की जगह और तारीख: 7 मई 1924, अम्बरागोप्पा
  • माता-पिता: अल्लूरी वेंकट रामराजू, सूर्यनारायणम्मा
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीताराम राजू के वर्षभर चलने वाले 125वें जयंती समारोह की शुरूआत पिछले साल चार जुलाई को आंध्र प्रदेश के भीमावरम में की थी।
  • उन्हें (आंध्र प्रदेश के) पूर्वी घाट क्षेत्र में आदिवासी समुदायों के हितों की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनकी लड़ाई को लेकर याद किया जाता है।
  • उन्होंने रम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया, जो 1922 में शुरू हुआ था। उन्हें स्थानीय लोग ‘मानयम वीरुदु’ (जंगल का नायक) कहते हैं।
  • अल्लूरी सीताराम राजू एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक सशस्त्र अभियान चलाया था। वह 18 वर्ष की आयु में संत बन गए थे।
  • वर्तमान में आंध्र प्रदेश राज्य में जन्मे सीताराम राजू ने वर्ष 1882 के मद्रास वन अधिनियम के खिलाफ ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गए थे।
  • इस अधिनियम ने आदिवासियों (आदिवासी समुदायों) को उनके वन आवासों में मुक्त रूप से आवाजाही हेतु और उन्हें पारंपरिक रूप का पोडु (स्थानांतरित खेती-झूम कृषि) को प्रतिबंधित कर दिया था।
  • अंग्रेजों के प्रति बढ़ते असंतोष ने 1922 के रम्पा विद्रोह/मन्यम विद्रोह को जन्म दिया, जिसमें अल्लूरी सीताराम राजू ने एक नेतृत्वकर्त्ता के रूप में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
  • वर्ष 1924 में अल्लूरी सीताराम राजू को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया और ब्रिटिश सरकार के इशारे पर एक पेड़ से बांँध कर सार्वजनिक रूप से गोली मार दी गई तथा सशस्त्र विद्रोह को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया।
  • सन 1920 में अल्लूरी सीताराम पर महात्मा गांधी के विचारों का बहुत प्रभाव पड़ा और उन्होंने आदिवासियों को मद्यपान छोड़ने तथा अपने विवाद पंचायतों में हल करने की सलाह दी।
    • किंतु जब एक वर्ष में स्वराज्य प्राप्ति का गांधी जी का स्वप्न साकार नहीं हुआ तो सीताराम राजू ने अपने अनुयायी आदिवासियों की सहायता से अंग्रेज़ों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह करके स्वतंत्र सत्ता स्थापित करने के प्रयत्न आंरभ कर दिए।

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